रामायण में मकरध्वज कौन था (Makardhwaj Kaun Tha) व उसका हनुमान से पुत्र का रिश्ता कैसे था? अब जब हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे तो उनका पुत्र कैसे हुआ? ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि मकरध्वज का जन्म कैसे हुआ, मकरध्वज की माता कौन थी और मकरध्वज हनुमान जी का पुत्र कैसे था?
दरअसल मकरध्वज की कहानी (Makardhwaj Ki Kahani) बहुत ही रोचक है जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। इतना ही नहीं, एक समय बाद हनुमान और मकरध्वज की लड़ाई भी हुई थी। आज हम आपको हनुमान पुत्र मकरध्वज की कथा के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।
Makardhwaj Kaun Tha | मकरध्वज कौन था?
यह घटना तब की है जब हनुमान भगवान श्रीराम की आज्ञानुसार माता सीता की खोज में लंका पहुँचे। तब वहाँ माता सीता से भेंट के बाद उन्हें रावण के दरबार में प्रस्तुत किया गया। वहाँ रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगा दी। पूँछ में आग लगने के पश्चात हनुमान ने अपनी शक्ति से लंका नगरी में चारों ओर आग लगा दी जिसमें लंका के सभी सुरक्षा परकोटे, शस्त्र भंडार, भवन इत्यादि जलकर भस्म हो गए।
लंका नगरी में आग लगाने के पश्चात भगवान हनुमान अपनी पूँछ की आग को बुझाने के लिए वहीं पास के समुद्र में कूद गए। उस समय हनुमान जी का शरीर बहुत थक चुका था व पसीने से लथपथ था। तभी उनके शरीर के तेज से पसीने की एक बूँद निकली जो समुद्र में गिरी। उसी समय एक मछली जो समुद्र में तैर रही थी उसने आहार समझकर वह पसीने से निकली बूँद ग्रहण कर ली। इसी बूँद से वह गर्भवती हो गई तथा तैरती हुई पाताल लोक जा पहुँची।
मकरध्वज का जन्म कैसे हुआ?
पाताल लोक में अहिरावण के सैनिकों ने उस मछली को भोजन करने के लिए पकड़ लिया। जब उसका पेट काटा गया तब उसमें से एक शिशु निकला। उस शिशु का शरीर वानर और मछली के आकार का था। यह देखकर सैनिक उस शिशु को अहिरावण के पास लेकर गए। अहिरावण उसे देखकर बहुत आश्चर्यचकित हुआ।
चूँकि वह शिशु मछली के पेट से निकला था। इसलिए अहिरावण ने उसका नाम मकरध्वज रख दिया। इसके बाद उसका लालन-पालन पाताल लोक में ही हुआ। हनुमान पुत्र होने के कारण मकरध्वज में भी असीमित शक्तियां थी। इस कारण अहिरावण ने उसे बड़े होने पर पाताल लोक की सुरक्षा प्रहरी नियुक्त कर दिया। इसके बाद ही हनुमान और मकरध्वज की लड़ाई देखने को मिलती है। आइए उस कहानी को भी जान लेते हैं।
मकरध्वज की कहानी (Makardhwaj Ki Kahani)
जब अहिरावण राम-रावण युद्ध के समय श्रीराम तथा लक्ष्मण को बंदी बनाकर पाताल लोक ले गया तब हनुमान उन्हें छुड़ाने वहाँ पहुँचे। मकरध्वज को पाताल लोक का प्रहरी बनाया गया था। हनुमान के वहाँ पहुँचने पर उसने उन्हें अंदर जाने से रोका। तब उन दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ जिसमें अंततः हनुमान जी विजयी हुए।
हनुमान मकरध्वज की काया को देखकर अचंभित थे तथा उससे उसका परिचय पूछा। तब मकरध्वज ने उन्हें अपने जन्म की कथा बताई तथा स्वयं को हनुमान पुत्र बताया। हनुमान यह बात सुनकर आश्चर्यचकित हो गए तथा अपने ध्यान से सब बात का पता लगा लिया। उसके बाद उन्होंने मकरध्वज को बताया कि वे ही हनुमान हैं तथा वह उनका पुत्र है। इसके पश्चात हनुमान ने अपने पुत्र को आशीर्वाद दिया तथा पाताल लोक के अंदर जाकर अहिरावण का वध करके प्रभु श्रीराम व लक्ष्मण को उसके चंगुल से मुक्त करवाया।
मकरध्वज बना पाताल लोक का राजा
जब प्रभु श्रीराम हनुमान के साथ पुनः पृथ्वी लोक पर जाने लगे तब द्वार पर बंधे मकरध्वज को देखकर हनुमान से उसका परिचय पूछा। हनुमान ने मकरध्वज का परिचय तथा अपने साथ हुए युद्ध का वर्णन श्रीराम को दिया। मकरध्वज की कहानी (Makardhwaj Ki Kahani) सुनकर श्रीराम अत्यधिक प्रभावित हुए तथा उन्होंने उसे पाताल लोक का राजा घोषित कर दिया।
इसी के साथ ही श्रीराम व हनुमान ने उसे धर्म के मार्ग पर चलने का आदेश दिया। इस तरह से अहिरावण वध के पश्चात हनुमान पुत्र मकरध्वज को पाताल लोक का नया राजा नियुक्त किया गया था। इस तरह से आपने मकरध्वज कौन था (Makardhwaj Kaun Tha) व उसकी कहानी को जान लिया है।
मकरध्वज से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: मकरध्वज की पत्नी का नाम क्या है?
उत्तर: रामायण या अन्य किसी धर्म ग्रंथ में मकर ध्वज की पत्नी का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। ऐसे में मकरध्वज का विवाह हुआ या नहीं, इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है।
प्रश्न: मकरध्वज के पुत्र का क्या नाम था?
उत्तर: किसी भी धर्म ग्रंथ में मकरध्वज के विवाह, पत्नी या पुत्र इत्यादि के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। उन्हें बस हनुमान पुत्र की संज्ञा दी गई है। इसके अलावा उनके बारे में कोई वर्णन नहीं मिलता है।
प्रश्न: मकरध्वज की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर: धर्म ग्रंथों में केवल यही बताया गया है कि हनुमान जी के पसीने की बूँद से मकरध्वज का जन्म हुआ था। उसके बाद मकरध्वज कितने वर्ष तक जीवित रहा या उसकी मृत्यु कब हुई, इसका कोई उल्लेख नहीं है।
प्रश्न: मकरध्वज किसका पुत्र था?
उत्तर: मकरध्वज को हनुमान जी का पुत्र माना जाता है। लंका दहन के बाद जब हनुमान ने समुद्र में डुबकी लगाई थी। तब उनके पसीने की बूँद से एक मछली गर्भवती हो गई थी।
प्रश्न: मकरध्वज कैसे पैदा हुआ?
उत्तर: मकरध्वज का जन्म हनुमान जी के पसीने की बूँद से हुआ था। यह बूँद एक मछली ने ग्रहण कर ली थी जिससे वह गर्भवती हो गई थी। उसी से ही मकरध्वज पैदा हुआ था।
प्रश्न: मकरध्वज की माता कौन थी?
उत्तर: मकरध्वज की माता समुद्र की एक मछली थी जो हनुमान जी के पसीने की बूँद से गर्भवती हो गई थी।
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