भोलेनाथ की तीसरी आंख कब खुली थी (Bholenath Ki Teesri Aankh Kab Khuli Thi)

Bholenath Ki Teesri Aankh Kab Khuli Thi

आप भी यह जानना चाहते होंगे कि भोलेनाथ की तीसरी आंख कब खुली थी (Bholenath Ki Teesri Aankh Kab Khuli Thi)? दरअसल बहुत जनों ने शिवजी की तीसरी आँख खुलने के बारे में एक ही कहानी सुनी होगी जब महादेव ने क्रोधवश अपनी तीसरी आँख खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया था

हालाँकि शिव जी की तीसरी आँख खुलने के पीछे और भी कई कारण थे जिनके बारे में आपको जानना चाहिए। आज हम आपके साथ भोलेनाथ की तीसरी आँख खुलने के ऊपर की कहानी (Shiva Third Eye Story In Hindi) ही सांझा करेंगे। आइये शिव जी ने अपनी तीसरी आँख कब-कब खोली, इसके बारे में जान लेते हैं।

भोलेनाथ की तीसरी आंख कब खुली थी (Bholenath Ki Teesri Aankh Kab Khuli Thi)

सभी भगवान में केवल महादेव के पास तीसरी आँख थी जो यदि खुल जाए तो विनाश कर सकती थी किंतु इसका कार्य केवल विनाश ही नही था। शिवजी को विनाश का भगवान कहा जाता था लेकिन किसी भी वस्तु का विनाश उसके निर्माण के बिना संभव नहीं। इसलिये जिसके पास विनाश की शक्ति है उसी के पास निर्माण की भी अर्थात भगवान शिव ही रचियता व विनाशक थे, वे साक्षात् परम ब्रह्म व देवों के देव महादेव थे।

शिवजी की तीसरी आँख कब खुली थी (Shivji Ki Teesri Aankh Kab Khuli Thi), यह तो सब जानना चाहते हैं लेकिन इसके पीछे का कारण क्या था, वह नहीं। शिवजी ने अपनी तीसरी आँख या तो क्रोध स्वरुप खोली या विश्व के कल्याण के उद्देश्य से। यदि हम इतिहास व धार्मिक ग्रंथों को पढ़ेंगे तो पाएंगे कि भगवान शिव ने कुल तीन बार अपनी तीसरी आँख को खोला जिसके साथ तीन अलग-अलग कथाएं जुड़ी हुई है। आज हम इन तीनों कथाओं के बारे में विस्तार से जानेंगे।

#1. शिवजी और कामदेव की कहानी

यह कथा तब की है जब भगवान शिव की प्रथम पत्नी माता सती के पिता ने यज्ञ का आयोजन किया था किंतु भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया था जिससे उनका अपमान हुआ था। अपने पति का अपमान देखकर माता सती इतनी क्रोधित हो गयी थी कि उन्होंने उसी यज्ञ में स्वयं की आहुति दे दी थी व अपने प्राण त्याग दिए थे।

माता सती के देह त्याग से भगवान शिव इतने ज्यादा क्रोधित हो गए (Kamdev Shiva Story In Hindi) थे कि उन्होंने मोह माया से नाता तोड़ लिया व लंबी ध्यान साधना में चले गए। भगवान शिव कई वर्षों तक ध्यान में लगे रहे व इस कारण सभी देवी-देवता चिंतित हो उठे। विश्व कल्याण के उद्देश्य से सभी देवी-देवताओं ने महादेव को साधना से जगाने का निर्णय लिया लेकिन किसी में भी इतना साहस नहीं था।

ऐसे में स्वयं कामदेव सामने आये और उन्होंने शिवजी को जगाने की ठानी। इसके लिए वे शिवजी के पास गए और अपने धनुष पर प्रेम का तीर चढ़ाकर महादेव की ओर चलाया। इस तीर के प्रभाव से भगवान शिव की साधना टूट गयी। अपनी साधना के टूटने से भगवाव शिव इतने अधिक क्रोधित हुए कि उनकी तीसरी आँख खुल गयी। महादेव की तीसरी आँख से निकली ज्वाला के प्रकोप में कामदेव वहीं जलकर भस्म हो गए।

#2. जब माता पार्वती के कारण शिवजी ने खोली तीसरी आँख

यह कथा तब की है जब माता पार्वती और महादेव का नया-नया विवाह हुआ था। माता पार्वती माता सती का ही पुनर्जन्म थी जिसे महादेव ने अपनाया था। एक दिन माता पार्वती ने उत्सुकतावश भगवान शिव के साथ खेलने के उद्देश्य से पीछे से उनकी दोनों आँखों पर हाथ रखकर उन्हें बंद कर (Parvati Closed Shiva Eyes In Hindi) दिया।

माता पार्वती के द्वारा शिवजी की दोनों आँखे बंद करने से पूरे विश्व में अंधकार छा गया व जीवन रुक गया। तब विश्व को बचाने व उसे ऊर्जा देने के उद्देश्य से भगवान शिव ने अपनी तीसरी आँख खोली। इस समय तीसरी आँख किसी के विनाश के उद्देश्य से नहीं अपितु विश्व कल्याण के उद्देश्य के लिए खोली गयी थी।

#3. शिव और इंद्र युद्ध

एक बार देव राजा इंद्र व गुरु बृहस्पति भगवान शिव से मिलने कैलाश पर्वत गए थे। तब भगवान शिव उनके साथ मस्ती करने के लिए कैलाश में कहीं छुप गए। भगवान शिव को ना पाकर और उनके छुपे होने के कारण इन्द्रदेव का अहम जाग उठा व उन्होंने क्रोधित होकर भगवान शिव पर अपना वज्र चला दिया।

यह देखकर शिवजी क्रोधित हो (Shiva And Indra Fight In Hindi) गए और इसी क्रोध में उन्होंने अपनी तीसरी आँख खोल दी। उस समय गुरु बृहस्पति के द्वारा बीच-बचाव करने पर देव इंद्र की जान बच सकी थी। तो यह थी तीन घटनाएँ जब भगवान शिवजी को अपनी तीसरी आँख खोलने पर विवश होना पड़ा था।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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