वामन अवतार (Vamana Avatar In Hindi) भगवान विष्णु का पंचम अवतार था। इस अवतार को बटुक अवतार, वामनदेव, त्रिविक्रम, उपेन्द्र, बलिबंधन इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। वामनावतार का मुख्य उद्देश्य राजा बलि का मानभंग करना तथा देवराज इंद्र को फिर से स्वर्ग लोक का राज्य सौंपना था।
यह अवतार भगवान विष्णु का पूर्ण मानव रुपी अवतार था। इससे पहले उन्होंने जो भी चार पूर्ण अवतार लिए वह जीव-जंतु के रूप में थे। आज हम भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा (Vaman Avatar Ki Katha) जानेंगे। इस लेख में आपको वामन अवतार क्यों हुआ, से लेकर वामन अवतार के तीन पग, इत्यादि महत्वपूर्ण प्रसंगों के ऊपर संपूर्ण जानकारी मिलेगी।
Vamana Avatar In Hindi | वामन अवतार की कथा
राजा बलि भक्त प्रह्लाद का पौत्र तथा विरोचन का पुत्र था। वह दैत्यों का राजा था जिसने अपने पराक्रम से तीनों लोकों पर आधिपत्य कर लिया था। हालाँकि उसमे अपने दादा के समान दानवीरता के गुण थे लेकिन असुर कुल से होने के कारण अहंकार भी था।
उसने अपने गुरु शुक्राचार्य की सहायता से सौ यज्ञों का आयोजन करवाया था जिसके पूर्ण होते ही वह सदा के लिए देव इंद्र के आसन पर विराजमान हो जाता। जब उसने 99 यज्ञ पूर्ण कर लिए तब देवराज इंद्र सभी देवताओं के साथ भगवान विष्णु से सहायता मांगने उनके धाम वैकुण्ठ गए।
वहां जाकर देवराज इंद्र ने उन्हें सब समस्या बताई तथा कहा कि यदि वह सौवां यज्ञ भी पूर्ण कर लेगा तब उसका अंत करना असंभव हो जायेगा। इसलिये धर्म की रक्षा के लिए उनका इस धरती पर अवतार लेना अति-आवश्यक है। भगवान विष्णु ने भी स्थिति की गंभीरता को समझा तथा पृथ्वी पर अवतार लेने का निश्चय किया।
वामन अवतार क्यों हुआ?
जब राजा बलि अपने गुरु शुक्राचार्य के साथ सौवें यज्ञ का आयोजन करने ही जा रहा था कि वहां भगवान विष्णु एक छोटे कद वाले ब्राह्मण के अवतार में आये तथा दान मांगने की इच्छा प्रकट की। चूँकि राजा बलि अपनी दानवीरता के लिए प्रसिद्ध थे, इसलिये उन्होंने यज्ञ शुरू करने से पहले उस बटुक ब्राह्मण को दान करने का निश्चय किया। इसी प्रयोजन से वे अपने आश्रम के द्वार पर आये तथा उस बटुक ब्राह्मण से भेंट की।
भगवान विष्णु के वामन अवतार (Vamana Avatar In Hindi) ने उनसे कुछ मांगने से पहले संकल्प लेने को कहा कि वे जो भी मांगेंगे वह राजा बलि को देना ही होगा। राजा बलि को अपने धन, संपत्ति तथा शौर्य पर अहंकार था तथा इसी मद में वे संकल्प लेने लगे।
जैसे ही वे संकल्प लेने लगे उसी समय उनके गुरु शुक्राचार्य वहां आ गए और उन्होंने वामन अवतार में भगवान विष्णु को पहचान लिया। उन्होंने अपने शिष्य बलि को चेतानवी दी कि वह यह संकल्प न ले तथा यज्ञ की शुरुआत करे। किंतु राजा बलि अपने अहंकार में चूर था तथा वह अपनी दानवीरता से भी पीछे नही हट सकता था।
उसने अपने गुरु से कहा कि वह अपने द्वार पर आये किसी ब्राह्मण को खाली हाथ नही भेज सकता। इसी के साथ यदि स्वयं तीनों लोकों के स्वामी भगवान विष्णु उसके द्वार पर एक याचक के रूप में आये है तो वह कैसे उन्हें मना कर सकता हैं। यह कहकर राजा बलि ने संकल्प ले लिया।
वामन अवतार के तीन पग
राजा बलि के संकल्प लेने के पश्चात उसने उस बटुक ब्राह्मण से अपने लिए कुछ मांगने को कहा। वामन अवतार ने अपने लिए तीन पग धरती मांगी जिसे राजा बलि ने स्वीकार कर लिया। राजा बलि के स्वीकार करते ही भगवान विष्णु के वामनावतार ने अपना रूप अत्यधिक विशाल कर लिया तथा संपूर्ण ब्रह्मांड में फैल गए।
वामन भगवान ने अपने एक पैर से संपूर्ण पृथ्वी को नाप दिया तथा दूसरे पैर से स्वर्ग लोक को। अब तीसरा पग रखने के लिए कोई जगह शेष नही बची थी क्योंकि वे राजा बलि की संपूर्ण संपत्ति, भूमि इत्यादि ले चुके थे। इसलिये उन्होंने राजा बलि से पूछा कि अब तुम अपना वचन कैसे पूरा करोगे। यह सुनकर राजा बलि का अहंकार चूर हो गया तथा तीसरा पग रखने के लिए उन्होंने अपना मस्तक आगे कर दिया।
भगवान वामन ने अपना तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रखकर उसका मान भंग किया तथा यह सिद्ध किया कि उनके सामने कोई भी बड़ा नही है। इसके साथ ही भगवान वामन राजा बलि से अत्यधिक प्रसन्न हुए तथा उन्हें भविष्य में इंद्र लोक प्रदान करने का वरदान दिया। इसके पश्चात उन्होंने राजा बलि को पाताल लोक भेज दिया तथा स्वर्ग का शासन इंद्र देव को सौंपकर श्रीहरि में समा गए। इस तरह से वामन अवतार की कथा (Vaman Avatar Ki Katha) का यहीं अंत हो जाता है।
वामन अवतार से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: वामन अवतार कहाँ हुआ था?
उत्तर: मान्यता है कि उत्तर प्रदेश राज्य के हरदोई जिले के कस्बा वामन में भगवान विष्णु ने वामन अवतार के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने राजा बलि के अहंकार को दूर करने के लिए वामनावतार लिया था।
प्रश्न: वामन अवतार कब हुआ था?
उत्तर: वामन अवतार सतयुग काल में हुआ था। जब दैत्य राजा बलि का अहंकार बहुत ज्यादा बढ़ गया था, तब उसका मान भंग करने के लिए ही भगवान विष्णु ने वामन अवतार के रूप में जन्म लिया था।
प्रश्न: वामन अवतार क्या है?
उत्तर: वामन अवतार भगवान विष्णु का पांचवां अवतार है। यह उनका पहला पूर्ण मानव रुपी अवतार था। वामन अवतार सतयुग काल में हुआ था जिसके द्वारा राजा बलि का मानभंग किया गया था।
प्रश्न: वामन का जन्म क्यों हुआ?
उत्तर: वामन अवतार का जन्म राजा बलि का मान भंग करने और उससे स्वर्ग लोक का सिंहासन लेकर देवराज इंद्र को सौंपने के लिए हुआ था।
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