भाई दूज क्यों मनाया जाता है? जाने भाई दूज कैसे मनाया जाता है

Bhai Dooj Ki Kahani

आज हम आपको भाई दूज की कहानी (Bhai Dooj Ki Kahani) देंगे। सनातन धर्म में कई प्रकार के त्यौहार मुख्य रूप से मनाए जाते हैं जो हमे विभिन्न प्रकार के संदेश देते है। इन्ही त्योहारों में सबसे प्रमुख त्यौहार है दीपावली का जो पांच दिनों का लंबा पर्व है। इसमें मुख्य दिवाली तीसरे दिन व भाई दूज पांचवे दिन मनाया जाता है अर्थात यह दीपावली के पांचवे या अंतिम दिन आता है।

भाई दूज का त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। अब प्रश्न यह है कि भाई दूज क्यों मनाया जाता है (Bhai Dooj Kyu Manaya Jata Hai) और इसकी कथा क्या है। इस पर्व की कथा मृत्यु के देवता यमराज व उनकी बहन यमुना से जुड़ी हुई है, इसलिये इसे यम द्वितीया भी कहते है। आज हम आपको भाई दूज/ यम द्वितीया पर्व के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।

Bhai Dooj Ki Kahani | भाई दूज की कहानी

सूर्य देव की पत्नी का नाम संज्ञा हैं। उससे उन्हें यमराज रूप में सबसे बड़े पुत्र व यमुना रूप में सबसे बड़ी पुत्री प्राप्त हुई। यमराज मृत्यु के देवता बने जबकि यमुना धरती पर एक नदी के रूप में रहने लगी। दोनों भाई-बहन में बहुत लगाव था लेकिन यमराज अपने कार्यो में इतना व्यस्त रहते थे कि उन्हें अपनी बहन से मिलने का अवसर ही नही मिल पाता था।

एक दिन अपनी बहन के बार-बार आग्रह करने पर यमराज अपने कार्य में से समय निकाल कर यमुना के घर चले गए। अपने भाई यमराज को आया देखकर यमुना माता बहुत प्रसन्न हुई और उसने उनकी बहुत आवाभगत की। माता यमुना ने यमराज के माथे पर रोली चंदन से तिलक किया तथा उनके सुखद भविष्य की कामना की।

इसके बाद माता यमुना ने उन्हें कई प्रकार के पकवान बनाकर खिलाए। अपनी बहन के द्वारा इतनी आवाभगत होने पर यमराज अत्यधिक प्रसन्न हो गए तथा यमुना से एक वर मांगने को कहा। इस पर यमुना ने यह वर मांग लिया कि आज के दिन वे हमेशा अपनी बहन के घर आयेंगे व उनका आतिथ्य स्वीकार करेंगे। यमराज ने अपनी बहन को यह वर दे दिया और वहां से चले गए।

Bhai Dooj Kyu Manaya Jata Hai | भाई दूज क्यों मनाया जाता है?

अब बात आती हैं कि हम आज तक इस पर्व को क्यों मनाते हैं व यह पर्व रक्षाबंधन की तरह भाई-बहन के बीच इतना लोकप्रिय क्यों है? दरअसल यमराज ने अपनी बहन यमुना को वर देने के साथ-साथ यह भी कहा था कि पृथ्वी पर जो भाई अपनी व्यस्तता से समय निकाल कर आज के दिन अपनी बहन के घर जाएगा तो उसे अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलेगी।

इसी के साथ उन्होंने यह भी वरदान दिया कि यदि इस दिन भाई-बहन यमुना नदी में डुबकी लगाएंगे तो वे यमराज के प्रकोप से बच पाएंगे। तब से इस पर्व की महत्ता बहुत बढ़ गयी व इसे सभी भाई-बहन के बीच मनाया जाने लगा। वही यदि हम आज के समय में देखे तो भाई दूज का महत्व बहुत कम हो गया है। कई जगह तो इस दिन को अवकाश भी नही होता जिस कारण लोग इसे अच्छे से मना नही पाते तो कही बस तिलक इत्यादि लगाकर खानापूर्ति कर लेते है।

  • भाई दूज का महत्व

एक भाई-बहन का रिश्ता बहुत ही पवित्र होता है जो जीवनभर चलता है। वे आपके भाई-बहन ही होते है जिनका रिश्ता आपके जन्म से लेकर मृत्यु तक चलता है क्योंकि माता-पिता एक समय के बाद आपको छोड़कर चले जाते हैं जबकि आपके पति-पत्नी व उनसे बच्चे आपके विवाह के बाद आपके जीवन में आते है। इसलिये भाई-बहन का हमारे जीवन में महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

एक बहन विवाह के बाद अपने घर चली जाती है जहाँ वह नए रिश्ते बनाती है। भाई भी अपनी गृहस्थी में इतना व्यस्त हो जाता है कि दोनों का आपस में मेलजोल बहुत कम हो जाता है। इस बीच कई त्यौहार आते है जिनमे दोनों के बीच मिलना होता है लेकिन यह त्यौहार मुख्यतया भाई व बहन के बीच ही मनाया जाता है।

इसलिये इस त्यौहार की महत्ता को देखते हुए हमे अपने जीवन में कुछ समय निकाल कर अपनी बहन के घर जाना चाहिए और उनके प्रति अपने प्रेम को और प्रगाढ़ बनाना चाहिए। इससे भाई व बहन के रिश्ते में और मजबूती आती हैं तथा बहन को भी यह आश्वासन रहता हैं कि हर मुसीबत में उसका भाई हमेशा उसके साथ है तो वही भाई को यह आश्वासन मिलता हैं कि उसकी बहन पराए घर में एक दम हंसी-खुशी जीवन व्यतीत कर रही है।

भाई दूज कैसे मनाया जाता है?

इस दिन सभी भाई अपनी बहन के घर जाते है। वैसे तो यह त्यौहार विवाहिता बहनों का अपने भाई के साथ मनाया जाता है लेकिन अविवाहित बहने भी इसे मना सकती है।

इसलिये यदि आपकी बहन का विवाह हो चुका हैं तो इस दिन आप अपनी बहन के घर जाए। बहने अपने भाई के स्वागत के लिए पूजा की थाली तैयार करे व उसमे सभी आवश्यक वस्तुएं रखे। जब भाई आपके घर आए तब उनका रोली-चंदन से तिलक करे और उनकी लंबी आयु व सुखद स्वास्थ्य की कामना करे। भाई को कुछ मीठा खिलाए व उनका आशीर्वाद प्राप्त करे।

बदले में भाई भी अपनी बहन की रक्षा का वचन दे तथा जीवन में उसे कोई भी कष्ट आने पर उसकी सहायता करने को तैयार रहे। अपनी बहन को आशीर्वाद देकर उसे शगुन रूप में कुछ पैसे या उपहार भी अवश्य दे। इसके बाद दोनों भाई-बहन मिलकर स्वादिष्ट पकवानों का आनंद ले।

भाई दूज और रक्षाबंधन के बीच संबंध

रक्षाबंधन भी भाई व बहन के बीच मनाया जाने वाला पर्व है तथा भाई दूज भी। दोनों में पूजा करने के नियम भी बहुत समान हैं बस रक्षाबंधन में बहने अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं तो भाई दूज के दिन माथे पर तिलक करती है। दोनों के बीच ज्यादा अंतर नही है बस भाई दूज का त्यौहार मुख्यतया भाइयो का अपनी विवाहित बहनों के घर जाकर तिलक लगवाने से हैं जबकि रक्षाबंधन के दिन बहने अपने भाई के घर आकर राखी बांधती है व रक्षा का वचन लेती है।

इस तरह से हमने आपको भाई दूज की कहानी (Bhai Dooj Ki Kahani) बता दी है। इसी के साथ ही आपने यह भी जान लिया है कि आखिरकार भाई दूज क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है।

भाई दूज से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: भाई दूज की असली कहानी क्या है?

उत्तर: भाई दूज की असली कहानी यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी हुई है इस कहानी को हमने इस लेख में विस्तार से बताया है जिसे आपको पढ़ना चाहिए

प्रश्न: भाई दूज का त्यौहार क्यों मनाते हैं?

उत्तर: भाई दूज का त्यौहार यमराज देव के कारण मनाया जाता है इसी दिन यमराज जी अपनी विवाहित बहन यमुना के घर गए थे और उनका हालचाल पूछा था

प्रश्न: भाई दूज में किस भगवान की पूजा की जाती है?

उत्तर: भाई दूज के दिन सभी बहने यमराज से अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती है इस दिन भाई दूज मनाने वालों से यमराज देव प्रसन्न होते हैं

प्रश्न: भाई दूज का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर: भाई दूज का दूसरा नाम यम द्वितीय है वह इसलिए क्योंकि इस त्यौहार का संबंध यमराज से है और यह द्वितीय तिथि को पड़ती है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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