लक्ष्मी जी की आरती लिखी हुई – अर्थ, भावार्थ, महत्व व लाभ सहित

Lakshmi Ji Ki Aarti

आज हम श्री लक्ष्मी जी की आरती हिंदी में (Laxmi Aarti Lyrics In Hindi) अर्थ सहित जानेंगे। माता लक्ष्मी को धन व वैभव की देवी माना जाता है। उनकी निरंतर पूजा करने से मनुष्य को धन-संपत्ति की कभी कोई कमी नहीं रहती है। यदि आप माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो प्रतिदिन लक्ष्मी जी की आरती का पाठ करना चाहिए।

साथ ही इस लेख के माध्यम से आपको लक्ष्मी जी की आरती लिखी हुई (Laxmi Ji Ki Aarti In Hindi) का हिंदी अर्थ व भावार्थ भी पढ़ने को मिलेगा। यदि लक्ष्मी जी की आरती को पढ़ने के साथ-साथ उसका भावार्थ भी जान लिया जाए तो यह आपके लिए अत्यधिक हितकारी सिद्ध होगा। अंत में लक्ष्मी जी की आरती करने के फायदे और उसके महत्व के बारे में भी जानने को मिलेगा। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं लक्ष्मी जी की आरती हिंदी में अर्थ सहित।

Laxmi Aarti Lyrics In Hindi | श्री लक्ष्मी जी की आरती हिंदी में

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥

अर्थ: हे लक्ष्मी माता!! आपकी जय हो। आप ही हम सभी की माता हो और इसके लिए आपकी जय हो। आपका ध्यान तो स्वयं भगवान विष्णु भी दिन-रात करते हैं।

भावार्थ: इस कथन का तात्पर्य यह हुआ कि माँ लक्ष्मी ही माँ आदिशक्ति का रूप हैं और उन्होंने ही इस सृष्टि का निर्माण किया है। स्वयं त्रिदेव अर्थात भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश भी उनकी ही आराधना करते हैं। माँ लक्ष्मी जी हम सभी की जननी हैं और उन्हीं के कारण ही हम सभी का यह जीवन है।

उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जगमाता, मैया तुम ही जगमाता।
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

अर्थ: माँ पार्वती व माँ सरस्वती माँ लक्ष्मी का ही रूप हैं। लक्ष्मी माता ही इस जगत की माता हैं। स्वयं सूर्य व चन्द्रमा भी उनका ध्यान करते हैं और नारद व सभी ऋषि मुनि भी उनके ही गुण गाते हैं।

भावार्थ: इस कथन का तात्पर्य माँ लक्ष्मी के विभिन्न रूपों को प्रदर्शित करना है। अब इस विश्व की सर्वोच्च माता अर्थात माता सती या माता पार्वती माँ लक्ष्मी का ही एक रूप हैं। ठीक उसी प्रकार इस विश्व को विद्या व संगीत का ज्ञान देने वाली माँ सरस्वती भी माँ लक्ष्मी का ही रूप हैं और दोनों में कोई भेद नहीं है। सूर्य-चंद्रमा का निर्माण भी माँ लक्ष्मी की ही कृपा से हुआ है और इसका वर्णन तो देवर्षि सहित सभी ऋषि-मुनियों ने किया है।

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैया सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

अर्थ: आप माँ दुर्गा का ही एक रूप हो जो हम सभी को सुख व संपत्ति प्रदान करता है। जो भी माँ लक्ष्मी का ध्यान करता है, उसे सभी प्रकार की रिद्धि व सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।

भावार्थ: हम आपको पहले ही कह रहे हैं कि माँ लक्ष्मी सहित सभी माताएं साक्षात माँ दुर्गा का ही एक रूप हैं। बस उनके विभिन्न गुणों के कारण उन्हें अलग-अलग रूपों में पूजने की परंपरा है। इस कथन के माध्यम से यही दर्शाया गया है कि माँ दुर्गा का लक्ष्मी माता वाला रूप हम सभी को सुख प्रदान करता है और वे धन की देवी हैं। एक तरह से धन, संपदा को ही माँ का रूप माना गया है और उसका यथोचित सम्मान करने की बात कही गयी है।

यदि हम अर्जित किये गए धन का दुरुपयोग करते हैं तो वह स्वयं मातारानी का अपमान माना जाता है। इस कारण दुर्गा माता का यह गुण अर्थात लक्ष्मी माता हमसे नाराज़ हो जाती हैं और दूर चली जाती हैं। ठीक उसी तरह से लक्ष्मी को अपने पास रखना है तो उसके लिए हमारे पास रिद्धि-सिद्धि अर्थात बुद्धि का होना अति-आवश्यक हो जाता है।

तुम ही पाताल निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥

अर्थ: लक्ष्मी माता का निवास पाताल लोक में भी है और वे शुभ फल प्रदान करने वाली भी हैं। उनके कर्मों का प्रकाश हर जगह फैल रहा है और वे ही इस सृष्टि का पालन करने वाली हैं।

भावार्थ: इस कथन के माध्यम से यह बताया गया है कि लक्ष्मी माता का निवास स्थल केवल स्वर्ग लोक या पृथ्वी लोक ही नहीं अपितु पाताल लोक भी है। अतः तीनों लोकों में जो भी उनकी पूजा करता है, उसका माता रानी कल्याण करती हैं। उनकी शक्ति सब जगह फैली हुई है अर्थात मोह माया का प्रभाव हर जगह व्याप्त है और कोई भी इससे बचा हुआ नहीं है।

जिस घर में तुम रहती, सब सद्गुण आता, मैया सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥

अर्थ: जिस भी घर में माँ लक्ष्मी का वास होता है, वहां हमेशा ही सद्गुणों का भाव रहता है। उनके प्रभाव से सब काम बनने लग जाते हैं और मन की घबराहट भी शांत होती है।

भावार्थ: इसमें माता लक्ष्मी अर्थात धन के प्रभाव को दिखाया गया है। धन के कारण इस विश्व के लगभग हर कार्य संभव हो सकते हैं और मनुष्य भी पहले की तुलना में निडर हो जाता है। वहीं यदि लक्ष्मी को घर में रखना है तो सद्गुण करने आवश्यक होते हैं क्योंकि यही उनका प्रतीक है। जिस घर में लक्ष्मी का दुरुपयोग या अवगुण में इस्तेमाल हो रहा हो, वहां लक्ष्मी नहीं टिक सकती हैं।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

अर्थ: माता लक्ष्मी की कृपा के बिना ना यज्ञ संभव है और ना ही कोई कपड़े पहन सकता है। हम जो भी खाते या पीते हैं, वह लक्ष्मी माता की कृपा से ही आता है।

भावार्थ: इस कथन का तात्पर्य तो आप भलीभांति जानते होंगे। अब जिस मनुष्य के पास धन ही नहीं होगा तो वह ना ही धर्मकार्य में खर्च कर पायेगा और ना ही अपने लिए कपड़े, खाने या पीने की कोई वस्तु खरीद पायेगा। इसलिए यदि हमें सांसारिक वस्तुओं का उपभोग करना है तो उसके लिए धन की आवश्यकता पड़ती ही है।

शुभ गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि जाता, मैया सुन्दर क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम, बिन कोई नहीं पाता॥

अर्थ: आपका मंदिर अर्थात आपका लोक बहुत ही सुन्दर है। क्षीर सागर से समुंद्र मंथन के समय आपकी उत्पत्ति हुई है। आपकी कृपा के बिना किसी को भी रत्नों की प्राप्ति नही हो सकती है।

भावार्थ: इस कथन का भावार्थ यह है कि माँ लक्ष्मी जहाँ भी निवास करती हैं या जहाँ भी उनका मंदिर होता है, वह स्थल गुणों से भरपूर होता है। सतयुग में जब देवताओं और दानवों ने भगवान श्रीहरि के आदेश पर समुंद्र मंथन का कार्य किया था तब उसमें से प्रकट हुए चौदह रत्नों में से एक लक्ष्मी माता ही थी। माता लक्ष्मी की कृपा ही है कि इस धरती पर बहुमूल्य रत्न, मोती हैं अर्थात उन सभी में माँ लक्ष्मी का ही वास है।

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता, मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥

अर्थ: महालक्ष्मी जी की आरती जो कोई भी मनुष्य करता है या गाता है, उसे असीम आनंद की अनुभूति होती है और उसके अनजाने में किये हुए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं

भावार्थ: यदि हम माँ लक्ष्मी की आराधना करते हैं अर्थात हमारे द्वारा अर्जित किये गए धन का सदुपयोग करते हैं और उससे मानव जाति सहित सभी जीव-जंतुओं का कल्याण करते हैं तो इससे हमारा ही कल्याण हो रहा होता है। ऐसे कर्म करने से हमारे ऊपर चढ़े हुए पाप भी धीरे-धीरे नष्ट होने लगते हैं और हमारा उद्धार हो जाता है।

ऊपर आपने लक्ष्मी जी की आरती लिखी हुई (Laxmi Ji Ki Aarti In Hindi) अर्थ सहित पढ़ ली है। अब बारी आती है लक्ष्मी आरती करने के फायदे और उसके महत्व को जानने की। तो चलिए वह भी जान लेते हैं।

लक्ष्मी आरती का महत्व

ऊपर आपने माँ लक्ष्मी आरती पढ़ी और साथ ही उसका अर्थ-भावार्थ भी जाना। इससे आपको लक्ष्मी माता के महत्व का ज्ञान हो गया होगा तथा साथ ही यह भी पता चल गया होगा कि धन के साथ-साथ मनुष्य के लिए विद्या व बुद्धि की कितनी आवश्यकता होती है। यही कारण है कि माता लक्ष्मी की पूजा कभी भी अकेले नहीं की जाती है अन्यथा वह पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है।

आप जब भी देखेंगे तो पाएंगे कि माँ लक्ष्मी की पूजा भगवान गणेश व माँ सरस्वती के साथ ही की जाती है। दीपावली के पावन अवसर पर भी तीनों की एक साथ ही पूजा की जाती है ताकि धन का सदुपयोग हो सके। माँ लक्ष्मी ने स्वयं कहा है कि जहाँ भी उनकी पूजा होगी और यदि उस जगह भगवान गणेश की पूजा नहीं होगी तो मेरी पूजा का कोई लाभ नहीं मिलेगा। इस कथन का तात्पर्य यह हुआ कि मनुष्य के पास यदि धन है लेकिन बुद्धि का अभाव है तो धन ज्यादा समय तक उसके पास नहीं रह सकेगा।

तो ऐसे ही कुछ भावों को इस लक्ष्मी आरती के माध्यम से प्रकट किया गया है। ऐसे में हमें भी माँ लक्ष्मी के द्वारा दिए गए संदेश को ध्यान में रख कर ही कर्म करने चाहिए और धन का हमेशा सदुपयोग करना चाहिए। यदि हमारे द्वारा अर्जित किये गए धन का हमेशा सदुपयोग होगा तो माँ लक्ष्मी की कृपा हमेशा हम पर बनी रहेगी और यही लक्ष्मी आरती का संदेश व महत्व है।

लक्ष्मी आरती के फायदे

अब यदि आप निरंतर रूप से लक्ष्मी आरती का पाठ अपने घर पर या मंदिर में करते हैं और माँ लक्ष्मी का सच्चे मन से ध्यान करते हैं तो अवश्य ही माँ लक्ष्मी की कृपा आपके ऊपर बरसती है। यदि आपके जीवन में किसी भी तरह का आर्थिक संकट है या वैभव की कमी है तो वह दूर हो जाती है। कई बार यह देखने में आता है कि बहुत प्रयास करने के पश्चात भी आपका काम सही से नहीं चल पा रहा होता है और उसमें कई तरह की दिक्कतें आती हैं।

ऐसी स्थिति में यदि आप सच्चे मन से लक्ष्मी आरती का सुबह जल्दी उठकर तथा नहा-धोकर पाठ करने लगेंगे तो उसका प्रभाव कुछ ही दिनों में देखने को मिल जाएगा। इससे ना केवल आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी होगी बल्कि समाज में आपका मान-सम्मान भी बढ़ेगा। हालाँकि इसी के साथ ही आपको उस प्राप्त धन का सदुपयोग करना होगा और धर्म व समाज सेवा के कार्य भी करते रहने होंगे। तभी वह धन आपके पास टिक पायेगा अन्यथा वह कुछ ही दिनों में पुनः चला जाएगा।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने श्री लक्ष्मी जी की आरती हिंदी में (Laxmi Aarti Lyrics In Hindi) पढ़ ली है। साथ ही आपने लक्ष्मी आरती के फायदे और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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