पारिजात का पौधा किस दिशा में लगाना चाहिए? जाने इस पौधे की पूरी जानकारी

हरसिंगार का पौधा (Harsingar Ka Paudha)

हिंदू धर्म में हरसिंगार का पौधा (Harsingar Ka Paudha) बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस पौधे को अत्यधिक पवित्र माना जाता हैं। यह माता लक्ष्मी का बहुत प्रिय पौधा हैं तथा इनके फल-फूल भगवान विष्णु के श्रृंगार के रूप में प्रयोग में लिए जाते हैं। इसी कारण इसका नाम हरसिंगार रखा गया है।

हालाँकि इसका एक अन्य प्रचलित नाम पारिजात का पौधा (Parijat Ka Paudha) भी हैं। इससे जुड़ी कई प्राचीन कथाएं हैं जिनका संबंध सतयुग से लेकर द्वापर युग तक रहा है। यह स्वर्ग लोक का पौधा था लेकिन इसे धरती पर श्रीकृष्ण लेकर आए थे। आइए हरसिंगार के पौधे का महत्व और उसकी विशेषता के बारे में जान लेते हैं।

हरसिंगार का पौधा (Harsingar Ka Paudha)

यह पौधे लंबाई में दस से पच्चीस फीट के आसपास होता हैं। कई जगह इसकी उंचाई पच्चीस फीट से भी ज्यादा हो जाती हैं। इस पौधे की विशेषता यह हैं कि यह संपूर्ण भारतवर्ष में उगता हैं तथा मुख्यतया इसे उद्यान आदि में देखा जाता हैं।

इसमें कई सुगंधित पुष्प लगते हैं जो भगवान की पूजा में उपयोग में आते हैं। इसकी एक ओर विशेषता यह हैं कि एक दिन में इसमें इतने सारे पुष्प उगते है कि पूछिए मत। साथ ही चाहे इससे सभी पुष्प तोड़ लो, अगले दिन वहां और पुष्प लगे मिलेंगे।

इस पौधे के कई अन्य नाम भी प्रचलन में हैं जैसे कि पारिजातक, शेफाली, विष्णुकांता, शेफालिका, रात की रानी, प्राजक्ता, शिउली आदि। यह नाम इस पौधे के गुणों तथा विभिन्न भारतीय भाषाओँ पर आधारित हैं। अंग्रेजी में इसका नाम नाईट जैस्मिन व उर्दू में गुलजाफरी हैं।

पारिजात का पौधा और रात की रानी

आप सोच रहे होंगे कि ऐसी इसमें ऐसी क्या विशेषता हैं कि इसे रात की रानी कहा जाता हैं। दरअसल इसमें जो भी पुष्प लगते हैं वह केवल रात्रि में ही लगते हैं तथा प्रातःकाल मुरझाकर गिर जाते हैं। फिर अगली रात्रि को इसमें नए पुष्प लगते हैं। इसी विशेषता के कारण इसे रात की रानी या नाईट जैस्मिन के नाम से जाना जाता हैं।

इसके साथ ही भगवान की पूजा के लिए इस पौधे से पुष्प तोड़ना निषेध हैं अर्थात जो पुष्प अपने आप टूटकर गिर गए हैं केवल उन्ही से ही हरि की पूजा हो सकती हैं, स्वयं तोड़े गए पुष्पों से नही।

हरसिंगार के पौधे का धार्मिक महत्व

हरसिंगार के पौधे (Harsingar Ka Paudha) की उत्पत्ति सतयुग में देवताओं व दानवों के द्वारा किये गए समुंद्र मंथन से हुई थी। समुंद्र मंथन में कुल 14 रत्न निकले थे जिनमे से एक पारिजात का वृक्ष भी था। भगवान विष्णु के आदेश पर यह देव इंद्र को प्राप्त हुआ था जिसे स्वर्ग लोक में लगाया गया था।

  • ऐसी भी मान्यता हैं कि देवलोक में केवल अप्सरा उर्वशी ही इसे छू सकती थी। नृत्य आदि करके जब वे थकान में होती थी तब इसे छूकर उनकी सारी थकान मिट जाया करती थी।
  • माता लक्ष्मी को हरसिंगार के पुष्प अत्यधिक प्रिय हैं। इसलिये उनकी पूजा में इसके पुष्प आवश्यक रूप से सम्मिलित किये जाते हैं।
  • रामायण काल में अपने चौदह वर्ष के वनवास में माता सीता हरसिंगार के पुष्पों से ही श्रृंगार किया करती थी। चूँकि वे माता लक्ष्मी का ही एक रूप थी इसलिये उन्हें भी इससे अत्यधिक प्रेम था।
  • यह कथा द्वापर युग से जुड़ी हुई हैं। मान्यता हैं कि जब पांडव अपनी माता कुंती के साथ अज्ञातवास में थे तब कुंती ने भगवान शिव की पूजा करने के लिए पारिजात के पुष्प की मांग की थी। तब अर्जुन ने स्वर्ग लोक जाकर अपने धर्म पिता इंद्र से हरसिंगार के पुष्प प्राप्त किये थे। तब जाकर कुंती ने भगवान शिव की आराधना की थी।

श्रीकृष्ण लेकर आए पारिजात का पौधा धरती पर

यह कथा भी द्वापर युग से जुड़ी हुई हैं। एक समय नारद मुनि ने पारिजात के कुछ पुष्प श्रीकृष्ण को लाकर दिए तो उन्होंने वे पुष्प रुकमनी को दे दिए। यह देखकर उनकी तीसरी पत्नी सत्यभामा नाराज हो गयी तथा संपूर्ण वृक्ष की मांग करने लगी।

श्रीकृष्ण हरसिंगार का पौधा (Harsingar Ka Paudha) लेने स्वर्ग लोक गए लेकिन इंद्र ने क्रोध में आकर वृक्ष को श्राप दिया कि इसमें पुष्प केवल रात्रि में लगेंगे तथा दिन में वे मुरझा जाएंगे। साथ ही श्रीकृष्ण ने सत्यभामा को सबक सिखाने के उद्देश्य से ऐसी चाल चली कि वह वृक्ष लगा तो सत्यभामा के बगीचे में था लेकिन उसके पुष्प रुकमनी के बगीचे में गिरते थे।

इस प्रकार आज भी हरसिंगार के पुष्प केवल रात में खिलते हैं व सुबह होते ही मुरझा जाते हैं। इसके साथ ही उसके पुष्प अपने स्थल से कुछ दूरी पर गिरते हैं।

हरसिंगार के पौधा का औषधीय महत्व

धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ इसका औषधीय महत्व भी हैं जो हमारे शरीर से कई रोगों का निदान करता हैं। आइये जानते हैं:

  • प्रतिदिन इसके एक बीज का नित्य सेवन करने से बवासीर नामक बीमारी ठीक हो जाती है।
  • इसकी सुगंध इतनी अच्छी हैं कि यह हमारी थकान तो मिटाती ही है साथ ही तनाव को भी दूर करती है।
  • इसके पुष्पों के रस का सेवन करने से हृदय रोगियों को लाभ मिलता हैं किंतु यह आयुर्वेदिक वैद्य से पूछकर ही करे।
  • सूखी खांसी होने पर इसकी पत्तियों को पीस ले व उसे शहद के साथ मिलाकर खा ले। इससे आपकी सूखी खांसी ठीक हो जाएगी।
  • त्वचा संबंधी रोगों में भी हरसिंगार की पत्तियां किसी चमत्कार की तरह कार्य करती हैं।

इसके अलावा पारिजात का पौधा (Parijat Ka Paudha) कई आयुर्वेदिक औषधियों में मुख्य रूप से काम में लिया जाता हैं। इससे कई सामान्य तथा गंभीर बिमारियों का उपचार संभव हैं।

बाराबंकी में हैं द्वापर युग का हरसिंगार का पौधा

उत्तर प्रदेश राज्य के बाराबंकी जिले के बोरोलिया गाँव में एक पारिजात का पौधा हैं जो द्वापर युग के समय महाभारत काल का माना जाता हैं। चूँकि पारिजात पौधे की आयु एक हज़ार से लेकर पांच हज़ार वर्ष तक होती हैं इसलिये ऐसा होना संभव हैं।

यह वृक्ष 45 फीट ऊँचा हैं जिसकी लंबी-लंबी शाखाएं हैं। वर्ष में केवल एक बार जून माह के आसपास इस पर श्वेत तथा पीले रंग के पुष्प लगते हैं जो अपने चारो ओर के वातावरण को सुगंधित कर देते हैं।

पारिजात का पौधा किस दिशा में लगाना चाहिए?

जिन पौधों की ऊंचाई ज्यादा होती हैं उन्हें पश्चिम या दक्षिण दिशा में लगाना उचित रहता हैं। इसलिये हरसिंगार के पौधे (Harsingar Ka Paudha) को भी दक्षिण या पश्चिम दिशा में लगाना उचित होगा।

हरसिंगार के पौधे से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: हरसिंगार का देसी नाम क्या है?

उत्तर: हरसिंगार का देसी नाम पारिजात है ज्यादातर लोग इसे पारिजात के पौधे के नाम से ही जानते हैं हालाँकि इसके कई अन्य नाम भी है जैसे कि शेफाली, विष्णुकांता, शेफालिका, रात की रानी, प्राजक्ता, शिउली आदि।

प्रश्न: हरसिंगार कौन सी बीमारी में काम आता है?

उत्तर: हरसिंगार कई तरह की बिमारियों में काम आता है जैसे कि त्वचा या हृदय संबंधित बीमारियाँ, सूखी खांसी, बवासीर गठिया इत्यादि यह तरह-तरह की दवाइयों में उपयोग में लाया जाता है

प्रश्न: हरसिंगार का पौधा घर में लगाने से क्या लाभ होता है?

उत्तर: हरसिंगार के पौधे में जो सुगंध होती है, वह व्यक्ति विशेष का तनाव दूर करने में सहायक होती है ऐसे में हरसिंगार का पौधा जिस घर में लगाया जाता है, वहां का वातावरण शांतिमय बना रहता है

प्रश्न: क्या रात की रानी और हरसिंगार एक ही है?

उत्तर: जी हां, रात की रानी और हरसिंगार एक ही पौधे के नाम है इसे कई अन्य नाम से भी जाना जाता है उदाहरण के तौर पर पारिजात, शेफाली या विष्णुकांता इत्यादि

प्रश्न: पारिजात और हरसिंगार के पौधे में क्या अंतर है?

उत्तर: पारिजात और हरसिंगार के पौधे में कोई अंतर नहीं है यह दोनों एक ही पौधे के दो नाम है हरसिंगार इसका शुद्ध नाम है जबकि सामान्य भाषा में इसे पारिजात भी बोल दिया जाता है

प्रश्न: रातरानी और हरसिंगार में क्या अंतर है?

उत्तर: रातरानी और हरसिंगार में कोई अंतर नहीं है यह दोनों एक ही वृक्ष के दो नाम है हरसिंगार इसका मुख्य नाम है जबकि इसके कुछ गुणों के कारण इसे रात की रानी भी बोल दिया जाता है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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