मुर्छित लक्ष्मण को मेघनाथ उठा क्यों नही पाया था?

Meghnath Lakshman Ko Utha Kyu Nhi Paya Tha

मेघनाथ बहुत शक्तिशाली योद्धा था जिसे भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश से अनेक वर मिले थे। उसने स्वयं इंद्र देव को भी जीत लिया था जिस कारण उसे इंद्रजीत भी कहा जाता था (Lakshman Meghnath Ka Ghamasan Yuddh)। राम-रावण युद्ध में जब रावण के एक से बढ़कर एक योद्धा, उसके सभी पुत्र व भाई इत्यादि मारे गए तब उसने अपने सबसे बड़े व पराक्रमी पुत्र मेघनाथ को युद्धभूमि में भेजा था।

अपने प्रथम युद्ध में मेघनाथ ने नागपाश बाण की सहायता से भगवान श्रीराम व लक्ष्मण को उसमे बांध दिया था। इस नागपाश से मुक्ति स्वयं गरुड़ देवता ने आकर दिलाई थी (Lakshman Meghnath Ka Yudh Ramayan)। द्वितीय युद्ध में मेघनाथ अपनी मायावी शक्तियों के कारण लक्ष्मण पर भारी पड़ रहा था व आकाश मार्ग से तीव्र गति से उन पर प्रहार कर रहा था। तब उसने लक्ष्मण को शक्तिबाण से मुर्छित कर दिया था लेकिन उन्हें उठा नही पाया था। जाने क्यों।

मेघनाथ का लक्ष्मण को उठाने का प्रयास करना (Meghnath Lakshman Ko Utha Kyu Nhi Paya Tha)

लक्ष्मण को मारा शक्तिबाण (Indrajit Ka Shakti Baan Chalana)

लक्ष्मण तीव्र गति से मेघनाथ के हर बाण का उत्तर दे रहे थे किंतु मेघनाथ ने इसी बीच छुपकर लक्ष्मण पर शक्ति बाण चला दिया। जब मेघनाथ को कोई उपाय नही सूझता था व उसकी सभी शक्तियां विफल हो रही होती थी तब वह इस बाण को चलाता था। यह बाण सीधा आकाश मार्ग से आकर लक्ष्मण की पीठ में लगा।

इसकी शक्ति इतनी ज्यादा तेज थी कि यह लक्ष्मण की पीठ में धंस गया व उन्हें शक्तिहीन कर दिया। बाण के लगते ही लक्ष्मण के हाथों से धनुष बाण छूट गए और वे मुर्छित होकर भूमि पर गिर पड़े। जब मेघनाथ ने यह देखा तो वह अत्यंत प्रसन्न हुआ व लक्ष्मण का मृत शरीर अपने पिता को सौंपने के उद्देश्य से उनके पास गया।

मेघनाथ नही उठा पाया लक्ष्मण को (Meghnath Trying To Uplift Laxman)

उसने अपने सैनिकों को लक्ष्मण का मृत शरीर उठाकर उसे लंका के महल में ले जाने का आदेश दिया किंतु कोई भी उसका शरीर नही उठा पाया। यह देखकर स्वयं मेघनाथ उनका शरीर उठाने के लिए आगे आया किंतु अपनी पूरी शक्ति लगाने के पश्चात भी वह लक्ष्मण को उठा नही पाया।

इसके बारे में रामायण में लिखा है कि लक्ष्मण स्वयं शेषनाग के अवतार थे जिनके फन पर ही यह पृथ्वी टिकी है। शेषनाग अपने आकार में ही इतना विशाल होता है कि उसका भार किसी सामान्य व्यक्ति के द्वारा उठाना असंभव है। जब लक्ष्मण मुर्छित होकर धरती पर गिर पड़े तो उनका शरीर का सारा भार धरती पर आ गया था जिसे उठा पाना मेघनाथ के लिए संभव नही था।

हनुमान जी ले गए लक्ष्मण को (Hanuman Helped Lakshman)

जब मेघनाथ लक्ष्मण को उठाने का प्रयास कर रहे थे तब हनुमान उनके पास आए व उसे यह अनायास प्रयास करते हुए पाया। उन्होंने मेघनाथ को धक्का मारकर गिरा दिया व लक्ष्मण के शरीर को अपने कंधे पर उठाकर तीव्र गति से हवा में उड़ गए और युद्धभूमि से बाहर ले गए।

यदि मेघनाथ लक्ष्मण को युद्धभूमि से राजमहल में ले जाने में सक्षम हो जाते तो शायद ही उनका जीवन बच पाता किंतु स्वयं शेषनाग को उठाना उसके वश में नही था।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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