आज हम आपको हरियाली तीज की कथा (Hariyali Teej Ki Katha) बताने जा रहे हैं। हरियाली तीज का पर्व हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मुख्यतया उत्तर भारत में प्रसिद्ध है जिस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके तैयार होती हैं व अपने सुहाग के लिए व्रत करती हैं। इसलिए इसे करवाचौथ के समान ही महत्वपूर्ण माना गया है।
इसी के साथ इसका व्रत कुंवारी कन्याएं भी अच्छा वर प्राप्त करने के लिए रखती हैं। ऐसे में आज हम विस्तार से इस बारे में भी जानेंगे कि हरियाली तीज क्यों मनाते हैं (Hariyali Teej Kyu Manate Hai) और इसका क्या महत्व है। आइए सबसे पहले हरियाली तीज व्रत कथा के बारे में जान लेते हैं।
Hariyali Teej Ki Katha | हरियाली तीज की कथा
इस पर्व की कथा भगवान शिव व माता पार्वती से जुड़ी हुई है। इसी दिन माता पार्वती को भगवान शिव पति रूप में प्राप्त हुए थे। मान्यता है कि भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या की थी तथा 108 जन्म लिए थे। उसके पश्चात उन्हें भगवान शिव पति रूप में मिले थे।
हरियाली तीज व्रत कथा के अनुसार माता सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के अग्नि कुंड में कूदकर आत्म-दाह कर लिया था। इस घटना से भागन शिव इतना विचलित हो गए थे कि उन्होंने दक्ष का वध कर दिया और स्वयं चीर साधना में चले गए। तब माता सती ने 107 बार पुनर्जन्म लिया लेकिन उन्हें शिव पति रूप में नहीं मिले। इसके पश्चात उनका 108वां जन्म माता पार्वती के रूप में हुआ।
इस जन्म में उन्होंने भगवान शिव को पुनः पति रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षों की कठोर तपस्या की थी। उनकी इसी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी रूप में स्वीकार करने के लिए हामी भर दी थी। अब जिस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकारा था, वह श्रावण शुक्ल तृतीय का दिन था। इस कारण हम सभी इस दिन हरियाली तीज का त्योहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं।
हरियाली तीज कैसे मनाई जाती है?
पहले यह त्यौहार तीन दिन के लिए मनाया जाता था जिसमें महिलाओं की विशेष भूमिका होती थी। नवविवाहित जोड़ों के लिए इस दिन की विशेष महत्ता होती है। आजकल यह एक दिन का पर्व बनकर रह गया है।
हरियाली तीज से एक दिन पहले अर्थात श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को श्रृंगार दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपना श्रृंगार करती हैं तथा मेहंदी लगवाती है। मेहंदी लगवाने की परंपरा बहुत प्रचलित है। इसलिये तीज से एक रात्रि पहले सभी महिलाएं अपने हाथों पर मेहंदी लगवाती हैं। मेहंदी लगवाने के इस पर्व को सिंजारा के नाम से जाना जाता है।
इसके अलगे दिन मुख्य त्यौहार आता है। इस दिन सभी महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान इत्यादि करके भगवान शिव व माता पार्वती की विधि-विधान के साथ पूजा करती है। उसके बाद वे पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है जिस प्रकार करवाचौथ के दिन रखा जाता है।
इस दिन महिलाओं के मायके से भी श्रृंगार का सामान आता है खासकर नवविवाहित महिलाओं के लिए। वे अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं। जिन कन्याओं की शादी नही हुई हैं वे माता पार्वती की भांति व्रत करके अपने लिए उचित वर की प्रार्थना भगवान शिव से करती हैं।
Hariyali Teej Kyu Manate Hai | हरियाली तीज क्यों मनाते हैं?
हरियाली तीज का व्रत रखने से कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। साथ ही यह त्यौहार जिस मौसम में आता है, वह भी बहुत सुहाना होता है। ऐसे में हरियाली तीज का त्योहार एक कारण से नहीं बल्कि कई कारणों से मनाया जाता है। ऐसे में आइए जाने आखिरकार हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है।
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सौभाग्य का आशीर्वाद
जो महिलाएं विवाहित है, यदि वे हरियाली तीज का व्रत रखती है तो उन्हें भगवान शिव से सदा सुहागिन बने रहने का आशीर्वाद मिलता है। इतना ही नहीं, माँ पार्वती का एक रूप माँ गौरी भी है जो सौभाग्य का ही प्रतीक है। ऐसे में विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए हरियाली तीज व्रत को रखती है।
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उचित वर की प्राप्ति
जो कन्याएं अविवाहित है और उन्हें उचित वर की तलाश है तो उन्हें भी हरियाली तीज का व्रत रखना चाहिए। ऐसे में भगवान शिव की कृपा से उन्हें उचित वर की प्राप्ति होती है और उनका जीवन सुखमय बनता है।
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जीवनसाथी से मधुर संबंध
हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से पुरुषों को भी कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। ऐसे में उनका अपने जीवनसाथी के साथ संबंध मधुर बनता है और आपसी कड़वाहट दूर होती है।
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सभी संकट दूर होना
इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की कृपा से हम सभी के संकट दूर होते हैं। यदि आपके घर में अशांति है या मन स्थिर नहीं है या व्यापर या करियर में ओई संकट है तो वह भी स्वतः ही दूर हो जाता है।
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वर्षा ऋतु का आनंद
हरियाली तीज का त्यौहार श्रावण के महीने में आता है। यह महिना वर्षा ऋतु की शुरुआत का महिना होता है। ऐसे में इस मौसम का आनंद उठाने के लिए भी हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है। तभी जगह-जगह पार्क में जाकर लोग झूला झूलते हैं।
हरियाली तीज का महत्व
अभी तक हमने आपको हरियाली तीज के बारे में बहुत कुछ बता दिया है। फिर भी इसके बारे में कुछ और बाते हैं जिनका जानना आपके लिए आवश्यक है। इसके माध्यम से आप भी हरियाली तीज का महत्व समझ पाएंगे।
- हरियाली तीज को श्रावणी तीज या मधुश्रवा तीज के नाम से भी जाना जाता है।
- यह वर्षा ऋतु के आरंभ तथा बारिश की फुहार के रूप में भी मनाया जाता है।
- इस दिन महिलाएं पार्क में जाकर झूला झूलती हैं तथा वहां उत्सव का भी आयोजन किया जाता है।
- चूँकि यह चारों ओर हरियाली का पर्व है इसलिये इस दिन महिलाएं मुख्यता हरे रंग के वस्त्र, चूड़ियाँ इत्यादि पहनती हैं।
- इस दिन पार्क इत्यादि में विशेष झूले लगाये जाते हैं तथा विभिन्न संगठनों के द्वारा कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
इस तरह से आज आपने हरियाली तीज की कथा (Hariyali Teej Ki Katha) सहित इसके महत्व व मनाने के तरीके के बारे में जान लिया है। यह त्यौहार उत्तर भारत में ज्यादा प्रसिद्ध है और वह भी राजस्थान, हरियाणा जैसे राज्यों में।
हरियाली तीज से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है?
उत्तर: हरियाली तीज के दिन ही भगवान शिव ने माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें अपनी पत्नी रूप में अपनाने का आशीर्वाद दिया था। इसी खुशी में हम सभी हरियाली तीज मनाई जाती है।
प्रश्न: हरियाली तीज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: माता पार्वती ने भगवान शिव से विवाह के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। इससे प्रसन्न होकर शिवजी ने हरियाली तीज के दिन ही उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया था।
प्रश्न: हरियाली तीज पर क्या किया जाता है?
उत्तर: हरियाली तीज पर विवाहित महिलाओं के द्वारा व्रत रखा जाता है। इसी के साथ ही पार्क में जाकर झूला झूला जाता है। बहुत लोग इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती के नाम का व्रत भी रखते हैं।
प्रश्न: हरियाली तीज का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर: हरियाली तीज का त्योहार सावन के महीने में आता है। इस कारण इसे सावन तीज या श्रावण तीज भी कह देते हैं। वही कुछ जगह इसे छोटी तीज या मधुश्रवा तीज के नाम से भी जाना जाता है।
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