गोवर्धन पूजा क्यों मनाया जाता है? जाने गोवर्धन पूजा विधि

गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja Ki Katha)

आज हम आपको गोवर्धन पूजा की कथा (Govardhan Puja Ki Katha) व उसका महत्व बताएँगे। दीपावली पांच दिनों का पर्व हैं जिसके चौथे दिन अर्थात कार्तिक मास की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है। इस पर्व का हमारी प्रकृति व स्वास्थ्य से विशेष संबंध है। मानव जीवन में प्रकृति के महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए इस पर्व का आयोजन किया जाता है।

उसी प्रकार पशुओं में सर्वश्रेष्ठ गाय माता की पूजा भी इसी दिन की जाती है। श्रीकृष्ण को गाय माता अत्यधिक प्रिय थी तथा इसी दिन उन्होंने देवराज इंद्र का मानभंग किया था। उसी उपलक्ष्य में हम गोवर्धन पूजा करते हैं व अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण करते है। ऐसे में आज हम आपको गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan Puja Vidhi) के बारे में भी बताएँगे। आइए इसके बारे में विस्तार से जाने।

गोवर्धन पूजा की कथा | Govardhan Puja Ki Katha

द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया तो उन्होंने अपने कार्यो से ना केवल मानव सभ्यता को संदेश दिया अपितु देवताओं को भी उचित मार्ग दिखाया। उस समय श्रीकृष्ण गोकुल में रहते थे तब गोकुलवासी कार्तिक मास की प्रतिपदा के दिन देव इंद्र का आभार प्रकट करते थे ताकि उनके यहाँ अच्छी वर्षा हो।

इस पर श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि यह इंद्र देव का कर्तव्य है तथा इसके लिए उन्हें प्रसन्न करने की आवश्यकता नही है। उन्होंने इंद्र देव की बजाए प्रकृति व गोकुल के सरंक्षक गोवर्धन पर्वत तथा अपना दूध देकर गोकुलवासियों की जीविका के लिए उत्तरदायी गाय माता की पूजा करने को कहा।

श्रीकृष्ण के कहेनुसार गोकुलवासियों ने ऐसा ही किया लेकिन इससे इंद्र देव रुष्ट हो गए व गोकुल में मूसलाधार वर्षा कर दी। तब श्रीकृष्ण ने सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी ऊँगली पर उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा की व देव इंद्र का मान भंग किया। तब से यह पर्व गोकुल से पूरे भारतवर्ष में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाने लगा।

गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan Puja Vidhi)

इस दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान आदि कर ले। उसके बाद नए वस्त्र धारण कर गाय माता की पूजा करे व उन्हें मिठाई खाने को दे। गाय के ताजे गोबर से अपने घर के आँगन में भगवान गोवर्धन की आकृति बनाए। चूँकि गोवर्धन एक पर्वत है लेकिन इनकी आकृति एक मानव रूप में भूमि पर लेटे हुए बनायी जाती है।

इस मानव आकृति की नाभि में दीया रख दे व आप चाहे तो आसपास प्रतीकात्मक रूप में श्रीकृष्ण व गोकुलवासियों की आकृति भी बना सकते है। शाम के समय सभी घर वाले इसकी पूजा करे व आशीर्वाद प्राप्त करे। पूजा करने के पश्चात इसकी प्रदक्षिणा भी करे व चावल इत्यादि का भोग लगाए।

गोवर्धन पूजा क्यों मनाया जाता है?

यह उत्सव हमे प्रकृति व पशुओं का सम्मान करने की प्रेरणा देता है। यह हमारी मानव सभ्यता को बताता है कि जिस प्रकार एक मानव इस विश्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ठीक उसी प्रकार अन्य पशु-पक्षियों का जीवन भी महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही माँ प्रकृति का सरंक्षण करना भी हमारा उत्तरदायित्व है क्योंकि उन्ही के कारण हम स्वस्थ व जीवित है।

इसलिये यह पर्व प्रकृति की ओर पास जाने व उसकी महत्ता दर्शाने वाला पर्व है जिसके प्रतीकात्मक रूप में हम गोवर्धन पर्वत की पूजा करते है। पशुओं के प्रति अपना आभार प्रकट करने के लिए हम गाय माता व अन्य पशुओं की पूजा करते है व उन्हें भोजन करवाते है।

अन्नकूट महोत्सव

इस दिन गोवर्धन पूजा के साथ-साथ सभी मंदिरों में अन्नकूट का प्रसाद बनाया जाता है तथा फिर उसे भक्तो में वितरित कर दिया जाता है। श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पूजा करके उन्हें अन्नकूट का प्रसाद अर्पित करने का आदेश दिया था जिसमे छप्पन भोग होता है। इसलिये सभी मंदिरों में भक्तो के लिए पूड़ी-सब्जी, हलवा, खीर, चावल, दलिया इत्यादि कई प्रकार के पकवान बनाए जाते है। फिर उनका भोग लगाने के पश्चात उसे भक्तो में वितरित कर दिया जाता है।

दिवाली की राम-राम

चूँकि यह त्यौहार दिवाली के अगले दिन आता हैं इसलिये इस दिन गोवर्धन पूजा व अन्नकूट उत्सव के साथ दीपावली की राम-राम भी की जाती है। इस दिन सभी लोग अपने सगे-संबंधियों व मित्रों के घर जाते है व दिवाली की राम-राम करके बड़ो से आशीर्वाद लेते है। इस दिन किसी न किसी का घर में आना-जाना लगा ही रहता है तथा हम भी अपने जानने वालो के घर जाकर दिवाली की बधाई देते है व खुशियाँ मनाते है।

इस तरह से आज आपने गोवर्धन पूजा की कथा (Govardhan Puja Ki Katha) और उसकी पूजा विधि के बारे में जान लिया है। इसके साथ ही हमने आपको अन्नकूट महोत्सव और दिवाली की राम राम के बारे में भी जानकारी दे दी है।

गोवर्धन पूजा से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है?

उत्तर: इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र देव का मां भंग करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक ऊँगली पर उठा लिया था इसके माध्यम से उन्होंने प्रकृति प्रेम का संदेश दिया था

प्रश्न: गोवर्धन पूजा के पीछे क्या कहानी है?

उत्तर: गोवर्धन पूजा की कहानी यही है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों की भारी वर्षा से रक्षा करने हेतु गोवर्धन पर्वत को अपनी एक ऊँगली से उठा लिया था

प्रश्न: दीपावली के बाद अगला त्योहार कौन सा है?

उत्तर: दीपावली के बाद अगला त्योहार गोवर्धन पूजा के नाम से जाना जाता है इस दिन हर मंदिर में अन्नकूट का प्रसाद भी बनता है वही लोग एक-दूसरे के घर दिवाली की राम राम करने जाते हैं

प्रश्न: दीपावली के अगले दिन को क्या कहते हैं?

उत्तर: दीपावली के अगले दिन को गोवर्धन पूजा के नाम से जाना जाता है यह त्यौहार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है वही इस दिन हर मंदिर में अन्नकूट का महाप्रसाद भी बनता है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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