श्री बजरंग बाण का पाठ | Bajrang Baan Lyrics In Hindi – अर्थ सहित

Bajrang Baan | बजरंग बाण

जब भी किसी पर कोई संकट या विपदा आती है तो वह सबसे पहले हनुमान जी का ही नाम लेता है। ऐसे में उस समय बजरंग बाण का पाठ (Bajrang Baan) किया जाए तो इससे उत्तम बात क्या ही होगी। बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति के हर कष्ट व संकट दूर हो जाते हैं और उसके अंदर एक अद्भुत शक्ति का संचार देखने को मिलता है।

बजरंग बाण को हम सभी हनुमान बाण (Hanuman Baan) के नाम से भी जानते हैं इसकी रचना महर्षि गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा पंद्रहवीं शताब्दी में की गयी थी। इस लेख में आपको सर्वप्रथम बजरंग बाण पढ़ने को मिलेगी। तत्पश्चात बजरंग बाण हिंदी अर्थ सहित (Bajrang Baan Lyrics In Hindi) समझाया जाएगा। इसी के साथ ही हम आपके साथ बजरंग बाण पाठ के लाभ व नियम भी सांझा करेंगे। आइये सबसे पहले करते हैं श्री बजरंग बाण का पाठ।

Bajrang Baan | बजरंग बाण

॥ दोहा ॥

निश्चय प्रेम प्रतीति ते,
विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ,
सिद्ध करैं हनुमान॥

॥ चौपाई ॥

जय हनुमन्त सन्त हितकारी।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥

जन के काज विलम्ब न कीजै।
आतुर दौरि महा सुख दीजै॥

जैसे कूदि सिन्धु महि पारा।
सुरसा बदन पैठि विस्तारा॥

आगे जाय लंकिनी रोका।
मारेहु लात गई सुर लोका॥

जाय विभीषण को सुख दीन्हा।
सीता निरखि परम पद लीन्हा॥

बाग उजारि सिन्धु महँ बोरा।
अति आतुर यम कातर तोरा॥

अक्षय कुमार को मारि संहारा।
लूम लपेट लंक को जारा॥

लाह समान लंक जरि गई।
जय जय ध्वनि सुर पुर में भई॥

अब विलम्ब केहि कारन स्वामी।
कृपा करहु उर अन्तर्यामी॥

जय जय लखन प्राण के दाता।
आतुर होई दुख करहु निपाता॥

जय गिरिधर जै जै सुख सागर।
सुर समूह समरथ भट नागर॥

ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले।
बैरिहिं मारू वज्र की कीले॥

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो।
महाराज प्रभु दास उबारो॥

ॐकार हुंकार प्रभु धावो।
बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो॥

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीशा।
ॐ हुँ हुँ हुँ हनु उर शीशा॥

सत्य होहु हरि शपथ पायके।
राम दूत धरु मारु धाय के॥

जय जय जय हनुमन्त अगाधा।
दुःख पावत जन केहि अपराधा॥

पूजा जप तप नेम अचारा।
नहीं जानत हौं दास तुम्हारा॥

वन उपवन मग गिरी गृह माहीं।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं॥

पाँय परौं कर जोरि मनावौं।
येहि अवसर अब केहिं गौहरावौं॥

जय अंजनी कुमार बलवन्ता।
शंकर सुवन वीर हनुमन्ता॥

बदन कराल काल कुल घालक।
राम सहाय सदा प्रतिपालक॥

भूत प्रेत पिशाच निशाचर।
अग्नि बैताल काल मारी मर॥

इन्हें मारु तोहि शमथ राम की।
राखु नाथ मर्याद नाम की॥

जनक सुता हरिदास कहावो।
ताकी शपथ विलम्ब न लावो॥

जै जै जै धुनि होत अकाशा।
सुमिरत होत दुसह दुख नाशा॥

चरण शरण कर जोरि मनावौं।
यहि अवसर अब केहि गौहरावौं॥

उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई।
पाँय परौं कर जोरि मनाई॥

ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता॥

ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल।
ॐ सं सं सहमि पराने खल दल॥

अपने जन को तुरत उबारौ।
सुमिरत होय आनन्द हमारौ॥

यह बजरंग बाण जेहि मारै।
ताहि कहो फिर कौन उबारै॥

पाठ करैं बजरंग बाण की।
हनुमत रक्षा करैं प्राण की॥

यह बजरंग बाण जो जापै।
ताते भूत प्रेत सब कांपै॥

धूप देय अरु जपै हमेशा।
ताके तन नहिं रहै कलेशा॥

।। दोहा ।।

प्रेम प्रतीतहि कपि भजै,
सदा धरैं उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ,
सिद्ध करैं हनुमान॥

हनुमान जी को समर्पित कई तरह की रचनाएँ समय-समय पर लिखी गयी है लेकिन तुलसीदास जी के द्वारा लिखा गया यह हनुमान बाण (Hanuman Baan) बहुत ही प्रसिद्ध है। यह हनुमान बाण उस घटना का वर्णन करती है जब हनुमान जी ने माता सीता की खोज में समुंद्र को पार किया था और लंका पहुँच कर वहां अपनी शक्ति का परिचय दुष्ट रावण व उसकी सेना को दिया था।

तब हनुमान जी ने लंका में अकेले ही प्रवेश कर राक्षस नगरी में अपनी शक्ति का ऐसा परिचय दिया था कि रावण की संपूर्ण सेना में भय व्याप्त हो गया था। ऐसे में हनुमान बाण का पाठ मनुष्य के अंदर अद्भुत शक्ति का संचार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

Bajrang Baan Lyrics In Hindi | बजरंग बाण हिंदी अर्थ सहित

यदि आप बजरंग बाण का पाठ करने जा रहे हैं तो आपको साथ ही साथ उसका अर्थ भी जान लेना चाहिए। वह इसलिए क्योंकि यदि किसी रचना के अर्थ को समझ कर उसका पाठ किया जाए तो उसके ज्यादा लाभ देखने को मिलते हैं। ऐसे में हम बजरंग बाण का पाठ (Bajrang Baan Ka Paath) करने के साथ-साथ अब आपको उसका अर्थ भी समझायेंगे।

॥ दोहा ॥

निश्चय प्रेम प्रतीति ते,
विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ,
सिद्ध करैं हनुमान॥

यदि भक्तगण पक्के मन से और प्रेम के साथ भगवान हनुमान के सामने कोई विनती करते हैं तो हनुमान उस भक्त के सभी कार्यों को सफल बनाते हैं और उसका उद्धार करते हैं।

॥ चौपाई ॥

जय हनुमन्त सन्त हितकारी।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥

हे भगवान हनुमान! आप संतों के हितों का ध्यान रखने वाले हैं। अब आप हमारी भी प्राथना को सुने।

जन के काज विलम्ब न कीजै।
आतुर दौरि महा सुख दीजै॥

अब आप अपने भक्तों के कार्यों को करने में बिल्कुल भी देर ना करें और तेज गति से आकर हम सभी को सुख प्रदान करें।

जैसे कूदि सिन्धु महि पारा।
सुरसा बदन पैठि विस्तारा॥

जिस प्रकार आपने समुंद्र में कूदकर उसे पार कर लिया था और सुरसा जैसी राक्षसी के मुहं में जाकर उसका उद्धार कर दिया था।

आगे जाय लंकिनी रोका।
मारेहु लात गई सुर लोका॥

लंका पहुँच कर आपको वहां की द्वाररक्षक लंकिनी ने रोका था लेकिन आपने उसे लात मारकर उसका भी उद्धार कर दिया था।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा।
सीता निरखि परम पद लीन्हा॥

इसके पश्चात आपने विभीषण के हृदय को सुख पहुँचाया और माता सीता से भेंट कर व उनकी कृपा पाकर महान कार्य किया।

बाग उजारि सिन्धु महँ बोरा।
अति आतुर यम कातर तोरा॥

तत्पश्चात आपने रावण की वाटिका को पूरी तरह से उजाड़ दिया और जो राक्षस रावण ने भेजे, आपने उन्हें यमलोक भेज दिया।

अक्षय कुमार को मारि संहारा।
लूम लपेट लंक को जारा॥

आपने रावण के पुत्र अक्षय कुमार का भी वध कर दिया और संपूर्ण लंका में आग लगा दी।

लाह समान लंक जरि गई।
जय जय ध्वनि सुर पुर में भई॥

आपके प्रभाव से लंका धू-धूकर जलने लगी और आकाश लोक से यह सब देख रहे देवतागण आपकी जय-जयकार करने लगे।

अब विलम्ब केहि कारन स्वामी।
कृपा करहु उर अन्तर्यामी॥

तो अब किस बात की देरी प्रभु। अपने भक्तों पर भी दया करने की कृपा करें।

जय जय लखन प्राण के दाता।
आतुर होई दुख करहु निपाता॥

आपने लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की, उसके लिए आपकी जय हो। अब उसी प्रकार अपने भक्तों के दुखों का भी निवारण कीजिए।

जय गिरिधर जै जै सुख सागर।
सुर समूह समरथ भट नागर॥

पर्वत को उठाने वाले हनुमान जी, आपकी सदा जय हो। आपके अंदर समस्त देवताओं सहित भगवान विष्णु की शक्तियां निहित है।

ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले।
बैरिहिं मारू वज्र की कीले॥

हे हनुमान!! आप बहुत ही हठ करने वाले हो। अब मेरे शत्रुओं का नाश कर दो।

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो।
महाराज प्रभु दास उबारो॥

हे भगवान हनुमान!! अपनी गदा के प्रहार से मेरे शत्रुओं का नाश कर दो और अपने भक्त के सभी संकटों को दूर कर दो।

ॐकार हुंकार प्रभु धावो।
बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो॥

हे वीर हनुमान!! की हुँकार सुनकर धावा बोल दो और अब इसमें एक क्षण की भी देरी ना करो।

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीशा।
ॐ हुँ हुँ हुँ हनु उर शीशा॥

हे कपी (बंदर) रूप में वीर हनुमान!! अपनी गदा के प्रभाव से शत्रुओं के सिर धड़ से अलग कर दो।

सत्य होहु हरि शपथ पायके।
राम दूत धरु मारु धाय के॥

इस बात को स्वयं नारायण कहते हैं कि उनके सभी संकटों का निवारण श्रीराम के सेवक हनुमान स्वयं आकर करते हैं।

जय जय जय हनुमन्त अगाधा।
दुःख पावत जन केहि अपराधा॥

हे महाबली हनुमान! मैं हृदय से आपका स्मरण करता हूँ किंतु अब आपके भक्तों को किन अपराधों का दंड मिल रहा है।

पूजा जप तप नेम अचारा।
नहीं जानत हौं दास तुम्हारा॥

हे महाबली हनुमान!! आपका यह भक्त पूजा, ध्यान, तपस्या इत्यादि कुछ नही जानता है।

वन उपवन मग गिरी गृह माहीं।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं॥

चाहे जंगल हो या गहन वन या समुंद्र या पहाड़ या स्वयं का घर, आपके ध्यान से भक्तों को कहीं भी डर नही लगता है।

पाँय परौं कर जोरि मनावौं।
येहि अवसर अब केहिं गौहरावौं॥

हे प्रभु!! यही अवसर है कि मैं आपके चरणों में दंडवत प्रणाम कर आपको मनाता रहूं।

जय अंजनी कुमार बलवन्ता।
शंकर सुवन वीर हनुमन्ता॥

हे माँ अंजनी के पुत्र!! आप अत्यधिक शक्तिशाली हैं। हे महादेव के अंशावतार!! आप अत्यधिक वीर हैं।

बदन कराल काल कुल घालक।
राम सहाय सदा प्रतिपालक॥

हे भक्त हनुमान!! आपकी देह काल के समान प्रचंड व विशालकाय है। आपने सदैव श्रीराम की आज्ञा का पालन किया है।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर।
अग्नि बैताल काल मारी मर॥

चाहे भूत हो या प्रेत या पिशाच या कोई निशाचर, आपने इन सभी को अपनी शक्ति की अग्नि में जलाकर पाताल लोक भेज दिया है।

इन्हें मारु तोहि शमथ राम की।
राखु नाथ मर्याद नाम की॥

आपको श्रीराम के नाम की शपथ है कि आप इन सभी दानवों को मार कर श्रीराम के नाम की मर्यादा रख लो।

जनक सुता हरिदास कहावो।
ताकी शपथ विलम्ब न लावो॥

आप माता सीता के भी दास कहलाए जाते हैं। इसलिए आपको सीता माता की भी शपथ है कि अब इस कार्य में देर मत कीजिए।

जै जै जै धुनि होत अकाशा।
सुमिरत होत दुसह दुख नाशा॥

आपकी वीरता का जय-जयकार आकाश में देवतागण भी करते रहते हैं। आपके स्मरण मात्र से ही सभी प्रकार के दुखों का नाश हो जाता है।

चरण शरण कर जोरि मनावौं।
यहि अवसर अब केहि गौहरावौं॥

मैं आपके चरण पकड़ कर अर्थात आपको दंडवत प्रणाम कर आपको मनाने का प्रयास करता हूँ। यही सही अवसर है तो देर किस बात की।

उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई।
पाँय परौं कर जोरि मनाई॥

मैं आपको श्रीराम के नाम की दुहाई देता हूँ कि अब आप उठिए। इसके लिए मैं आपके पैर पकड़ कर आपको मनाता हूँ।

ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता॥

अपने कर्तव्य पर हमेशा आगे बढ़ते रहने वाले भक्त हनुमान, आप बहुत ही चपल हो। (दूसरी पंक्ति का कोई अर्थ नही, केवल लय के लिए)

ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल।
ॐ सं सं सहमि पराने खल दल॥

हे हनुमान!! यदि आप हुँकार भी कर देते हैं तो राक्षसों की सेना भयभीत हो उठती है।

अपने जन को तुरत उबारौ।
सुमिरत होय आनन्द हमारौ॥

हे वीर हनुमान!! अपने भक्तों का उद्धार कीजिए। आपका स्मरण करने से ही हमे आनंद की प्राप्ति होती है।

यह बजरंग बाण जेहि मारै।
ताहि कहो फिर कौन उबारै॥

इस बजरंग बाण का पाठ करने से भी किसी का उद्धार ना हो तो आप ही बताएं उसका उद्धार भला कौन कर सकता है!!

पाठ करैं बजरंग बाण की।
हनुमत रक्षा करैं प्राण की॥

जो भक्तगण इस बजरंग बाण का पाठ करता है, उसके प्राणों की रक्षा स्वयं हनुमान करने आते हैं।

यह बजरंग बाण जो जापै।
ताते भूत प्रेत सब कांपै॥

जो भी इस बजरंग बाण का निरंतर जाप करता है तो उसे सभी तरह के भूत-प्रेत या बुरी आत्माओं के प्रभाव से मुक्ति मिलती है।

धूप देय अरु जपै हमेशा।
ताके तन नहिं रहै कलेशा॥

जो भी भक्तगण सच्चे मन से व संपूर्ण विधि का पालन कर इस बजरंग बाण का पाठ करता है तो उसके शरीर को किसी तरह का भी कष्ट नही होता है।

।। दोहा ।।

प्रेम प्रतीतहि कपि भजै,
सदा धरैं उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ,
सिद्ध करैं हनुमान॥

जो भी भक्तगण प्रेमपूर्वक आपके भजन करता है, जिसके हृदय में सदा आप निवास करते हैं तो उसके सभी कार्य वीर हनुमान पूर्ण करते हैं और उसका उद्धार करते हैं।

Hanuman Baan | हनुमान बाण – भावार्थ

आप रामायण में हनुमान को ज्यादातर समय मौन रहते, किसी से बहस नही करते हुए व सदैव श्रीराम का नाम जपते हुए ही व अपना कर्म करते हुए ही देखेंगे लेकिन ऐसा क्यों?

ऐसा इसलिए क्योंकि हनुमान सर्वगुण संपन्न थे और ज्ञान का अर्थ ही है मौन हो जाना। किसी से किसी भी प्रकार की बहस, अपनी योग्यता का अनुचित प्रदर्शन, श्रेय लेने की होड़ इत्यादि सभी से दूर हनुमान ने केवल संकट की स्थिति में सबसे आगे बढ़कर श्रीराम की सहायता की। इसका एक उदाहरण हनुमान द्वारा लिखी गयी रामायण थी जो उनके और वाल्मीकि जी के अलावा इस विश्व में कोई भी नही पढ़ पाया था। उसे हनुमद रामायण के नाम से जाना जाता है।

जी हां, लंका विजय व सीता वनवास के पश्चात जब श्रीराम ने हनुमान को अपने से दूर भेज दिया था तब हनुमान ने हिमालय के पर्वतों पर श्रीराम की भक्ति में अपने नाखूनों से संपूर्ण रामायण लिख दी थी जो वाल्मीकि रामायण से भी श्रेष्ठ थी। किंतु जब वाल्मीकि जी अपने द्वारा रचित रामायण लिखने के बाद उसे भगवान शिव को दिखाने कैलाश पर्वत जा रहे थे तब बीच में उन्हें हनुमान जी मिले।

वहां वे हनुमान द्वारा लिखी गयी रामायण को देखकर विचलित हो गए और यह सोचकर उदास हो गए कि अब उनके द्वारा लिखी गयी रामायण की महत्ता कम हो जाएगी। तब हनुमान जी ने वाल्मीकि जी के मन को भांपकर अपने द्वारा लिखी गयी रामायण के संपूर्ण पहाड़ को उठाकर समुंद्र में डुबो दिया था।

कहने का तात्पर्य यह हुआ कि बजरंग बाण का पाठ (Bajrang Baan Ka Paath) करने से हमें भी भगवान हनुमान के गुणों को आत्म-सात करने की प्रेरणा मिलती है। यदि किसी के पास शक्ति है लेकिन बुद्धि नही तो वह उस शक्ति का सदुपयोग नही कर पाएगा। इसलिए व्यक्ति को हमेशा शक्ति के साथ-साथ बुद्धि का परिचय भी देना चाहिए।

इसका एक उदाहरण आप लक्ष्मी माता की पूजा से भी ले सकते हैं। हम यह कहीं नही देखते हैं कि माँ लक्ष्मी की पूजा अकेले की जा रही हो अपितु उनकी पूजा माँ सरस्वती व भगवान गणेश के साथ की जाती है। यहाँ तक कि स्वयं माँ लक्ष्मी ने यह कहा है कि उनकी पूजा भगवान गणेश की पूजा किये बिना अधूरी मानी जाएगी।

ऐसा इसलिए क्योंकि माँ लक्ष्मी को धन की देवी कहा गया है जबकि भगवान गणेश को बुद्धि का देवता। इसलिए यदि किसी व्यक्ति के पास धन है लेकिन बुद्धि का अभाव है तो वहां लक्ष्मी ज्यादा दिनों तक नही रूकती हैं। इसलिए माँ लक्ष्मी के साथ सदैव भगवान गणेश की पूजा करना अनिवार्य होता है।

इसलिए हम सभी को भक्त हनुमान के जीवन, उनके द्वारा किये गए कार्यों से प्रेरणा लेकर अपने कर्म करने चाहिए। यदि मनुष्य हनुमान का अनुसरण कर कार्य करता है तो अवश्य ही उसका उद्धार होता है। जय हनुमान जय श्रीराम।

बजरंग बाण पाठ के नियम (Bajrang Baan Paath Ke Niyam)

यदि आप बजरंग बाण का पाठ करने जा रहे हैं तो आपको एक नहीं बल्कि कई तरह की बातों का ध्यान रखने की जरुरत है। इन्हीं बातों को ही बजरंग बाण पाठ के नियम के नाम से जाना जाता है। बजरंग बाण पाठ के सबसे जरुरी नियम के अनुसार आपको इसका जाप ना ही बीच में से शुरू करना चाहिए और ना ही इसे आधा-अधूरा छोड़ना चाहिए। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि आप बजरंग बाण को पढ़ने जा रहे हैं तो इसे एक बारी में ही शुरू से लेकर अंत तक पूरा पढ़ें।

इसी के साथ ही आपको हनुमान बाण का पाठ बिना स्नान किये या अशुद्ध स्थल पर नहीं करना चाहिए। इसके लिए आपका शरीर व जगह का शुद्ध होना आवश्यक है। यही कारण है कि इसे स्नान करके शुद्ध स्थल पर पढ़ा जाना आवश्यक है। बजरंग बाण के साथ यदि हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है तो उससे अधिक लाभ देखने को मिलता है।

बजरंग बाण पाठ के लाभ (Shree Bajrang Baan Ke Labh)

हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है अर्थात जो हमारे संकटों को दूर कर देते हैं और हमारे जीवन को सरल बनाने का कार्य करते हैं। ऐसे में यदि आप नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करते हैं और भक्त हनुमान का ध्यान करते हैं तो उससे आपके जीवन में हर तरह की समस्या, संकट, विपदा, कष्ट, बाधा, दुःख इत्यादि का अंत हो जाता है।

यदि किसी समस्या का बहुत समय से हल नहीं निकल पा रहा था या क्या किया जाए और क्या नहीं, यह समझ नहीं आ रहा था तो उसकी समझ आती है और समस्या का हल निकल जाता है। ऐसे में आप अपने जीवन में आगे बढ़ पाते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं। यही बजरंग बाण पाठ के लाभ होते हैं।

बजरंग बाण के चमत्कार (Hanuman Bajrang Baan Ke Chamatkar)

हनुमान जी को समर्पित कई तरह की रचनाएँ हैं जैसे कि हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमानाष्टक व बजरंग बाण इत्यादि। इन सभी में हनुमान चालीसा अवश्य ही सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है लेकिन बजरंग बाण को हनुमान जी की सबसे शक्तिशाली रचना माना जाता है क्योंकि यह बहुत ही उग्र होती है। इसके जाप से मनुष्य के शरीर में अद्भुत ऊर्जा का संचार देखने को मिलता है जो उसे असंभव कार्य करने की शक्ति देती है।

यदि कोई विधिपूर्वक बजरंग बाण का पाठ करता है और उसे सिद्ध कर लेता है तो उसे अपने जीवन में एक नहीं बल्कि कई तरह के चमत्कार देखने को मिलते हैं। बजरंग बाण के चमत्कार ऐसे हैं जो मनुष्य के सभी बिगड़े हुए काम बना देते हैं। उसके ऐसे काम भी बन जाते हैं जो पहले असंभव प्रतीत हो रहे थे या जिन्हें किया जाना बहुत ही कठिन था। घर, परिवार, करियर, नौकरी, व्यवसाय, आर्थिक, स्वास्थ्य इत्यादि से संबंधित हर तरह के संकट हनुमान बाण के पाठ से दूर हो जाते हैं।

बजरंग बाण से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: बजरंग बाण पढ़ने से क्या लाभ होता है?

उत्तर: बजरंग बाण पढ़ने से आपके सभी तरह के भय समाप्त हो जाते हैं, ज्ञान के साथ-साथ बुद्धि आती है, आगे का मार्ग प्रशस्त होता है और सभी तरह की समस्याओं का हल निकल जाता है

प्रश्न: बजरंग बाण कितने बजे करना चाहिए?

उत्तर: बजरंग बाण का पाठ दिन के किसी भी समय किया जा सकता है और इसको लेकर कोई तय नियम नहीं है जब भी आपको अपने अंदर ऊर्जा की कमी लगे, तब आप बजरंग बाण के पाठ से शक्ति प्राप्त कर सकते हैं

प्रश्न: बजरंग बाण का पाठ कैसे करना चाहिए?

उत्तर: बजरंग बाण का पाठ करने के लिए पहले आपको स्नान कर लेना चाहिए और फिर किसी शुद्ध व स्वच्छ स्थल पर लाल वस्त्र बिछाकर और हनुमान जी की मूर्ति या चित्र को सामने रखकर इसका पाठ शुरू करना चाहिए

प्रश्न: बजरंग बाण के कितने पाठ करना चाहिए?

उत्तर: बजरंग बाण का पाठ आप अपनी इच्छानुसार कितनी भी बार कर सकते हैं हालाँकि बजरंग बाण का 21 बार पाठ करना शुभ माना गया है इसके अलावा आप इसका 51 या 108 बार जाप कर सकते हैं

प्रश्न: क्या बजरंग बाण रोज नहीं पढ़ना चाहिए?

उत्तर: बहुत जगह आपको बजरंग बाण का पाठ रोज करने के बारे में भ्रमित करने वाली बातें मिलेगी जबकि ऐसा कुछ नहीं है आप निश्चिंत होकर बजरंग बाण का पाठ रोज कर सकते हैं

प्रश्न: बजरंग बाण कितने दिन में सिद्ध होता है?

उत्तर: एक मान्यता के अनुसार यदि व्यक्ति के द्वारा 41 दिनों तक लगातार बजरंग बाण का पाठ किया जाए तो जिस मनोकामना की पूर्ति के लिए उसे शुरू किया गया था, वह पूरी हो जाती है

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.