गणेश चतुर्थी कैसे मनाई जाती है? पढ़ें गणेश चतुर्थी के बारे में

Ganesh Chaturthi In Hindi

आज हम गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi In Hindi) के बारे में जानेंगे। हर वर्ष हम भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य पर गणेश चतुर्थी का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम के साथ आयोजित करते हैं। महाराष्ट्र राज्य में इसे लेकर विशेष उत्साह देखने को मिलता है। वहाँ इसे दस दिनों तक मनाया जाता है तथा अंतिम दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है।

अब प्रश्न यह है कि बाकि राज्यों में गणेश चतुर्थी कैसे मनाई जाती है? इसलिए आज हम आपको गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में (Ganesh Chaturthi Essay In Hindi) देंगे। इसे विनायक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखने की भी परंपरा है। आइए गणेश चतुर्थी के बारे में संपूर्ण जानकारी ले लेते हैं।

Ganesh Chaturthi In Hindi | गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में

मान्यता है कि इसी दिन भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था। माता पार्वती जब स्नान करने जा रही थी तब द्वार पर पहरा देने के लिए कोई नहीं था। इसलिए उन्होंने अपने तन के मैल से एक पुत्र का निर्माण किया जिसका नाम गणेश पड़ा। गणेश को द्वार पर पहरा देने का कहकर माता पार्वती स्नान करने के लिए चली गई।

उसके बाद जब भगवान शिव वहाँ आए तब उन्होंने माता पार्वती से मिलने की इच्छा प्रकट की। गणेश के मना करने पर भगवान शिव ने क्रोधित होकर उनका मस्तक काट दिया। बाद में माता पार्वती के विलाप करने पर भगवान शिव ने गणेश के धड़ पर एक हाथी का सिर जोड़ दिया था।

साथ ही इस दिन व्रत से भी एक कथा जुड़ी हुई है। आइए जानते हैं।

गणेश चतुर्थी की व्रत कथा

एक दिन माता पार्वती व महादेव नर्मदा नदी के तट पर चौपड़ का खेल खेल रहे थे। उसमें हार जीत का निर्धारण माता पार्वती के द्वारा बनाए गए एक बालक को करना था जिसने गलती से माता पार्वती के जीतने पर भी भगवान शिव को विजयी घोषित कर दिया। इससे क्रोधित होकर माता पार्वती ने उसकी एक टांग टूट जाने और वहीं कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दिया।

उस बालक के क्षमा मांगने पर माता पार्वती ने एक वर्ष के लिए प्रतीक्षा करने को कहा। एक वर्ष के पश्चात वहाँ नाग कन्याएं आई तथा गणेश चतुर्थी व्रत करने को कहा। उस व्रत को करने से ना केवल उसका श्राप दूर हुआ बल्कि उसे अपने माता-पिता से भी मिलने को मिला। तब से गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi In Hindi) के दिन व्रत रखने की प्रथा शुरू हुई। इसके बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

गणेश चतुर्थी कैसे मनाई जाती है?

गणेश चतुर्थी का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी गणेश मंदिरों को सजा दिया जाता है। लोग मंदिरों में जाते हैं और भगवान गणेश के आगे माथा टेकते हैं। इतना ही नहीं, हर घर में गणेश भगवान को भोग लगाने के लिए मोदक/ लड्डू बनाए जाते हैं। गणेश भगवान को मोदक अत्यधिक प्रिय होते हैं। इसलिए मुख्य तौर पर उन्हें मोदक का ही भोग लगाया जाता है।

वहीं बहुत लोग इस दिन गणेश चतुर्थी का व्रत भी रखते हैं और उसके नियमों का पालन करते हैं। कुछ लोग फलाहार व्रत रखते हैं तो कुछ के द्वारा एक समय भोजन का व्रत रखा जाता है। भक्तों के द्वारा गणेश जी से अपने संकटों को हरने की प्रार्थना की जाती है। गणेश जी को ही संकट हरने वाला अर्थात उन्हें दूर करने वाला देवता माना जाता है। इस दिन कुछ अन्य चीजें भी देखने को मिलती है। आइए उनके बारे में भी जान लेते हैं।

  • चंद्रमा को देखना निषेद्ध

एक बार चंद्रमा गणेश भगवान का मुख देखकर हंसने लगे जिससे गणेश जी को अपना उपहास लगा। उन्होंने चंद्रमा को श्राप दिया कि दिन प्रतिदिन उनका प्रभाव कम होने लगेगा तथा जो कोई भी उनके दर्शन करेगा तो उस पर मिथ्या कलंक लगेगा।

चंद्रमा के क्षमा मांगने पर भगवान गणेश ने कहा कि जो कोई भी गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करेगा केवल उसी को श्राप लगेगा। इस श्राप का फल स्वयं भगवान विष्णु के रूप श्रीकृष्ण को भी भोगना पड़ा था। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

  • महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी

सन 1893 से पहले यह पर्व एक दिन का ही होता था जिसे घर पर निजी रूप से मनाया जाता था। उसके बाद बाल गंगाधर तिलक ने लोगों में स्वाधीनता की ललक जगाने तथा अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए गणेश उत्सव को चुना। उन्होंने इसे एक सार्वजनिक उत्सव में बदल दिया जिसमें लोग 10 दिनों तक घर में गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करते हैं तथा ग्यारहवें दिन उनका नदी या सरोवर में विसर्जन कर दिया जाता है। इसके बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

  • गणेश प्रतिमा का विसर्जन

इसके पीछे भी एक कथा जुड़ी हुई है। हिंदू धर्म के एक प्रमुख काव्य महाभारत की रचना तो महर्षि वेदव्यास जी ने की थी लेकिन उसे लिखा गणेश जी ने था। महर्षि वेदव्यास जी ने गणेश जी को महाभारत की कथा गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi Essay In Hindi) के दिन से सुनानी शुरू की थी जिसे वे पंक्तिबद्ध तरीके से लिखते जा रहे थे।

इसमें कुल 10 दिन लगे। अंतिम दिन जब महर्षि वेदव्यास जी ने अपनी आँखें खोली तो उन्होंने पाया कि अत्यधिक परिश्रम करने के कारण गणेश जी के शरीर का तापमान अत्यधिक बढ़ चुका है। इसलिए उन्होंने गणेश जी को ले जाकर पास के सरोवर में स्नान करवाया ताकि उनके शरीर का तापमान कम हो सके। इसी कारण दस दिनों तक गणेश जी को अपने घर में रखने के पश्चात भक्तगण उनका समुंद्र में विसर्जन कर देते हैं। विस्तार से पढ़ें..

गणेश चतुर्थी बधाई संदेश

#1. माता-पिता के प्रेम में कभी,

छल कपट हो नहीं सकता,

जिसके सिर पर हो स्वयं भगवान गणेश का हाथ,

उसे कोई दुःख हो नहीं सकता।

#2. बड़े दिन बाद पधारे हो हमारे घर,

लो देखो आपके लिए मोदक बनाए हैं,

कुछ कमी ना रह जाए स्वाद में,

इसलिए शबरी की भाँति थोड़े मूषक को चखाएं हैं।

अन्य संदेश पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

इस प्रकार गणेश चतुर्थी का उत्सव (Ganesh Chaturthi In Hindi) पूरे भारत वर्ष में बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है। कोई इस दिन अपने घर में गणेश की प्रतिमा को स्थापित करता है तो कोई व्रत करता है तो कोई मंदिर जाकर भगवान के चरणों में शीश नवाता है। इस तरह से आज हमने आपको गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में दे दिया है जिसे आप कहीं भी लिखकर दे सकते हैं।

गणेश चतुर्थी से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: गणेश चतुर्थी का अर्थ क्या है?

उत्तर: गणेश चतुर्थी में गणेश का तात्पर्य भगवान गणेश के जन्मदिन से माना जाता है वहीं उनका जन्म भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था जिस कारण इसमें चतुर्थी शब्द को जोड़ा गया है

प्रश्न: गणेश चतुर्थी का इतिहास क्या है?

उत्तर: गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था इस कारण गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे भारतवर्ष में बहुत ही धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता है

प्रश्न: गणेश चतुर्थी का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: गणेश चतुर्थी का उद्देश्य भगवान गणेश के गुणों को ग्रहण करना और उनके बताए मार्ग पर आगे बढ़ना है साथ ही यह दिन भगवान गणेश से अपने संकटों को दूर करने के लिए प्रार्थना करने का भी दिन है

प्रश्न: गणेश चतुर्थी का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर: गणेश चतुर्थी का दूसरा नाम विनायक चतुर्थी है भगवान गणेश को विनायक के नाम से भी जाना जाता है इस कारण इसे विनायक चतुर्थी भी कह दिया जाता है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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