झूलेलाल की आरती हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

झूलेलाल की आरती (Jhulelal Aarti)

आज के इस लेख में हम आपके साथ झूलेलाल की आरती (Jhulelal Aarti) का पाठ ही करने जा रहे हैं। सनातन धर्म में कई तरह के वर्ग व जाति के लोग होते हैं। ऐसे में उन सभी के देवता भी समय, स्थान व कुल के अनुसार परिवर्तित होते जाते हैं। किसी समयकाल के अंदर जिस व्यक्ति ने ईश्वरीय रूप में उनकी सहायता की होती है, आगे चलकर वह उनके लिए देवता का स्थान ले लेते हैं। कुछ ऐसी ही मान्यता सिंध समाज में झूलेलाल जी को लेकर है जो सिंधी लोगों के लिए पूजनीय हैं।

झूलेलाल जी की आरती (Jhulelal Ji Ki Aarti) के माध्यम से झूलेलाल जी के जीवन, उनकी शक्तियों तथा कर्मों के बारे में बताया गया है। ऐसे में आज हम आपके साथ झूलेलाल आरती हिंदी में भी साझा करेंगे ताकि आप उसका भावार्थ समझ सकें। अंत में हम आपके साथ झूलेलाल आरती पढ़ने के फायदे व महत्व भी साझा करेंगे। तो चलिए सबसे पहले पढ़ते हैं श्री झूलेलाल आरती।

Jhulelal Aarti | झूलेलाल की आरती

ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा।
पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा॥

तुहिंजे दर दे केई, सजण अचनि सवाली।
दान वठन सभु दिलि, सां कोन दिठुभ खाली॥
ॐ जय दूलह देवा।

अंधड़नि खे दिनव, अखडियूँ-दुखियनि खे दारुं।
पाए मन जूं मुरादूं, सेवक कनि थारू॥
ॐ जय दूलह देवा।

फल फूलमेवा सब्जिऊ, पोखनि मंझि पचिन।
तुहिजे महिर मयासा अन्न, बि आपर अपार थियनी॥
ॐ जय दूलह देवा।

ज्योति जगे थी जगु में, लाल तुहिंजी लाली।
अमरलाल अचु मूं वटी, हे विश्व संदा वाली॥
ॐ जय दूलह देवा।

जगु जा जीव सभेई, पाणिअ बिन प्यास।
जेठानंद आनंद कर, पूरन करियो आशा॥

ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा।
पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा॥

Jhulelal Ji Ki Aarti | झूलेलाल आरती हिंदी में

ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा।
पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा॥

हम सभी का कष्ट दूर करने वाले झूलेलाल जी की जय हो। साईं रूप दुलहा देव की जय हो। हम सभी आपके प्रेमी हैं और आपको बहुत प्रेम करते हैं। हम सभी आपक सेवा करने को तत्पर हैं।

तुहिंजे दर दे केई, सजण अचनि सवाली।
दान वठन सभु दिलि, सां कोन दिठुभ खाली॥

आपके दरबार में तो देश-विदेश से बहुत श्रद्धालु आते हैं और आकर अपना सिर झुकाते हैं और आपको प्रणाम करते हैं। जो कोई भी आपके नाम पर दान करता है और निर्धनों की सहायता करता है, उसकी झोली को आप भर देते हैं।

अंधड़नि खे दिनव, अखडियूँ-दुखियनि खे दारुं।
पाए मन जूं मुरादूं, सेवक कनि थारू॥

यदि हमारे जीवन में कोई संकट, विपदा, कष्ट, दुःख या पीड़ा आ गयी है तो उसका निवारण भी झूलेलाल जी की कृपा से हो जाता है। हम अपनी जो भी मनोकामना लेकर झूलेलाल जी के दरबार में जाते हैं, वह हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

फल फूलमेवा सब्जिऊ, पोखनि मंझि पचिन।
तुहिजे महिर मयासा अन्न, बि आपर अपार थियनी॥

जो कोई भी श्रद्धा से झूलेलाल जी को फल, फूल, सब्जी इत्यादि मेवा का भोग लगाता है, भगवान झूलेलाल उसके घर को धन-धान्य से भर देते हैं।

ज्योति जगे थी जगु में, लाल तुहिंजी लाली।
अमरलाल अचु मूं वटी, हे विश्व संदा वाली॥

भगवान झूलेलाल जी की ज्योति तो इस जगत में हर जगह जल रही है। संपूर्ण विश्व के प्राणी उनकी वंदना कर रहे हैं और झूलेलाल जी की जय-जयकार कर रहे हैं।

जगु जा जीव सभेई, पाणिअ बिन प्यास।
जेठानंद आनंद कर, पूरन करियो आशा॥

झूलेलाल जी जो कि वरुण देवता का अवतार हैं, उनकी कृपा से इस विश्व का कोई भी प्राणी प्यासा नहीं रह सकता है। जेठानंद जी कहते हैं कि जो कोई भी झूलेलाल जी में अपनी आस्था रखता है, उसके मन की हरेक आशा व मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

झूलेलाल जी की आरती का महत्व

किसी भी समाज या वर्ग के लिए उनके लोक देवता या भगवान की बहुत ज्यादा मान्यता होती है। एक समय पहले तक भारत के सिंध प्रांत में इस्लामिक आक्रांताओं का प्रकोप बहुत बढ़ गया था और उनके द्वारा हिन्दू धर्म के अनुयायियों को लगातार मारा जा रहा था। मुगल आक्रांताओं के आंतक से त्रस्त हिन्दुओं ने वरुण देवता से सहायता मांगी तो उन्होंने झूलेलाल जी के रूप में अवतार लेकर उनका कष्ट हरा।

ऐसे में झूलेलाल आरती के माध्यम से भगवान झूलेलाल जी के बारे में संक्षिप्त परिचय भी दे दिया जाता है और साथ के साथ उनकी आराधना भी हो जाती है। झूलेलाल की आरती (Jhulelal Ki Aarti) को पढ़ने से हमें झूलेलाल जी के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलता है। बस यही झूलेलाल जी की आरती का महत्व होता है।

झूलेलाल आरती के फायदे

अब यदि आप नित्य रूप से भगवान झूलेलाल की आरती का पाठ करते हैं तो इसका सबसे प्रमुख लाभ तो यही मिलता है कि आपको जल संबंधित कोई भी रोग नहीं होता है। हमारे शरीर का अधिकांश हिस्सा पानी का ही होता है और यदि इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी हो जाती है तो कई तरह की बीमारियाँ हमें जकड़ लेती हैं। ऐसे में इन सभी बीमारियों से झूलेलाल आरती के माध्यम से बचा जा सकता है।

इतना ही नहीं, श्री झूलेलाल जी की आरती के जाप से हम अपने शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त कर लेते हैं। यदि हमारे जीवन में किसी तरह का संकट, बाधा, दुःख, कष्ट, विपत्ति इत्यादि आ रही है या हमें आगे का मार्ग नहीं सूझ रहा है तो वह सब भी झूलेलाल आरती के माध्यम से सुलझ जाती है। भगवान झूलेलाल जी की कृपा से हम अपने करियर में उन्नति करते हैं तथा समाज में भी हमारा मान-सम्मान बढ़ता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने झूलेलाल की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Jhulelal Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने झूलेलाल आरती के फायदे और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

झूलेलाल आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: भगवान झूलेलाल कौन है?

उत्तर: दसवीं सदी में भारत के सिंध (वर्तमान आतंकी देश पाकिस्तान का भाग) प्रांत के हिन्दुओं पर इस्लामिक आक्रांताओं का अत्याचार बहुत बढ़ गया था। उस समय झूलेलाल जी ने उनकी रक्षा की थी। इस कारण सिंध प्रांत के लोग उन्हें लोक देवता या भगवान के रूप में पूजते हैं।

प्रश्न: झूलेलाल का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: झूलेलाल जी का जन्म 1007 ईसवीं के चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन हुआ था और मात्र 13 वर्ष की आयु में उन्होंने इस्लामिक आक्रांता व राजा मिरखशाह का अभिमान नष्ट कर दिया था।

प्रश्न: झूलेलाल के माता पिता का नाम क्या है?

उत्तर: झूलेलाल के माता पिता का नाम रतनराय व देवकी है जो भारत के सिंध प्रान्त के नसरपुर ग्राम में रहते थे। वर्तमान में भारत का यह भाग आतंकी देश पाकिस्तान में पड़ता है।

प्रश्न: सिंधी चेती चांद क्यों मनाते हैं?

उत्तर: चेती चांद के दिन सिंधी लोगों के ईश्वर झूलेलाल जी का जन्म हुआ था। इसलिए झूलेलाल जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में सिंधी समाज के लोगों के द्वारा चेती चांद का उत्सव मनाया जाता है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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