न्यायालय में दशकों से चले लंबे संघर्ष के पश्चात अंततः हमनें मुगल आक्रांताओं के द्वारा तोड़े गए श्रीराम की जन्मभूमि को पुनः प्राप्त कर लिया (Time Capsule In Hindi) हैं। इसी के साथ उस स्थल पर मस्जिद के पक्षकार तथा आक्रांताओं की संतानों की न्यायालय में बुरी तरह हार हुई। अब सनातन धर्म के साधू-संतों ने भविष्य में पैदा होने वाले देशद्रोहियों तथा पापियों के कारण ऐसी स्थिति पुनः उत्पन्न ना हो, उसके लिए श्रीराम मंदिर की नींव के दो सौ फीट नीचे टाइम कैप्सूल रखने का निर्णय किया (Time Capsule Kya Hota Hai Hindi Mein) हैं।
अब प्रश्न यह उठता हैं कि यह टाइम कैप्सूल आखिरकार होता क्या (What Is Time Capsule In Hindi) हैं? इसको रखने का क्या महत्व हैं? क्या यह समय के साथ खराब नही होगा? इसका भूमि में कैसे पता चलेगा कि यह कहाँ स्थित हैं? इससे हमें क्या प्राप्त होगा? इत्यादि। आज हम आपके इन सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से देंगे तथा साथ ही आपको भूतकाल में रखे गए टाइम कैप्सूल तथा उनसे मिली कुछ जानकारी भी साँझा करेंगे।
टाइम कैप्सूल के बारे में संपूर्ण जानकारी (Time Capsule In Hindi)
टाइम कैप्सूल क्या हैं? (Time Capsule Kya Hota Hai)
यह एक धातु से बना डिब्बा/ पात्र/ कंटेनर होता हैं जिसे कई धातुओं के मिश्रण से बनाया जाता हैं। इन धातुओं में तांबा मुख्य रूप से सम्मिलित होता हैं। यह कंटेनर कई परतों में बना होता हैं। इसकी लंबाई तीन फुट के आसपास होती है। इसी डिब्बे के अंदर महत्वपूर्ण दस्तावेज रखे जाते हैं जो सुरक्षित होते हैं।
टाइम कैप्सूल में क्या होता हैं? (Kya Hai Time Capsule)
इसके अंदर सभी प्रकार के दस्तावेज, चित्र व ऐतिहासिक जानकारी एकत्रित करके रखी जाती हैं। यह जानकारी मुख्यतया ताम्र पत्र पर अंकित होती हैं जो समय के साथ खराब नही होती तथा वैसी ही अवस्था में रहती हैं। यह दस्तावेज उस स्थल की महत्ता, वर्तमान आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक परिदृश्य का चित्रण करते हैं।
टाइम कैप्सूल कहा रखा जाता हैं (Time Capsule Kahan Hota Hai)
इसे रखने का स्थान उस स्थल की नींव के नीचे एक निश्चित गहराई तक होता हैं। यह गहराई अलग-अलग हो सकती हैं लेकिन उसे उस स्थल की नींव के नीचे ही दबाया जाता हैं ताकि भविष्य में उसका इतिहास देखने के उद्देश्य से उसकी नींव को खोदकर देखा जा सके। इस प्रकार इसे ढूँढना व इतिहास के बारे में जानना सरल हो जाता है।
टाइम कैप्सूल कैसे सुरक्षित रहता हैं (Time Capsule Materials In Hindi)
समय के साथ-साथ हर चीज़ जीर्ण अवस्था में पहुँच जाती हैं तथा भव्य से भव्य बनी चीज़ को भी मरम्मत की आवश्यकता होती हैं। ऐसी स्थिति में आज से हजारों वर्षों के पश्चात की स्थिति की कल्पना संभव नही क्योंकि सामान्य परिवर्तन के साथ-साथ प्राकृतिक आपदा भी आती हैं जिससे नुकसान पहुँचता हैं।
इन्ही सब चीज़ों को ध्यान में रखकर टाइम कैप्सूल का निर्माण जिन धातुओं के मिश्रण से किया जाता हैं, उनमें समय के साथ-साथ स्वयं को उसी अवस्था में रखने की शक्ति होती है। यह धातुएं जल, वायु, मिट्टी, अग्नि इत्यादि से प्रतिक्रिया कर स्वयं को सड़ने, गलने या धुंधला होने से रोकती हैं जिस कारण उसके अंदर रखे महत्वपूर्ण दस्तावेज भी पूर्णतया सुरक्षित रहते हैं। इसमें हर प्रकार के मौसम, भौगोलिक स्थिति इत्यादि को झेलने की क्षमता होती हैं।
श्रीराम मंदिर में रखे जाने वाले टाइम कैप्सूल के बारे में जानकारी (Time Capsule Ram Mandir In Hindi)
जो टाइम कैप्सूल श्रीराम मंदिर में रखा जायेगा वह उसकी नींव के 200 फीट नीचे तक दबाया जायेगा। इसमें श्रीराम मंदिर का इतिहास, इसके लिए लड़ी गयी लंबी कानूनी लड़ाई, उसके लिए दिया गया बलिदान, वर्तमान परिदृश्य, मंदिर का नक्शा इत्यादि सब जानकारी एकत्रित करके ताम्र पत्र पर अंकित कर उसे टाइम कैप्सूल में रख दिया जायेगा। यह सब जानकारी तीन भाषाओँ संस्कृत, हिंदी व अंग्रेजी में लिखी जाएगी जो श्रीराम मंदिर का संपूर्ण बखान करेगी।
श्रीराम मंदिर में टाइम कैप्सूल रखा जाना क्यों हैं आवश्यक (Time Capsule Under Ram Mandir)
जैसा कि आप सभी देख सकते हैं कि हमे अपनी श्रीराम की जन्मस्थली को ही पुनः प्राप्त करने में इतने वर्ष लग गए व कितने ही भक्तों ने इसके लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। हम सभी इस बात से परिचित हैं कि इतिहास में कैसे अफगान व मुस्लिम शासकों ने सदियों तक हिंदुओं व उसकी अन्य धर्मशाखाओं (जैन, बौद्ध, सिख) का बेरहमी से रक्त (Time Capsule Ayodhya) बहाया।
इसके साथ ही उनके द्वारा हमारे लाखों ऐतिहासिक स्थल, मंदिर, गुरुकुल इत्यादि या तो तोड़ डाले गए या उनका मस्जिदों इत्यादि में परिवर्तन करवा दिया गया। जिन्होंने भी इन्हें बचाने का प्रयत्न किया उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गयी। बाद में देश पर अंग्रेजों का शासन आया तथा अंत में देश स्वतंत्र हुआ और चुनी हुई सरकारें (Time Capsule Ram Janmabhoomi) आई।
तब देश की सरकारों तथा न्यायालय के समक्ष सभी ने आवाज़ उठाई तथा वहां बनाये गए अतिक्रमण को हटाकर पुनः उनका वही स्वरुप देने की बात कही गयी। किंतु इसके कुछ पुख्ता सबूत न होने के कारण मुगलों की संतानों, देशद्रोहियों ने इसका भरपूर लाभ उठाया तथा सदियों तक यह मामला न्यायालय में उलझता रहा। किंतु सत्य को प्रमाण की आवश्यकता नही होती तथा इसी कारण अंत में उसी की जीत हुई।
किंतु भविष्य में इस प्रकार की स्थिति से आसानी से निपटा जा सके तथा फिर कभी ऐसे श्रीराम को अपनी भूमि को पुनः प्राप्त करने के लिए इतना संघर्ष न करना पड़े। उसी को ध्यान में रखते हुए मंदिर के 200 फीट नीचे टाइम कैप्सूल रखा जा रहा हैं जिससे भविष्य की पीढ़ी को कोई भी शंका होने पर इसके अंदर रखे गए ऐतिहासिक दस्तावेज देखकर सब कुछ समझ आ जाये।
भूतकाल में रखे गए टाइम कैप्सूल के बारे में जानकारी (List Of Time Capsules In Hindi)
- 15 अगस्त 1972 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने लालकिले के नीचे एक टाइम कैप्सूल रखवाया था जिसे एक हज़ार वर्ष के पश्चात निकाला जाना था (Lalqila Time Capsule)। हालाँकि उस समय उन पर अपने परिवार तथा सरकार की उपलब्धियों का बखान करके लिखवाने तथा उसे अंदर रखवाने का आरोप लगा था। इसी कारण जब 1977 में इंदिरा गाँधी की सरकार का पतन हुआ व जनता पार्टी की सरकार आई तब इस टाइम कैप्सूल को निकाल दिया गया किंतु इसकी जानकारी को सार्वजानिक नही किया गया।
- भारत की तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल के समक्ष भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (IIT, Kanpur Time Capsule) में 6 मार्च 2010 को एक टाइम कैप्सूल रखवाया गया था।
- गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा महात्मा मंदिर, गांधीनगर (Mahatma Mandir, Gandhinagar Time Capsule) में भी एक टाइम कैप्सूल रखवाया गया था जो उसके पचास वर्षों के इतिहास को बताता है।
इसके अलावा दक्षिण मुंबई के एक अंग्रेजी स्कूल (Alexandra Girls’ English Institution, South Mumbai Time Capsule) व लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, पंजाब (Lovely Professional University, Jalandhar, Punjab Time Capsule) में भी टाइम कैप्सूल रखवाया गया हैं। साथ ही विदेशों में भी कई ऐतिहासिक स्थलों के दस्तावेज सुरक्षित रखने के उद्देश्य से कई टाइम कैप्सूल रखवाए जा चुके हैं जैसे कि अमेरिका, स्पेन, इजराइल, इंग्लैंड, सिंगापुर, रूस, पोलैंड, नॉर्वे, मलेशिया, कुवैत, कजाकिस्तान इत्यादि।
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