भगवान श्रीराम ने रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना क्यों की थी?

Shivling Made By Ram

रामेश्वरम में जो शिवलिंग (Shivling Made By Ram) स्थापित है वह सभी हिन्दुओं के बीच अत्यधिक पवित्र स्थल हैं। साथ ही यह स्थल चार धामों में से एक माना जाता हैं जिसकी स्थापना स्वयं श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने से पूर्ण की थी (Shivling Made By Shri Ram)। आखिर श्रीराम ने उसी स्थल पर शिवलिंग की स्थापना क्यों की थी व इसके पीछे उनका क्या उद्देश्य था? आइये जानते हैं?

श्रीराम के द्वारा रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना (Rameshwaram Shivling History In Hindi)

समुंद्र पर बनवाया सेतु (Rameshwaram Shivling Story In Hindi)

जब श्रीराम को हनुमान के द्वारा माता सीता के लंका में सुरक्षित होने की बात पता चली तो वे संपूर्ण वानर सेना के साथ किष्किन्धा से तमिलनाडु के धनुषकोडी नामक स्थल पर पहुँच गए जो लंका के समीप सबसे निकट भूमि थी। यही से उन्होंने समुंद्र देव से आज्ञा लेकर नल व नील की सहायता से समुंद्र सेतु के निर्माण का कार्य शुरू करवाया था।

क्यों किया रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित (Rameshwaram Shivling Sthapana Ramayan)

चूँकि यह रावण के अंत की शुरुआत हो रही थी व यही से भगवान को लंका की चढ़ाई कर रावण का अंत करना था इसलिये उन्होंने अपने आराध्य भगवान शिव की याद में यहाँ शिवलिंग स्थापित करने का सोचा (Shivling Made By Ram In Rameshwaram)। श्रीराम के अवतार लेने का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी को पापियों से मुक्त करना तथा राक्षसों के राजा रावण का अंत करना था। लंका पर चढ़ाई करने के पश्चात कुछ ही दिनों में रावण का अंत हो जाता। इसलिये श्रीराम ने उससे पहले अपने आराध्य भगवान शिव की स्तुति करने का निर्णय लिया।

इसके लिए भगवान श्रीराम ने महाराज सुग्रीव को आदेश दिया था कि वे आसपास से सिद्धि प्राप्त सभी पंडितों व ऋषि-मुनियों को बुलाए व उनके द्वारा पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाए (Bhagwan Ram Ne Shivling Ki Sthapna Kis Dam Mein Ki Thi)।

इसके बाद उन्होंने अपने हाथ से उस स्थल पर समुंद्र की मिट्टी का शिवलिंग बनाया व उस पर जल, बेलपत्र इत्यादि अर्पित किये। समुंद्र पर लंका तक सेतु का निर्माण करने में पांच दिन का समय लगा था व इतने दिनों तक भगवान श्रीराम शिवलिंग की पूजा करते रहे व भगवान शिव की स्तुति में डूबे रहे।

अन्तंतः जब सेतु का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया तब उन्होंने भगवान शिव से आशीर्वाद लेकर लंका के लिए चढ़ाई शुरू की व रावण रुपी पापी का अंत किया। इस स्थल का नाम रामेश्वरम इसलिये पड़ा क्योंकि इसे राम भगवान के ईश्वर अर्थात भगवान शिव से जोड़कर देखा गया। यह नाम स्वयं भगवान श्रीराम ने ही दिया था।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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