अन्नपूर्णा माता की आरती हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

Annapurna Mata Ki Aarti

आज हम अन्नपूर्णा माता की आरती (Annapurna Mata Ki Aarti) का पाठ करेंगे। हमें जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है और इसी से ही हमारे शरीर में काम करने की शक्ति आती है। यदि भोजन ना हो तो हम ज्यादा दिनों तक जीवित नही रह सकते हैं। हिन्दू धर्म में भोजन को ईश्वर का प्रसाद माना गया है और उसके लिए माँ अन्नपूर्णा को अन्न की देवी माना गया है। ऐसे में हमें भोजन ग्रहण करने से पहले ईश्वर व माँ अन्नपूर्णा को धन्यवाद अर्पित करना चाहिए।

आज के इस लेख में हम आपके साथ अन्नपूर्णा आरती (Annapurna Aarti) ही सांझा करने जा रहे हैं। इतना ही नहीं, हम आपके साथ अन्नपूर्णा माता की आरती हिंदी में अर्थ सहित भी साझा करेंगे ताकि आप उसका संपूर्ण भावार्थ समझ सकें। अंत में आपको माँ अन्नपूर्णा की आरती का महत्व व लाभ भी पढ़ने को मिलेगा। तो आइए सबसे पहले करते हैं अन्नपूर्णा माता आरती हिंदी में।

Annapurna Mata Ki Aarti | अन्नपूर्णा माता की आरती

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।
जो नहीं ध्यावै तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेते होत सब काम

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम।
सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।
चूमहि चरण चतुर चतुरानन, चारु चक्रधर श्याम।
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर, शोभा लखहि ललाम

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।
देवी देव दयनीय दशा में, दया दया तव नाम।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल, शरण रूप तव धाम

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।
श्रीं, ह्रीं, श्रद्धा, श्रीं ऐन् विद्या, श्रीं क्लीं कमल नाम।
कान्तिभ्रांतिमयी कांति शांतिमयी, वर देतु निष्काम

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।
जो नहीं ध्यावै तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेते होत सब काम

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।

Annapurna Aarti | अन्नपूर्णा माता की आरती हिंदी में – अर्थ सहित

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।
जो नहीं ध्यावै तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेते होत सब काम॥

हे अन्नपूर्णा माता!! मैं आपको बार-बार प्रणाम करता हूँ। यदि कोई आपके नाम का ध्यान नहीं करता है तो उसे इस विश्व में कहीं भी आराम नहीं मिलता है। आपका नाम अन्नपूर्णा देवी है और आपका नाम लेने मात्र से ही हमारे सभी काम बन जाते हैं।

प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम।
सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम॥

आपका नाम तो इस सृष्टि की शुरुआत से लेकर प्रलय आने तक, हर काल में, हर युग में बना रहेगा। आप ही सभी देव-देवताओं की रचना करती हैं और आपके सामने तो स्वयं श्रीकृष्ण व श्रीराम भी कुछ नहीं है।

चूमहि चरण चतुर चतुरानन, चारु चक्रधर श्याम।
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर, शोभा लखहि ललाम॥

स्वयं भगवान ब्रह्मा आपके चरणों को चूमते हैं और श्रीहरि भी आपका ही ध्यान करते हैं। शिव शंकर आपकी सेवा में रहते हैं और आपका यश व शोभा हर जगह फैली हुई है।

देवी देव दयनीय दशा में, दया दया तव नाम।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल, शरण रूप तव धाम॥

हम सभी और देवता आपकी शरण में दयनीय अवस्था में आये हुए हैं और आप ही हम पर दया कर हमारा उद्धार कर सकती हैं। हम सभी त्राहिमाम कर आपका नाम पुकार रहे हैं और अब आप हमें अपनी शरण में ले लीजिये।

श्रीं, ह्रीं, श्रद्धा, श्रीं ऐन् विद्या, श्रीं क्लीं कमल नाम।
कान्तिभ्रांतिमयी कांति शांतिमयी, वर देतु निष्काम॥

हे माँ अन्नपूर्णा!! आप ही हम सभी की जननी माँ पार्वती, विद्या की देवी माँ सरस्वती व कमल पुष्प पर निवास किये हुए माँ लक्ष्मी हो। आप ही हमें शांति, बुद्धि, धन, सुख, संपदा इत्यादि प्रदान कर हमारे सब काम बनाने वाली हो।

इस तरह से आज आपने अन्नपूर्णा माता आरती (Annapurna Mata Aarti) हिंदी में अर्थ सहित पढ़ ली है। अब हम अन्नपूर्णा माता की आरती के लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लेते हैं।

अन्नपूर्णा माता आरती का महत्व

अभी तक के लेख में आपने अन्नपूर्णा माता की आरती पढ़ ली है और साथ ही उसका अर्थ भी जान लिया है। इसे पढ़कर आपको अवश्य ही माँ अन्नपूर्णा के गुणों, महत्व व सिद्धि का ज्ञान हो गया होगा। अन्नपूर्णा माता आरती के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया गया है कि मनुष्य व अन्य जीव-जंतुओं के लिए भोजन का कितना महत्व होता है और हमें उसका निरादर करने से मना किया गया है।

यदि इस विश्व में भोजन है, तभी हमारा अस्तित्व है और हम उसी के माध्यम से काम करने की शक्ति व ऊर्जा को प्राप्त कर पाते हैं। बिना भोजन के हम कुछ भी कर पाने में असमर्थ होंगे। इसी भाव को व्यक्त करते हुए यह अन्नपूर्णा आरती लिखी गयी है। अन्नपूर्णा माता को हमेशा से ही पूजनीय माना गया है और इसी कारण उनका मुख्य मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास में स्थित है।

अन्नपूर्णा आरती के लाभ

अब यदि आप प्रतिदिन अन्नपूर्णा माता की आरती का सच्चे मन से पाठ करते हैं और जब भी भोजन ग्रहण करें तब माँ अन्नपूर्णा का ध्यान करते हैं तो आपको कभी भी भोजन की कमी नहीं होगी। इसी के साथ ही ना ही आपको स्वास्थ्य संबंधित किसी तरह की समस्या होने पायेगी। आप हमेशा स्वस्थ बने रहेंगे और घर में भी सुख-शांति का वास होगा।

माँ अन्नपूर्णा की आरती के निरंतर पाठ से व्यक्ति के शरीर में एक नयी ऊर्जा का संचार होता है जो उसे नए काम शुरू करने तथा अपने पुराने काम को बेहतर ढंग से करने की शक्ति प्रदान करती है। साथ ही यदि उस व्यक्ति को कोई शारीरिक व मानसिक रोग है तो वह भी दूर हो जाता है। इस तरह से मां अन्नपूर्णा आरती के माध्यम से व्यक्ति नयी ऊर्जा व स्वस्थ शरीर के साथ काम करने में समर्थ होता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने अन्नपूर्णा माता की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Annapurna Mata Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने अन्नपूर्णा आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

अन्नपूर्णा माता की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: अन्नपूर्णा देवी की पूजा कैसे करें?

उत्तर: अन्नपूर्णा देवी की पूजा करने के लिए आपको सुबह जल्दी उठकर, नित्य कर्म करके, देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति या चित्र के सामने बैठ कर अन्नपूर्णा चालीसा व आरती का पाठ करना चाहिए।

प्रश्न: अन्नपूर्णा माता का दिन कौन सा है?

उत्तर: मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन माता पार्वती ने माँ अन्नपूर्णा का रूप धारण किया था। इसी कारण यह दिन मां अन्नपूर्णा का दिन माना जाता है।

प्रश्न: अन्नपूर्णा माता की पूजा कब की जाती है?

उत्तर: अन्नपूर्णा माता के भक्त मार्गशीर्ष माह के अंतिम दिन अर्थात मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन माँ अन्नपूर्णा की जयंती मनाते हैं और उनकी पूजा करते हैं।

प्रश्न: अन्नपूर्णा की मूर्ति को घर में रखना अच्छा है?

उत्तर: अन्नपूर्णा माता को अन्न की देवी माना जाता है। ऐसे में उनकी मूर्ति को अपने घर में और मुख्य तौर पर रसोई में रखने से बहुत लाभ मिलता है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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