कैसे हुई होली के रंगों की शुरुआत? जाने राधा कृष्ण की होली की कहानी

Why Holi Is Celebrated In Hindi

होली रंगों का त्योहार है (Why Holi Is Celebrated In Hindi) जिस दिन सभी लोग आपसी कटुता को भुलाकर एक-दूसरे को रंगों से सराबोर कर देते हैं। हालाँकि क्या आप जानते हैं कि पहले होली को रंगों से खेलने की परंपरा नही थी। पहले केवल होलिका का दहन किया जाता था। इसके अगले दिन तरह-तरह के पकवान बनाए जाते थे और एक-दूसरे को बधाई दी जाती थी।

तो आखिर रंगों से होली खेलने की शुरुआत कब और कैसे हुई? इसका संबंध है द्वापर युग की राधा कृष्ण की होली (Radha Krishna Ki Holi) से। अब प्रश्न उठता है कि होली का इतिहास तो होलिका के दहन व भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने से जुड़ा हुआ है, ऐसे में कृष्ण की होली की कहानी क्या है। ऐसे में आज हम कृष्ण होली के माध्यम से आपको बताएँगे कि आखिरकार कैसे हुई होली के रंगों की शुरुआत।

Why Holi Is Celebrated In Hindi | होली रंगों का त्योहार क्यों है?

जैसा कि हमनें आपको बताया कि होली का त्यौहार मुख्यतया दो घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में बनाया जाता हैं। एक तो इस दिन दैत्य हिरण्यकश्यप की बहन होलिका अग्नि में जलकर भस्म हो गयी थी और भक्त प्रह्लाद सकुशल अग्नि से बाहर आ गया था। दूसरा, भगवान शिव ने क्रोध में कामदेव को अपनी तीसरी आँख से जलाकर भस्म कर दिया था लेकिन रति के अनुरोध पर उन्होंने कामदेव को द्वापर में श्रीकृष्ण पुत्र होने का वरदान दिया था।

किंतु यदि हम आपको बताए कि होली का श्रीकृष्ण से भी गहन नाता हैं तो आपको कैसा लगेगा? दरअसल होली पर रंगों से खेलने की शुरुआत ही नटखट कान्हा ने पहली बार की थी और तभी से पूरे देश में होली के दिन रंगों से खेलने की परंपरा शुरू हो गयी थी।

राधा कृष्ण की होली (Radha Krishna Ki Holi)

जब कान्हा शिशु थे तब कंस ने उन्हें मारने के लिए पूतना नामक राक्षसी को गोकुल में भेजा था। तब पूतना ने अपने स्तनों पर विष लगाकर कान्हा को स्तनपान करवाया था। यह होली का ही दिन था। तब कान्हा ने पूतना के स्तनों से विषयुक्त दूध तो पी लिया था लेकिन साथ के साथ उसका वध भी कर दिया था।

श्रीकृष्ण का रंग पहले से ही सांवला था लेकिन विषयुक्त दूध पीने के कारण और ज्यादा सांवला हो गया था। जब कान्हा थोड़े बड़े हुए और राधा से मिलने लगे तब उन्हें अपने रंग के सांवले होने का दुःख हुआ। राधा और अन्य गोपियाँ गोरे रंग की थी लेकिन कान्हा काले रंग के।

कान्हा इसकी शिकायत कई बार अपनी माता यशोदा से कर चुके थे। वे माता यशोदा को अपना रंग काला और राधा का रंग गोरा होने का दुःख प्रकट करते। शायद आपने वो भजन भी सुना होगा कि “राधा क्यों गोरी और मैं क्यों काला”। यह कथन कान्हा ही अपनी माता यशोदा से कह रहे हैं।

  • कृष्ण का बरसाना रंग लेकर जाना

कान्हा की इन्हीं शिकायतों का समाधान निकालने के लिए एक दिन माता यशोदा ने यूँ ही कह दिया कि तुम्हें राधा के गोरे रंग से समस्या हैं तो तू उसे किसी भी रंग में रंग दे। बस इतना सुनना था कि कान्हा अपने मित्रों के साथ कई प्रकार के रंग लेकर बरसाना गाँव की ओर दौड़ पड़े।

  • कृष्ण ने डाले राधा पर रंग

इसके बाद उन्हें जैसे ही राधा दिखी, उन्होंने उस पर कई तरह के रंग डाल दिए और मुख लाल-पीला कर दिया। राधा का ऐसा हाल देखकर कई गोपियाँ भी उन्हें बचाने आई लेकिन कान्हा के मित्रों से वे भी नहीं बच पायी। कान्हा और उनके मित्रों ने राधा और गोपियों पर तरह-तरह के रंग डाल दिए तो बदले में गोपियों ने उन पर माखन, पानी इत्यादि से भरी हुई मटकियाँ फोड़ दी।

  • नंदगाँव और बरसाने की होली

अब यह राधा कृष्ण की होली (Radha Krishna Ki Holi) हर वर्ष मनाई जाने लगी। जब श्रीकृष्ण नंदगांव छोड़कर मथुरा चले गए, उसके बाद भी श्रीकृष्ण की याद में होली उसी तरह मनाई जाती रही।

हर वर्ष होली वाले दिन नंदगांव के पुरुष बरसाना गाँव में गोपियों संग होली खेलने जाते और वहां की गोपियाँ उन पर लट्ठ बरसाती। तब से बरसाने की लट्ठमार होली भी बहुत प्रसिद्ध हो गयी। कान्हा और राधा को होली के रंगों में चूर जब बाकि ब्रजवासियों ने देखा तो उन्हें भी बहुत आनंद आया।

  • हुई होली पर रंगों की शुरुआत

इसके बाद होली वाले दिन पूरे ब्रज क्षेत्र में रंगों के साथ होली खेलने की आधिकारिक शुरुआत हो गयी। अब जिसे देखों वह एक-दूसरे पर रंग, पानी इत्यादि डालते हुए देखा जा सकता था। देखते ही देखते रंगों का यह त्यौहार देश ही नही अपितु विदेशों में भी प्रसिद्ध हो गया और आज के दिन जिसे देखों वो अपने जानने वालों पर होली के रंग डालता हैं।

तो इस प्रकार होली पर रंगों और पानी से खेलने की शुरुआत नटखट कान्हा ने ही मथुरा-वृंदावन में रहते हुए की थी। उसके बाद होली के दिन रंगों से खेलने की एक परंपरा बन गयी जो आज तक चली आ रही (Why Holi Is Celebrated In Hindi) है।

राधा कृष्ण की होली से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: कैसे हुई होली के रंगों की शुरुआत?

उत्तर: होली के रंगों की शुरुआत श्रीकृष्ण के राधा संग खेलने से हुई थी सर्वप्रथम श्रीकृष्ण ने ही बरसाना गाँव जाकर राधा संग रंगों की होली खेली थी उसके बाद होली पर रंगों से खेलने की प्रथा शुरू हो गई

प्रश्न: रंगों से होली क्यों मनाई जाती है

उत्तर: रंगों से होली श्रीकृष्ण के कारण मनाई जाती है अपने बचपन में श्रीकृष्ण कई तरह के रंग लेकर बरसाना गाँव जाते थे और वहाँ की गोपियों को रंग देते थे

प्रश्न: रंग की होली क्यों मनाई जाती है?

उत्तर: रंग की होली राधा कृष्ण की होली की याद में मनाई जाती है श्रीकृष्ण का रंग सांवला था इस कारण उन्होंने होली पर राधा को कई तरह के रंगों से रंग दिया था

प्रश्न: होली रंग क्यों मनाया जाता है?

उत्तर: होली पर रंग से इसलिए खेला जाता है क्योंकि श्रीकृष्ण भी ऐसा ही किया करते थे पहले होली सामान्य तरीके से मनाई जाती थी लेकिन श्रीकृष्ण के कारण इसे एक रोमांच में बदल दिया गया

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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