भगवान जगन्नाथ की मूर्ति अधूरी क्यों है? जाने जगन्नाथ की मूर्ति का रहस्य

Jagannath Bhagwan Ki Murti

आज हम आपको भगवान जगन्नाथ की मूर्ति का रहस्य (Jagannath Bhagwan Ki Murti) बताएँगे। भगवान जगन्नाथ का मंदिर अनंत रहस्यों से जुड़ा हुआ है तथा सबसे बड़ा रहस्य है मंदिर में रखी भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा की मूर्तियाँ। वह इसलिए क्योंकि मंदिर या पूजा स्थल में भगवान की पूरी मूर्ति रखी जाती है। यदि वह कहीं से भी खंडित हो जाती है तो उसे बदल दिया जाता है।

अब जगन्नाथ की मूर्ति का रहस्य (Jagannath Ji Ki Murti) यही है कि ना तो उनके पैर है और हाथ भी आधे ही बने हुए हैं। इसी के साथ उनके भाई-बहन बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों का भी यही हाल है। इसलिए आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको यही बताने वाले हैं कि आखिरकार भगवान जगन्नाथ की मूर्ति अधूरी क्यों है और इसके पीछे क्या कारण है।

Jagannath Bhagwan Ki Murti | भगवान जगन्नाथ की मूर्ति का रहस्य

जब भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु हो गई तब अर्जुन के द्वारा उनका अंतिम संस्कार किया गया। कई दिन बीत जाने के पश्चात भी जब उनका हृदय जलता रहा तो अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर उनका हृदय लकड़ी समेत समुंद्र में बहा दिया। यही हृदय समुंद्र में बहता हुआ पश्चिमी छोर से पूर्वी छोर तक पुरी नगरी पहुँचा।

मालवा के राजा इंद्रद्युम्न जो भगवान श्रीकृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे। एक दिन उन्हें भगवान जगन्नाथ ने स्वप्न में दर्शन देकर समुंद्र तट से वह लकड़ी का लठ्ठा लेकर उससे मूर्ति बनवाकर एक विशाल मंदिर में स्थापित करने को कहा। राजा इंद्रद्युम्न ने भगवान के आदेश पर एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया तथा वह लकड़ी का लठ्ठा लेकर मंदिर में आ गए।

उस लट्ठे से मूर्तियाँ बनवाने के लिए राजा ने अपने नगर के सभी महान शिल्पकारों तथा विशेषज्ञों को बुलाया लेकिन कोई भी सफल नहीं हो पाया। जैसे ही वे उस लट्ठे से मूर्ति बनाने के लिए उस पर हथौड़ा इत्यादि मारने का प्रयास करते तो वह टूट जाता। यह देखकर राजा बहुत निराश हो गए।

तब सृष्टि के महान शिल्पकार तथा भगवान विश्वकर्मा एक वृद्ध कारीगर के रूप में राजा के पास आए तथा उनसे कहा कि वे उस लट्ठे से मूर्ति का निर्माण कर देंगे जिसमें उन्हें लगभग 21 दिन का समय लगेगा। साथ ही उन्होंने यह पाबंदी रखी कि इस दौरान वे एक दम अकेले रहेंगे और मंदिर के कपाट बंद रहेंगे तथा कोई भी अंदर नहीं आएगा। राजा ने उनकी यह शर्त मान ली तथा उन्हें मूर्ति बनाने का कार्य दे दिया।

जगन्नाथ की मूर्ति का रहस्य (Jagannath Ji Ki Murti)

भगवान श्रीकृष्ण का आदेश था कि उस लट्ठे से चार मूर्तियाँ बनाई जाए जिसमें एक उनकी मूर्ति हो तथा अन्य तीन उनके बड़े भाई बलराम (बलभद्र), बहन सुभद्रा तथा सुदर्शन चक्र की हो। विश्वकर्मा कई दिनों तक मंदिर के अंदर उस लट्ठे से मूर्तियों का निर्माण कर रहे थे तथा बाहर हथौड़ा इत्यादि चलने की ध्वनि आती रहती थी।

एक दिन राजा इंद्रद्युम्न की पत्नी ने मंदिर के बाहर से कान लगाकर सुनने का प्रयास किया तो अंदर से कोई आवाज़ नहीं आई। यह देखकर रानी को भय हो गया तथा उसे लगा कि कहीं वह वृद्ध व्यक्ति अंदर मर ना गया हो। उसने यह सूचना राजा इंद्रद्युम्न को दी। राजा को भी भय हुआ तथा वे अपने सैनिकों के साथ मंदिर पहुँचे।

वहाँ पहुँचकर उन्होंने मंदिर के द्वार खुलवाए तो वहाँ से वह वृद्ध कारीगर विलुप्त हो चुका था। उन्होंने मूर्तियों को देखा तो वह आधी अधूरी पड़ी थी जिसमें तीनों के पैर नहीं थे तथा भगवान जगन्नाथ तथा बलभद्र के आधे हाथ ही बने थे जबकि सुभद्रा के हाथ भी नहीं बने थे। यह देखकर राजा निराश हुए तथा उन्हें समय से पहले मंदिर में आ जाने का दुःख हुआ। किंतु भगवान जगन्नाथ ने उन्हें फिर से स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि यही नीति थी तथा वह उन अधूरी मूर्तियों को ही मंदिर में स्थापित कर पूजा अर्चना करे।

तब से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा की आधी अधूरी मूर्तियाँ उस मंदिर में स्थापित हैं जिनकी भक्त पूजा करते हैं। इस तरह से आज आपने भगवान जगन्नाथ की मूर्ति का रहस्य (Jagannath Bhagwan Ki Murti) जान लिया है। यह सबकुछ ईश्वर की रची हुई माया का ही खेल है और जैसा वे चाहते हैं, वैसा ही होता है।

जगन्नाथ मूर्ति से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: भगवान जगन्नाथ की मूर्ति अधूरी क्यों है?

उत्तर: इसके पीछे राजा इंद्रद्युम्न और भगवान विश्वकर्मा जी की कथा जुड़ी हुई है। इसके लिए आपको यह लेख पढ़ना होगा जिसमें इस कथा के बारे में विस्तार से बताया गया है।

प्रश्न: जगन्नाथ मंदिर का हाथ क्यों नहीं है?

उत्तर: जगन्नाथ मंदिर का नहीं बल्कि भगवान जगन्नाथ की मूर्ति का हाथ नहीं है इसमें भी यह बात स्पष्ट कर दें कि उनका हाथ तो है लेकिन वह आधा बना हुआ है अब यह हाथ आधा क्यों बना हुआ है, यह जानने के लिए आपको यह लेख पढ़ना होगा

प्रश्न: जगन्नाथ प्रतिमा के अंदर क्या है?

उत्तर: जगन्नाथ प्रतिमा के अंदर का आवरण भगवान श्रीकृष्ण के हृदय से बना हुआ है द्वापर युग में जब श्रीकृष्ण की मृत्यु हो गई थी तब उन्हीं के आदेश पर देव विश्वकर्मा जी ने उनके हृदय से जगन्नाथ की प्रतिमा का निर्माण किया था

प्रश्न: जगन्नाथ मंदिर में चमत्कार क्या है?

उत्तर: जगन्नाथ मंदिर के अंदर का सबसे बड़ा चमत्कार वहाँ रखी भगवान जगन्नाथ की मूर्ति है जगन्नाथ जी की मूर्ति को भगवान श्रीकृष्ण के हृदय से बनाया गया था हालाँकि उसके बाहर का आवरण लकड़ी का बना हुआ है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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