भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार (Hayagriva Avatar) से जुड़ा इतिहास बहुत ही रोचक है। दरअसल एक समय ऐसा भी आया था जब भगवान ब्रह्मा जी से वेदों को चुरा लिया गया था। उस समय देवताओं ने मिलकर भगवान विष्णु की गर्दन काट दी थी। अब ऐसा क्यों हुआ और उसके पीछे का क्या इतिहास है, वह सब तो Hayagreeva Avatar की कहानी से ही जुड़ा हुआ है।
ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ हयग्रीव अवतार की कथा ही साझा करने वाले हैं। उक्त लेख को पढ़कर आपको भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक अंशावतार हयग्रीव के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल जाएगी।
Hayagriva Avatar | हयग्रीव अवतार
भगवान विष्णु के कुल 24 अवतार माने गए हैं जिसमें से 10 पूर्ण अवतार व बाकी अंशावतार हैं। इन्हीं अंशावतारों में से भगवान विष्णु का एक अवतार था जिसका नाम था हयग्रीव। इस अवतार का मस्तक घोड़े का था किंतु बाकी शरीर मानव का। भगवान विष्णु के इस अवतार को बुद्धि, विद्या, तेज व कुशलता का प्रतीक माना जाता है। इस अवतार में भगवान विष्णु के शरीर का रंग श्वेत है व साथ ही उन्होंने श्वेत रंग के ही आभूषण भी पहने हुए हैं।
इस अवतार को लेने के पीछे हयग्रीव नामक राक्षस से संबंधित एक प्राचीन कथा (Hayagriva Avatar Story In Hindi) जुड़ी हुई है। उसी कारण भगवान विष्णु को राक्षस रुपी ही अवतार लेना पड़ा था। आज हम इसी कथा के बारे में विस्तार से जानेंगे।
हयग्रीव अवतार की कथा
चलिए Hayagreeva Avatar की कथा जान लेते हैं:
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हयग्रीव राक्षस को मिला वरदान
हयग्रीव नाम का एक असुर था जिसने दिन-रात माँ आदिशक्ति की भक्ति व तपस्या की। माता ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए व वरदान मांगने को कहा। उसने हमेशा अमर होने का वरदान माँ से माँगा जिसे माता ने देने से मना कर दिया क्योंकि मृत्यु लोक पर जो आएगा उसकी मृत्यु निश्चित है चाहे वह स्वयं भगवान ही क्यों ना हो।
यह सुनकर उस राक्षस ने माता से वरदान माँगा कि उसकी मृत्यु दूसरे हयग्रीव से ही हो, किसी और से नहीं। माता ने उसे यह वरदान दे दिया जिसके कारण उसकी मृत्यु दूसरे हयग्रीव से ही हो सकती थी अर्थात जिसका मस्तक घोड़े का हो।
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भगवान ब्रह्मा से वेदों को चुराना
इस वरदान के मिलने के पश्चात हयग्रीव ने स्वर्ग लोक में आतंक मचा दिया व सभी देवताओं को परास्त कर दिया। उसके कुकर्म की पराकाष्ठा तब हुई जब उसने स्वयं भगवान ब्रह्मा जी से वेदों को ही चुरा लिया। इन्हीं वेदों से सभी को ज्ञान व बुद्धि प्राप्त होती थी तथा उसमें सृष्टि के गूढ़ रहस्य, दिव्य अस्त्रों के निर्माण व अन्य विधियाँ लिखी हुई थी।
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भगवान विष्णु का सो जाना
हयग्रीव के आतंक से परेशान होकर सभी देवताओं ने मिलकर भगवान विष्णु से सहायता मांगने का सोचा। यही सोचकर सभी देवतागण भगवान विष्णु के निवास स्थान वैकुंठ धाम पहुंचे। वहां पहुंचकर उन्होंने देखा कि भगवान विष्णु असुरों के साथ लंबे युद्ध के बाद अपने धनुष पर सिर रखकर गहरी निद्रा में सो रहे थे।
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देवताओं ने काटी धनुष की प्रत्यंचा
तब सभी देवताओं ने मिलकर भगवान ब्रह्मा जी से सहायता मांगी और कोई उपाय सुझाने को कहा। ब्रह्मा जी ने देवताओं को भगवान विष्णु के धनुष की प्रत्यंचा काटने का आदेश दिया ताकि उनकी निद्रा टूट सके। भगवान ब्रह्मा के आदेश पर देवताओं ने विष्णु धनुष की प्रत्यंचा काट दी। धनुष की प्रत्यंचा कटते ही इतनी तीव्र ध्वनि हुई कि समस्त पृथ्वी व देवलोक में उसकी ध्वनि गुंजाएमान हो गई। प्रत्यंचा की धार इतनी तेज थी कि भगवान विष्णु का मस्तक उससे कटकर अलग हो गया।
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आदिशक्ति ने लगाया घोड़े का सिर
भगवान विष्णु का कटा हुआ सिर देखकर सभी देवता घबरा गए। सभी ने मिलकर माँ आदिशक्ति का आह्वान किया ताकि भगवान विष्णु को ठीक किया जा सके। देवताओं के आह्वान पर माँ आदिशक्ति वहां प्रकट हुई व भगवान विष्णु का कटा सिर व शरीर देखा। देवताओं ने सारी बात उन्हें बताई। तब आदिशक्ति ने देवताओं को घोड़े का सिर भगवान विष्णु के मस्तक पर लगाने को कहा। देवताओं ने विश्वकर्मा जी की सहायता से भगवान विष्णु के सिर पर घोड़े का सिर जोड़ दिया। इस तरह से भगवान विष्णु ने Hayagriva Avatar लिया।
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भगवान विष्णु का हयग्रीव दैत्य से युद्ध
उसके बाद भगवान विष्णु ने हयग्रीव राक्षस से भयंकर युद्ध किया। भीषण युद्ध के पश्चात अन्तंतः भगवान विष्णु के हाथों उस राक्षस का अंत हो गया। हयग्रीव का वध करने के पश्चात भगवान विष्णु ने उससे वेदों को लेकर फिर से भगवान ब्रह्मा को सौंप दिया। इस प्रकार भगवान विष्णु ने एक दैत्य का वध करने के लिए व उससे वेदों को वापस लाने के लिए Hayagreeva Avatar लिया था।
निष्कर्ष
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने हयग्रीव अवतार (Hayagriva Avatar) के बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली है। साथ ही क्या आप जानते हैं कि हयग्रीव भगवान को माता सरस्वती के समान माना जाता है। दरअसल माता सरस्वती को विद्या व बुद्धि की देवी माना जाता है। उसी प्रकार हयग्रीव भी इन्हीं गुणों को प्रदर्शित करते हैं। इसलिए इन्हें माता सरस्वती के समान ही पूज्य माना गया है। इनकी पूजा करने से भी हमारे अंदर विद्या व कुशलता का विकास होता है।
हयग्रीव अवतार से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: हयग्रीव अवतार कब हुआ?
उत्तर: जब हयग्रीव नामक दैत्य ने भगवान ब्रह्मा जी से वेदों को चुरा लिया था। तब वेदों की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने हयग्रीव अवतार लिया था।
प्रश्न: हयग्रीव कौन था?
उत्तर: हयग्रीव एक राक्षस था जिसने भगवान ब्रह्मा जी से वेदों को चुरा लिया था और भाग गया था। तब भगवान विष्णु ने उस राक्षस का वध करने के लिए हयग्रीव का ही अवतार लिया था।
प्रश्न: हयग्रीव किसका पुत्र था?
उत्तर: प्राचीन मान्यताओं के अनुसार हयग्रीव महर्षि कश्यप व माता दिति के राक्षस पुत्र थे। उसका वध भगवान विष्णु ने किया था।
प्रश्न: हयग्रीव दानव कौन था?
उत्तर: हयग्रीव दानव वही था जिसने भगवान ब्रह्मा से वेदों का अपहरण कर लिया था। इसके बाद सृष्टि में हाहाकार मच गया था।
प्रश्न: वेदों को किसने चुराया था?
उत्तर: वेदों को हयग्रीव नामक दैत्य ने चुराया था फिर उसकी रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने हयग्रीव अवतार लेकर ही उसका वध कर दिया था।
प्रश्न: हयग्रीव का वध किसने किया था?
उत्तर: हयग्रीव का वध भगवान विष्णु के ही हयग्रीव अवतार के द्वारा किया गया था।
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