हनुमान चालीसा आरती (Hanuman Chalisa Aarti) का पाठ सभी भक्तों के द्वारा बहुत ही हर्षोल्लास के साथ किया जाता है। अधिकतर भक्तों को तो हनुमान चालीसा और आरती कंठस्थ भी होती है लेकिन फिर भी इसमें किसी तरह की त्रुटी ना हो, उसके लिए इसे सामने रखकर पढ़ना उचित समझा जाता है। इससे ध्यान भटकने की संभावना भी बहुत कम हो जाती है।
हनुमान चालीसा तो लगभग सभी को याद होगी लेकिन हनुमान जी की आरती कुछ-कुछ लोगों को ही याद होती है। बहुत से भक्त हनुमान जी की आरती को हनुमान चालीसा की आरती (Hanuman Chalisa Ki Aarti) भी कह देते हैं और इसमें कोई गलत बात नहीं है। आज के इस लेख में आपको हनुमान चालीसा और आरती दोनों का ही पाठ करने को मिलेगा। तो आइये पढ़ते हैं हनुमान चालीसा आरती सहित।
Hanuman Chalisa Aarti | हनुमान चालीसा आरती
वैसे तो हनुमान जी की चालीसा सभी को याद होती है क्योंकि इसे हमने बचपन से ही बहुत बार सुन लिया होता है और पढ़ भी लिया होता है। फिर भी हनुमान चालीसा आरती का जाप करते समय किसी प्रकार की त्रुटी ना हो जाए या हमारा ध्यान ना भटक जाए या कोई चौपाई बोलने से रह ना जाए या फिर किसी चौपाई का फिर से दोहराव ना हो जाए, उसके लिए इसे सामने रखकर पढ़ा जाना ही उचित समझा जाता है।
ऐसे में अब हम आपके साथ संपूर्ण हनुमान चालीसा आरती साझा करने जा रहे हैं ताकि आप बिना किसी समस्या के हनुमान जी की आराधना कर सके।
॥ दोहा ॥
श्री गुरु चरन सरोज रज,
निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु,
जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके,
सुमिरौं पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं,
हरहु कलेश विकार॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
रामदूत अतुलित बलधामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥
महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन विराज सुवेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा॥
हाथ ब्रज औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नन्दन।
तेज प्रताप महाजग वन्दन॥
विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारे॥
लाय संजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो यश गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।
लकेंश्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्त्र योजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गए अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक ते कांपै॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट ते हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस वर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावैं।
जनम जनम के दुःख बिसरावै॥
अन्त काल रघुवर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाई॥
जो शत बार पाठ कर कोई।
छूटहिं बंदि महासुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥
॥ दोहा ॥
पवनतनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप॥
इस तरह से आपने ऊपर हनुमान चालीसा आरती का पाठ (Hanuman Chalisa Aarti) कर लिया है जो बहुत ही शुभ माना जाता है। इसे आप दिनमे कितनी भी बार पढ़ सकते हैं और यह उतनी ही बार फलदायी सिद्ध होती है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा और आरती का पाठ किया जाना बहुत ही शुभकारी रहता है।
Hanuman Chalisa Ki Aarti | हनुमान चालीसा की आरती
हनुमान जी की पूजा की जाए और उसके लिए हनुमान चालीसा के बाद हनुमान जी की आरती का पाठ ना किया जाए तो यह गलत होता है। हनुमान जी की पूजा में किसी तरह की त्रुटी रह जाती है तो वह हनुमान चालीसा की आरती के माध्यम से दूर हो जाती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि हनुमान आरती इसलिए ही की जाती है ताकि हनुमान जी पूजा में रह गयी किसी कमी या भूल को दूर किया जा सके।
ऐसे में आरती हनुमान चालीसा का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है जो हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए पर्याप्त है। यहाँ पर हम आपके साथ प्रसिद्ध हनुमान आरती आरती की जय हनुमान लला की साझा करने जा रहे हैं।
आरती कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
जाके बल से गिरिवर कांपै,
रोग दोष जाके निकट न झांकै।
अंजनि पुत्र महा बलदाई,
संतन के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाये,
लंका जारि सिया सुधि लाई।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई,
जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारि असुर संहारे,
सीता रामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे,
आनि संजीवन प्राण उबारे।
पैठि पाताल तोरि जम कारे,
अहिरावन की भुजा उखारे।
बायें भुजा असुर दल मारे,
दाहिने भुजा संत जन तारे।
सुर नरमुनिजन आरती उतारें,
जय जय जय हनुमान उचारें।
कंचन थार कपूर की बाती,
आरति करत अंजना माई।
जो हनुमानजी की आरती गावै,
बसि बैकुण्ठ अमर फल पावै।
लंका विध्वंस किये रघुराई,
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई।
आरती कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
इस लेख के माध्यम से आपने हनुमान चालीसा आरती (Hanuman Chalisa Aarti) दोनों पढ़ ली है। इन दोनों का पाठ किए जाने पर आपको हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके फलस्वरूप आपके जीवन में जो भी संकट आ रहे हैं तो वह दूर हो जाते हैं, यदि किसी समस्या का हल नहीं निकल पा रहा है तो उसका हल निकल जाता है तथा जीवन सरल बन जाता है।
हनुमान चालीसा आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: हनुमान चालीसा कैसे पढ़ा जाएगा?
उत्तर: हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए सबसे पहले तो आपको स्नान कर लेना चाहिए। इसी के साथ ही आप जिस स्थल पर हनुमान चालीसा का पाठ करने जा रहे हैं वह स्थल स्वच्छ होना चाहिए।
प्रश्न: हनुमान चालीसा कितने समय पढ़ना चाहिए?
उत्तर: यह पूर्ण रूप से आप पर निर्भर करता है कि आप हनुमान चालीसा का पाठ कितने समय के लिए और कितनी बार करने को इच्छुक है। आप चाहे तो एक दिन में 8 से लेकर 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
प्रश्न: हनुमान चालीसा कौन पढ़ सकता है?
उत्तर: हनुमान चालीसा का पाठ इस विश्व का कोई भी व्यक्ति कर सकता है और इसके लिए किसी को भी मनाही नहीं है। हालाँकि हनुमान चालीसा के पाठ से पहले आपका स्नान किया जाना आवश्यक होता है।
प्रश्न: हनुमान चालीसा रोज पढ़ने से क्या होगा?
उत्तर: जिस भी व्यक्ति के द्वारा प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है, उसके जीवन से सभी तरह के संकट, कष्ट, विपदा,समस्याएं इत्यादि स्वतः ही दूर होती चली जाती है।
प्रश्न: घर पर हनुमान चालीसा का पाठ कैसे करें?
उत्तर: ज्यादातर भक्तों के द्वारा अपने घर पर ही हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। ऐसे में आप घर पर जिस भी जगह हनुमान चालीसा पढ़ने जा रहे हैं, वह जगह शुद्ध व स्वच्छ होनी आवश्यक है।
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