मां चंद्रघंटा की आरती हिंदी में – अर्थ, PDF फाइल, महत्व व लाभ सहित

Chandraghanta Mata Ki Aarti

आज हम आपके साथ चंद्रघंटा माता की आरती (Chandraghanta Mata Ki Aarti) का पाठ करने जा रहे हैं। हम हर वर्ष नवरात्र का पावन त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। नवरात्र नौ दिवस का पर्व है जिसमें हर दिन मातारानी के भिन्न रूप की पूजा की जाती है जिन्हें हम नवदुर्गा के नाम से जानते हैं। इसमें मातारानी का हरेक रूप अपने भिन्न गुणों व शक्तियों के कारण पूजनीय है। माता चंद्रघंटा नवदुर्गा का तृतीय रूप है जो वीरता का परिचायक है।

क्या आप जानते हैं कि मां चंद्रघंटा की आरती (Maa Chandraghanta Aarti) एक नहीं बल्कि दो-दो हैं। ऐसे में आज के इस लेख में हम आपके साथ ना केवल दोनों तरह की चंद्रघंटा आरती साझा करेंगे बल्कि उसका हिंदी अर्थ भी समझाएंगे। अंत में हम आपके साथ चंद्रघंटा माता की आरती PDF फाइल, पढ़ने के लाभ व महत्व भी साझा करेंगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं मां चंद्रघंटा आरती।

Chandraghanta Mata Ki Aarti | चंद्रघंटा माता की आरती

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम॥

चंद्र समान तुम शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती॥

क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली॥

मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो॥

सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली॥

हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता॥

कांचीपुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा॥

नाम तेरा रटूं महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी॥

माता चंद्रघंटा की आरती – अर्थ सहित

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम॥

सभी सुखों को प्रदान करने वाली चंद्रघंटा माता की जय हो। हे चंद्रघंटा माँ!! आप मेरे सभी बिगड़े हुए काम बना दीजिये।

चंद्र समान तुम शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती॥

चंद्रघंटा माता चंद्रमा के जैसे शीतल गुणों वाली हैं। वे हम सभी को शीतलता प्रदान करती हैं। वे चंद्रमा की किरणों में तेज रूप में समायी रहती हैं।

क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली॥

माँ चंद्रघंटा की कृपा से ही हमें अपना क्रोध शांत करने में सहायता मिलती है और हमारा स्वभाव मधुर बनता है। उन्हीं के प्रभाव से हम दूसरों को मीठे वचन बोलते हैं और प्रेम का संदेश फैलाते हैं।

मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो॥

आप हमारे मन की स्वामिनी हो जो हमारे मन को आनंद प्रदान करती हो। चंद्रघंटा माता हम सभी को वरदान देती हैं और हमारा उद्धार कर देती हैं।

सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली॥

चंद्रघंटा माता हमारे तन व मन को सुंदर व स्वच्छ बनाने का कार्य करती हैं। मां चंद्रघंटा हमारी हर प्रकार के संकट से रक्षा करने के लिए तत्पर रहती हैं।

हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता॥

जो भी बुधवार के दिन चंद्रघंटा माता का ध्यान करता है, श्रद्धाभाव के साथ उनके सामने याचना करता है, चंद्र आकार में जो उनकी मूर्ति को बनवाता है, उनकी मूर्ति के सामने घी का दीपक प्रज्ज्वलित करता है और मातारानी के चरणों में अपना सिर झुकाकर उनसे अपने मन की बात कहता है, चंद्रघंटा माँ उसके मन की हरेक इच्छा को पूरा कर देती हैं।

कांचीपुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा॥

कांचीपुर में मातारानी का वास है और करनाटिका में उनके नाम की बहुत ज्यादा मान्यता है। भारत के तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम में मां चंद्रघंटा का बहुत ही विशाल मंदिर है जहाँ उनकी पूजा की जाती है।

नाम तेरा रटूं महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी॥

मैं हर समय चंद्रघंटा महारानी का नाम ही जपता रहता हूँ और अब चंद्रघंटा ही भवानी रूप में अपने भक्तों की रक्षा करेंगी।

Maa Chandraghanta Aarti | मां चंद्रघंटा की आरती

नवरात्रि के तीसरे दिन, चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तक पर है अर्ध चंद्र, मंद मंद मुस्कान॥

दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे, खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती, दुष्ट के प्राण॥

सिंह वाहिनी दुर्गा का, चमके स्वर्ण शरीर।
करती विपदा शांति, हरे भक्त की पीर॥

मधुर वाणी को बोल कर, सबको देती ज्ञान।
भव सागर में फंसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण॥

नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
जय मां चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा॥

चंद्रघंटा मां की आरती – अर्थ सहित

नवरात्रि के तीसरे दिन, चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तक पर है अर्ध चंद्र, मंद मंद मुस्कान॥

हम सभी नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा का ध्यान करते हैं और उनकी आरती उतारते हैं। चंद्रघंटा माता के मस्तक पर अर्ध चंद्र विराजमान है तो वहीं माँ हल्की मुस्कान लिए अपने भक्तों को देख रही हैं।

दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे, खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती, दुष्ट के प्राण॥

चंद्रघंटा माता ने अपनी दस भुजाओं में भांति-भांति के अस्त्र-शस्त्र ले रखे हैं जिनमें तलवार, धनुष-बाण व त्रिशूल इत्यादि हैं। वे घंटे के शब्द से ही दुष्टों के प्राण हर लेती हैं अर्थात उनका वध कर देती हैं।

सिंह वाहिनी दुर्गा का, चमके स्वर्ण शरीर।
करती विपदा शांति, हरे भक्त की पीर॥

दुर्गा माता का यह रूप सिंह पर सवार रहता है और उनका शरीर सोने की भांति चमकता है। वे अपने भक्तों के हर संकट का निवारण कर उसके जीवन में शांति ला देती हैं।

मधुर वाणी को बोल कर, सबको देती ज्ञान।
भव सागर में फंसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण॥

मां चंद्रघंटा मधुर वचनों के माध्यम से हम सभी को ज्ञान देती हैं। हे माँ चंद्रघंटा!! आपका यह भक्त भवसागर में फंस गया है और अब आप मेरा कल्याण कर दीजिये अर्थात मुझे मोक्ष प्रदान कीजिये।

नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
जय मां चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा॥

माँ चंद्रघंटा की मुख्य तौर पर नवरात्रों में पूजा की जाती है और अब आप अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाइये। चंद्रघंटा माता की जय हो, जय हो।

चंद्रघंटा माता की आरती PDF

अब हम चंद्रघंटा आरती की PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं

यह रहा उसका लिंक: चंद्रघंटा माता की आरती PDF

ऊपर आपको लाल रंग में चंद्रघंटा माता की आरती की पीडीएफ फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।

चंद्रघंटा माता की आरती का महत्व

माँ चंद्रघंटा का नाम चंद्रघंटा इसलिए पड़ा क्योंकि उनके मस्तिष्क पर अर्ध चंद्रमा घंटे की आकृति में स्थित होता है। माँ दुर्गा का यह रूप दुष्टों का विनाश करने के उद्देश्य से लिया गया था। इसी कारण मां चंद्रघंटा ने अपनी भुजाओं में तरह-तरह के अस्त्र-शस्त्र धारण किये हुए हैं जिससे वे असुरों का वध करती हैं। ऐसे में चंद्रघंटा आरती के माध्यम से चंद्रघंटा माता की आराधना के साथ-साथ उनके बारे में बताया गया है।

चंद्रघंटा माता की आरती में माता चंद्रघंटा के गुणों, शक्तियों, कर्मों तथा उद्देश्य के ऊपर प्रकाश डाला गया है। इसको पढ़ने से ना केवल भक्तों को चंद्रघंटा माता की महिमा के बारे में पता चल जाता है बल्कि साथ के साथ उनकी आराधना भी हो जाती है। यही मां चंद्रघंटा की आरती का महत्व होता है।

चंद्रघंटा आरती के लाभ

चंद्रघंटा माता आरती का निरंतर पाठ करने से हमारे मन में जो डर या किसी बात को लेकर भय है, वह दूर हो जाता है। नवदुर्गा का यह तीसरा रूप चंद्रघंटा भक्तों के भय को दूर करने तथा दुष्टों का नाश करने के उद्देश्य से ही लिया गया है। ऐसे में जो भक्तगण सच्चे मन के साथ चंद्रघंटा मां की आरती करते हैं और उनका ध्यान करते हैं, उनके हर तरह के भय समाप्त हो जाते हैं।

इसी के साथ ही जिन व्यक्तियों को ज्यादा क्रोध आता है या स्वभाव चिडचिडा रहता है तो वह भी चंद्रघंटा आरती के माध्यम से ठीक हो जाता है। इससे आपको अपने क्रोध को नियंत्रण में रखने में सहायता मिलती है और स्वभाव मधुर बनता है। चंद्रघंटा माता हमारे शत्रुओं का नाश कर देती हैं और सभी तरह की बाधाओं का समाधान कर काम बना देती हैं।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने चंद्रघंटा माता की आरती (Chandraghanta Mata Ki Aarti) कर लिया हैं। साथ ही आपने मां चंद्रघंटा की आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आपको चंद्रघंटा माता की आरती PDF फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

चंद्रघंटा माता की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: माता चंद्रघंटा का मंत्र क्या है?

उत्तर: माता चंद्रघंटा का मंत्र “पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥” है जिसका जाप आप नवरात्र के तीसरे दिन कर सकते हैं।

प्रश्न: माता चंद्रघंटा का भोग क्या है?

उत्तर: माता चंद्रघंटा को भोग के रूप में दूध या दूध से बनी मिठाई या अन्य उत्पादों का भोग लगाया जा सकता है। चंद्रघंटा मां को दूध से बनी खीर भी बहुत पसंद आती है। अतः आप खीर का भोग उन्हें लगा सकते हैं।

प्रश्न: चंद्रघंटा माता को क्या पसंद है?

उत्तर: चंद्रघंटा माता को सबसे ज्यादा दूध से बनी खीर पसंद आती है। ऐसे में उनके भक्तगण मुख्य रूप से खीर का भोग ही मातारानी को लगाते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं।

प्रश्न: मां चंद्रघंटा का पसंदीदा रंग क्या है?

उत्तर: वैसे तो आप किसी भी रंग में मातारानी की पूजा कर सकते हैं लेकिन यदि आपको कोई एक रंग जानना है तो मां चंद्रघंटा को मुख्य तौर पर पीले या नारंगी रंग के वस्त्र पसंद आते हैं।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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