क्या आप हनुमान चालीसा के रोचक तथ्य (Hanuman Chalisa Facts In Hindi) जानने को यहाँ आये हैं!! हनुमान चालीसा भगवान शिव के 11वें अवतार भगवान हनुमान की वीरगाथा को समर्पित है जिसकी रचना महर्षि तुलसीदास जी ने 15वीं शताब्दी में अवधि भाषा में की थी। तभी से यह सभी हिन्दुओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय है व लगभग सभी को यह कंठस्थ भी होती है।
हनुमान चालीसा का पाठ किसी भी शुभ अवसर पर, प्रतिदिन सुबह पूजा करते समय या मन से भय व डर को भगाने के उद्देश्य से किया जा सकता है। भक्त हनुमान को माता सीता से अजर अमर होने का वरदान प्राप्तहै। साथ ही वे अपने भक्तों के संकटों को दूर करने के उद्देश्य से भी याद किये जाते हैं। इसलिये हनुमान चालीसा का पाठ सभी के बीच बहुत आम है। इस लेख में आपको हनुमान चालीसा के बारे में रोचक तथ्य पढ़ने को मिलेंगे।
हनुमान चालीसा के 5 रोचक तथ्य (Hanuman Chalisa Facts In Hindi)
हनुमान चालीसा की शुरुआत से लेकर इसकी हरेक चीज़ रहस्यों से भरी हुई है। एक बार जब हनुमान बालरूप में सूर्य देव को निगल लेते हैं तो पृथ्वी से सूर्य तक की दूरी को भी हनुमान चालीसा में लिखा गया है। ऐसे ही और भी रोचक तथ्य हैं जो हनुमान चालीसा से जुड़े हुए हैं। आज हम आपके सामने 5 मुख्य तथ्यों को रखने जा रहे हैं।
#1. हनुमान चालीसा की शुरुआत
हनुमान चालीसा की शुरुआत श्रीगुरु शब्द से होती है जिसमे श्री का अर्थ माता सीता से है। हनुमान जी माता सीता को अपना गुरु मानते थे, इसलिये शुरुआत में श्री शब्द को जोड़ा गया है। एक बार माता सीता ने भक्त हनुमान की श्रीराम के प्रति सच्ची निष्ठा व भक्तिभाव से प्रसन्न होकर उन्हें हमेशा अमर होने का वरदान दिया था। चूँकि इस पृथ्वी पर जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु तय है चाहे वह भगवान ही क्यों ना हो लेकिन हनुमान जी इसमें एक अपभ्रंश हैं।
साथ ही माता सीता ने हनुमान को यह कर्तव्य भी सौंपा था कि वे कलयुग के अंत तक जीवित रहेंगे व भगवान विष्णु के अन्य अवतारों के सहायक होंगे। इसके साथ ही माता सीता ने हनुमान को यह आशीर्वाद भी दिया था कि जब तक इस पृथ्वी पर श्रीराम का नाम रहेगा तब तक भक्त हनुमान भी यहाँ विराजमान रहेंगे।
#2. हनुमान चालीसा का नाम
क्या आपने कभी सोचा है कि हनुमान चालीसा का नाम यही क्यों पड़ा? अर्थात इसमें हनुमान के बाद चालीसा शब्द का प्रयोग किस उद्देश्य से किया गया है? आइए इसके बारे में भी जान लेते हैं। इसका नाम हनुमान चालीसा इसलिए पड़ा क्योंकि इसमें हनुमान जी को समर्पित कुल 40 चौपाईयां हैं। चालीसा का अर्थ 40 अंकों से है। हनुमान चालीसा में शुरुआत में 2 दोहे, फिर 40 चौपाईयां व अंत में एक दोहा आता है।
#3. हनुमान चालीसा की चौपाईयां
अब बात करते हैं हनुमान चालीसा में लिखी गयी चालीस चौपाइयों के बारे में। महर्षि तुलसीदास जी ने इन चालीस चौपाइयों को हनुमान की श्रीराम के प्रति भक्ति, उनकी वीरता व भक्तों के ऊपर उनकी कृपा के उद्देश्य से लिखी थी।
इसमें प्रथम 10 चौपाईयां हनुमान जी के शौर्य व वीरता के बारे में बताती है, 11 से 20 चौपाईयां हनुमान जी की श्रीराम व उनके छोटे भाई लक्ष्मण की सेवा के रूप में उनके कार्यों को बताती है तथा अंत की 20 चौपाईयां हनुमान जी की अपने भक्तों के ऊपर कृपा को समर्पित है।
#4. पृथ्वी से सूर्य की दूरी
इसमें एक चौपाई “जुग सहस्त्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू” सूर्य से पृथ्वी की एक दम सटीक दूरी को दर्शाती है जिसे आज के विज्ञान से बहुत पहले बता दिया गया था। इसमें जुग का अर्थ युग से, सहस्त्र का अर्थ हज़ार से व जोजन का अर्थ एक योजन से है। इसे गणित की भाषा से समझा जाए तो:
एक जुग (युग)= 12,000 वर्ष
एक सहस्त्र= 1,000
एक जोजन (योजन)= 8 मील
अर्थात युग (12,000) * सहस्त्र (1,000) * जोजन (8 मील) = भानु/ सूर्य (9,60,00,000 मील)
एक मील में 1.6 किलोमीटर होते हैं अर्थात 9,60,00,000 * 1.6 = 15,36,00,000 किलोमीटर
हनुमान चालीसा में दी गयी सूर्य की पृथ्वी से दूरी आज के विज्ञान के अनुसार एक दम सटीक बैठती है जो कि लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है। इतना ही नही, हमारे ऋषि-मुनियों के द्वारा सूर्य सिद्धांत नामक ग्रंथ भी लिखा गया था जिसके कुछ अंश आज भी उपलब्ध हैं। इस ग्रंथ में संपूर्ण सौरमंडल, ग्रहों की गति, समय, परग्रही, आकाशगंगाएं, उन सभी का हमारा व हमारी पृथ्वी पर पड़ता प्रभाव इत्यादि के बारे में विस्तृत रूप से आज से हजारों वर्ष पूर्व ही बता दिया गया था।
#5. तुलसीदास व हनुमान मिलन
15वीं शताब्दी में तुलसीदास जी ने रामचरितमानस व हनुमान चालीसा की रचना की थी। वे प्रतिदिन काशी में गंगाघाट के किनारे रामचरितमानस का पाठ किया करते थे जिसे सुनने कई लोग आया करते थे। किंतु उन सभी में से एक वृद्ध व्यक्ति हमेशा सबसे पहले आता व सबसे अंत में जाता। वह व्यक्ति कोई और नही बल्कि स्वयं भक्त हनुमान थे।
एक दिन तुलसीदास जी ने उन्हें पहचान लिया व सभी के जाने के पश्चात उनसे हाथ जोड़कर विनती की कि वे अपना असली परिचय उन्हें दें। इसके बाद हनुमान जी ने उन्हें दर्शन दिए तथा तुलसीदास जी ने उनके सामने प्रथम बार हनुमान चालीसा का पाठ करके सुनाया। इसके बाद हनुमान जी ने उन्हें श्रीराम व लक्ष्मण से मिलने का मार्ग बताया व वहां से चले गए।
इस तरह से आज आपने हनुमान चालीसा के रोचक तथ्य (Hanuman Chalisa Facts In Hindi) जान लिए हैं। आप भी प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे तो यह आपके लिए बहुत ही शुभ फल देने वाला होगा।
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