आज हम दिवाली का इतिहास (Diwali History In Hindi) जानेंगे। हर वर्ष हम दिवाली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। इस दिन भगवान श्रीराम का 14 वर्ष के वनवास के पश्चात पुनः अयोध्या आगमन हुआ था। उसी उपलक्ष्य में हम भगवान श्रीराम के प्रति अपने सम्मान को प्रकट करने तथा उनके आदर्शो को अपने जीवन में अपनाने के लिए दीपावली का त्यौहार मनाते हैं।
किंतु क्या आप जानते हैं कि इस दिन कुछ और भी घटनाएँ घटित हुई थी जो इस पर्व को और भी प्रमुख बना देती हैं। यहीं घटनाएँ दीपावली का इतिहास (Deepavali History In Hindi) वृहद बनाने का काम करती है। आइए जानते हैं दिवाली के इतिहास के बारे में।
क्या आपने कभी सोचा है कि दिवाली का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में इतने धूमधाम के साथ क्यों मनाया जाता है? फिर चाहे उत्तर भारत हो या दक्षिण भारत, पूर्वी भारत हो या पश्चिम या मध्य भारत, हर जगह दिवाली की धूम देखने को मिलती है। इतना ही नहीं, दिवाली का त्यौहार तो हिन्दू धर्म के लोगों के साथ-साथ जैन, बौद्ध व सिख धर्म के लोग भी मनाते हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि दीपावली का इतिहास इन सभी से जुड़ा हुआ है। यहाँ तक कि विदेशों में भी इस पर्व की धूम है। ऐसे में आज हम आपके साथ कुल 10 घटनाओं को साझा करेंगे जो दिवाली के इतिहास को दिखाने का काम करती है।
सतयुग में समुंद्र मंथन के समय कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी प्रकट हुई थी। उस दिन को हम शरद पूर्णिमा के नाम से मनाते हैं जो दीपावली से कुछ दिन पहले आती है। मान्यता हैं कि अपने प्रकट होने के कुछ दिनों के पश्चात दिवाली के ही दिन माँ लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को अपने पति रूप में स्वीकार किया था।
क्या आपने ध्यान दिया कि दिवाली के दिन भगवान श्रीराम की बजाए माता लक्ष्मी की पूजा मुख्य रूप से की जाती हैं। इसका कारण हैं कि इस दिन माता लक्ष्मी अपने वैकुंठ धाम से मृत्यु लोक पर भ्रमण करने के लिए आती हैं तथा अपने भक्तो के घरो में प्रवेश करती हैं। इसलिये इस दिन सभी लोग अपने घरो को रात भर रोशन करके रखते हैं व अपने द्वार खुले रखते हैं।
दिवाली का इतिहास (Diwali History In Hindi) हमें कहानियों के माध्यम से कई तरह की शिक्षा देकर जाता है। दरअसल दिवाली पर माँ लक्ष्मी के साथ-साथ माँ सरस्वती व भगवान गणेश की भी आराधना की जाती हैं लेकिन क्यों। इसके पीछे मान्यता हैं कि जिस व्यक्ति के पास धन हैं लेकिन विद्या व बुद्धि नही हैं तो वह कभी भी उस धन का सदुपयोग नही कर पाएगा जिस कारण वह धन उसके हाथ से निकल जाएगा। इसलिये इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी के साथ विद्या की देवी माँ सरस्वती व बुद्धि के देवता भगवान गणेश की पूजा भी की जाती हैं।
जैन धर्म के अनुसार इसी दिन उनके अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी जी को निर्वाण/ मोक्ष की प्राप्ति हुई थी तथा वे माता लक्ष्मी में विलीन हो गए थे। महावीर स्वामी ने अपने शरीर का त्याग करने से पहले अपने प्रमुख शिष्य गणधर गौतम स्वामी को कैवल्य ज्ञान दिया था जो माँ सरस्वती का प्रतीक हैं। इस कारण जैन धर्म के लोग भी इस दिन माँ लक्ष्मी व माँ सरस्वती की पूजा करते हैं।
बुद्ध धर्म के अनुयायियों के अनुसार इसी दिन भारत के सम्राट अशोक ने हिंदू धर्म का त्याग कर बौद्ध धर्म को अपना लिया था तथा देश-विदेश में बौद्ध धर्म का प्रचार किया था। सम्राट अशोक के कारण ही बौद्ध धर्म को इतना फैलने में सहायता मिली थी। इसलिये आज के दिन को वे इस उपलक्ष्य में मनाते हैं। हालाँकि यह बात असत्य हैं कि बौद्ध धर्म को अपनाने के पश्चात सम्राट अशोक अहिंसावादी हो गए थे।
दीपावली का इतिहास (Deepavali History In Hindi) सिख धर्म से भी जुड़ा हुआ है। सिख धर्म के लोग इस दिन को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन सिख धर्म के छठे गुरु गुरु हरगोविंद सिंह जी को मुगल आक्रांता जहाँगीर ने ग्वालियर के कारावास से मुक्त कर दिया था। मुक्त होने के पश्चात वे अमृतसर के स्वर्ण मंदिर गए थे जहाँ उनका असंख्य दीपक प्रज्जवलित कर स्वागत किया गया था।
भारत के पड़ोसी देश नेपाल में दीपावली के साथ तिहार पर्व मनाया जाता हैं जो दीपावली की ही भांति पांच दिनों का पर्व होता हैं। इसे क्रमशः काग तिहार/ कौवे पक्षी की पूजा, कुकुर तिहार/ कुत्ते पशु की पूजा, गाय तिहार/ गाय माता की पूजा/ लक्ष्मी पूजा, बैल पूजा/ गोवर्धन पूजा व अंतिम दिन भाई टिका/ भाई दूज के रूप मे मनाया जाता हैं। इसे नेपाल में स्वंती के नाम से भी जाना जाता है।
बौद्ध धर्म से ही जुड़ी एक अन्य मान्यता भी दिवाली के पर्व से जुड़ी हुई है। कहते हैं कि इसी दिन गौतम बुद्ध 18 वर्षो के पश्चात अपनी नगरी कपिलवस्तु वापस आए थे जहाँ उनका दीपक जलाकर स्वागत किया गया था।
सिख धर्म के तीसरे गुरु गुरु अमरदास जी ने दिवाली के दिन ही चौरासी सीढ़ियों के सरोवर का निर्माण करवाया था तथा सभी सिखों को आदेश दिया था कि वे सद्भावना दिखाते हुए हर वर्ष बैसाखी व दिवाली के दिन इस सरोवर में स्नान करे।
इसी दिन 1738 ईसवीं में भाई मणि सिंह जी की मुगलों के द्वारा हत्या कर दी गयी थी। उन्हें दिवाली मनाने के कारण बंदी बनाया गया था तथा इसके लिए जुर्माना भरने को कहा गया जिसके लिए उन्होंने मना कर दिया। इसके बाद उन्हें इस्लाम कबूल करने को कहा गया तो उसके लिए भी उन्होंने मना कर दिया। तब मुगल सैनिको ने उनकी हत्या कर दी थी।
इस तरह से यह दस घटनाएँ दिवाली का इतिहास (Diwali History In Hindi) दर्शाती है। यहीं कारण है कि इसे हिन्दू धर्म के अनुयायियों के साथ-साथ जैन, बौद्ध व सिख धर्म के लोग भी मनाते हैं।
दिवाली के इतिहास से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: दिवाली की शुरुआत कैसे हुई?
उत्तर: दिवाली की शुरुआत त्रेता युग में हुई थी जब प्रभु श्रीराम पुनः अपनी नगरी अयोध्या को लौट आए थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने करोड़ों दीपक प्रज्ज्वलित किए थे।
प्रश्न: दीपावली क्यों मनाया जाता है इतिहास?
उत्तर: दीपावली एक नहीं बल्कि कई घटनाओं के कारण मनाई जाती है। दीपावली के इतिहास से जुड़ी 10 प्रमुख घटनाओं को हमने इस लेख में विस्तार से बताया है।
प्रश्न: क्या भारतीय मुसलमान दिवाली मनाते हैं?
उत्तर: मुसलमान चाहे भारत देश का हो या अन्य किसी देश का, उनके मजहब के अनुसार किसी अन्य धर्म का त्यौहार मनाना या अन्य धर्म के लोगों के साथ दोस्ती करना भी कुरान के विरुद्ध माना जाता है।
प्रश्न: क्या मुस्लिम दिवाली मनाते हैं?
उत्तर: नहीं, मुस्लिम दिवाली मनाते हैं। दिवाली को हिन्दू, जैन, बौद्ध व सिख धर्म के अनुयायी मिल-जुलकर मनाते हैं। मुसलमान केवल अपने त्यौहार मनाना पसंद करते हैं।
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