गौरी माता की आरती (Gauri Mata Ki Aarti) | गौरी मां की आरती (Gauri Maa Ki Aarti)

Mangla Gauri Aarti

गौरी माता की आरती (Gauri Mata Ki Aarti)

गौरी माता भगवान शिव की पत्नी हैं जिनका दूसरा नाम माता पार्वती है। एक तरह से कहा जाए तो माता पार्वती का गौरी वाला रूप विवाहित व अविवाहित स्त्रियों के द्वारा अपने सुहाग की रक्षा तथा मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए पूजा जाता है। यही कारण है कि आज के इस लेख में हम मंगला गौरी आरती का पाठ (Mangla Gauri Aarti) करने जा रहे हैं।

गौरी माता की आरती (Gauri Mata Ki Aarti) को केवल पढ़ना ही पर्याप्त नहीं होता है बल्कि साथ के साथ उसका अर्थ भी समझ लिया जाए तो यह और भी शुभकारी सिद्ध होता है। यही कारण है कि आज हम आपके साथ गौरी आरती इन हिंदी में भी सांझा करेंगे ताकि आप उसका संपूर्ण भावार्थ समझ सकें। अंत में आपको मां गौरी की आरती के लाभ व महत्व भी जानने को मिलेंगे। आइये पढ़ें गौरी मां की आरती (Gauri Maa Ki Aarti)।

मंगला गौरी आरती (Mangla Gauri Aarti)

जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता,
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता।।

अरिकुल पदम विनासिनी निज सेवक त्राता।
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।।

सिंह को वाहन साजे कुण्डल हैं साथा।
देबबंधु जस गावत नृत्य करत ता था।।

सतयुग रूप शील अतिसुन्दर नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी सखियन संगराता।।

शुंभ निशुंभ विदारे हेमांचल स्थाता।
सहस्त्र भुजा तनु धारिके चक्र लियो हाथा।।

सृष्टि रूप तू ही है जननी शिव रंगराता।
नंदी भृंगी बीन लही है हाथन मदमाता।।

देवन अरज कीनी हम मन चित्त को लाता।
गावत दे दे ताली मन में रंग आता।।

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता।
सदा सुखी नित रहता सुख संपत्ति पाता।।

गौरी माता की आरती (Gauri Mata Ki Aarti) – अर्थ सहित

जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता।।

गौरी माता की जय हो, जय हो। वे ही ब्रह्म तथा सत्य हैं अर्थात सृष्टि की शुरुआत और अंत वही हैं और वही हमें शुभ फल प्रदान करती हैं।

अरिकुल पदम विनासिनी निज सेवक त्राता।
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।।

गौरी माता हमारे शत्रुओं का नाश कर देती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। वे ही हम सभी को जीवन प्रदान करने वाली हैं और हम सभी उनकी महिमा का वर्णन करते हैं।

सिंह को वाहन साजे कुण्डल हैं साथा।
देबबंधु जस गावत नृत्य करत ता था।।

माँ गौरी सिंह पर सवारी करती हैं और यही उनका वाहन है। उन्होंने अपने कानो में कुंडल पहन रखे हैं। सभी देवता माता गौरी के स्वागत में भजन गाते हैं और नृत्य करते हैं।

सतयुग रूप शील अतिसुन्दर नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी सखियन संगराता।।

सतयुग में गौरी माता ने बहुत ही सुन्दर रूप लिया था जिनका नाम सती था। इसके बाद उन्होंने हिमालय पर्वत के यहाँ पुत्री रूप में जन्म लिया और पार्वती कहलायी। उन्होंने अपनी सखियों सहित बहुत मौज-मस्ती की।

शुंभ निशुंभ विदारे हेमांचल स्थाता।
सहस्त्र भुजा तनु धारिके चक्र लियो हाथा।।

महागौरी ने माँ काली के रूप में शुंभ-निशुंभ राक्षसों का वध कर दिया था और उनका निवास स्थान पर्वत पर है। उन्होंने शत्रुओं का नाश करने के लिए अपनी हजारों भुजाओं में अनेक अस्त्र-शस्त्र धारण किये हुए हैं।

सृष्टि रूप तू ही है जननी शिव रंगराता।
नंदी भृंगी बीन लही है हाथन मदमाता।।

इस सृष्टि को जन्म और इसे यह रूप मां गौरी ने ही दिया है। इस कार्य में वे भगवान शिव की सहयोगी रही हैं। माता गौरी के स्वागत में तो नंदी भी अपने हाथों में भृंगी व बीन लिए मदहोश होए जा रहा है।

देवन अरज कीनी हम मन चित्त को लाता।
गावत दे दे ताली मन में रंग आता।।

सभी देवता मिलकर महागौरी के सामने याचना करते हैं और हम सभी भी गौरी माँ का ही ध्यान करते हैं। हम पूजा की थाली लेकर माता गौरी के रंग में रंगकर उनकी आराधना करते हैं।

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता।
सदा सुखी नित रहता सुख संपत्ति पाता।।

जो कोई भी भक्तगण माता गौरी की आरती गाता है, वह उनकी कृपा से हमेशा सुख को प्राप्त करता है और उसके घर में भी सुख-संपत्ति का वास होता है।

गौरी मां की आरती (Gauri Maa Ki Aarti) – महत्व

हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं के कई रूप माने जाते हैं जिनमे त्रिदेव को मुख्य ईश्वर तथा त्रिदेवियों को मुख्य देवियाँ माना जाता है। इसमें माँ सरस्वती को विद्या व माँ लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है जबकि माता गौरी को माँ आदिशक्ति का ही रूप मानते हुए उन्हें इस सृष्टि की जननी कहा गया है। इसी कारण गौरी आरती का महत्व बहुत बढ़ जाता है।

गौरी माता की आरती के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया गया है कि हमारे जीवन में माता गौरी का कितना अधिक महत्व है। मंगला गौरी आरती के माध्यम से आपने माता गौरी के गुणों, महत्व, शक्तियों व कर्मों के बारे में जान लिया है। तो यही महागौरी आरती का महत्व होता है। ऐसे में हमें पवित्र मन के साथ प्रतिदिन गौरी मां की आरती का पाठ करना चाहिए।

महागौरी आरती (Mangala Gauri Aarti) – लाभ

यदि किसी कन्या के विवाह में बार-बार अड़चन आ रही है, उसके विवाह में बिना किसी कारण विलंब हो रहा है, उसे अपनी इच्छा के अनुरूप वर चाहिए जो जीवनपर्यंत उसका साथ निभाए, तो उसे माता गौरी की आरती का पाठ अवश्य करना चाहिए। इससे विवाह में आ रही हर प्रकार की अड़चन व ग्रह दोष दूर हो जाते हैं।

कई बार यह देखने में आता है कि व्यक्ति की कुंडली या ग्रहों की स्थिति इस प्रकार होती है कि उसका विवाह नहीं हो पाता है या विवाह के उपरांत भी अड़चन आती है। ऐसे में मनचाहा वर प्राप्त करने और विवाह बाद शांति से जीवनयापन करने के लिए हर स्त्री को मंगला गौरी आरती का पाठ करना चाहिए। पुरुष भी मनचाही स्त्री से विवाह करने के लिए गौरी जी की आरती का पाठ कर सकता है।

मंगला गौरी आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: मंगला गौरी पूजा कैसे करते हैं?

उत्तर: मंगला गौरी पूजा करने के लिए आपको सुबह जल्दी उठकर माता गौरी की मूर्ति के सामने बैठकर गौरी स्तुति, चालीसा, स्तोत्र व आरती का पाठ करना चाहिए।।

प्रश्न: मां पार्वती को गौरी क्यों कहा जाता है?

उत्तर: मां पार्वती के कई रूप हैं जो उनके विभिन्न गुणों का प्रदर्शन करते हैं। इसी में एक रूप गौरी स्त्री के सुहाग की रक्षा करने तथा उसे मनचाहा वर देने के लिए लिया गया है।

प्रश्न: क्या देवी पार्वती और गौरी एक ही हैं?

उत्तर: देवी पार्वती के अपने गुणों के अनुसार कई रूप हैं और उसी में एक रूप माँ महागौरी का भी है। ऐसे में देवी पार्वती और गौरी एक ही हैं।

प्रश्न: गौरी का असली नाम क्या है?

उत्तर: माँ गौरी का असली नाम माता पार्वती है क्योंकि ये उन्हीं का ही एक रूप है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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