दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa): विश्व में सनातन धर्म के अलावा कोई अन्य ऐसा धर्म नहीं है जहाँ ईश्वरीय शक्ति के रूप में नारीत्व की पूजा की जाती हो। सनातन धर्म में तो माँ आदिशक्ति जिन्हें हम माँ दुर्गा के नाम से भी जानते हैं, वह ईश्वर के लिए भी पूजनीय है। श्रीराम जब रावण के साथ अंतिम युद्ध पर जा रहे थे, तब उन्होंने माँ दुर्गा का ही ध्यान किया था।
यही कारण है कि सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए मां दुर्गा चालीसा का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। आज के इस लेख में हम आपको दुर्गा चालीसा लिखित में तो देंगे ही बल्कि उसी के साथ ही दुर्गा चालीसा PDF (Durga Chalisa PDF) फाइल और दुर्गा चालीसा इमेज भी दी जाएगी। इसे आप अपने मोबाइल या लैपटॉप में सेव करके रख सकते हैं। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं श्री दुर्गा चालीसा लिखित में।
Durga Chalisa | दुर्गा चालीसा
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥
निराकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महा विशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लय कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूरना हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलय काल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिव शंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावैं।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावैं॥
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरा रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़ कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रहलाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिंधु में करत विलासा।
दयासिंधु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी धूमावती माता।
भुवनेश्वरि बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
क्षिन्न लाल भवदुख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोहे भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड़ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥
सोहे अस्त्र और त्रिसूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहूँ लोक में डंका बाजत॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल काली को धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमर पुरी औरों सब लोका।
तब महिमा सब रहे अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजैं नर नारी॥
प्रेम भक्ति से जो जस गावै।
दुःख दारिद्र निकट नहीं आवै॥
ध्यावें तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म मरण ताको छुट जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनों।
काम क्रोध जीति सब लीनों॥
निशि दिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप को मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछतायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जै जै जै जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावै।
रिपु मूरख मोहि अति डर पावै॥
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि सिद्धि दे करहु निहाला॥
जब लगि जियौं दया फल पाऊँ।
तुम्हरो जस मैं सदा सुनाऊँ॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परम पद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
दुर्गा चालीसा इमेज | Durga Chalisa Image
यह रही दुर्गा चालीसा की इमेज:
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दुर्गा चालीसा PDF | Durga Chalisa PDF
अब हम दुर्गा चालीसा की PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: दुर्गा चालीसा PDF
ऊपर आपको लाल रंग में दुर्गा चालीसा PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
निष्कर्ष
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने दुर्गा चालीसा लिखित में (Durga Chalisa) पढ़ ली है। साथ ही हमने आपको दुर्गा चालीसा PDF फाइल और इमेज भी उपलब्ध करवा दी है। यदि आपको इमेज या पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या होती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।
दुर्गा चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: दुर्गा चालीसा कैसे पढ़ते हैं?
उत्तर: यदि आपको दुर्गा चालीसा का पाठ करना है तो उसके लिए स्नान करने के पश्चात, स्वच्छ जगह पर निर्मल मन से माँ दुर्गा का ध्यान कर, उसका पाठ शुरू करें।
प्रश्न: दुर्गा चालीसा कब पढ़ना है?
उत्तर: वैसे तो आप दिन में किसी भी समय दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं लेकिन इसका सबसे उचित समय सुबह-सुबह स्नान करने के बाद होता है।
प्रश्न: दुर्गा चालीसा पढ़ने से क्या होता है?
उत्तर: दुर्गा चालीसा पढ़ने से आपके मन को एक नयी चेतना मिलती है तथा शरीर में भी ऊर्जा आती है जिससे आपके सभी कार्य बनने लग जाते हैं।
प्रश्न: दुर्गा चालीसा के लेखक कौन है?
उत्तर: दुर्गा चालीसा के लेखक श्री देवीदास जी हैं।
प्रश्न: क्या हम रात में दुर्गा चालीसा पढ़ सकते हैं?
उत्तर: आप दुर्गा माता का सच्चे मन से ध्यान कर किसी भी समय दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं चाहे वह रात्रिकाल ही क्यों ना हो लेकिन इसके लिए सबसे उचित समय सुबह का माना जाता है।
प्रश्न: हम दुर्गा चालीसा का जाप क्यों करते हैं?
उत्तर: हम दुर्गा चालीसा का जाप इसलिए करते हैं क्योंकि इससे ना केवल हमें माँ दुर्गा की महत्ता पता चलती है बल्कि उनकी कृपा दृष्टि भी हम पर होती है जिससे हमारा उद्धार हो जाता है।
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