कात्यायनी माता की आरती PDF फाइल, अर्थ, महत्व व लाभ सहित

Katyayani Mata Ki Aarti

आज हम आपके साथ कात्यायनी माता की आरती (Katyayani Mata Ki Aarti) का पाठ करने जा रहे हैं। हम हर वर्ष नवरात्र का पावन त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। नवरात्र नौ दिवस का पर्व है जिसमें हर दिन मातारानी के भिन्न रूप की पूजा की जाती है जिन्हें हम नवदुर्गा के नाम से जानते हैं। इसमें मातारानी का हरेक रूप अपने भिन्न गुणों व शक्तियों के कारण पूजनीय है। कात्यायनी माता नवदुर्गा का छठा रूप है जो अभय का परिचायक है।

इस लेख में आपको मां कात्यायनी आरती (Maa Katyayani Aarti) के साथ-साथ उसका हिंदी अर्थ भी जानने को मिलेगा। इससे आप कात्यायनी माता आरती का भावार्थ भी समझ पाएंगे। अंत में हम आपके साथ कात्यायनी माता की आरती PDF फाइल, पाठ करने के लाभ व महत्व भी साझा करेंगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं कात्यायनी माता की आरती हिंदी में।

Katyayani Mata Ki Aarti | कात्यायनी माता की आरती

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी॥

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा॥

कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है॥

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी॥

हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते॥

कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की॥

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली॥

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो॥

हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी॥

जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥

Maa Katyayani Aarti | मां कात्यायनी आरती – अर्थ सहित

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी॥

अम्बे माता की जय हो, जय हो। कात्यायनी माता की जय हो। कात्यायनी माता जो इस जगत की भी माता हैं, उनकी जय हो। इस जगत की महारानी कात्यायनी देवी की जय हो।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा॥

बैजनाथ में कात्यायनी माता का मंदिर है और वे अपने मंदिर से भक्तों को वरदान देती हैं। जो कोई भी कात्यायनी माँ का नाम पुकारता है, माँ उसका उद्धार कर देती हैं।

कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है॥

माँ कात्यायनी के कई नाम हैं जो उनके तरह-तरह के गुणों को प्रदर्शित करते हैं। उनके भिन्न-भिन्न रूपों के धाम भी कई हैं जो भारत के अलग-अलग हिस्सों में स्थित हैं। आपका यह बैजनाथ धाम भी हमें सुख प्रदान करता है।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी॥

हर मंदिर में माँ कात्यायनी के नाम की ज्योति जलती है। योगों की ईश्वरी मां कात्यायनी की महिमा सभी से अलग व अद्भुत है।

हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते॥

कात्यायनी माँ के नाम के उत्सव तो हर जगह होते रहते हैं और हर मंदिर में भक्तगण मातारानी के नाम की पूजा करते हैं।

कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की॥

कात्यायनी माता हमारे शरीर की रक्षा करती हैं और उसे रोगों से बचाती हैं। वे हमारे मन को नियंत्रण में रखने का भी कार्य करती हैं और उसे सांसारिक मोहमाया से दूर कर देती हैं।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली॥

कात्यायनी मां ही हमें इस झूठी व भ्रम वाली मोहमाया से दूर करती हैं और अपना नाम जपवाती हैं ताकि हमारा उद्धार हो जाए।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो॥

हमें हर बृहस्पतिवार (गुरुवार) के दिन माँ कात्यायनी के नाम की पूजा करनी चाहिए और उनका ध्यान करना चाहिए।

हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी॥

ऐसा करने से कात्यायनी माँ हमारे हर तरह के संकट को दूर कर देंगी और हमारे घर को अन्न-धन के भंडार से भर देंगी।

जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥

जो भी भक्तगण सच्चे मन के साथ माँ कात्यायनी का ध्यान करता है और उनके नाम को जपता है, मातारानी उसके सभी कष्ट दूर कर उसका कल्याण कर देती हैं।

कात्यायनी माता की आरती PDF

अब हम कात्यायनी आरती की PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं

यह रहा उसका लिंक: कात्यायनी माता की आरती PDF

ऊपर आपको लाल रंग में कात्यायनी माता की आरती की पीडीएफ फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।

कात्यायनी माता की आरती का महत्व

माँ दुर्गा ने जिस रूप में महिषासुर राक्षस का वध कर धर्म की रक्षा की थी वे कात्यायनी ही थी। एक तरह से कहा जाए तो कात्यायनी माता का प्राकट्य ही दैत्य महिषासुर का वध करने के लिए हुआ था। ऐसे में माँ का यह रूप भक्तों को अभय प्रदान करने वाला तथा असुरों का नाश करने वाला होता है। कात्यायनी माता की आरती के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया गया है।

कात्यायनी माता आरती (Katyayani Mata Aarti) के माध्यम से माता कात्यायनी के गुणों, शक्तियों, कर्मों, महत्व व उद्देश्य के बारे में जानकारी दी गयी है और साथ के साथ उनकी आराधना भी की गयी है। इस तरह से मां कात्यायनी आरती के माध्यम से हमें उनके बारे में ज्ञान भी हो जाता है और हम उनकी पूजा भी कर लेते हैं। यही माँ कात्यायनी आरती का महत्व होता है।

कात्यायनी आरती के लाभ

जो व्यक्ति सच्चे मन के साथ प्रतिदिन कात्यायनी माता आरती का पाठ करता है और उनका ध्यान करता है तो उसका आज्ञा चक्र मजबूत बनता है। आज्ञा चक्र के मजबूत बनने से व्यक्ति के अंदर ध्यान केन्द्रित करने की क्षमता विकसित होती है जिस कारण वह चीज़ों को बेहतर तरीके से करने में सक्षम हो जाता है। इससे वह अपने कार्य को तेजी व कुशलता के साथ पूरा करने में सक्षम बनता है।

इसी के साथ ही जो कन्याएं विवाह योग्य हो गयी हैं और अपने लिए सुयोग्य वर की खोज में हैं तो उन्हें तो नित्य रूप से सुबह के समय मां कात्यायनी की आरती करनी चाहिए। कात्यायनी माता के प्रसन्न हो जाने से विवाह में आ रही हर बाधा दूर हो जाती है तथा एक अच्छे वर की प्राप्ति होती है। यही कात्यायनी आरती के लाभ होते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने कात्यायनी माता की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Katyayani Mata Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने मां कात्यायनी आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आपको कात्यायनी माता की आरती PDF फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

कात्यायनी आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: कात्यायनी का मंत्र क्या है?

उत्तर: कात्यायनी का मंत्र “चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥” है जिसका जाप आपको मुख्य रूप से नवरात्र के छठे दिन करना चाहिए।

प्रश्न: शीघ्र विवाह के लिए कैसे करें मां कात्यायनी की पूजा?

उत्तर: यदि आप अपना विवाह शीघ्र अतिशीघ्र करवाना चाहते हैं तो आपको प्रतिदिन कात्यायनी माता के चित्र या मूर्ति के सामने उनकी आरती व स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। साथ ही उन्हें शहद का भोग लगाना चाहिए।

प्रश्न: मां कात्यायनी को क्या चढ़ाया जाता है?

उत्तर: मां कात्यायनी को चंदन, कुमकुम व चावल चढ़ाया जाता है। इसी के साथ ही मां कात्यायनी को शहद अत्यधिक प्रिय होता है जिस कारण भक्तगण उन्हें शहद का भोग भी लगाते हैं।

प्रश्न: कात्यायनी किसका प्रतीक है?

उत्तर: कात्यायनी माता भक्तों को अभय प्रदान करने का प्रतीक हैं। वे दुष्टों का नाश कर भक्तों को अभय प्रदान करती हैं और साथ ही विवाह में आ रही बाधाओं को दूर कर देती हैं।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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