आज हम नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi In Hindi) के बारे में जानेंगे जिसे कई अन्य नामो से भी जाना जाता है। दीपावली पांच दिनों का त्यौहार है जिसे हिंदू धर्म में बहुत धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता है। इस पांच दिनों के पर्व में दूसरे दिन नरक चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाता है। यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन पड़ता है। इसके अगले दिन दीपावली का मुख्य त्यौहार आता है।
अब आपके मन में नरक चतुर्दशी को लेकर कई तरह के प्रश्न होंगे। जैसे कि नरक चतुर्दशी क्यों मनाते हैं और नरक चतुर्दशी पूजा विधि (Narak Chaturdashi Puja Vidhi) क्या है, इत्यादि। आज के इस लेख में हम आपको नरक चतुर्दशी की कहानी तो बताएँगे ही बल्कि साथ ही इसके अन्य नामो के अनुसार उनकी क्या कुछ कथाएं है, उसके बारे में भी बताएँगे।
Narak Chaturdashi In Hindi | नरक चतुर्दशी क्या है?
नरक चतुर्दशी का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस के चंगुल से सोलह हज़ार महिलाओं को मुक्त करवाया था। यह महिलाएं कई वर्षों से उसके यहाँ बंदी बनी हुई थी। नरकासुर के यहाँ से मुक्त होने और चतुर्दशी के दिन यह त्यौहार पड़ने के कारण इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाने लगा।
वही नरक चतुर्दशी के दिन यमराज से भी एक कहानी जुड़ी हुई है। इस कारण इसका एक नाम रूप चतुर्दशी भी है। इस कथा के बारे में हम आपको नीचे बताएँगे। वही इस दिन को भारत के कुछ राज्यों में अलग नामो से जाना जाता है। कुछ जगह इसे काली चौदस, तो कुछ जगह इसे भूत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है।
वही यह दिवाली से एक दिन पहले का त्यौहार होता है तो इसका एक नाम छोटी दिवाली भी रख दिया गया है। अब हम आपको नरक चतुर्दशी क्यों मनाते हैं और इसकी पूजा विधि क्या है, इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। इसके बाद हम इसके अन्य नामो का महत्व और उनसे जुड़ी कथा के बारे में बताएँगे।
नरक चतुर्दशी क्यों मनाते हैं?
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित एक प्राचीन कथा जुड़ी हुई है। द्वापर युग में जब श्रीकृष्ण ने राक्षसों के संहार व विश्व को उचित संदेश देने के लिए जन्म लिया तो उन्होंने कई राक्षसों का वध करके उनके अत्याचार से सभी को मुक्ति दिलवायी।
उस समय नरकासुर नाम का एक भयानक राक्षस रहता था जिसने अपने कारावास में सोलह हज़ार एक सौ कन्याओं को बंदी बनाकर रखा था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने माँ काली की सहायता से उस राक्षस का वध कर दिया तथा उसके चंगुल से सभी कन्याओं को मुक्ति दिलवायी।
लोक-लज्जा के कारण वे सभी स्त्रियाँ आत्म-हत्या करना चाहती थी क्योंकि अब समाज में उन्हें कोई नही अपनाने वाला था। यह देखकर श्रीकृष्ण ने प्रत्येक स्त्री के लिए अपने सोलह हज़ार एक सौ रूप बनाए व सभी के साथ विवाह करके अपनी पत्नी रूप में स्वीकार किया। उसी उपलक्ष्य में इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से मनाया जाने लगा अर्थात नरकासुर राक्षस का अंत होना।
नरक चतुर्दशी पूजा विधि (Narak Chaturdashi Puja Vidhi)
नरक चतुर्दशी वाले दिन भगवान श्रीकृष्ण के साथ-साथ काली माता और यमराज देवता की पूजा करने का विधान है। अब इन तीनो की पूजा अलग-अलग तरह से की जाती है। बहुत जगह लोग श्रीकृष्ण और यमराज की ही पूजा करते हैं जबकि बंगाल, उड़ीसा इत्यादि राज्यों में काली माता की पूजा की जाती है। आइए जाने नरक चतुर्दशी पूजा विधि के बारे में।
- श्रीकृष्ण की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर ले। उसके बाद श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर श्रीकृष्ण चालीसा और श्रीकृष्ण आरती का पाठ करे। इसी के साथ ही श्रीकृष्ण वंदना और श्रीकृष्ण स्तुति का भी पथ किया जाए तो बेहतर रहता है।
- इस दिन काली माता की पूजा करने से भक्तों को अभय प्रदान होता है। इसके लिए नहाने से पहले शरीर पर सुगंधित तेल की मालिश करने का भी विधान है। माँ काली को भी सुगंधित चीज़े अर्पित की जाती हैं जैसे कि चंदन, पुष्प इत्यादि।
- शाम के समय यमराज के लिए सरसों के तेल का दीपक प्रज्जवलित करे व उनका आशीर्वाद प्राप्त करे। यम के दीपक को दक्षिण दिशा में रखे।
काली चौदस क्या है?
काली चौदस त्यौहार का संबंध माँ काली से है। माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों में माँ काली का रूप अत्यंत भयानक व संहारक है जिसका वर्ण एक दम काला है। वे शत्रु, राक्षसों, अधर्मियों व असुरों पर बिल्कुल भी दया नही करती तथा उनका वध करके ही उन्हें संतोष प्राप्त होता है।
इसलिये उन्हें बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में याद किया जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से संबंध अपने मन से आलस, ईर्ष्या, द्वेष, मोह इत्यादि बुरी भावनाओं को त्यागकर भक्ति भाव अपनाने का होता है। इसलिये इसे काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
छोटी दिवाली
चूँकि यह त्यौहार मुख्य दीपावली से केवल एक दिन पहले आता हैं व इस दिन भी दिवाली की भांति दीये जलाने, पकवान खाने व आतिशबाजी की जाती है, इसलिये इसे छोटी दिवाली का नाम दे दिया गया है। छोटी दिवाली अर्थात बड़ी दिवाली से एक दिन पहले आने वाला पर्व।
रूप चतुर्दशी
रूप चतुर्दशी से संबंध मृत्यु के देवता यमराज से है। इस दिन संध्या में यमराज के नाम का दीप भी घर में जलाया जाता है। मान्यता हैं कि इस दिन यमराज के नाम का दीपक जलाने से नरक के भय व अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है व यमराज प्रसन्न होते है। इससे जुड़ी एक प्राचीन कथा भी जुड़ी हुई है।
रूप चतुर्दशी का महत्व
एक समय में रंति देव नाम का एक महान राजा रहता था जिसने अपने जीवन में हमेशा धर्म के ही कार्य किए थे। जब उसके जीवन का समय समाप्त हो गया तब यमदूत उसे नरक ले जाने के लिए आए। यह देखकर वह आश्चर्य में पड़ गया तथा उसने इसका कारण पूछा। तब यमदूतो ने बताया कि एक बार उसके दरबार से एक भूखा ब्राह्मण खाली पेट लौट गया था, यह उसी का परिणाम है।
यह सुनकर रंति देव ने उनसे एक वर्ष का समय माँगा। यमदूत राजा की यह बात मान गए व वहां से चले गए। यमदूतो के जाने के बाद राजा ऋषि-मुनियों की शरण में गया तथा इसका उपाय पूछा। तब उन्होंने बताया कि यदि वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन ब्राह्मणों की पूजा करके उन्हें भोजन करवाएगा तो उसका यह पाप दूर हो जायेगा।
ऋषि-मुनियों के कहने पर राजा ने ऐसा ही क्या तथा यमराज ने उसे इस पाप से मुक्त कर दिया। तब रंति देव ने अपनी मृत्यु के पश्चात विष्णु लोक में स्थान प्राप्त किया।
भूत चतुर्दशी
पूर्वी भारत मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल में इसे भूत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन तंत्र-मंत्र विद्या व ज्योतिष के अनुसार अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस दिन तांत्रिक इत्यादि माँ काली की पूजा कर सिद्धि प्राप्त करते है। उनके द्वारा इस दिन भूतो की भी पूजा की जाती हैं तथा उनसे शक्तियां प्राप्त की जाती है। इसलिये इसे भूत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।
इस तरह से आज आपने नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi In Hindi) के बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली है। इस दिन का संबंध भगवान श्रीकृष्ण, काली माता, यमराज देवता से होने के कारण इसका महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।
नरक चतुर्दशी से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: नरक चतुर्दशी को किसकी पूजा की जाती है?
उत्तर: नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण, यमराज देवता और माँ काली की पूजा करने का विधान है। हालाँकि इस दिन मुख्य रूप से श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है।
प्रश्न: नरक चतुर्दशी के दिन क्या करते हैं?
उत्तर: नरक चतुर्दशी के दिन सुबह के समय सुगंधित तेल से शरीर की मालिश की जाती है। शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाकर उसे दक्षिण दिशा में रखा जाता है।
प्रश्न: नरक चतुर्दशी का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर: नरक चतुर्दशी का दूसरा नाम काली चौदस, रूप चतुर्दशी, छोटी दिवाली व भूत चतुर्दशी है। इसे नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न: नरक चतुर्दशी पूजा कैसे करें?
उत्तर: नरक चतुर्दशी पूजा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण की वंदना करनी चाहिए। साथ ही शाम के समय यमराज देवता के नाम का दीपक प्रज्ज्वलित करना चाहिए।
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