आज हम आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा (Janmashtami In Hindi) सुनाने जा रहे हैं। यह तो हम सभी जानते हैं कि जन्माष्टमी वाले दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के आठवें पूर्ण अवतार थे जिन्होंने एक उद्देश्य के तहत नहीं बल्कि कई उद्देश्यों की पूर्ति हेतु जन्म लिया था। कंस का वध करना तो मात्र शुरुआत थी। इसके बाद उन्होंने अपने जीवनकाल में कई उद्देश्य पूरे कर मानव जाति को विभिन्न संदेश दिए।
जन्माष्टमी के शुभ अवसर (Krishna Janmashtami In Hindi) पर भक्तों के कुछ और भी प्रश्न होते हैं। उदाहरण के तौर पर जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है, जन्माष्टमी का व्रत कैसे रखें, जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है या फिर कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाती है, इत्यादि। ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ कृष्ण जन्माष्टमी के बारे में शुरू से अंत तक संपूर्ण जानकारी सांझा करने वाले हैं।
Janmashtami In Hindi | श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा
सबसे पहले तो हम जन्माष्टमी की कथा जान लेते हैं। जन्माष्टमी की कथा भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से जुड़ी हुई है। वैसे तो मोटे तौर पर श्रीकृष्ण के जन्म के बारे में हर कोई परिचित होगा लेकिन आज हम उस समय के घटनाक्रम के बारे में संपूर्ण जानकारी (Janmashtami Story In Hindi) रख देते हैं।
दरअसल कंस मथुरा नगरी का राजा था जो कि बहुत अत्याचारी था। उसकी बहन का नाम देवकी था जिनका विवाह वासुदेव के साथ हुआ था। जब कंस अपनी बहन को उसके ससुराल छोड़ने जा रहा था तभी भविष्यवाणी हुई कि देवकी की आठवीं संतान कंस का वध करेगी। इस कारण कंस ने देवकी व वासुदेव दोनों को ही यमुना किनारे मथुरा के कारावास में बंदी बना दिया था।
अब कारावास में ही देवकी ने एक-एक करके कई पुत्रों को जन्म दिया। इन्हें कंस ने जन्म होते ही पटक कर मार डाला ताकि कोई संकट ना रहने पाए। जब आठवें पुत्र के जन्म लेने का समय आया तो उस समय घोर अँधेरी रात थी। दैवीय शक्तियों के फलस्वरूप कारावास पर पहरा दे रहे सभी सैनिक मूर्छित हो गए और सभी दरवाजे खुल गए।
श्रीकृष्ण का देवकी के गर्भ से जन्म हुआ और वासुदेव के ऊपर ईश्वरीय शक्ति हावी हो गई। वे श्रीकृष्ण को एक टोकरी में लेकर यमुना नदी पार करने लगे। शेषनाग ने इसमें उनकी सहायता की। यमुना पार करके वे नंदगांव में यशोदा और नंदबाबा के घर पहुँचे। उसी समय यशोदा ने भी एक पुत्री को जन्म दिया था। उन्होंने श्रीकृष्ण की उस पुत्री के साथ अदला बदली की और उस कन्या को लेकर कारावास में आ गए। यही श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा (Janmashtami In Hindi) है जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म को बतलाती है।
कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रात्रि बारह बजे हुआ था। यही कारण है कि हर वर्ष जन्माष्टमी का पर्व एक दिन नहीं बल्कि दो दिनों तक मनाया जाता है। इस तरह से हर वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी को भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी व नवमी को मनाया जाता है। हालाँकि कृष्ण जन्माष्टमी का दिन अष्टमी ही होता है और इसी कारण इसे जन्माष्टमी कहा जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी में जन्माष्टमी शब्द जन्म व अष्टमी से मिलकर बना हुआ है। अब इसमें अष्टमी तिथि को दर्शाती है जबकि जन्म का अर्थ तो सभी जानते ही हैं। जन्माष्टमी को कई अन्य नाम से भी जाना जाता है। आइए उनके बारे में भी जान लेते हैं।
- कृष्णाष्टमी
- कृष्ण जयंती
- गोकुल अष्टमी
- यदुकुल अष्टमी
- श्रीकृष्ण जयंती
- श्रीकृष्ण अष्टमी
हालाँकि इसे मुख्य तौर पर जन्माष्टमी या कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami In Hindi) के नाम से ही जाना जाता है। आइए अब जान लेते हैं कि आखिरकार कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है व इसके पीछे क्या उद्देश्य निहित है।
जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?
सनातन धर्म में हर पर्व को मनाने के पीछे कोई ना कोई कारण होता है। एक तरह से हर पर्व या त्यौहार हमें कोई ना कोई शिक्षा देकर जाता है। कुछ पर्व किसी घटना या कथा पर बनाए जाते हैं। जैसे कि रावण वध, महिषासुर वध, गोवर्धन पर्वत का उठाना इत्यादि। अब कुछ पर्व वे होते हैं जो ईश्वर के मनुष्य रूप में जन्म लेने पर मनाए जाते हैं। जन्माष्टमी कथा (Janmashtami Story In Hindi) भी उन्हीं में से एक है।
अब जो पर्व ईश्वर की जन्म जयंती के रूप में मनाए जाते हैं, उन्हें मनाने का मुख्य उद्देश्य उस अवतार से मिलती शिक्षा व गुणों को ग्रहण करना है। श्रीकृष्ण ने केवल कंस का वध करने के लिए ही जन्म नहीं लिया था बल्कि उन्होंने अपने जीवनकाल में कई महान कार्य किए थे। इसके माध्यम से उन्होंने कई तरह के संदेश हम सभी को दिए हैं। उनके कुछ मुख्य संदेश थे:
- हमें दुःख में भी हार नहीं माननी चाहिए और सहज भाव अपनाना चाहिए।
- प्रेम बहुत ही अनमोल है और यह निःस्वार्थ भाव से किया जाता है।
- मित्रता ऐसी होनी चाहिए जिसमें जाति, सुख, संपदा इत्यादि नहीं देखी जाती है।
- धर्म रक्षा हेतु अपने वचन को भी तोड़ा जा सकता है।
- हमें अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए और फल की चिंता छोड़ देनी चाहिए।
इस तरह से श्रीकृष्ण ने एक नहीं बल्कि कई संदेश दिए थे। उन्होंने तो महाभारत के युद्ध की शुरुआत से पहले ही महान ग्रंथ भगवत गीता अर्जुन को सुना दी थी। यह भगवत गीता हम सभी के लिए सबसे मूल्यवान ग्रंथ है जो श्रीकृष्ण ने ही हमें दिया है। बस इन्हीं कारणों से हर वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है।
जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है?
केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में जन्माष्टमी का त्यौहार (Krishna Janmashtami In Hindi) बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मुख्य तौर पर बृज भूमि जिसमें मथुरा भी आती है, वहाँ तो अलग ही धूम देखने को मिलती है। इस अवसर पर देशभर के सभी कृष्ण मंदिरों को अच्छे से सजा दिया जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण के बालस्वरूप लड्डूगोपाल को एक पालने में रखा जाता है। इसे उस दिन दर्शन करने आने वाले भक्तगण झूला झुलाते हैं। वहीं अन्य सभी मंदिरों में भी ऐसी ही व्यवस्था की जाती है ताकि भक्तों को सभी मंदिरों में श्रीकृष्ण का अहसास हो। इतना ही नहीं, सभी मंदिरों में सुबह से ही भजन, कीर्तन शुरू हो जाते हैं जो रात को बारह बजे तक चलते हैं।
रात को बारह बजने से एक दो घंटे पहले तो ऐसी धूम होती है कि पूछिए मत। वह इसलिए क्योंकि बारह बजे श्रीकृष्ण के जन्म का समय होता है। उससे पहले तो भजन, कीर्तन का शोर पूरे जोर पर होता है और मंदिर भक्तों से पूरी तरह पैक हो जाते हैं। हर किसी को मुख्य गर्भगृह में श्रीकृष्ण को देखने की इच्छा होती है।
श्रीकृष्ण का दूध, दही, चरणामृत इत्यादि से अभिषेक किया जाता है। उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। बारह बजते ही सभी श्रीकृष्ण के नाम का जयकारा लगाते हैं और अपना माथा टेकते हैं। इसके बाद सभी को माखन मिश्री प्रसाद वितरित किया जाता है जो श्रीकृष्ण को बहुत पसंद है। अगले दिन भी लोग मंदिर जाते हैं और भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना करते हैं।
जन्माष्टमी का व्रत कैसे रखें?
यदि आप जन्माष्टमी के अवसर पर व्रत रखने जा रहे हैं तो इसके कोई विशेष नियम नहीं हैं। इसके नियम वैसे ही हैं जैसे आप अन्य व्रत रखते हैं। इसके लिए आप अपनी इच्छानुसार व्रत के नियमों का पालन कर सकते हैं। वैसे तो जन्माष्टमी के व्रत में केवल फलों का सेवन करना होता है। हालाँकि कुछ लोग एक समय का भोजन भी ले लेते हैं जो कि गलत नहीं है।
ऐसे में आपके शरीर की जिस तरह की इच्छा शक्ति है, आप उसी अनुसार जन्माष्टमी का व्रत कर सकते हैं। बस इस बात का ध्यान रखें कि यदि आप एक समय का भोजन करने जा रहे हैं तो वह सात्विक हो। साथ ही व्रत में एक समय ही नमक को लें, इससे ज्यादा नहीं। बार-बार मुंह झूठा ना करें और ना ही बुरे विचार मन में लाएं। इस दौरान आपको श्रीकृष्ण का ध्यान करना है और हो सके तो श्रीकृष्ण के भजन सुने या मंत्रों का जाप करें।
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा (Janmashtami In Hindi) सहित जन्माष्टमी की संपूर्ण जानकारी ले ली है। यदि अभी भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे कमेंट कर हमसे पूछ सकते हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: जन्माष्टमी का पर्व क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: जन्माष्टमी का पर्व भगवान विष्णु के श्रीकृष्ण अवतार में इस धरती पर जन्म लेने के फलस्वरूप मनाया जाता है। श्रीकृष्ण ने अधर्म का नाश कर हमें धर्म की शिक्षा दी थी।
प्रश्न: कृष्ण अष्टमी का क्या महत्व है?
उत्तर: कृष्ण अष्टमी के माध्यम से हम भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा दी गई शिक्षाओं को ग्रहण करते हैं। यह पर्व हमें श्रीकृष्ण के गुणों को अपनाने और उसी के अनुसार कर्म करते रहने की शिक्षा देता है।
प्रश्न: जन्माष्टमी 2 दिन क्यों मनाई जा रही है?
उत्तर: जन्माष्टमी वैसे तो एक ही दिन मनाई जाती है जो कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी होती है। हालाँकि श्रीकृष्ण का जन्म रात के बारह बजे हुआ था, इस कारण भक्तगण इसे दूसरे दिन भी मनाते हैं।
प्रश्न: जन्माष्टमी की दो तारीखें क्यों होती हैं?
उत्तर: जन्माष्टमी की दो तारीखें होने के पीछे श्रीकृष्ण के जन्म का समय है। उनका जन्म भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रात बारह बजे हुआ था। इस कारण यह त्यौहार अष्टमी व नवमी दोनों दिन मनाया जाता है।
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