आज हम आपको जगन्नाथ पुरी रथ (Jagannath Puri Rath) के तीनों रथों के बारे में जानकारी देंगे। हर वर्ष जगन्नाथ मंदिर से भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र तथा बहन सुभद्रा के साथ रथों में बैठकर मंदिर से बाहर निकलते हैं। इस दौरान विशाल रथयात्रा निकाली जाती है जिसका भाग बनने लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं तथा उनका रथ खींचते हैं।
इस उत्सव की तैयारियां दो माह पहले से ही शुरू हो जाती है तथा रथों के निर्माण का कार्य भी प्रारंभ हो जाता है। भगवान जगन्नाथ तथा उनके भाई-बहन के लिए तीन रथों (Puri Ratha) का निर्माण होता है जिसके लिए नीम के पेड़ की लकड़ियाँ ली जाती है। इन्हें बनाने के लिए किसी प्रकार के कील या कांटे का प्रयोग नहीं किया जाता।
साथ ही नीम का वृक्ष भी अलौकिक होता है जिसकी खोज पूरे भारत वर्ष में की जाती है। अंत में अक्षय तृतीय के दिन से रथों के निर्माण का कार्य शुरू हो जाता है जो रथयात्रा के कुछ दिन पहले समाप्त होता है। आज हम भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के लिए तैयार होने वाले तीनों रथों की विशेषता के बारे में जानेंगे।
Jagannath Puri Rath | जगन्नाथ पुरी रथ
भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष/ गरुड़ध्वज/ गरुण ध्वज/ कपिलध्वज कहा जाता है। इस रथ की ऊंचाई 45.6 फीट (लगभग 14 मीटर) होती है जिसमें 16 विशाल पहिए लगे होते हैं। रथ को 832 लकड़ियों से जोड़कर बनाया जाता है। रथ पर जो ध्वज लगा होता है उसे त्रिलोक्यमोहिनी कहते हैं। रथ का रंग लाल व पीला होता है जिसके सारथि का नाम मातली होता है।
इस रथ में भगवान जगन्नाथ के साथ भगवान नारायण, हनुमान, रूद्र इत्यादि भी विराजमान होते हैं। रथ में चार घोड़े लगे होते हैं तथा इसे जिस रस्सी की सहायता से खींचा जाता है, उसे शंखचुडा के नाम से जाना जाता है। भगवान जगन्नाथ का रथ (Jagannath Rath) सबसे आखिरी में चलता है। यह जगन्नाथ पुरी रथ का मुख्य रथ होता है क्योंकि इसमें स्वयं भगवान जगन्नाथ विराजमान होते हैं।
जो भगवान जगन्नाथ वर्षभर अपने मंदिर में विराजमान होते हैं वे अपने रथ पर बैठकर भक्तों के बीच निकलते हैं। इसी कारण देश-विदेश से करोड़ों की संख्या में भक्तगण इन ऐतिहासिक पलों का अनुभव लेने पुरी नगरी पहुँचते हैं। इनके साथ ही इनके भाई-बहन बलभद्र और सुभद्रा भी अपने-अपने रथों पर विराजमान होकर बाहर निकलते हैं। आइए उनके रथों के बारे में भी जान लेते हैं।
भगवान बलभद्र का रथ
भगवान बलभद्र के रथ को तालध्वज के नाम से जाना जाता है जिसकी ऊंचाई 45 फीट (13.7 मीटर) होती है। इस रथ में 14 पहिए लगे होते हैं तथा रथ का निर्माण 763 लकड़ियों को जोड़कर किया जाता है। रथ के ध्वज को उनानी के नाम से जाना जाता है। रथ का रंग लाल व हरा होता है जिसका सारथि सान्यकी होता है।
रथ (Puri Ratha) में भगवान बलभद्र कार्तिक, गणेश इत्यादि के साथ विराजमान होते हैं। रथ को खींचने के लिए जिस रस्सी का प्रयोग किया जाता है उसे बासुकी नाग कहते हैं। भगवान बलभद्र का रथ सबसे आगे चलता है।
माता सुभद्रा का रथ
माता सुभद्रा के रथ को दर्पदलन/ पद्म रथ के नाम से जाना जाता है जिसकी ऊंचाई 44.6 फीट (13.5 मीटर) होती है। इस रथ में 12 पहिए लगे होते हैं तथा रथ को 593 लकड़ियों को जोड़कर बनाया जाता है। रथ के ध्वज को नंद्विक ध्वज कहा जाता है तथा रथ का रंग लाल व काला होता है। रथ के सारथि उनके पति अर्जुन होते हैं।
रथ (Jagannath Rath) में माता सुभद्रा, चामुंडा, दुर्गा, चंडी इत्यादि विराजमान होती है। रथ को खींचने के लिए जिस रस्सी का प्रयोग किया जाता है उसका नाम स्वर्णचुडा होता है तथा माता सुभद्रा का रथ दोनों भाइयों के बीच में होता है।
इस तरह से आज आपने जगन्नाथ पुरी रथ (Jagannath Puri Rath) उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों के बारे में समूची जानकारी प्राप्त कर ली है। पुरी रथ यात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को शुरू होती है और वहाँ से भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी गुंडिचा के मंदिर जाते हैं। वहाँ सात दिनों तक निवास करने के पश्चात वे फिर उसी धूमधाम के साथ अपने मंदिर जगन्नाथ धाम को लौट जाते हैं।
जगन्नाथ पुरी रथ से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: जगन्नाथ जी का रथ कब निकलेगा?
उत्तर: हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि के दिन भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह जून-जुलाई के महीनो में पड़ती है।
प्रश्न: रथ यात्रा कितने दिन का होता है?
उत्तर: भगवान जगन्नाथ की रथ का उत्सव 11 दिन तक चलता है। पहले दिन भगवान जगन्नाथ रथ पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर जाते हैं और सात दिनों तक वहाँ रहते हैं। फिर आखिरी अर्थात नौवें दिन पुनः अपने धाम को लौट आते हैं।
प्रश्न: पुरी रथ यात्रा में कितने रथ भाग लेते हैं?
उत्तर: पुरी रथ यात्रा में कुल तीन रथ भाग लेते हैं। तीनों रथों में भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण), उनके भाई बलभद्र (बलराम) और बहन सुभद्रा विराजमान होते हैं।
प्रश्न: रथ यात्रा के दिन क्या करना चाहिए?
उत्तर: रथ यात्रा वाले दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और माता सुभद्रा की पूजा की जाती है। उसके बाद भव्य रूप से रथ यात्रा निकाली जाती है जिसमें लाखों भक्तों के द्वारा भाग लिया जाता है।
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