भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार क्यों लिया?

Mohini Avatar Story In Hindi

भगवान विष्णु ने पूर्ण तथा अंशावतार मिलाकर कुल चौबीस अवतार लिए हैं जिनमें से दस पूर्ण अवतार (Mohini Avatar In Hindi) थे। इन्हीं में से एक अवतार था मोहिनी अवतार जो उनका अंशावतार था। यह एकमात्र अवतार था जिसमें भगवान एक स्त्री के रूप में प्रकट हुए (Mohini Avatar Story In Hindi) थे।

भगवान विष्णु के हर अवतार लेने के पीछे एक उद्देश्य (Why Did Lord Vishnu Take The Mohini Avatar In Hindi) था। मोहिनी अवतार भी भगवान ने धर्म की रक्षा करने तथा अधर्म का नाश करने के उद्देश्य से लिया था। आज हम जानेंगे की आखिर भगवान विष्णु के द्वारा मोहिनी अवतार लेने के पीछे क्या रहस्य था तथा इसके द्वारा उन्होंने किस उद्देश्य की पूर्ति की थी।

भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार लेने का उद्देश्य (Mohini Avatar Of Vishnu In Hindi)

भगवान विष्णु ने दिया था समुंद्र मंथन का कार्य (Mohini Avatar Ki Katha)

जब सृष्टि में महाप्रलय आई थी तब उस समय सब कुछ जलमग्न हो गया था। इस कारण कई महत्वपूर्ण वस्तुएं तथा औषधियां धरती में समा गयी थी। इसके साथ ही देवताओं की शक्ति दैत्यों के समक्ष कम हो गयी थी जिस कारण सृष्टि में अधर्म तथा पाप बढ़ गया था।

इसके लिए भगवान विष्णु ने देवताओं को समुंद्र मंथन करके अमृत तथा अन्य अनमोल रत्न प्राप्त करने का आदेश दिया। इसके लिए दैत्यों की भी सहायता ली गयी। इस मंथन के द्वारा वे सभी बहुमूल्य रत्न पुनः प्राप्त हुए किंतु जब अमृत कलश निकला तब दैत्यों ने छल से वह कलश भगवान धन्वंतरि के हाथों से छीन लिया।

देवताओं ने दैत्यों से अमृत कलश पाने के बहुत प्रयास किये लेकिन वे उनके सामने निर्बल थे। इसलिये थक हारकर वे भगवान विष्णु से सहायता मांगने पहुंचे।

विष्णु भगवान का नारी रूप: भगवान विष्णु ने लिया मोहिनी अवतार (Mohini Avatar Kisne Liya Tha)

जब भगवान विष्णु को यह ज्ञात हुआ कि अमृत कलश दैत्यों के हाथ लग गया हैं तो वे चिंता में पड़ गए क्योंकि यदि दैत्यों ने वह अमृत पी लिया तो स्वयं उनके लिए उनको मारना असंभव हो जायेगा। यदि दैत्य हमेशा के लिए अमर हो गए तो उन्हें भगवान का भय समाप्त हो जायेगा। इस कारण सृष्टि में पाप, अधर्म तथा अराजकता हमेशा के लिए व्याप्त हो जाएगी तथा भगवान का कोई औचित्य नही रहेगा।

इस कारण भगवान विष्णु ने अपनी माया के प्रभाव से एक सुंदर स्त्री का रूप धरा जिसका नाम मोहिनी था। इस अवतार की सहायता से उन्होंने दैत्यों का मन मोह लिया तथा उनसे अमृत कलश प्राप्त कर लिया। इसके पश्चात उन्होंने अपनी माया के प्रभाव से देवताओं को सारा अमृत पिला दिया तथा दैत्यों को सामान्य रस पिलाकर उन्हें भ्रम में रखा।

इस प्रकार भगवान विष्णु ने अपनी माया के प्रभाव से दैत्यों को अमृत पीने से रोक लिया था जिस कारण सृष्टि में अधर्म कमजोर हुआ और धर्म की पुनः स्थापना हो पाई।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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