आज हम आपके साथ शिव स्तुति (Shiv Stuti) का पाठ करेंगे। भगवान शिव का नाम लेने मात्र से ही वे अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। वैसे तो शिव स्तुति कई तरह की उपलब्ध है जिसमें से आदि गुरु शंकराचार्य जी द्वारा रचित शिव स्तुति एक है तो एक तुलसीदास जी द्वारा लिखी शिव रुद्राष्टक।
इसके अलावा भी कई अन्य शिव स्तुति प्रसिद्ध है। इसमें से एक प्रसिद्ध गायिका अनुराधा पौडवाल द्वारा गायी गयी शिव स्तुति है। आज के इस लेख में आपको सर्वप्रसिद्ध व प्राचीन शंकराचार्य द्वारा रचित शिव स्तुति पढ़ने को मिलेगी। इसी के साथ ही हम आपको शिव स्तुति PDF (Shiv Stuti PDF) फाइल और फोटो भी उपलब्ध करवाएंगे ताकि आप इसे अपने मोबाइल में सेव कर सके। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं श्री शिव स्तुति।
Shiv Stuti | शिव स्तुति
॥ शिव स्तुति मंत्र ॥
कर्पुरगौरं करुणावतारं
संसारसारं भुजगेन्द्रहारं।
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि॥
॥ शिव स्तुति श्लोक ॥
पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम॥
महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्॥
गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्॥
शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।
त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप॥
परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।
यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्॥
न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।
न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड॥
अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।
तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम॥
नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।
नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्॥
प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।
शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:॥
शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।
काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि॥
त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।
त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन॥
इस तरह से आपने श्री शिव स्तुति का पाठ कर लिया है। अब हम आपको शिव स्तुति PDF (Shiv Stuti PDF) और उसकी फोटो भी उपलब्ध करवा देते हैं।
शिव स्तुति फोटो
यह रही शिव स्तुति की फोटो:
यदि आप मोबाइल में इसे देख रहे हैं तो फोटो पर क्लिक करके रखिए। उसके बाद आपको फोटो डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा। वहीं यदि आप लैपटॉप या कंप्यूटर में इसे देख रहे हैं तो फोटो पर राईट क्लिक करें। इससे आपको फोटो डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा।
Shiv Stuti PDF | शिव स्तुति PDF
अब हम शिव स्तुति की पीडीएफ फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: शिव स्तुति PDF
ऊपर आपको लाल रंग में शिव स्तुति की PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
निष्कर्ष
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने शिव स्तुति (Shiv Stuti) पढ़ ली है। साथ ही हमने आपको इसकी फोटो और पीडीएफ फाइल भी उपलब्ध करवा दी है। यदि आपको फोटो या पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या होती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट करें। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।
श्री शिव स्तुति से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: शिव स्तुति कब पढ़ना है?
उत्तर: शिव स्तुति किसी भी समय पढ़ी जा सकती है। हालाँकि सोमवार के दिन शिव स्तुति को पढ़ा जाना अत्यंत शुभकारी होता है। इसलिए आप सोमवार के दिन शिव स्तुति का पाठ अवश्य करें।
प्रश्न: शिव स्तुति के लेखक कौन है?
उत्तर: शिव स्तुति की रचना आदिगुरू शंकराचार्य जी के द्वारा की गई थी। वही एक और शिव स्तुति भी है जिसे शिव रुद्राष्टकम के नाम से जाना जाता है। इसकी रचना तुलसीदास जी के द्वारा की गई थी।
प्रश्न: शिव जी की प्रार्थना कैसे करें?
उत्तर: यदि आप शिव जी की प्रार्थना करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको शिव स्तुति, चालीसा व आरती का पाठ करना चाहिए। इससे भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं।
प्रश्न: महादेव शिव की कौन सी स्तुति रामचरितमानस से उद्धृत है *?
उत्तर: महादेव शिव की तुलसीदास जी द्वारा रचित स्तुति रामचरितमानस से उद्धृत है। इसे शिव रुद्राष्टकम के नाम से जाना जाता है।
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