आज के इस लेख में आपको कुबेर आरती (Kuber Aarti) हिंदी में अर्थ सहित पढ़ने को मिलेगी। इससे आपको कुबेर भगवान के बारे में बहुत कुछ पता चलेगा और साथ के साथ उनकी आराधना भी हो जाएगी। कुबेर को यक्षों का राजा व भगवान शिव का द्वारपाल नियुक्त किया गया है। वे सुख-समृद्धि व धन प्रदान करने वाले देवता माने जाते हैं जिन्हें उत्तर दिशा का दिकपाल भी बनाया गया है। साथ ही वे देवताओं के कोषाध्यक्ष भी हैं।
ऐसे में आरती कुबेर जी की (Aarti Kuber Ji Ki) के माध्यम से हम कुबेर देवता को प्रसन्न कर सकते हैं और अपने घर-परिवार में सुख-समृद्धि ला सकते हैं। लेख के अंत में आपको कुबेर आरती के लाभ व महत्व भी जानने को मिलेंगे। तो आइए सबसे पहले करते हैं श्री कुबेर आरती का पाठ।
Kuber Aarti | कुबेर आरती इन हिंदी – अर्थ सहित
ॐ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,
भण्डार कुबेर भरे॥
यक्ष कुबेर जी की जय हो। वे हम सभी के स्वामी हैं और उनकी जय हो। हे कुबेर देवता!! आपकी शरण में आये हुए भक्तों पर कृपा कर अन्न-धन से उनके भंडार भर दीजिये।
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े॥
शिव भक्तों में जिस भक्त का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है, उसमें कुबेर भी आते हैं। वे शिवजी के बहुत बड़े भक्त हैं। कुबेर जी ने दैत्यों, दानवों व मनुष्यों से कई बार युद्ध लड़ा है।
स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जयकार करैं॥
कुबेर देवता सोने के सिंहासन पर विराजित हैं और उनके सिर पर छत्र है। उनके स्वागत में योगिनियाँ मंगलगान कर रही हैं और हम सभी उनकी जय जयकार कर रहे हैं।
गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुःख भय संकट मोचन,
धनुष टंकार करे॥
कुबेर देवता ने अपने हाथ में गदा व त्रिशूल लिया हुआ है। उन्होंने कई तरह के अस्त्र-शस्त्र लिए हुए हैं। वे अपने धनुष की टंकार से ही हमारे सभी दुखों, भय व संकटों का नाश कर देते हैं।
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं,
साथ में उड़द चने॥
कुबेर जी की आरती करने के लिए हमने कई तरह के व्यंजन उन्हें भोग लगाने को बनाये हैं। हम सभी उन्हें उड़द व चने की दाल का भोग लगाते हैं।
बल बुद्धि विद्या दाता,
हम तेरी शरण पड़े, स्वामी हम तेरी शरण पड़े।
अपने भक्त जनों के,
सारे काम संवारे॥
कुबेर देवता हम सभी को बल, बुद्धि व विद्या प्रदान करते हैं। हम सभी आपकी शरण में आये हैं। अब आप अपने भक्तों के सभी काम बना दीजिये।
मुकुट मणी की शोभा,
मोतियन हार गले, स्वामी मोतियन हार गले।
अगर कपूर की बाती,
घी की जोत जले॥
कुबेर जी ने अपने सिर पर मणियों से जड़ित मुकुट पहन रखा है तो गले में मोतियों की माला पहन रखी है। कुबेर आरती में हम अगर व कपूर की बाती जलाते हैं और घी की ज्योत करते हैं।
यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत प्रेमपाल स्वामी,
मनवांछित फल पावे॥
प्रेमपाल स्वामी जी कहते हैं कि जो कोई भी भक्तगण कुबेर जी की आरती को सच्चे मन के साथ गाता है, कुबेर भगवान की कृपा से उसके मन की हरेक इच्छा पूरी हो जाती है।
ऊपर आपने आरती कुबेर जी की (Aarti Kuber Ji Ki) अर्थ सहित पढ़ ली है। चलिए अब हम कुबेर आरती के लाभ और महत्व भी जान लेते हैं।
कुबेर आरती का महत्व
सनातन धर्म में हर देवता का अपना महत्व होता है जबकि कुबेर को यक्षों का राजा नियुक्त किया गया है। एक ओर जहाँ कुबेर के सभी भाई रावण, कुम्भकरण व विभीषण को पूजनीय नहीं माना गया है तो दूसरी ओर, कुबेर के अंदर सद्गुणों को देखते हुए उन्हें यक्षों का राजा नियुक्त किया गया। इतना ही नहीं, उन्हें देवताओं का कोषाध्यक्ष व भगवान शिव का द्वारपाल तक नियुक्त किया गया है। इसी के साथ ही वे उत्तर दिशा के स्वामी व दिकपाल के रूप में भी प्रख्यात हैं।
ऐसे में कुबेर आरती के माध्यम से कुबेर देवता के महत्व, गुणों, शक्तियों, कर्मों इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है। कुबेर देवता का मनुष्य तथा तीनों लोकों के प्राणियों के लिए क्या महत्व है, यह हमें कुबेर जी की आरती के माध्यम से पता चलता है। यही कारण है कि कुबेर जी आरती का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है और हमें नियमित रूप से कुबेर देवता को प्रसन्न करने के लिए श्री कुबेर आरती का पाठ करना चाहिए।
कुबेर आरती के लाभ
अब यदि आप कुबेर जी की आरती को पढ़ने के फायदे जानने को यहाँ आये हैं तो आज आप यह जान लीजिये कि यदि कोई व्यक्ति अपने घर में कुबेर देवता की मूर्ति या चित्र लाकर भी उसे उत्तर दिशा में रखता है तो उससे भी उसे बहुत ज्यादा लाभ देखने को मिलता है। अब यदि वह इसी के साथ ही प्रतिदिन कुबेर देवता की मूर्ति या चित्र के सामने कुबेर आरती का पाठ भी करता है तो उसके घर में सुख-समृद्धि का आना तय है।
यदि कुबेर जी आरती का प्रतिदिन पाठ किया जाए तो कुबेर देवता बहुत प्रसन्न होते हैं। वे हमारे व्यवसाय, करियर, नौकरी इत्यादि की सभी बाधाओं को दूर करते हैं और उसमें उन्नति करवाते हैं। इसी के साथ ही यदि परिवार में धन या संपत्ति संबंधित कोई विवाद चल रहा है तो वह भी दूर होता है और आप लाभ में रहते हैं। घर के सभी सदस्यों की उन्नति होती है और घर का वातावरण भी शांतिमय बनता है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने कुबेर आरती इन हिंदी में अर्थ सहित (Kuber Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने कुबेर आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
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