आज हम आपको सीता माता का जन्म कैसे हुआ (Sita Mata Ka Janm Kaise Hua), के बारे में बताने वाले हैं। दरअसल माता सीता के जन्म को लेकर कुछ भी प्रमाणित नहीं किया जा सकता है। वाल्मीकि रामायण में भी माता सीता के जन्म के बारे में नहीं लिखा गया है। उन्हें केवल राजा जनक के द्वारा हल चलाते हुए भूमि से पाना माना गया है।
अब माता सीता उस स्थान पर कैसे पहुँची, भूमि के अंदर कितने दिनों तक रही, वहाँ वे जीवित कैसे रही, इत्यादि प्रश्नों के उत्तर दे पाना कठिन है। ऐसे में माता सीता का जन्म कैसे हुआ (Sita Ka Janm Kaise Hua), यह एक रहस्य ही है। धरती से मिलने के कारण ही उन्हें धरती माता की बेटी कहा जाता है। ऐसे में आइए जाने सीता माता के जन्म से जुड़ी कहानी के बारे में।
Sita Mata Ka Janm Kaise Hua | सीता माता का जन्म कैसे हुआ?
वैसे तो आपको माता सीता के जन्म को लेकर एक नहीं बल्कि कई तरह की कहानियाँ मिलेंगी। किसी कहानी में उन्हें रावण व मंदोदरी की पुत्री बताया गया है तो किसी में उन्हें वेदवती का पूर्व जन्म बताया गया है। ऐसे में हम आपको वाल्मीकि रामायण में माता सीता के जन्म को लेकर लिखी गई कथा के बारे में ही जानकारी देने जा रहे हैं।
वाल्मीकि रामायण में लिखी गई सीता जन्म की कहानी ही जन मानस के बीच प्रसिद्ध है और उसे ही प्रमाणिक कहानी माना गया है। ऐसे में आप सीता माता के जन्म की अन्य सभी कहानियों को केवल कहानियाँ ही लें जबकि वाल्मीकि रामायण में लिखी कहानी को प्रमाणिक स्रोत माने। तो आइए जाने वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता का जन्म कैसे हुआ (Sita Ka Janm Kaise Hua)।
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राजा जनक के कोई संतान ना होना
उस समय जब दशरथ अयोध्या पर राज कर रहे थे, तब मिथिला नगरी के राजा जनक हुआ करते थे। जनक वैसे तो राजा थे लेकिन स्वभाव से वे भक्ति में लीन रहने वाले थे। इस कारण उन्हें ऋषि राजा की उपाधि दी गई थी। उनकी पत्नी का नाम सुनैना था। राजा जनक के शासन में प्रजावासी बहुत खुश थे लेकिन उन्हें बस एक दुःख था कि जनक के कोई संतान नहीं थी। राजा जनक और रानी सुनैना भी इस बात से परेशान रहते थे कि ईश्वर ने उन्हें कोई संतान नहीं दी है।
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मिथिला नगरी में भयंकर अकाल
फिर इस नगरी ने इंद्र देव का प्रकोप देखा और वे यहाँ बरसे ही नहीं। कई महीनों तक मिथिला में बारिश नहीं होने के कारण सभी जलाशय सूख गए और अन्न-धन की कमी होने लगी। चारों ओर, लोगों के बीच भुखमरी फैल गई और राज्य में अराजकता पैदा हो गई। इससे राजा जनक को भी चिंता होने लगी और उन्होंने इसका उपाय निकालने के लिए ऋषियों से मंत्रणा की।
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जनक का वैदिक अनुष्ठान
ऋषि-मुनियों ने इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए वैदिक अनुष्ठान करने को कहा। राजा जनक ने तुरंत वैदिक अनुष्ठान करने के प्रबंध किए और देव इंद्र की स्तुति की। वैदिक अनुष्ठान के सफलता पूर्वक संपन्न होने के बाद उन्हें खेत में हल जोतना था। बस यही वह पल था जब उन्हें माता सीता प्राप्त होने वाली थी।
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राजा जनक के द्वारा हल जोतना
ऋषियों के कहेनुसार जब राजा जनक ने वैदिक अनुष्ठान पूरा कर लिया तब उन्हें खेत में हल जोतना था। इसके बाद ही मिथिला नगरी पर इंद्र देव का प्रकोप खत्म हो सकता था और बारिश होने की संभावना थी। इसके लिए राजा जनक एक खेत में गए और वहाँ हल लेकर जोतने लगे। अचानक से एक जगह आकर उनका हल धरती में किसी चीज़ से टकराया और रुक गया।
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सीता जन्म की कहानी
जब हल रुक गया तब राजा जनक ने उस जगह को खोद कर देखा। वहाँ उन्हें एक टोकरी मिली जो ढकी हुई थी। जब उन्होंने उस टोकरी को खोला तो उसमें एक बच्ची थी। महाराज जनक यह देखकर अचंभित रह गए और रानी सुनैना को यह बात बताई। दोनों ने इसे ईश्वरीय कृपा माना और बच्ची को गोद लेने का निर्णय लिया।
चूँकि यह बच्ची धरती से प्राप्त हुई थी, इसलिए राजा जनक ने उसका नाम सीता रखा। सीता का अर्थ होता है हल से धरती पर जोती गई एक रेखा। माता सीता के जन्म के बाद मिथिला नगरी पर भरपूर वर्षा हुई और चारों ओर खुशहाली आ गई। इस तरह से सीता माता का जन्म राजा जनक की नगरी मिथिला में हुआ था।
Sita Ka Janm Kaise Hua | माता सीता का जन्म कैसे हुआ?
ऊपर आपने सीता माता के जन्म की पौराणिक, वाल्मीकि लिखित, प्रमाणित व प्रचलित कथा को पढ़ लिया है। यह तो हमने आपको बता दिया है कि सीता माता जनक को मिली लेकिन वह उस धरती में कैसे पहुँची, इसको लेकर कोई प्रमाण नहीं है। ऐसे में अब हम आपको इसी रहस्य के बारे में बताने वाले हैं कि जनक को मिलने से पहले माता सीता उस धरती में कैसे पहुँची। आइए जाने सीता माता का जन्म कैसे हुआ था!!
- सीता माता देवी लक्ष्मी का अवतार थी। जब भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में इस धरती पर अवतार ले लिया तो देवी लक्ष्मी को भी जल्द से जल्द अवतार लेना था। इसके लिए वे धरती माता के सहयोग से प्रकट हुई और राजा जनक को मिली। देवी लक्ष्मी के माता सीता के रूप में जन्म लेने की यही कथा सर्वमान्य है।
- दूसरी मान्यता के अनुसार देवी सीता को रावण व मंदोदरी की बेटी भी माना जाता है। इसके अनुसार सीता का जन्म होने पर रावण उसे मारना चाहता था। ऐसे में मंदोदरी ने उसे एक टोकरी में बंद कर समुद्र में फेंक दिया था। वहाँ से तैरकर वह टोकरी जनकपुरी पहुँच गई थी और जनक को मिली थी।
- तीसरी मान्यता के अनुसार सीता को देवी वेदवती का पुनर्जन्म माना जाता है। वेदवती विष्णु भक्त थी लेकिन रावण ने उसका मान भंग किया था। ऐसे में वेदवती ने आत्म-दाह कर लिया था लेकिन मरने से पहले उसने कहा था कि अगले जन्म में वह रावण की मृत्यु का कारण बनेगी।
इन सभी के अलावा भी माता सीता के जन्म को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। हालाँकि इन्हें प्रमाणिक नहीं कहा जा सकता है। सीता का जन्म कैसे हुआ (Sita Ka Janm Kaise Hua), इसकी सबसे प्रमाणिक कथा वही है कि माता लक्ष्मी ने धरती माता की गोद से स्वयंभू जन्म लिया था। वह राजा जनक को खेत में हल जोतते समय प्राप्त हुई थी।
माता सीता का जन्म कहां हुआ?
माता सीता के जन्म स्थान को लेकर दो तरह की मान्यताएं हैं। पहली मान्यता के अनुसार सीता माता का जन्म बिहार के सीतामढ़ी में हुआ था। पहले इस नगरी का नाम राजा जनक की मिथिला ही था जिसे बाद में सीतामढ़ी कर दिया गया। यहाँ माता सीता को समर्पित एक मंदिर भी है जिसकी बहुत मान्यता है।
दूसरी मान्यता के अनुसार माता सीता का जन्म स्थान नेपाल के जनकपुर को कहा जाता है। नेपाल देश में भी एक जनकपुर नगरी है जो माता सीता का जन्म स्थान मानी जाती है। यहाँ भी माता सीता को समर्पित प्रसिद्ध जानकी मंदिर है। श्रीराम मंदिर के उद्घाटन में नेपाल के जनकपुर से बहुत सारे उपहार भी भेजे गए थे।
सीता माता का जन्म कब हुआ था?
सीता माता का जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। इसे इस संदर्भ में भी कहा जा सकता है कि राजा जनक को खेत में हल जोतते समय माता सीता इसी दिन मिली थी। उसी दिन को माता सीता के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को सभी सनातनी सीता नवमी के रूप में मनाते हैं और माता सीता की आराधना करते हैं।
इस तरह से आज आपने सीता माता का जन्म कैसे हुआ (Sita Mata Ka Janm Kaise Hua), से लेकर सीता माता के जन्म स्थान और तिथि इत्यादि के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर ली है। हालाँकि सीता माता के जन्म को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित हो सकती हैं लेकिन आप सर्वमान्य व प्रमाणिक कथा को ही माने।
सीता माता के जन्म से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: कैसे हुआ था माता सीता का जन्म?
उत्तर: सीता माता का जन्म धरती माता की गोद से हुआ था। राजा जनक को खेत में हल जोतते समय माता सीता भूमि से प्राप्त हुई थी।
प्रश्न: सीता माता किसका अवतार है?
उत्तर: सीता माता को माँ लक्ष्मी का अवतार माना जाता है जो भगवान विष्णु के श्रीराम रुपी अवतार की सहायता करने के लिए अवतरित हुई थी।
प्रश्न: सीता माता का जन्म कहां हुआ और कैसे हुआ?
उत्तर: सीता माता का जन्म बिहार के सीतामढ़ी में हुआ था। जब राजा जनक खेत में हल जोत रहे थे तब उन्हें माता सीता भूमि में दबी हुई एक टोकरी में मिली थी।
प्रश्न: सीता माता की असली मां कौन है?
उत्तर: सीता माता की असली मां धरती माता को माना जाता है। उन्हीं की गोद से लक्ष्मी माता ने सीता माता के रूप में अवतार लिया था।
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