आज हम छठ पूजा का इतिहास (Chhath Puja History In Hindi) जानेंगे जिसका संबंध रामायण काल में माता सीता से है। छठ पूजा उत्तर भारत व मुख्यतया बिहार में मनाया जाने वाले मुख्य पर्व है। आजकल इसे विदेशो में भी मनाया जाने लगा है। इस दिन सूर्य देव की जल में रहकर उपासना की जाती है व सृष्टि के कल्याण के लिए उनका आभार प्रकट किया जाता है।
छठ पूजा आज से ही नही अपितु सदियों से चला आ रहा त्यौहार हैं जिसका संबंध रामायण में माता सीता से भी रहा है। ऐसे में आज आप छठ माता की कथा (Chhath Mata Ki Katha) व उसका माता सीता से संबंध के बारे में जानेंगे। आइए जानते हैं छठ पूजा का इतिहास क्या है।
Chhath Puja History In Hindi | छठ पूजा का इतिहास
यह तो हम सभी जानते हैं कि श्रीराम के कुल को सूर्यवंशी माना जाता है अर्थात वे सूर्य देव के महान उपासक थे। स्वयं प्रभु श्रीराम प्रतिदिन स्नान करके सूर्य देव की उपासना किया करते थे। इसलिये उनके कुल में सूर्य देव का स्थान अति-सम्मानीय था।
जब श्रीराम का पहली बार राज्याभिषेक का समय आया था तब कालचक्र की कुदृष्टि के कारण उन्हें चौदह वर्ष का कठोर वनवास मिला था। इस वनवास में वे अपनी पत्नी सीता व छोटे भाई लक्ष्मण के साथ गए थे। चौदह वर्ष वनों में रहकर व आततायी रावण का वध करने के बाद वे पुष्पक विमान से कार्तिक मास की अमावस्या को अयोध्या लौट आए थे।
उनके अयोध्या आगमन पर संपूर्ण अयोध्या दीयो की रोशनी से जगमगा उठी थी। उनके अयोध्या लौटने के चार दिन बाद ही छठ पूजा का त्यौहार शुरू हो जाता हैं। इन्ही दिनों श्रीराम के राज्याभिषेक की तैयारियां भी शुरू हो गयी थी। बस यहीं से छठ माता की कथा (Chhath Mata Ki Katha) की शुरुआत होती है।
माता सीता की छठ पूजा
श्रीराम के राज्याभिषेक से पहले माता सीता ने अयोध्या के निकट बहने वाली सरयू नदी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया था। इससे पहले उन्होंने पूरे विधि-विधान के साथ छठ का व्रत किया था तथा संध्या काल में डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। फिर अगले दिन उगते सूर्य को जल देकर भोजन ग्रहण किया था।
तब से इस व्रत को करने की महत्ता और अधिक बढ़ गयी व यह पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध हो गया। इस व्रत को करने के पश्चात ही निर्विघ्न रूप से श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था। साथ ही इस व्रत को करने के पीछे यह भी मान्यता है कि इससे दंपत्ति को पुत्र/ संतान की प्राप्ति होती है। फलस्वरूप माता सीता भी गर्भवती हो गयी थी तथा उनके दो पुत्रो लव व कुश का वाल्मीकि आश्रम में जन्म हुआ था।
इस तरह से छठ पूजा का इतिहास (Chhath Puja History In Hindi) बहुत ही गौरवशाली रहा है। बहुत लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं होती है कि माता सीता ने भी छठ माता का व्रत किया था और उसके फलस्वरूप ही उन्हें दो पुत्र रत्नों की प्राप्ति हुई थी।
छठ पूजा के इतिहास से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: छठ पूजा का इतिहास क्या है?
उत्तर: छठ पूजा का इतिहास त्रेता युग में रामायण काल से जुड़ा हुआ है। श्रीराम के राज्याभिषेक से पहले माता सीता के द्वारा छठ व्रत किया गया था। इसी कारण उन्हें लव व कुश पुत्र रूप में प्राप्त हुए थे।
प्रश्न: छठ पूजा की शुरुआत कब और कैसे हुई?
उत्तर: छठ पूजा की शुरुआत माता सीता के द्वारा की गई थी। उन्होंने वनवास समाप्ति के बाद छठ का व्रत किया था। इसके कुछ समय बाद ही वे गर्भवती हो गई थी और फिर लव कुश का जन्म हुआ था।
प्रश्न: छठ माता किसकी पत्नी है?
उत्तर: छठ माता को भगवान कार्तिक की पत्नी माना जाता है। कार्तिक भगवान शिव और माता पार्वती का पुत्र है।
प्रश्न: छठ पूजा का रहस्य क्या है?
उत्तर: मान्यता है कि छठ पूजा का व्रत रखने से दंपत्ति को पुत्र प्राप्ति होती है। इसी के साथ ही उनके परिवार में समृद्धि का प्रवेश होता है।
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