नवदुर्गा का तृतीय रूप मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) होती है। इनकी नवरात्र के तीसरे दिन पूजा की जाती है। मातारानी के पहले दो रूप शांत स्वभाव के थे किंतु यह रूप अत्यंत भयानक व दुष्टों का संहार करने वाला है। माँ दुर्गा का यह रूप अतिविनाशकारी होता है जिनका जन्म ही पापियों व अधर्मियों का नाश करने के लिए हुआ था।
चंद्रघंटा माता की पूजा (Chandraghanta Mata) करने से हमारे अंदर वीरता, शौर्य व साहस की जागृति होती है। मां चंद्रघंटा की कथा महिषासुर से जुड़ी हुई है। इस लेख में हम आपको माँ चंद्रघंटा का स्वरूप, मंत्र, पूजा विधि व महत्व इत्यादि के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
Maa Chandraghanta | मां चंद्रघंटा की कथा
सबसे पहले तो हम चंद्रघंटा माता की कथा को जान लेते हैं। दरअसल मातारानी के इस रूप की कथा वही है जो माँ दुर्गा के द्वारा महिषासुर का वध करने से जुड़ी हुई है। एक तरह से इन्हें माँ दुर्गा का ही साक्षात रूप कहा जा सकता है। एक समय पहले जब महिषासुर नामक राक्षस का आतंक बहुत ज्यादा बढ़ गया था तब सभी देवता त्रिदेव से सहायता मांगने गए।
महिषासुर अत्यधिक शक्तिशाली राक्षस था। ऐसे में त्रिदेव ने अपनी शक्तियों को मिलाकर एक नई शक्ति की रचना की। इसका नाम चंद्रघंटा था। चंद्रघंटा को सभी देवताओं ने तरह-तरह के अस्त्र-शस्त्र दिए थे। इसके बाद चंद्रघंटा माता युद्धभूमि में कूद पड़ी और महिषासुर से भीषण युद्ध किया। यह युद्ध नौ दिनों तक चला और दसवें दिन माँ चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध कर दिया।
इस तरह से Chandraghanta Mata ने अधर्म का नाश कर पुनः धर्म की स्थापना की थी। अब हम आपको चंद्रघंटा का अर्थ सहित मातारानी के बारे में अन्य जानकारी भी देंगे। चलिए मां चंद्रघंटा के बारे में जान लेते हैं।
चंद्रघंटा का अर्थ
यदि आप माता चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र को ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि उनके माथे पर चंद्रमा घंटे की आकृति में लटका हुआ पाया जाता है। अब चंद्रमा के इस तरह से लटके हुए होने के कारण ही मातारानी के इस रूप का नाम चंद्रघंटा रखा गया था। इन्हें माँ दुर्गा भी कह दिया जाता है।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
इनके मस्तिष्क पर चंद्रमा स्थापित होने के साथ-साथ इनकी सवारी शेर होता है। साथ ही इनकी दस भुजाएं होती हैं जिनमें Maa Chandraghanta अस्त्र-शस्त्र धारण किए रहती हैं। इन्हीं अस्त्र-शस्त्रों से माँ दुष्टों का नाश करती हैं व इस विश्व को पापमुक्त करती हैं। इन अस्त्र-शस्त्रों में धनुष-बाण, त्रिशूल, खड्ग इत्यादि सम्मिलित है। साथ ही माँ के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला होता है। माँ हमेशा युद्ध करने की मुद्रा में ही होती हैं।
चंद्रघंटा माता का मंत्र
#1. पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
#2. या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
माँ चंद्रघंटा स्तोत्र पाठ
आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाभ्यम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्॥
मां चंद्रघंटा पूजा विधि
प्रातःकाल उठकर स्नान करके पूजा घर में चौकी पर माता चंद्रघंटा की मूर्ति को स्थापित करें। माता रानी को पीले तथा लाल रंग के वस्त्र तथा वस्तुएं अत्यधिक प्रिय है। इसलिए इन्हीं रंग के वस्त्र धारण करें। अब ऊपर दिए गए मंत्रों का जाप करते हुए चंद्रघंटा माता का ध्यान लगाएं। माँ की कुमकुम, चंदन इत्यादि से पूजा करें क्योंकि इन्हें सुगंध अत्यधिक प्रिय है। Maa Chandraghanta का भोग दूध से बनी खीर या सफेद रंग की मिठाई होती है।
चंद्रघंटा माता का महत्व
माँ चंद्रघंटा हमारे मणिपुर चक्र को मजबूत बनाती हैं जिससे हमारे भय व डर का नाश होता है। यदि हमें किसी चीज़ को करने में किसी प्रकार की शंका या भय रहता है तो वह दूर होता है। हमारे शरीर के अंदर वीरता, साहस इत्यादि का जागरण होता है। इसलिए यदि आपके अंदर विश्वास इत्यादि की कमी है तो Chandraghanta Mata की अवश्य पूजा करें।
इससे आप चीज़ों को सहज तरीके से देख पाते हैं, समस्या के आने पर उससे डरने या भागने की बजाए उसका सामना करना सीखते हैं और शत्रु के सामने डगमगाते नहीं हैं। एक तरह से आप अपने काम को पहले की तुलना में जल्दी और अच्छे से पूरा कर पाने में सक्षम होते हैं। Maa Chandraghanta के आशीर्वाद से आपके सभी तरह के भय दूर हो जाते हैं और वीर रस का संचार होता है।
माँ चंद्रघंटा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: चंद्रघंटा माता कौन थी?
उत्तर: चंद्रघंटा माता माँ दुर्गा के 9 रूपों में से तीसरा रूप हैं। यह रूप महिषासुर का वध करने के लिए जाना जाता है। मातारानी का यह रूप हमारे भय व संकटों को दूर कर देता है और वीर रस का संचार करता है।
प्रश्न: मां चंद्रघंटा का मंत्र क्या है?
उत्तर: मां चंद्रघंटा का मंत्र “पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता, प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता” है। इसका जाप आप नवरात्रि के तीसरे दिन अवश्य करें।
प्रश्न: मां चंद्रघंटा को क्या प्रसाद चढ़ाया जाता है?
उत्तर: मां चंद्रघंटा को प्रसाद के रूप में गाय माता के दूध और चावल से बनी खीर बहुत पसंद आती है। साथ ही आप उन्हें देसी घी, पंचामृत इत्यादि का भोग भी लगा सकते हैं।
प्रश्न: मां चंद्रघंटा को कौन सा रंग प्रिय है?
उत्तर: मां चंद्रघंटा को पीला व लाल रंग प्रिय है। ऐसे में आप उनकी पूजा करते समय पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
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