क्या आप जानते हैं कि लक्ष्मण की मृत्यु कैसे हुई (Lakshman Ki Mrityu Kaise Hui) थी? आप यह जानकर आश्चर्य में मत पड़ जाना लेकिन श्रीराम ने ही उन्हें मृत्युदंड दिया था। कहते हैं ना सब कुछ विधि का विधान होता है तथा उसे कोई नहीं पलट सकता। भगवान भी जब मनुष्य रूप में अवतार लेते हैं तब अपना कार्य पूर्ण करके उन्हें भी इस पृथ्वी को छोड़कर जाना होता है।
इसी प्रकार जब भगवान राम के सभी उद्देश्य पूरे हो गए तब उनका भी धरती छोड़कर जाने का समय निकट आ गया था। हालाँकि उन्होंने जलसमाधि लेने से पहले लक्ष्मण को मृत्युदंड दिया था। अब यहाँ यह प्रश्न उठता है कि श्री राम ने लक्ष्मण को मृत्युदंड क्यों दिया (Laxman Ki Mrityu Kaise Hui) था? इसके लिए आपको पूरे घटनाक्रम को समझना होगा। आइए उसके बारे में जान लेते हैं।
Lakshman Ki Mrityu Kaise Hui | लक्ष्मण की मृत्यु कैसे हुई?
जब श्रीराम के इस धरती पर सभी कर्तव्य पूरे हो गए तब उन्हें सूचना देने स्वयं महाकाल एक तपस्वी के रूप में श्रीराम दरबार में पहुँचे। द्वार पर उनकी भेंट लक्ष्मण से हुई तथा उन्होंने उनसे कहा कि वे तपस्वी अतिबल के दूत हैं तथा एक महत्वपूर्ण कारणवश वे श्रीराम से मिलने आए हैं। लक्ष्मण श्रीराम की आज्ञा पाकर महाकाल को उनके कक्ष में लेकर गए।
जब श्रीराम ने महाकाल से उनके यहाँ आने का कारण पूछा तो महाकाल ने कहा कि वे जो संदेश लेकर आए हैं वह अत्यंत गुप्त है। इसलिए जब वे इस संदेश को उन्हें सुना रहे हो तब उस समय उनके कक्ष में कोई ना आने पाए। यदि कोई उन्हें बात करते हुए सुन ले या देख भी ले तो उसे प्राणदंड दिया जाए।
तपस्वी की यह बात सुनकर भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा कि वह द्वारपाल को भेज दे तथा स्वयं कक्ष के द्वार पर पहरा दे। उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि यदि कोई भी उन्हें बात करते हुए सुन लेगा या देख भी लेगा तो अवश्य ही उसे प्राणदंड मिलेगा।
महाकाल का श्रीराम को संदेश
इसके पश्चात महाकाल ने अपने असली रूप में आकर श्रीराम को प्रणाम किया तथा अपने वहाँ आने का औचित्य बताया। उन्होंने श्रीराम से कहा कि वे भगवान ब्रह्मा के आदेश पर वहाँ आए हैं। उन्होंने श्रीराम को बताया कि अब उनका इस धरती पर कार्य पूर्ण हो चुका है तथा राम रुपी अवतार में उन्होंने अपनी जितनी आयु निश्चित की थी उसके भी समाप्त होने का समय आ गया है। इसलिए अब उनके परमधाम वैकुंठ में जाने का समय निकट आ गया है।
श्रीराम ने भी महाकाल से कहा कि वे यह जानते हैं कि उनका इस धरती पर समय पूर्ण होने वाला है तथा वे भी अब अपने धाम लौटना चाहते हैं। इसलिए वे यह संदेश भगवान ब्रह्मा तक पहुँचा दे।
लक्ष्मण का धर्मसंकट
जिस समय लक्ष्मण द्वार पर पहरा दे रहे थे उसी समय महर्षि दुर्वासा वहाँ आ पहुँचे। उन्होंने उसी समय लक्ष्मण को कहा कि वे उनके आने की सूचना तत्काल श्रीराम को दे। लक्ष्मण ने उनसे क्षमा मांगी तथा कहा कि श्रीराम अभी एक आवश्यक कार्य में हैं इसलिए वे अभी उनसे नहीं मिल सकते। उन्होंने महर्षि दुर्वासा से कोई भी बात उन्हें बताने को कहा अन्यथा श्रीराम की प्रतीक्षा करने को कहा।
यह सुनकर ऋषि दुर्वासा नाराज हो गए तथा उन्होंने कहा कि यदि उन्हें क्रोध आ गया तो वे इसी समय अपनी शक्ति से श्राप द्वारा पूरी अयोध्या को भस्म कर देंगे। लक्ष्मण यह सुनकर धर्मसंकट में फंस गए तथा सोचा कि यदि केवल उनकी मृत्यु से पूरी अयोध्या बच सकती है तो उन्हें अपने प्राण दे देने चाहिए।
लक्ष्मण ऋषि दुर्वासा के आगमन का संदेश लेकर श्रीराम के कक्ष में पहुँच गए तथा उन्हें दुर्वासा ऋषि से मिलने को कहा। लक्ष्मण को वहाँ देखकर महाकाल अंतर्धान हो गए। श्रीराम भी असमंजस में पड़ गए लेकिन वे लक्ष्मण की दुर्दशा को समझ चुके थे। उन्होंने लक्ष्मण को महर्षि दुर्वासा को अंदर भेजने का आदेश दिया।
Laxman Ki Mrityu Kaise Hui | राम ने लक्ष्मण को मृत्युदंड क्यों दिया?
इसके बाद भगवान श्रीराम के द्वारा राज्यसभा बुलाई गई जिसमें महर्षि वशिष्ठ, उनके सभी भाई, मंत्री तथा हनुमान उपस्थित थे। मंत्री सुमंत तथा भरत ने लक्ष्मण को क्षमा कर देने का अनुरोध किया लेकिन लक्ष्मण ने कहा कि यदि राजा का वचन ही झूठा चला जाएगा तो कौन उनकी बात पर विश्वास करेगा। इसलिए लक्ष्मण ने स्वयं के लिए मृत्यु दंड माँगा।
यह सुनकर भगवान राम असमंजस में पड़ गए तथा अपने गुरु महर्षि वशिष्ठ से राय मांगी। महर्षि वशिष्ठ ने भी श्रीराम को अपना वचन निभाने को कहा। उस सभा में हनुमान भी उपस्थित थे तथा उन्होंने शास्त्रों का उदाहरण देकर कहा कि एक सिद्ध पुरुष तथा साधु का त्याग कर देना उन्हें प्राणदंड देने के समान होता है।
महर्षि वशिष्ठ भी इससे सहमत हुए तथा उन्होंने लक्ष्मण का त्याग कर देने को कहा। इसके पश्चात श्रीराम ने लक्ष्मण का परित्याग कर दिया। भगवान श्रीराम के द्वारा लक्ष्मण का परित्याग करने के पश्चात वे उनका आशीर्वाद लेकर सरयू नदी में गए। वहाँ पहुँच कर लक्ष्मण ने जलसमाधि ले ली थी और मृत्यु (Lakshman Ki Mrityu Kaise Hui) को प्राप्त हुए। जलसमाधि लेने के पश्चात वे अपने धाम वैकुंठ पहुँच गए तथा शेषनाग का रूप ले लिया।
लक्ष्मण की मृत्यु से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: लक्ष्मण की मृत्यु कैसे हुई थी?
उत्तर: भगवान श्रीराम के द्वारा लक्ष्मण का त्याग कर दिया गया था। इसके बाद लक्ष्मण ने अयोध्या के निकट सरयू नदी में जलसमाधि ले ली थी और मृत्यु को प्राप्त हुए थे।
प्रश्न: लक्ष्मण की मृत्यु कब और कैसे हुई?
उत्तर: श्रीराम के जलसमाधि लेने से कुछ दिन पहले लक्ष्मण की मृत्यु हो गई थी। श्रीराम के द्वारा अपना त्याग किए जाने के पश्चात लक्ष्मण ने सरयू नदी में जाकर अपने प्राण त्याग दिए थे।
प्रश्न: राम ने लक्ष्मण को क्यों मारा?
उत्तर: भगवान राम ने लक्ष्मण को कभी नहीं मारा था। अपने अंत समय में उन्होंने लक्ष्मण का परित्याग कर दिया था। उसके बाद लक्ष्मण ने स्वेच्छा से ही देह त्याग किया था।
प्रश्न: राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर: राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न की मृत्यु अयोध्या नगरी के निकट बहने वाली सरयू नदी में जलसमाधि लेकर हुई थी। जब उनका समय समाप्त हो गया तब सभी ने अपनी इच्छा से वहाँ समाधि ले ली थी।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख:
जय श्री राम