आज हम लव कुश रामायण (Love Kush Ramayan) की बात करेंगे। रामायण कथा में महर्षि वाल्मीकि की श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद महत्वपूर्ण भूमिका थी। उन्हीं के द्वारा श्रीराम कथा को लिखा गया व साथ ही लव-कुश की परवरिश का उत्तरदायित्व भी उन्हीं पर था। भगवान ब्रह्मा के द्वारा सौंपे गए इस उत्तरदायित्व को महर्षि वाल्मीकि ने भलीभाँति निभाया तथा लव कुश की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी।
भगवान ब्रह्मा के कहे अनुसार वाल्मीकि जी को श्रीराम के जीवन की संपूर्ण कथा का ज्ञान हो गया। इसे उन्होंने लव कुश के जन्म से पूर्व ही लिखना प्रारंभ कर दिया था। उन्होंने माता सीता के कहे अनुसार लव कुश तथा आश्रम में किसी को भी माता सीता का असली परिचय नहीं दिया था। इसी कारण आश्रम में माता सीता को सभी वनदेवी के नाम से ही जानते थे। साथ ही लव कुश को भी अपने पिता के बारे में नहीं पता था।
फिर एक समय ऐसा आया जब महर्षि वाल्मीकि जी के द्वारा लव कुश को रामायण की शिक्षा दी गई। इसे आज के समय में हम सभी लव कुश की रामायण (Luv Kush Ramayan) भी कह सकते हैं। आइए जाने उस घटनाक्रम के बारे में जब लव कुश को रामायण शिक्षा देनी प्रारंभ की गई थी।
लव कुश रामायण | Love Kush Ramayan
जब लव कुश थोड़े बड़े हो गए तब महर्षि वाल्मीकि ने दोनों को संगीत की विद्या देनी शुरू की तथा अपनी लिखी रामायण को पढ़ाना शुरू किया। वे दिन भर दोनों को रामायण के एक-एक अध्याय का अभ्यास करवाते तथा इसी प्रकार निरंतर अभ्यास करते रहने के कारण दोनों को रामायण का एक-एक शब्द कंठस्थ हो गया।
अब दोनों श्रीराम के जीवन की संपूर्ण कथा को बिना पढ़े संगीत के माध्यम से सुना सकते थे। महर्षि वाल्मीकि जी के द्वारा जब उन्हें संगीत की पूर्ण विद्या दे दी गई तथा रामायण का हर एक अध्याय याद करवा दिया गया तब उन्होंने दोनों को अयोध्या जाकर वहाँ की प्रजा को राम कथा सुनाने का आदेश दिया।
इससे उनके दो उद्देश्य थे, एक था अयोध्या की प्रजा को श्रीराम की कथा के साथ-साथ माता सीता के वनगमन के पश्चात उनके जीवन को दिखाना। दूसरा माता सीता व लव कुश को उनका खोया हुआ सम्मान पुनः लौटना। अब लव कुश अपने गुरु वाल्मीकि जी की आज्ञा लेकर अयोध्या में संगीत के माध्यम से श्रीराम कथा को सुनाते तथा सभी को मंत्र मुग्ध कर देते। पूरी अयोध्या में इसे लव कुश रामायण (Love Kush Ramayan) के नाम से जाना जाने लगा था।
लव कुश की रामायण (Luv Kush Ramayan)
दोनों की संगीत कला इतनी श्रेष्ठ थी कि कुछ ही दिनों में उन्हें श्रीराम दरबार में सभी अयोध्यावासियों के समक्ष रामायण कथा सुनाने का अवसर प्राप्त हुआ। इसके पश्चात उन्होंने श्रीराम तथा अयोध्या राजपरिवार के सामने श्रीराम कथा को भजन स्वरुप में गाया तथा सभी को माता सीता के वनगमन के पश्चात की कथा को भी बताया जिसका किसी को ज्ञान नहीं था।
लव कुश रामायण (Love Kush Ramayan) के माध्यम से ही श्रीराम ने माता सीता के दुःख को जाना तथा उन्हें यह पता चला कि लव कुश ही उनके पुत्र हैं। इसके पश्चात माता सीता धरती में समा गई तथा श्रीराम ने लव कुश को अपने पुत्रों के रूप में अपना लिया। अंत में श्रीराम ने लव कुश को अपना उत्तराधिकारी बनाकर जल में समाधि ले ली।
लव कुश रामायण से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: लव कुश की असली कहानी क्या है?
उत्तर: लव कुश की असली कहानी यही है कि उनका जन्म महर्षि वाल्मीकि जी के आश्रम में हुआ था। बाद में उन्होंने श्रीराम दरबार में रामायण कथा का पाठ किया था। उसके बाद श्रीराम ने उन्हें पुत्र रूप में अपना लिया था।
प्रश्न: लव कुश किसका लड़का था?
उत्तर: लव कुश श्रीराम और माता सीता के लड़के थे। दोनों का जन्म सीता वनवास के समय महर्षि वाल्मीकि जी के आश्रम में हुआ था।
प्रश्न: लव कुश का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर: लव कुश का कोई दूसरा नाम नहीं है। उनके बचपन का नाम लव कुश ही था और जीवनपर्यंत उन्हें इसी नाम से ही जाना गया था।
प्रश्न: लव कुश किसके अवतार थे?
उत्तर: लव कुश किसी के भी अवतार नहीं थे। वे भगवान श्रीराम और माता सीता के पुत्र थे जिन्हें बाद में अयोध्या का राज सिंहासन संभालने को दिया गया था।
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