मां सिद्धिदात्री आरती (Maa Siddhidatri Aarti)

Siddhidatri Mata Ki Aarti

सिद्धिदात्री माता की आरती (Siddhidatri Mata Ki Aarti) – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

हम हर वर्ष नवरात्र का पावन त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। नवरात्र नौ दिवस का पर्व है जिसमें हर दिन मातारानी के भिन्न रूप की पूजा की जाती है जिन्हें हम नवदुर्गा के नाम से जानते हैं। इसमें मातारानी का हरेक रूप अपने भिन्न गुणों व शक्तियों के कारण पूजनीय है। सिद्धिदात्री माता नवदुर्गा का नौवां रूप है जो सिद्धि का परिचायक है। ऐसे में आज हम आपके साथ सिद्धिदात्री माता की आरती का पाठ (Siddhidatri Mata Ki Aarti) करने जा रहे हैं।

इस लेख में आपको मां सिद्धिदात्री आरती (Maa Siddhidatri Aarti) के साथ-साथ उसका हिंदी अर्थ भी जानने को मिलेगा। इससे आप सिद्धिदात्री माता आरती का भावार्थ (Siddhidatri Mata Aarti) भी समझ पाएंगे। अंत में हम आपके साथ माँ सिद्धिदात्री की आरती के लाभ व महत्व भी सांझा करेंगे। तो आइये सबसे पहले पढ़ते हैं माता सिद्धिदात्री की आरती।

सिद्धिदात्री माता की आरती (Siddhidatri Mata Ki Aarti)

जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है॥

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली॥

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥

सिद्धिदात्री माता आरती (Siddhidatri Mata Aarti) – अर्थ सहित

जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥

सिद्धिदात्री माता की जय हो। वे ही हमें आठों तरह की सिद्धियाँ प्रदान कर हमारा उद्धार करती हैं। सिद्धिदात्री माँ अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और अपने सेवकों की माता हैं। सिद्धिदात्री माता का नाम लेते ही हमें सिद्धियाँ मिल जाती है। उनका नाम लेने से हमारा मन भी शुद्ध हो जाता है और उसमे सकारात्मक विचार आते हैं।

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है॥

यदि कोई कार्य दिखने में कठिन लग रहा है तो वह भी सिद्धिदात्री माँ की कृपा से बन जाता है। वे अपने भक्तों पर कृपा कर उनके बिगड़े काम भी बना देती हैं। हम बिना कोई चिंता किये सिद्धिदात्री माता की पूजा कर सकते हैं। वे ही माँ जगदंबा का रूप हैं जो सभी सिद्धियाँ प्रदान करती हैं।

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥

जो भक्तगण रविवार के दिन अपने घर में सिद्धिदात्री माता की मूर्ति रखकर सच्चे मन के साथ उनका ध्यान करते हैं और सिद्धिदात्री माता की आरती करते हैं, माँ उनके सभी काम बना देती हैं। उनका कोई भी काम अधूरा नहीं रहता है व सभी काम पूर्ण हो जाते हैं।

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली॥

माँ सिद्धिदात्री ही महामाया का रूप हैं जो हम पर दया दिखाती हैं। वे अपने भक्तों पर ममता की छांव करती हैं और उनका उद्धार कर देती हैं। वे ही हमें सभी तरह की सिद्धियाँ प्रदान कर हमारा भाग्य बना देती हैं। जो भी मातारानी के द्वार पर याचना करता है, माँ उसका कल्याण कर देती हैं।

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥

मां सिद्धिदात्री का मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य में महानंदा के नाम से है जो भक्तों के बीच लोकप्रिय है। हे मां सिद्धिदात्री!! मुझे केवल आपका ही सहारा है और अब आप ही अपने इस भक्त का कल्याण कर उद्धार कीजिये।

मां सिद्धिदात्री आरती (Maa Siddhidatri Aarti) – महत्व

नवदुर्गा में माँ ने अपने नौ गुणों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नौ अलग-अलग रूपों को प्रकट किया था जिसमें से माँ सिद्धिदात्री का यह रूप अंतिम अर्थात नौवां रूप है। इस रूप में माँ भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं और इसी कारण इनका नाम भी सिद्धिदात्री रखा गया है। माँ के हर रूप का अपना अलग महत्व है किन्तु सिद्धियाँ पाने के बाद व्यक्ति को किसी और चीज़ की अभिलाषा नहीं रह जाती है। ऐसे में यह रूप अत्यधिक महत्व वाला है।

सिद्धिदात्री माता की आरती के माध्यम से सिद्धिदात्री माता के गुणों, शक्तियों, महत्व, उद्देश्य तथा कर्मों के ऊपर प्रकाश डाला गया है और साथ के साथ उनकी आराधना भी की गयी है। ऐसे में मां सिद्धिदात्री आरती के माध्यम से हमें माता के इस स्वरुप का ज्ञान भी हो जाता है और उनकी पूजा भी हो जाती है। यही सिद्धिदात्री माता आरती का महत्व होता है।

माँ सिद्धिदात्री की आरती (Maa Siddhidatri Ki Aarti) – लाभ

अब यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन के साथ सिद्धिदात्री आरती का पाठ करते हैं और मन ही मन माँ का ध्यान करते हैं तो इसके अभूतपूर्व लाभ देखने को मिलते हैं। सबसे प्रमुख लाभ तो यही है कि माँ हमें सभी तरह की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। अब यदि सिद्धिदात्री माता आपकी भक्ति से प्रसन्न हो जाती हैं तो उनके द्वारा आपको सभी आठों सिद्धियाँ दे दी जाती है जिससे आपका उद्धार हो जाता है।

सभी सिद्धियाँ प्राप्त करने के बाद व्यक्ति को किसी और चीज़ की आकांक्षा नहीं रह जाती है और उसके लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। इसी के साथ ही यदि हम प्रतिदिन सिद्धिदात्री माता की आरती करते हैं तो हम अपने मन को नियंत्रण में करना सीख जाते हैं और सांसारिक मोहमाया से दूर हो जाते हैं। यही मां सिद्धिदात्री की आरती के लाभ होते हैं।

सिद्धिदात्री आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: मां सिद्धिदात्री की पूजा कैसे करते हैं?

उत्तर: यदि आपको मां सिद्धिदात्री की पूजा करनी है तो मुख्य रूप से नवरात्र के अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर उनके बीज मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए और साथ ही सिद्धिदात्री आरती व स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

प्रश्न: सिद्धिदात्री का मंत्र क्या है?

उत्तर: सिद्धिदात्री का मंत्र “सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥” है जिसका आप नवरात्र के अंतिम दिन जाप कर सकते हैं।

प्रश्न: मां सिद्धिदात्री को क्या पसंद है?

उत्तर: माँ सिद्धिदात्री को सबसे ज्यादा तिल पसंद आता है। ऐसे में आप उनके लिए तिल के लड्डू बना सकते हैं या तिल का हलवा बनाकर भी मां सिद्धिदात्री को भोग लगाया जा सकता है।

प्रश्न: मां सिद्धिदात्री का भोग क्या है?

उत्तर: सिद्धिदात्री माता को मुख्य तौर पर तिल का भोग लगाया जाता है। नवरात्र के अंतिम दिन इनकी पूजा किये जाने पर इन्हें नारियल, हलवा व पंचामृत का भोग भी लगाया जा सकता है।

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

Recommended For You

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *