Devriya Tal: देवरिया ताल का ट्रेक है अद्भुत व रोमांच से भरपूर

Deoria Tal Trek

देवरिया ताल (Devriya Tal) उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के पहाड़ों के बीच में स्थित एक सुंदर झील है। यह झील जितनी अपने धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, उतनी ही यह सैलानियों के बीच भी आकर्षण का मुख्य केंद्र है। इसी कारण हर वर्ष लाखों लोग Deoria Tal Trek पर आते हैं। इसी झील के पास में पंच केदार में से एक तुंगनाथ शिव मंदिर भी स्थित है जहाँ ट्रेक करके पहुंचा जा सकता है।

ऐसे में यदि आप भी देवरिया ताल जाने का सोच रहे हैं तो आपको देवरिया ताल चंद्रशिला ट्रेक (Deoriatal Chandrashila Trek) पर जाना चाहिए। वह इसलिए क्योंकि देवरिया ताल तो केवल एक दिन में ही हो जाएगा जबकि असली नजारा तो आपको और ऊपर पहुँच कर दिखाई देगा। ऐसे में हम आपको Devriya Tal और उसके आसपास की सभी जगह और वहां तक पहुँचने के रास्ते के बारे में जानकारी देने वाले हैं।

Deoria Tal Trek | देवरिया ताल ट्रेक की संपूर्ण जानकारी

इस झील का मुख्य आकर्षण इसके पानी में बनते आसपास के पहाड़ों की चोटियों के प्रतिबिंब हैं। मुख्य तौर पर इसे देखने ही दूर-दूर से सैलानी यहाँ आते हैं। इसके साथ ही इसका संबंध देवताओं व महाभारत काल से भी है। पांडवों के द्वारा अपने वनवास काल का कुछ समय यहीं बिताया गया था जहाँ यक्ष ने उनसे प्रश्न पूछे थे। वहीं देवताओं के बीच भी यह झील बहुत लोकप्रिय है।

ऐसे में आज आपके लिए Devariya Taal के ट्रेक के साथ-साथ उसका इतिहास व उसके पीछे क्या कुछ कहानियां व मान्यता जुड़ी हुई है, उसके बारे में भी जानना जरुरी है। तो अब हम एक-एक करके देवरिया ताल झील के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।

देवरिया ताल का इतिहास

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि इसका संबंध देवताओं से भी रहा है और महाभारत में पांडवों के वनवास काल से भी। ऐसे में आइये देवरिया ताल के इतिहास (Deoria Tal History In Hindi) की दोनों कथाओं के बारे में जान लिया जाए।

  • इंद्र सरोवर व देवरिया ताल

सनातन धर्म के अनुसार स्वर्ग लोक में देवी-देवता निवास करते हैं तथा वे समय-समय पर पृथ्वी की यात्रा पर आया करते हैं। मान्यता है कि इंद्र देव व बाकि देवता इसी देवरिया ताल झील में स्नान किया करते थे। इसी कारण इसका नाम देवों की झील देवरिया ताल पड़ा। इसी के साथ इसका दूसरा नाम इंद्र सरोवर भी है अर्थात देव इंद्र के स्नान करने का सरोवर।

  • देवरिया ताल का महाभारत से संबंध

पांडवों को द्यूत खेल के बाद 13 वर्ष का वनवास काल मिला था। तब वनवास काल में यक्ष के द्वारा पाँचों पांडवों से पूछे जाने वाले प्रश्न की कथा तो हम सभी ने सुनी होगी। उसी कथा का संबंध इस झील से है। मान्यता है कि यक्ष ने पाँचों पांडवों से प्रश्न इसी झील के पास पूछे थे। एक अलग मान्यता के अनुसार यक्ष ने पांडवों से प्रश्न पाकिस्तान के कटासराज मंदिर के सरोवर में पूछे थे।

Devriya Tal के निर्माण के लिए भी पांडवों का योगदान बताया गया है। एक अलग मान्यता के अनुसार, जब पांडवों को प्यास लगी थी तब भीम ने अपनी शक्ति से देवरिया ताल झील का निर्माण किया था जिससे सभी पांडवों की प्यास बुझी थी। इसी के साथ यक्ष भी इसी झील में निवास करते हैं, ऐसी मान्यता भी प्रचलित है।

देवरिया ताल कहां है?

यह झील उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में उखीमठ के पास सरी गाँव से 2 से 3 किलोमीटर ऊपर स्थित है। समुंद्र तल से इसकी ऊंचाई 2,438 मीटर (8,000 फीट) है। सबसे पहले आपको सरी गाँव पहुंचना पड़ेगा जो तुंगनाथ जाते समय चोपता के रास्ते में पड़ता है। इस गाँव से 2 से 3 किलोमीटर ऊपर ट्रेक करके इस सुंदर झील तक पहुंचा जा सकता है।

Tungnath Temple In Hindi
Tungnath Temple In Hindi

कुछ लोग चोपता से तुंगनाथ मंदिर का ट्रेक (Deoria Tal Tungnath Trek) करते हैं तो कुछ देवरिया ताल झील से भी वहां पहुँचते हैं। चोपता से तुंगनाथ का ट्रेक छोटा है तो वहीं देवरिया ताल से इसे करने में 3 से 4 दिन का समय लग जाता है। देवरिया ताल से तुंगनाथ के ट्रेक का इस्तेमाल मुख्यतया ट्रेवल व ट्रैकिंग कंपनियों के द्वारा किया जाता है।

देवरिया ताल सरोवर की सुंदरता

Devriya Tal की सुंदरता ही है जो हर वर्ष हजारों सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसके आसपास घने जंगल, असंख्य वृक्ष, रंग-बिरंगे पुष्प व पशु-पक्षी देखने को मिलते हैं। इसे उत्तराखंड का बुग्याल क्षेत्र भी कहा जाता है अर्थात मखमली घास का मैदान।

झील का पानी एक दम साफ है जिसमें आसपास के पहाड़ों की चोटियों के प्रतिबिंब स्पष्ट रूप से दिखते हैं। यही इसके आकर्षण को सबसे अद्भुत बनाते हैं। जिस चोटी का प्रतिबिम्ब देवरिया ताल में मुख्य रूप से बनता है वह है चौखम्भा की बर्फ से ढकी चोटियाँ। इसके अलावा यहाँ नीलकंठ, केदारनाथ, कालानाग, बंदरपूँछ इत्यादि चोटियों के प्रतिबिम्ब भी देखने को मिलते हैं।

देवरिया ताल चंद्रशिला ट्रेक (Deoriatal Chandrashila Trek)

यहाँ का ट्रेक भी बहुत आसान और सुगम है जहाँ आप अपने परिवारवालों के साथ भी आ सकते हैं। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि सबसे पहले आप देवरिया ताल के सबसे पास में स्थित सरी गाँव पहुँच जाएं क्योंकि यहीं से झील का सबसे छोटा और मुख्य ट्रेक शुरू होता है।

यहाँ से देवरिया झील बस 2 से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जिसे पूरा करने में लगभग 1 से 2 घंटे का समय लगता है। ट्रेक ज्यादा मुश्किल भी नही है और रास्ते में आप घने जंगलों से होते हुए निकलते हैं जहाँ सुगंधित पुष्प व कई तरह के पक्षियों के चहचहाने की आवाज़ सुनने को मिलेगी। यह सब आपके ट्रेक को और भी मनोहर बना देंगे।

Chandrashila Trek In Hindi
Chandrashila Trek In Hindi

Deoria Tal Trek आप चाहे बिना किसी गाइड या ट्रेवल कंपनी की सहायता के भी पूरा कर सकते हैं लेकिन यहाँ आने वाले लोग तुंगनाथ मंदिर भी होकर आते हैं। साथ ही तुंगनाथ मंदिर से ऊपर स्थित चंद्रशिला पहाड़ी भी सैलानियों के बीच आकर्षण का मुख्य केंद्र है।

इसलिए यदि आप देवरिया ताल के साथ-साथ तुंगनाथ मंदिर व चंद्रशिला पीक भी जाना चाहते हैं तो ट्रेवल या ट्रैकिंग कंपनी के द्वारा पैकेज भी बुक करवाया जा सकता है। हालाँकि तुंगनाथ व चंद्रशिला का ट्रेक चोपता से भी किया जा सकता है जो कि बस एक दिन का ही ट्रेक है।

देवरिया ताल में कहां रुकें?

यहाँ पर रुकने के लिए आपको ट्रेवल कंपनी के द्वारा बुकिंग करवानी पड़ेगी लेकिन हम आपको सलाह देंगे कि यदि आप ट्रेवल पैकेज बुक किये बिना यहाँ आ रहे हैं तो अपना कैंप व खाना साथ लेकर आएं क्योंकि ज्यादातर कैंप ट्रेवल कंपनियों के द्वारा पहले से बुक किये गए लोगों को ही दिए जाते हैं।

इसके अलावा आप Devriya Tal घूमकर वापस नीचे सरी गाँव में आ सकते हैं। यहाँ स्थानीय लोगों के द्वारा किराया लेकर होमस्टे की सुविधा भी दी जाती है। इसके अलावा आप वापस उखीमठ जा सकते हैं जहाँ आपको सरकारी विश्रामगृह, बड़े होटल, हॉस्टल, लॉज इत्यादि सभी सुविधाएँ आसानी से मिल जाएँगी।

देवरिया ताल कब जाएं?

देवरिया ताल सैलानियों के लिए 12 महीने खुला रहता है। इसलिए आपको जो भी मौसम पसंद हो उस समय यहाँ जा सकते हैं। मुख्यतया लोग मई से नवंबर के बीच में यहाँ जाते हैं क्योंकि उस समय हल्की ठंड पड़ती है और तुंगनाथ मंदिर भी खुला रहता है जो कि दीपावली के बाद बंद हो जाता है।

Tungnath Mahadev Mandir
Tungnath Mahadev Mandir

यदि आप बर्फबारी का मजा लेना चाहते हैं तो दिसंबर से फरवरी के महीने में आया जा सकता है। इस दौरान यहाँ भीषण बर्फबारी होती है और लगभग 10-10 फुट तक बर्फ जम जाती है। इस समय सरी गाँव से चोपता तक का रास्ता भी बंद हो जाता है जिस कारण तुंगनाथ मंदिर भी बंद हो जाता है। हालाँकि सरी गाँव से Devariya Taal होते हुए तुंगनाथ मंदिर और फिर चंद्रशिला पहाड़ी पहुंचा जा सकता है क्योंकि यह रास्ता वर्षभर खुला रहता है।

देवरिया ताल कैसे पहुंचें?

यहाँ पहुँचने के लिए आप उत्तराखंड राज्य के तीन बड़े शहरों हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून कहीं भी आ जाएं क्योंकि उससे आगे की यात्रा बस, टैक्सी या निजी वाहन से ही करनी पड़ेगी। फिर वहां से आपको स्थानीय बस या टैक्सी की सहायता से उखीमठ पहुँचना पड़ेगा। इसके बाद मस्तुरा गाँव होते हुए सरी गाँव पहुँच जाएं और ट्रेक शुरू कर दीजिए।

अब बात आती है Devariya Taal के सबसे पास का हवाईअड्डा या रेलवे स्टेशन कौन सा है। आइए इसके बारे में भी जाने:

  • हवाई मार्ग से देवरिया ताल कैसे जाएं: यदि आप हवाई जहाज से देवरिया ताल जाना चाहते हैं तो सरी गाँव के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून का ग्रांट जॉली हवाई अड्डा है। वहां से आगे के लिए स्थानीय बस या टैक्सी करनी पड़ेगी।
  • रेल मार्ग से देवरिया ताल कैसे जाएं: यदि आप सभी भारतीयों की पसंदीदा रेलगाड़ी से देवरिया ताल जा रहे हैं तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश का है। यहाँ से आगे बस या टैक्सी की सहायता से सरी गाँव पहुंचना पड़ेगा।
  • सड़क मार्ग से देवरिया ताल कैसे जाएं: वर्तमान समय में उत्तराखंड राज्य का लगभग हर शहर व कस्बा बसों के द्वारा सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हालाँकि कुछ जगहों पर बस सीधी नही जाती, इसलिए वहां से आपको बस बदलनी पड़ सकती है। आपको दिल्ली, चंडीगढ़, जयपुर इत्यादि से ऋषिकेश तक की सीधी बस आसानी से मिल जाएगी। फिर वहां से आप आगे के लिए स्थानीय बस या टैक्सी कर सकते हैं।

आप चाहे जहाँ से भी आएं लेकिन आपको ऋषिकेश या देहरादून से सरी गांव बस या टैक्सी से ही पहुंचना होगा सरी गांव से ही Deoria Tal Trek शुरू होता है जिसे करने में कुछ घंटों का समय लगता है

देवरिया ताल के आसपास घूमने की जगह

यदि आप Devariya Taal घूमने जाने का सोच रहे हैं तो केवल वहीं मत जाइए। कहने का अर्थ यह हुआ कि लोग केवल देवरिया ताल ही नहीं जाते हैं बल्कि उसी के साथ ही उनके द्वारा तुंगनाथ मंदिर और चंद्रशिला के भी दर्शन किये जाते हैं। इसके अलावा आप कुछ और जगह भी घूम सकते हैं जो देवरिया ताल झील के आसपास ही स्थित है।

देवरिया ताल ट्रैकिंग के लिए टिप्स

  • यहाँ वर्षभर ठंडा मौसम रहता है। इसलिए गर्म कपड़े हमेशा साथ लेकर चलें।
  • ट्रैकिंग करने के लिए ट्रैकिंग वाले जूते व एक छड़ी भी साथ में रखेंगे तो पहाड़ों पर चढ़ने में आसानी होगी।
  • होटल इत्यादि की बुकिंग पहले ही करवा कर रखें।
  • बारिश के मौसम में यहाँ आने से बचें।
  • यहाँ पर मोबाइल सिग्नल भी बहुत कम ही मिलते हैं।
  • सर्दियों में तुंगनाथ मंदिर छह माह के लिए (नवंबर से अप्रैल) बंद हो जाता है।

इस तरह से आज आपने देवरिया ताल ट्रेक (Deoria Tal Trek) के बारे में पूरी जानकारी ले ली है। इसका धार्मिक महत्व तो है ही लेकिन अपनी सुंदरता व रोमांच के कारण यह ट्रेक करने वालों के बीच भी बहुत लोकप्रिय है।

देवरिया ताल से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: देवरिया ताल कौन से जिले में है?

उत्तर: देवरिया ताल रुद्रप्रयाग जिले में है जो उत्तराखंड राज्य में है

प्रश्न: देवरिया ताल क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर: देवरिया ताल का संबंध देवताओं और पांडवों से है साथ ही यह अपनी सुंदरता और ट्रेक के कारण प्रसिद्ध है

प्रश्न: देवरिया का पुराना नाम क्या है?

उत्तर: देवरिया का पुराना नाम देवरिया ताल है या फिर इसे इंद्र सरोवर के नाम से भी जाना जाता है

प्रश्न: मैं देवरियाताल कैसे पहुंचूं?

उत्तर: यदि आप देवरियाताल पहुंचना चाहते हैं तो उसके लिए सबसे पास का रेलवे स्टेशन ऋषिकेश व हवाई अड्डा देहरादून का है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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