क्या आप केदारनाथ मंदिर का रहस्य (Kedarnath Mandir Ka Rahasya) जानने को यहाँ आए हैं? तो यहाँ हम आपको पहले ही बता दें कि भगवान शिव का धाम केदारनाथ एक नहीं बल्कि कई रहस्यों का घर है। महाभारत काल में इसका निर्माण पांडवों के द्वारा किया गया था। उसके बाद समय-समय पर यहाँ कई प्राकृतिक आपदाएं आई लेकिन मंदिर हमेशा सुरक्षित रहा। यहाँ तक कि एक समय में तो मंदिर 400 वर्षों तक बर्फ में दबा रहा लेकिन उसे कुछ नही हुआ।
कहते हैं कि यहाँ स्थित केदारनाथ भैरव मंदिर ही इस स्थान की रक्षा करते हैं। इसका प्रमाण आप भीम शिला केदारनाथ (Bhim Shila Kedarnath) से भी ले सकते हैं जिसने 2013 की प्राकृतिक आपदा में मंदिर की रक्षा की थी। केदारनाथ मंदिर के ऐसे ही कुछ रहस्यों को आज हम आपके सामने रखने जा रहे हैं।
Kedarnath Mandir Ka Rahasya | केदारनाथ मंदिर का रहस्य
भगवान शिव का मंदिर केदारनाथ ही एक रहस्य नहीं है अपितु स्वयं भगवान शिव भी हम सभी के लिए किसी रहस्य से कम नहीं हैं। ना ही हम मनुष्य शिव को कभी पूर्ण रूप में जान सकते हैं और ना ही उन्हें पा सकते हैं। आकाश में जो अनंत है, रोशनी को अपने अंदर समा लेने वाला जो अंधकार है, वही शिव है। जिस शिव का आदि और अनंत स्वयं भगवान ब्रह्मा और विष्णु नहीं ढूंढ पाएं तो हम तो फिर भी साधारण मनुष्य हैं।
कुछ ऐसे ही रहस्य केदारनाथ मंदिर के भी हैं। यह रहस्य इसके निर्माण से लेकर 2013 में आई प्राकृतिक आपदा तक में दिखाई देते हैं। आइए जाने केदारनाथ का रहस्य (Kedarnath Ka Rahasya)।
#1. केदारनाथ मंदिर के निर्माण का रहस्य
जब आप केदारनाथ जाएंगे तो देखेंगे कि मंदिर का निर्माण कटवां के भूरे रंग के विशाल पत्थरों, चट्टानों व शिलाखंडों से किया गया है। इनको जोड़ने के लिए आपस में इंटरलॉकिंग की गई है। केदारनाथ मंदिर समुंद्र तल से 22,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
अब रहस्य की बात यह है कि इतनी ज्यादा ऊंचाई पर इन पत्थरों व शिलाखंडों को कैसे पहुँचाया गया था। साथ ही इन्हें कैसे एक के ऊपर एक रखकर मंदिर का निर्माण किया गया। केदारनाथ मंदिर के ऐसे भव्य निर्माण की आज के समय में केवल परिकल्पना ही की जा सकती है।
धार्मिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग के अंत में पांडवों ने महादेव के आशीर्वाद से इस जगह पर केदारनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। उन्होंने ही इस पहाड़ी पर बड़े-बड़े पत्थर ले जाकर केदारनाथ सहित पंच केदारों के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई थी। उसके बाद से कई राजाओं ने केदारनाथ मंदिर का समय-समय पर जीर्णोद्धार करवाया है।
#2. 400 साल से बर्फ में था केदारनाथ
पांडवों के बाद इस मंदिर का पुनः निर्माण आदि शंकराचार्य के द्वारा किया गया था। इसके बाद उन्होंने इसी मंदिर के पीछे समाधि ले ली थी जो आज तक वहां है। इसके बाद 10वीं से 13वीं शताब्दी के बीच कई भारतीय राजाओं के द्वारा मंदिर का पुनः निर्माण करवाया गया था जिससे इसका जीर्णोद्धार हुआ था।
वाडिया इंस्टीट्यूट हिमालय के द्वारा किए गए शोध में यह बात सामने आई थी कि 13वीं शताब्दी से लेकर 17वीं शताब्दी तक यह क्षेत्र पूरी तरह से हिम/ बर्फ से ढक गया था। तब लगभग 400 वर्षों तक केदारनाथ मंदिर पूरी तरह से हिम से ढका रहा था। इस कारण भी मंदिर को कोई क्षति नही हुई थी।
इसके प्रमाण आज भी मंदिर की दीवारों पर देखने को मिल जाते हैं। हालाँकि 17वीं शताब्दी के बाद जब हिम का अनुपात कम हुआ तो मंदिर पुनः दृष्टि में आया। इसके बाद से केदारनाथ की यात्रा पुनः सुचारू रूप से शुरू हो गई थी।
#3. केदारनाथ भैरव मंदिर
केदारनाथ मंदिर से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध भैरवनाथ जी का मंदिर स्थित है। इसे इस क्षेत्र का क्षेत्रपाल भी कहा जाता है जो इस मंदिर की सुरक्षा करते हैं। सर्दियों के माह में दीपावली के अगले दिन से केदारनाथ मंदिर के कपाट भीषण बर्फबारी के कारण बंद कर दिए जाते हैं और उसके छह माह के बाद मई माह में अक्षय तृतीया के दिन खोले जाते हैं।
मान्यता है कि इन छह माह में मंदिर की सुरक्षा का भार श्री भैरवनाथ जी ही सँभालते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि गर्मियों में 6 माह तक मंदिर खुला रहता है तो उस समय मंदिर के पुजारी सहित अन्य लोग केदारनाथ जी की सेवा करते हैं और उनका ध्यान रखते हैं। अब जब सर्दियों के मौसम में केदारनाथ जाने के सभी मार्ग बंद हो जाते हैं तब भैरव बाबा ही केदारनाथ मंदिर की रखवाली करते हैं। अब इसे हम केदारनाथ का रहस्य (Kedarnath Ka Rahasya) नहीं कहेंगे तो क्या ही कहेंगे।
जो भी भक्तगण केदारनाथ मंदिर के दर्शन करने हेतु यहाँ आते हैं, उन्हें पहले श्री भैरवनाथ मंदिर के दर्शन करना अनिवार्य होता है अन्यथा केदारनाथ की यात्रा विफल मानी जाती है। वहीं केदारनाथ में कोई भी संकट आता है या कोई काम नहीं बन रहा होता है तो यहाँ के पंडित व अन्य लोग भैरव बाबा का ही आह्वान करते हैं।
#4. केदारनाथ अखंड ज्योति
सर्दियों के माह में जब केदारनाथ मंदिर छह माह के लिए बंद हो जाता है तब यहाँ रहस्यमय तरीके से अखंड ज्योत लगातार छह माह तक प्रज्ज्वलित रहती है। दीपावली के बाद से यहाँ पर भीषण बर्फबारी का दौर शुरू हो जाता है जिस कारण केदारनाथ भगवान के प्रतीकात्मक स्वरुप को नीचे उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है।
इन छह माह में वहां के स्थानीय नागरिक भी वहां रह नही पाते हैं। इस कारण वहां से सभी श्रद्धालु, भक्तगण, स्थानीय नागरिक, दुकानवाले, उत्तराखंड सरकार के अधिकारी इत्यादि सब नीचे आ जाते हैं। छह माह तक यह स्थल एक दम सुनसान रहता है व केदारनाथ धाम जाने के सभी मार्ग भी बंद हो जाते हैं।
जब मंदिर के पुजारियों के द्वारा छह माह बाद केदारनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं तब भी वहां अखंड ज्योत जलती हुई मिलती है। साथ ही ऐसा प्रतीत होता है कि कल ही यहाँ किसी ने पूजा की थी। छह माह तक मंदिर बंद रहने के पश्चात भी ऐसा प्रतीत होता है कि मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई की गई है। यह केदारनाथ मंदिर के रहस्यों में से सबसे बड़ा रहस्य है।
#5. Bhim Shila Kedarnath | भीम शिला केदारनाथ
वर्ष 2013 में उत्तराखंड व केदारनाथ में आई भयंकर त्रासदी के बारे में कौन नही जानता होगा। उस समय आसमान से इतनी भयंकर मेघगर्जना व वर्षा हुई थी जितनी संभवतया आजतक ना हुई हो। उस आपदा में लगभग दस हज़ार से भी ज्यादा श्रद्धालु मारे गए थे।
सभी नदियाँ उफान पर थी व हर जगह भीषण बाढ़ आ गई थी। तब बाढ़ का प्रचंड रूप केदारनाथ मंदिर की ओर भी बढ़ रहा था। केदारनाथ मंदिर के पीछे जो आदि शंकराचार्य का समाधि स्थल था वह पूरी तरह से बाढ़ में बह गया था।
इससे पहले की बाढ़ का पानी केदारनाथ मंदिर के पास पहुँचता, उससे पहले ही चमत्कारिक रूप से एक विशाल चट्टान पानी में बहती हुई आई और ठीक मंदिर के पीछे रुक गई। इसी चट्टान से टकरा कर पानी का बहाव दो भागों में बंट गया और मंदिर के दोनों ओर से आगे निकल गया।
आज हम इस चट्टान को भीमशिला के नाम से जानते हैं। जो भी केदारनाथ मंदिर के दर्शन करने जाता है वह इस चट्टान की भी पूजा करता है। मान्यता है कि स्वयं महादेव ने मंदिर की सुरक्षा के लिए इस भीमशिला चट्टान को केदारनाथ धाम भेजा था।
निष्कर्ष
इन सभी रहस्यों के अलावा, एक बात और है जो हम आपको बताना चाहते हैं। दरअसल पुराणों की भविष्यवाणी के अनुसार, भविष्य में इस संपूर्ण क्षेत्र के तीर्थ लुप्त हो जाएंगे जिनमे केदारनाथ व बद्रीनाथ धाम प्रमुख हैं। पुराणों के अनुसार, एक दिन नारायण की शक्ति से पहाड़ों का मिलन होगा व बद्रीनाथ तथा केदारनाथ के मार्ग लुप्त हो जाएंगे। इसके बाद एक नए धाम का उदय होगा जिसे भविष्यबद्री के नाम से जाना जाएगा।
इस तरह से आज के इस लेख में आपने केदारनाथ मंदिर का रहस्य (Kedarnath Mandir Ka Rahasya) तो जान ही लिया है लेकिन क्या आपने केदारनाथ की यात्रा कर ली है!! यदि आप अभी तक केदारनाथ यात्रा पर नहीं गए हैं तो आपको बिना देर किए आज ही उसके लिए प्लान कर लेना चाहिए।
केदारनाथ मंदिर के रहस्य से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: केदारनाथ में कौन सी घटना हुई थी?
उत्तर: केदारनाथ में पांडवों ने भगवान शिव के बैल रूपी अवतार की पीठ पकड़ ली थी। उसके बाद उन्होंने महादेव के आशीर्वाद से यहाँ शिवजी के विशाल मंदिर का निर्माण किया था।
प्रश्न: केदारनाथ के पीछे क्या है?
उत्तर: केदारनाथ के पीछे विशाल चट्टान है जिसे भीम शिला के नाम से जाना जाता है। 2013 की प्राकृतिक आपदा में यह चट्टान बहकर मंदिर के ठीक पीछे आकर रुक गई थी।
प्रश्न: क्या हम केदारनाथ में शिव लिंग को छू सकते हैं?
उत्तर: नहीं, आप केदारनाथ में शिव लिंग को नहीं छू सकते हैं। इसे केवल दूर से ही देखने की अनुमति होती है।
प्रश्न: केदारनाथ शिवलिंग दूसरों से अलग क्यों है?
उत्तर: केवल केदारनाथ शिवलिंग ही नहीं अपितु ऐतिहासिक महत्व रखने वाला हर शिवलिंग एक दूसरे से भिन्न है।
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