भगवान शिव के गंगाधर रूप को समर्पित शिव जी की आरती

Shivji Ki Aarti

आज हम आपको शिव के गंगाधर रूप को समर्पित शिवजी की आरती (Shivji Ki Aarti) देंगे। वैसे तो भगवान शिव जी की कई आरतियाँ है जिनमें से ॐ जय शिव ओंकारा आरती सर्वप्रसिद्ध है किंतु आज हम उन्हीं शिवजी के गंगाधर रूप को समर्पित गंगाधर की आरती ॐ जय गंगाधर गिरिजाधीशा पढ़ेंगे।

भगवान शिव का एक अन्य नाम गंगाधर भी है क्योंकि उन्होंने अपनी जटाओं में माँ गंगा के प्रवाह को नियंत्रित किया हुआ है। एक तरह से शिवजी की जटाओं से ही माँ गंगा प्रवाहित होती है। यहाँ आपको शिव जी की आरती (Shiv Ji Ki Aarti) तो पढ़ने को मिलेगी ही, बल्कि साथ ही उसका महत्व और लाभ भी जानने को मिलेगा। आइए पढ़ते हैं भगवान गंगाधर को समर्पित शिवजी की आरती

Shivji Ki Aarti | शिवजी की आरती

ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा।
त्वं मां पालय नित्यं कृपया जगदीशा॥

कैलाशे गिरी शिखरे कल्पद्रुम विपिने।
गुंजति मधुकर पुन्जे कुञ्जवने गहने॥

कोकिलकूजित खेलत हंसावन ललिता।
रचयति कलाकलापं नृत्यति मुदसहिता॥

तस्मिल्ललित सुदेशे शाला मणिरचिता।
तन्मधये हरनिकटे गौरी मुदसहिता॥

क्रीडा रचयति भूषारन्जित निजमीशं।
इन्द्रादिक सुर सेवत नामयते शीशं॥

बिबुधबधू बहु नृत्यत हृदये मुदसहिता।
किन्नर गायन कुरुते सप्त स्वर्सहिता॥

धिनकत थै थै धिनकत मृदंग वाद्यते।
कवण कवण ललिता वेणुं मधुरं नाट्यते॥

रुण रुण चरणे रचयति नूपुरमुज्ज्वलिता।
चक्रवर्ते भ्रमयति कुरुते तां धिक् तां॥

तां तां लुप चुप तां तां डमरू वाद्यते।
अंगुष्ठ गुलिनाद्म लासकतां कुरुते॥

कर्पूरद्युतिगौरं पंचाननसहितं।
त्रिनयनशशिधरमौलिं विषधर कन्ठ्युतं॥

सुंदर जटाकलापं पावकयुत भालं।
डमरुत्रिशूलपिनाकं करधृतनृकपालं॥

मुंडै रचयति माला पन्नगमुपवीतं।
वामविभागे गिरिजारूपं अतिललितं॥

सुंदरसकलशरीरे कृतभस्माभरणं।
इति वृषभध्वजरूपं तापत्रयहरणं॥

शंखनिनाद्म कृत्वा झल्लरी नाद्यते।
नीराजयते ब्रह्मा वेद ऋचा पठते॥

अतिमृदुचरणसरोजं हृत्कमले धृत्वा।
अवलोकयति महेशं ईशं अभिनत्वा॥

ध्यानं आरति समये हृदये अति कृत्वा।
रामस्त्रिजटानाथं ईशं अभिनत्वा॥

संगतिमेवं प्रतिदिन पठनं यः कुरुते।
शिवसायुजयं गच्छति भक्त्या यः श्रणुते॥

इस तरह से आपने शिव जी की आरती (Shiv Ji Ki Aarti) पढ़ ली है। अब हम आपको शिव जी की आरती करने के फायदे और उसका महत्व भी बता देते हैं।

शिवजी की आरती का महत्व

भगवान शिव तो भोलेनाथ है। भगवान शिव तो सभी के माने जाते हैं। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि यदि हम किसी भगवान को जल्द से जल्द प्रसन्न करना चाहते हैं तो वे भगवान शिव ही है। साथ ही भगवान शिव द्वारा भक्तों की हरेक इच्छा को पूरा किया जाता है। ऐसे में यदि हम भगवान शिव की आरती करते हैं तो वे बहुत प्रसन्न होते हैं।

शिवजी की आरती के माध्यम से हम भगवान शिव की आराधना भी कर लेते हैं और उन्हें खुश भी कर देते हैं। इतना ही नहीं, शिव जी की आरती के माध्यम से हम भगवान शिव के निराकार और निर्गुण रूप को समझ पाते हैं। भगवान शिव की महिमा का वर्णन करने के कारण ही शिव जी की आरती का महत्व बढ़ जाता है।

शिव जी की आरती के फायदे

यदि आप प्रतिदिन या मुख्यतया सोमवार के दिन शिवजी की आरती का पाठ करते हैं तो इससे आपको कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। भगवान शिव की कृपा से आपका वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है और अपने जीवनसाथी के साथ संबंध मधुर होता है। यदि आप विवाह के लिए उचित जीवनसाथी खोज रहे हैं तो वह भी मिल जाता है।

शिव की आरती के पाठ से भक्तों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। शिव जी की कृपा से आपको मनचाही संतान की प्राप्ति होती है। यदि किसी रोग या संकट से ग्रस्त है तो वह भी दूर होता है। कुल मिलाकर शिव जी की आरती का सच्चे मन के साथ पाठ किया जाता है तो उस व्यक्ति का जीवन सरल बनता है। यहीं शिव जी की आरती पढ़ने के फायदे होते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने शिवजी की आरती (Shivji Ki Aarti) पढ़ ली है। साथ ही आपने शिव जी की आरती पढ़ने का लाभ और महत्व भी जान लिया है। आशा है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी। आप अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट कर दे सकते हैं।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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