आज हम आपको बताएँगे कि ओणम क्या है (Onam Festival In Hindi) और इससे हमारा क्या तात्पर्य है? अब ओणम को लेकर आपके मन में कई तरह के प्रश्न होंगे। जैसे कि ओणम क्यों मनाया जाता है, ओणम त्योहार कब मनाया जाता है, ओणम त्योहार कहाँ मनाया जाता है, ओणम त्योहार किसका प्रतीक है, ओणम त्योहार कैसे मनाया जाता है, ओणम त्योहार कितने दिनों तक मनाया जाता है, इत्यादि।
ओणम (Onam In Hindi) दक्षिण भारत मुख्यतया केरल राज्य का एक मुख्य त्यौहार है। मान्यता है कि राजा बलि जिन्हें महाबली के नाम से भी जाना जाता है वे अपनी प्रजा का हालचाल जानने पाताल लोक से धरती पर आते हैं। उनके आने की खुशी में ही ओणम का त्यौहार केरल में दस दिनों तक आयोजित किया जाता है जिसमें दसवां दिन मुख्य होता है। आज हम आपको ओणम त्यौहार के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे जो आप जानना चाहते हैं।
Onam Festival In Hindi | ओणम क्या है?
ओणम केरल लोगों का त्यौहार है। इसे वहाँ की मलयालम भाषा में थिरुवोणम के नाम से जाना जाता है। इसमें थिरु का अर्थ पवित्रता से है जबकि ओणम त्यौहार का ही एक नाम है। इस दिन सभी मलयाली लोग अपने-अपने घरों की साफ़-सफाई करते हैं, नए वस्त्र पहनते हैं, नाना प्रकार के व्यंजन बनाते हैं और एक-दूसरे को ओणम की बधाई देते हैं। दरअसल इसे मनाने के पीछे सतयुग के समय की राजा बलि की कहानी जुड़ी हुई है। आइए उसके बारे में भी जान लेते हैं।
हम सभी ने भगवान विष्णु के द्वारा वामन अवतार लेने तथा राजा बलि के अहंकार को दूर करने की कथा के बारे में सुना होगा। किंतु यदि हम आपको बताएं कि राजा बलि जिन्हें महाबली के नाम से भी जाना जाता है वे भगवान विष्णु के ही परम भक्त प्रह्लाद के पौत्र थे तथा महादानी भी। भगवान विष्णु ने असुर शक्ति को हावी ना होने देने तथा राजा बलि के अहंकार को दूर करने के उद्देश्य से वामन अवतार लिया था।
जब भगवान विष्णु ने बलि के अहंकार को दूर कर दिया तथा उससे उसका सारा शासन पुनः वापस ले लिया तब उन्होंने उसे पाताल लोक जाकर राज करने को कहा। इसी के साथ वे बलि की दानवीरता से भी प्रसन्न थे इसलिए उन्होंने उसे कुछ मांगने को कहा। तब भगवान विष्णु ने राजा बलि की इच्छा के अनुसार उसे धरती पर एक दिन आकर अपनी प्रजा से मिलने तथा उनका सुख-दुःख जानने की अनुमति दी थी।
इसी के बाद से केरल में उनके आने की खुशी में ओणम का पर्व (Onam In Hindi) आयोजित किया जाता है। इस दिन वहाँ के लोगों की मान्यता है कि राजा बलि पाताल लोक से उनसे मिलने आते हैं तथा उनका हालचाल जानते हैं।
ओणम क्यों मनाया जाता है?
यह मुख्यतया किसानों व उनकी खेती से जुड़ा त्यौहार होता है जो फसलों की अच्छी उपज के लिए मनाया जाता है। इसलिए वहाँ के किसान इत्यादि अपनी खेती की रक्षा तथा फसलों की अच्छी उपज के लिए राजा बलि से प्रार्थना करते हैं तथा भगवान विष्णु के वामन अवतार की विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं। यह सभी किसानों में एक नया जोश भरने तथा उनका आभार प्रकट करने के लिए आयोजित किया जाता है।
ओणम त्योहार कब मनाया जाता है?
इसे मलयालम कैलेंडर के अनुसार चिंगम माह की शुरुआत से मनाया जाता है। यह माह मलयालम कैलेंडर का प्रथम माह होता है जो अगस्त से सितंबर माह के बीच पड़ता है। यह गणेश चतुर्थी की भाँति 10 दिनों तक मनाया जाता है जिसमें हर दिन अलग-अलग आयोजन होते हैं। आखिरी दिन मुख्य होता है तथा उसी दिन विशेष आयोजन किया जाता है। इस दिन केरल में सार्वजनिक अवकाश भी होता है।
ओणम त्योहार कहाँ मनाया जाता है?
ओणम त्यौहार (Onam Festival In Hindi) को दक्षिण भारत के केरल राज्य का ही त्यौहार माना जाता है। यह एक राज्य स्तरीय त्यौहार है जिसे मलयाली लोग ही मनाते हैं। जिस प्रकार राजस्थान में तीज, असम में बिहू, पंजाब में लोहड़ी मनाई जाती है, ठीक उसी तरह केरल में ओणम का उत्सव मनाया जाता है। वहीं इसका आधिकारिक नाम भी थिरुवोणम है जबकि पूरे देश में इसे ओणम के नाम से जाना जाता है।
ओणम त्योहार किसका प्रतीक है?
अब हम जान लेते हैं कि ओणम त्यौहार किसका प्रतीक माना जाता है। तो यह मुख्य तीन चीज़ों का प्रतीक होता है। आइए जाने।
- ओणम को मनाने का सबसे मुख्य कारण वहाँ के राजा बलि का अपने राज्य में लौटना है। वे सतयुग के समयकाल में उस भूभाग के राजा थे। मान्यता है कि ओणम के समय में वे अपनी प्रजा का हालचाल पूछने पुनः इस धरती पर आते हैं।
- इसे मनाने का दूसरा कारण मलयाली कैलेंडर की शुरुआत होना है। एक तरह से यह मलयाली लोगों के लिए नववर्ष ही होता है।
- इसे मनाने का तीसरा कारण किसानों से जुड़ा हुआ है। यह किसानों की फसल की अच्छी उपज की प्रार्थना करने और उसकी खुशियाँ मनाने का समय होता है।
ओणम त्योहार कैसे मनाया जाता है?
जैसा कि हमने आपको बताया कि यह पर्व दस दिनों में विभाजित करके मनाया जाता है जिसमें हर दिन का एक अलग महत्व है। इसमें घरों की सफाई करना, उन्हें सजाना, रंगोली बनाना, पुष्पों को लगाना, विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाना, भगवान की पूजा व अन्य आयोजन सम्मिलित है। आइए हर दिन के अनुसार जानते हैं।
#1. ओणम का प्रथम दिन: अथं
यह ओणम का प्रथम दिन होता है जिसे अथं के नाम से जाना जाता है। इस दिन राजा बलि के स्वागत में घरों के बाहर रंगोली को बनाने का कार्यक्रम शुरू होता है। इसे पीले रंग से बनाना शुरू किया जाता है जो कि वृत्ताकार होती है। दिन-प्रतिदिन इसके आकार को बढ़ाया जाता है।
#2. ओणम का दूसरा दिन: चिथिरा
ओणम (Onam Festival In Hindi) के दूसरे दिन को चिथिरा के नाम से जाना जाता है। इस दिन सभी अपने-अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं जिस प्रकार लोग दीपावली के समय करते हैं। साथ ही रंगोली का आकार दिन के अनुसार बढ़ा दिया जाता है।
#3. ओणम का तीसरा दिन: चोधी
ओणम के तीसरे दिन को चोधी के नाम से जाना जाता है। प्रतिदिन के अनुसार रंगोली में एक लेयर और बढ़ा दी जाती है। इसके साथ ही इस दिन सभी परिवार वाले अपने और घर के लिए खरीदारी करना शुरू कर देते हैं जिस प्रकार सभी धनतेरस के अवसर पर करते हैं।
#4. ओणम का चौथा दिन: विशाकम
ओणम के चौथे दिन को विशाकम के नाम से जाना जाता है। इस दिन रंगोली को बढ़ाने के साथ-साथ तरह-तरह के कार्यक्रम तथा प्रतियोगिताएं शुरू हो जाती है। जैसे कि संगीत या नृत्य का कार्यक्रम इत्यादि।
#5. ओणम का पांचवां दिन: अनिज्हम
ओणम के पांचवें दिन को अनिज्हम के नाम से जाना जाता है। इस दिन केरल की पवित्र नदी पम्पा पर वालमकलि नाव दौड़ का आयोजन किया जाता है। इसमें सभी मिलकर सांप के आकार की लंबी नाव पर दौड़ लगाते हैं।
#6. ओणम का छठवां दिन: थ्रिकेता
ओणम (Onam In Hindi) के छठवें दिन को थ्रिकेता के नाम से जाना जाता है। इस दिन ओणम का मुख्य आयोजन शुरू हो जाता है तथा सभी विद्यालयों इत्यादि में अवकाश शुरू हो जाता है जो कि चार से पांच दिन का होता है।
#7. ओणम का सातवाँ दिन: मूलम
ओणम का सातवाँ दिन मूलम के नाम से जाना जाता है जिस दिन पूजा आरंभ हो जाती है। इस दिन मंदिरों में पूजा की जाती है और विशेष नृत्य के आयोजन भी किए जाते हैं।
#8. ओणम का आठवां दिन: पूरादम
ओणम के आठवें दिन को पूरादम के नाम से जाना जाता है। इस दिन रंगोली के आकार को प्रतिदिन की भाँति बढ़ाया जाता है जो अभी तक बहुत विशाल हो चुकी होती है। इस रंगोली को पूलकम के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान वामन तथा राजा बलि की मूर्तियों को पूलकम के बीच में स्थापित कर दिया जाता है।
#9. ओणम का नौवां दिन: उठ्रादोम
ओणम के नौवें दिन को उठ्रादोम के नाम से जाना जाता है। यह दिन ओणम का एक मुख्य दिन होता है क्योंकि इसी दिन राजा बलि का केरल में आगमन होता है तथा वे इस पावन धरती पर प्रवेश करते हैं। इसलिए इस दिन लोग अपने घरों में विशेष पकवान इत्यादि बनाते हैं।
#10. ओणम का दसवां दिन: थिरुवोनम
ओणम के दसवें तथा आखिरी दिन को थिरुवोनम के नाम से जाना जाता है। यह ओणम का सबसे मुख्य दिन है जिस दिन सभी लोग प्रातः काल जल्दी उठते हैं व स्नान करते हैं। स्नान इत्यादि करने के पश्चात नए वस्त्रों को पहनकर पूजा इत्यादि की जाती है।
साथ ही इस दिन नौ मुख्य व्यंजनों को तैयार करके केले के पत्ते पर रखकर परोसा जाता है। कुछ जगह पर नौ व्यंजनों की बजाए ज्यादा व्यंजन बनाने की परंपरा है जो कि 24-25 तक होते हैं। इन व्यंजनों में मुख्य रूप से पापड़ की चिप्पस, सांभर, ओल्लम, दाव इत्यादि प्रमुख है।
इस तरह से आज आपने ओणम क्या है (Onam Festival In Hindi) और इसे कैसे और किस तरह से मनाया जाता है, इसके बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली है। यदि अभी भी आपके मन में ओणम त्यौहार को लेकर कोई प्रश्न है तो आप नीचे कमेंट कर हमसे पूछ सकते हैं।
ओणम त्यौहार से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: ओणम कब मनाया जाता है?
उत्तर: ओणम मलयाली कैलेंडर के अनुसार चिगम माह की शुरुआत में मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर में यह अगस्त से सितंबर महीने के बीच में पड़ता है।
प्रश्न: ओणम त्योहार कितने दिनों तक मनाया जाता है?
उत्तर: ओणम त्योहार दस दिनों तक मनाया जाता है। जिस प्रकार नवरात्र या गणेश चतुर्थी का त्यौहार 9 से 10 दिनों तक मनाया जाता है, ठीक उसी तरह ओणम भी 10 दिनों का त्यौहार है।
प्रश्न: ओणम का त्योहार कहाँ मनाया जाता है?
उत्तर: ओणम का त्योहार भारत देश के केरल राज्य में मनाया जाता है। यह एक राज्य स्तरीय त्यौहार है जिसे मलयाली लोग मनाते हैं।
प्रश्न: ओणम का महत्व क्या है?
उत्तर: ओणम को लोग अपने राजा बलि की पुनः धरती लोक पर वापसी के रूप में मनाते हैं। इसी के साथ ही यह मलयाली कैलेंडर की शुरुआत और किसानों की फसल की अच्छी उपज के रूप में भी मनाया जाता है।
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