आज हम प्रेतराज सरकार की आरती (Pretraj Sarkar Ki Aarti) का पाठ करेंगे। राजस्थान के दौसा जिले के मेहंदीपुर में बालाजी का प्रसिद्ध मंदिर है। यहाँ पर देशभर से श्रद्धालु हनुमान जी के बाल स्वरुप बालाजी के दर्शन करने हेतु आते हैं। इसी के साथ यहाँ पर किसी भी तरह के भूत, प्रेत, पिशाच इत्यादि को दूर भगाने का कार्य किया जाता है।
इसी मंदिर में बालाजी के सहायक के रूप में प्रेतराज सरकार का भी मंदिर है। ऐसे में आज के इस लेख में हम आपको प्रेतराज सरकार आरती (Pretraj Sarkar Aarti) का हिंदी अनुवाद भी देंगे। दरअसल प्रेतराज सरकार की एक नही बल्कि दो-दो आरतियाँ हैं। कहीं पर पहली वाली आरती ज्यादा प्रसिद्ध है तो कहीं पर दूसरी वाली। यही कारण है कि आज के इस लेख में हम आपके साथ श्री प्रेतराज सरकार की दोनों आरतियों का पाठ करेंगे।
साथ ही प्रेतराज सरकार की आरती पढ़ने के फायदे और उसके महत्व के बारे में भी बताया जाएगा। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं श्री प्रेतराज सरकार की आरती हिंदी में।
Pretraj Sarkar Ki Aarti | प्रेतराज सरकार की आरती – प्रथम
आरती प्रेतराज की कीजै।
दीन दुखिन के तुम रखवाले, संकट जग के काटन हारे।
बालाजी के सेवक जोधा, मन से नमन इन्हें कर लीजै।
जिनके चरण कभी ना हारे, राम काज लगि जो अवतारे।
उनकी सेवा में चित्त देते, अर्जी सेवक की सुन लीजै।
बाबा के तुम आज्ञाकारी, हाथी पर करे असवारी।
भूत जिन्न सब थर-थर काँपे, अर्जीबाबा से कह दीजै।
जिन्न आदि सब डर के मारे, नाक रगड़ तेरे पड़े दुआरे।
मेरे संकट तुरतहि काटो, यह विनय चित्त में धरि लीजै।
वेश राजसी शोभा पाता, ढाल कृपाल धनुष अति भाता।
मैं आनकर शरण आपकी, नैया पार लगा मेरी दीजै।
Pretraj Ki Aarti | प्रेतराज की आरती – अर्थ सहित
आरती प्रेतराज की कीजै।
हम सभी मिल कर प्रेतराज सरकार की आरती करते हैं और उनका गुणगान करते हैं।
दीन दुखिन के तुम रखवाले, संकट जग के काटन हारे।
आप दीन-दुखियों के रखवाले हैं और उनके संकटों का नाश करने वाले हैं। इससे संपूर्ण जगत का भला होता है।
बालाजी के सेवक जोधा, मन से नमन इन्हें कर लीजै।
आप बालाजी भगवान के सेवक हैं और हम सभी मन से आपको नमन करते हैं।
जिनके चरण कभी ना हारे, राम काज लगि जो अवतारे।
आप अपना कार्य करते समय कभी नहीं थकते हैं और भगवान श्रीराम के कार्यों को पूरा करने के लिए ही जिन्होंने अवतार लिया है।
उनकी सेवा में चित्त देते, अर्जी सेवक की सुन लीजै।
आप श्रीराम की सेवा में ही हमेशा लीन रहते हैं और अब अपने सेवकों की प्रार्थना को भी सुन लीजिये।
बाबा के तुम आज्ञाकारी, हाथी पर करे असवारी।
आप बालाजी भगवान के आज्ञाकारी हैं और हाथी पर सवार रहते हैं।
भूत जिन्न सब थर-थर काँपे, अर्जीबाबा से कह दीजै।
भूत, जिन्न, पिशाच, वेताल, प्रेत इत्यादि आपके नाम से ही डर जाते हैं और हम सभी अपनी याचना लेकर आपके पास आये हैं।
जिन्न आदि सब डर के मारे, नाक रगड़ तेरे पड़े दुआरे।
जिन्न जैसे दुष्ट लोग भी आपसे भय खाते हैं और आपके चरणों में अपनी नाक रगड़ते हैं।
मेरे संकट तुरतहि काटो, यह विनय चित्त में धरि लीजै।
हे प्रेतराज सरकार! आप मेरे सभी तरह के संकटों का नाश कर दीजिये और यही मेरी आपसे एकमात्र प्रार्थना है।
वेश राजसी शोभा पाता, ढाल कृपाल धनुष अति भाता।
आपकी वेशभूषा राजसी है और आपने ढाल, कृपाण व धनुष लिया हुआ है जिसके कारण आप बहुत सुन्दर लग रहे हैं।
मैं आनकर शरण आपकी, नैया पार लगा मेरी दीजै।
हे प्रभु! मैं आपकी शरण में आ गया हूँ और अब आप मेरा उद्धार कर दीजिये।
Pretraj Sarkar Aarti | प्रेतराज सरकार आरती – द्वितीय
जय प्रेतराज कृपालु मेरी, अरज अब सुन लीजिये।
मैं शरण तुम्हारी आ गया हूँ, नाथ दर्शन दीजिये।
मैं करूं विनती आपसे अब, तुम दयामय चित्त धरो।
चरणों का ले लिया आसरा, प्रभु वेग से मेरा दुःख हरो।
सिर पर मोर मुकुट कर में धनुष, गलबीच मोतियन माल है।
जो करे दर्शन प्रेम से, सब कटत तन के जाल है।
जब पहन बख्तर ले खड़ग, बांई बगल में ढाल है।
ऐसा भयंकर रूप जिनका, देख डरपत काल है।
अति प्रबल सेना विकट योद्धा, संग में विकराल है।
तब भूत-प्रेत-पिशाच बांधे, कैद करते हाल है।
तब रूप धरते वीर का, करते तैयारी चलन की।
संग में लड़ाके ज्वान जिनकी, थाह नहीं है बलन की।
तुम सब तरह समर्थ हो, प्रभु सकल सुख के धाम हो।
दुष्टों के मारनहार हो, भक्तों के पूरण काम हो।
मैं हूँ मती का मन्द, मेरी बुद्धि को निर्मल करो।
अज्ञान का अंधेर उर में, ज्ञान का दीपक धरो।
सब मनोरथ सिद्ध करते, जो कोई सेवा करे।
तन्दुल बूरा घृत मेवा, भेंट ले आगे धरे।
सुयश सुन कर आपका, दुखिया तो आये दूर के।
सब स्त्री अरु पुरुष आकर, पड़े हैं चरण हजूर के।
लीला है अद्भुत आपकी, महिमा तो अपरंपार है।
मैं ध्यान जिस दम धरत हूँ, रच देना मंगलाचार है।
सेवक गणेशपुरी महन्त जी की, लाज तुम्हारे हाथ है।
करना खता सब माफ, उनका देना हरदम साथ है।
दरबार में आओ अभी, सरकार में हाजिर खड़ा।
इन्साफ मेरा अब करो, चरणों में आकर गिर पड़ा।
अर्जी बमूजिब दे चुका, अब गौर इस पर कीजिये।
तत्काल इस पर हुक्म लिख दो, फैसला कर दीजिये।
महाराज की यह स्तुति, कोई नेम से गाया करे।
सब सिद्ध कारज होय उनके, रोग पीड़ा सब टरे।
सुखराम सेवक आपका, उसको नहीं बिसराइये।
जै जै मनाऊं आपकी, बेड़े को पार लगाइये।
Pretraj Aarti | प्रेतराज आरती – अर्थ सहित
जय प्रेतराज कृपालु मेरी, अरज अब सुन लीजिये।
मैं शरण तुम्हारी आ गया हूँ, नाथ दर्शन दीजिये।
हे प्रेतराज सरकार!! आप बहुत ही कृपालु हैं और अब आप मेरी प्रार्थना को सुन लीजिये। मैं आपकी शरण में आया हूँ और आप मुझे दर्शन दीजिये।
मैं करूं विनती आपसे अब, तुम दयामय चित्त धरो।
चरणों का ले लिया आसरा, प्रभु वेग से मेरा दुःख हरो।
मैं आपसे विनती करता हूँ और अब आप मुझ पर अपना ध्यान दीजिये। मैं आपके चरणों में आकर गिर गया हूँ और अब आप अपने प्रताप से मेरा दुःख दूर कीजिये।
सिर पर मोर मुकुट कर में धनुष, गलबीच मोतियन माल है।
जो करे दर्शन प्रेम से, सब कटत तन के जाल है।
आपने सिर पर मोर मुकुट पहना हुआ है और हाथों में धनुष ले रखा है। गले में मोतियों की माला पहनी हुई है। जो भी प्रेमवश आपके दर्शन कर लेता है, उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं।
जब पहन बख्तर ले खड़ग, बांई बगल में ढाल है।
ऐसा भयंकर रूप जिनका, देख डरपत काल है।
जब आप बख्तर पहन कर और तलवार व ढाल लेकर अपने भयंकर रूप में आते हैं तो उसे देख कर तो स्वयं काल भी डर जाते हैं।
अति प्रबल सेना विकट योद्धा, संग में विकराल है।
तब भूत-प्रेत-पिशाच बांधे, कैद करते हाल है।
आपकी सेना भी बहुत शक्तिशाली है और आपके साथ स्वयं विकराल हैं। आपका यह रूप देख कर तो भूत, प्रेत, पिशाच भी डर जाते हैं और आप उन्हें बंदी बना लेते हैं।
तब रूप धरते वीर का, करते तैयारी चलन की।
संग में लड़ाके ज्वान जिनकी, थाह नहीं है बलन की।
आप अपना वीर रूप धर कर युद्ध में जाने की तैयारी करते हैं और आपके साथ युवा योद्धा भी है जिनकी कोई तुलना नहीं है।
तुम सब तरह समर्थ हो, प्रभु सकल सुख के धाम हो।
दुष्टों के मारनहार हो, भक्तों के पूरण काम हो।
आप हर कार्य में समर्थ हो और आप सभी को सुख देने वाले हो। आप दुष्टों का संहार करते हो और अपने भक्तों के सभी काम पूरे कर देते हो।
मैं हूँ मती का मन्द, मेरी बुद्धि को निर्मल करो।
अज्ञान का अंधेर उर में, ज्ञान का दीपक धरो।
मैं तो अज्ञानी हूँ प्रभु और आप मुझे बुद्धि दीजिये। आप मेरे जीवन से अज्ञानता को दूर कर प्रकाश फैला दीजिये।
सब मनोरथ सिद्ध करते, जो कोई सेवा करे।
तन्दुल बूरा घृत मेवा, भेंट ले आगे धरे।
जो भी भक्त आपकी सेवा करता है, उसकी सभी तरह की मनोकामनाएं आप पूरी कर देते हैं। भक्तगण आपको तंदुल, बूरा, घृत व मेवा का भोग लगाते हैं।
सुयश सुन कर आपका, दुखिया तो आये दूर के।
सब स्त्री अरु पुरुष आकर, पड़े हैं चरण हजूर के।
आपका यश सुन कर दूर-दूर से नर-नारी आकर आपको अपना दुःख सुना रहे हैं और आपके चरणों में पड़े हुए हैं।
लीला है अद्भुत आपकी, महिमा तो अपरंपार है।
मैं ध्यान जिस दम धरत हूँ, रच देना मंगलाचार है।
हे प्रेतराज प्रभु!! आपकी लीला अपरंपार है। मैं जब भी आपका ध्यान करूँ तो आप मेरा मंगल कर दीजियेगा।
सेवक गणेशपुरी महन्त जी की, लाज तुम्हारे हाथ है।
करना खता सब माफ, उनका देना हरदम साथ है।
गणेशपुरी महंत जो आपके सेवक हैं, उनकी लाज आपके ही हाथों में है। आप मेरी सभी तरह की गलतियों को क्षमा कर देना और मेरा हमेशा साथ देना।
दरबार में आओ अभी, सरकार में हाजिर खड़ा।
इन्साफ मेरा अब करो, चरणों में आकर गिर पड़ा।
मैं आपके दरबार में हाजिरी लगाने आया हूँ और अब आप मेरा न्याय कर दीजिये। मैं आपके चरणों में आकर गिर पड़ा हूँ।
अर्जी बमूजिब दे चुका, अब गौर इस पर कीजिये।
तत्काल इस पर हुक्म लिख दो, फैसला कर दीजिये।
मैं आपके सामने अपनी प्रार्थना कर चुका हूँ और अब आप इस पर अपना ध्यान लगाइए। अब आप मेरी याचना को स्वीकार कर उस पर अपना निर्णय लिख दीजिये।
महाराज की यह स्तुति, कोई नेम से गाया करे।
सब सिद्ध कारज होय उनके, रोग पीड़ा सब टरे।
जो भी व्यक्ति प्रेतराज महाराज की इस आरती को मन से गाता है, उसके सभी काम पूरे हो जाते हैं और रोग, कष्ट, पीड़ा इत्यादि समाप्त हो जाते हैं।
सुखराम सेवक आपका, उसको नहीं बिसराइये।
जै जै मनाऊं आपकी, बेड़े को पार लगाइये।
यह सुखराम आपका ही सेवक है और आप उसका भला कीजिये। मैं आपकी जय-जय करता हूँ और आपको मनाता हूँ, अब आप मेरा बेड़ा पार लगा दीजिये।
प्रेतराज सरकार आरती का महत्व
अभी तक आपने प्रेतराज आरती (Pretraj Aarti) का पाठ कर लिया है व साथ ही उसका अर्थ भी जान लिया है किन्तु आपको उसी के साथ प्रेतराज जी की आरती का महत्व भी पता होना चाहिए। सनातन धर्म में समय-समय पर कई महापुरुषों और संतों ने जन्म लिया है जिन्होंने मानव जीवन को उत्तम बनाने की दृष्टि से कई तरह के कार्य किये हैं। अब उनके कामो को दिखाने और उनकी महिमा को बताने के लिए ही उनकी आरती लिखी जाती है।
आपने ऊपर प्रेतराज सरकार की आरती पढ़ी और साथ ही उसका अर्थ भी जाना। तो इसके द्वारा आपको केवल इसी आरती के माध्यम से ही प्रेतराज महाराज जी के बारे में समूची जानकारी संक्षिप्त रूप में प्राप्त हो गयी। तो इस तरह से इस आरती के माध्यम से हमें भगवान प्रेतराज जी के बारे में बेहतर तरीके से जानने का अवसर प्राप्त होता है और उनकी महत्ता का ज्ञान होता है।
प्रेतराज सरकार की आरती के फायदे
अब यदि आप प्रतिदिन प्रेतराज की आरती (Pretraj Ki Aarti) का पाठ करते हैं और उनकी सच्चे मन से भक्ति करते हैं तो अवश्य ही उनकी कृपा दृष्टि आप पर रहती है और उनका आशीर्वाद आपको प्राप्त होता है। देशभर में करोड़ो श्रद्धालु प्रतिदिन प्रेतराज की आरती व चालीसा का पाठ करते हैं और उनका ध्यान लगाते हैं जिस कारण उनके मन को शांति का अनुभव होता है।
यदि आपके ऊपर या आपके घर में किसी पर भूत, पिशाच, बुरी आत्मा, जिन्न, वेताल, प्रेत, बुरी शक्तियों, काला जादू इत्यादि का साया है या कोई आपको इसके माध्यम से परेशान कर रहा है तो आपको बस प्रेतराज महाराज की आरती का पाठ करना शुरू कर देना चाहिए। कुछ ही दिनों में आप पाएंगे कि इस तरह की बुरी शक्तियों का प्रभाव पूरी तरह से समाप्त हो गया है।
बुरी शक्तियों को परास्त करने के लिए प्रेतराज जी की आरती का पाठ करने से उत्तम कुछ भी नहीं है। आज से ही आप प्रतिदिन सुबह उठ कर प्रेतराज की आरती का पाठ करने का नियम बना लें और इसका परिणाम आपको कुछ ही दिनों में देखने को मिल जायेगा।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने प्रेतराज सरकार की आरती (Pretraj Sarkar Ki Aarti) हिंदी में अर्थ सहित पढ़ ली है। साथ ही आपने प्रेतराज सरकार आरती के पाठ से मिलने वाले फायदे और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप इस लेख पर अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपको प्रत्युत्तर देंगे।
प्रेतराज आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: प्रेतराज सरकार जी की आरती बताइए?
उत्तर: प्रेतराज सरकार जी की आरती और वो भी अर्थ सहित इस लेख में दी गयी है जिसे आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न: लोग मेहंदीपुर बालाजी क्यों जाते हैं?
उत्तर: लोग मेहंदीपुर बालाजी प्रेतराज सरकार, बालाजी के दर्शन करने या भूत, प्रेत, पिशाच से छुटकारा पाने के लिए जाते हैं।
प्रश्न: मेहंदीपुर बालाजी का प्रसाद क्यों नहीं खाना चाहिए?
उत्तर: मेहंदीपुर बालाजी का प्रसाद खाया जा सकता है लेकिन उसे मेहंदीपुर से बाहर नहीं लेकर जाना चाहिए।
प्रश्न: मेहंदीपुर बालाजी कब जाना चाहिए?
उत्तर: मेहंदीपुर बालाजी आप किसी भी समय जा सकते हैं। हालाँकि अक्टूबर से फरवरी तक के महीने यहाँ जाने के लिए सही रहते हैं।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
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