लंका के राजवैद्य सुषेण ने लक्ष्मण की सहायता क्यों की?

Sushen Vaidya In Ramayana In Hindi

सुषेण लंका (Sushen Vaidya Ramayan In Hindi) के राजा रावण के राज वैद्य थे जिस कारण वे लंका के सबसे विद्वान व शक्तिशाली वैद्य थे। जब रावण के पुत्र मेघनाथ ने श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण को युद्धभूमि में शक्तिबाण की सहायता से मुर्छित कर दिया तो श्रीराम की सेना में मायूसी छा गयी थी (Who Is Sushen In Ramayana In Hindi)। स्वयं श्रीराम लक्ष्मण का मस्तिष्क अपनी गोद में रखकर प्रलाप कर रहे थे व उसे कुछ हो जाने पर स्वयं के शरीर त्याग देने को कह रहे थे। तब लंका के राजवैद्य सुषेण (Vaidyaraj Sushen) की सहायता ली गयी थी लेकिन क्यों? आइए जानते हैं।

लंका का राजवैद्य सुषेण (Sushen Vaidya In Ramayana In Hindi)

विभीषण ने बताया सुषेण वैद्य के बारे में (Vibhishan Ne Bataya Sushen Vaidya Ke Bare Me)

श्रीराम व लक्ष्मण की यह स्थिति देखकर लंकापति रावण के छोटे भाई विभीषण ने लंका के वैद्य सुषेण (Vaidyaraj Sushen) के बारे में बताया किंतु वह सशंकित थे कि वे शत्रु पक्ष की सहायता करेंगे या नही। हनुमान ने जब यह बात सुनी तो वे तुरंत हवा मार्ग से उड़ गए व सुषेण वैद्य के घर पहुँच गए। हनुमान जी ने सुषेण वैद्य को घर समेत अपने हाथ से उठा लिया व वहां ले आये।

सुषेण वैद्य ने लक्ष्मण का उपचार करने से किया मना (Hanuman Laye Sushen Vaidya Ko)

सुषेण वैद्य इस प्रकार स्वयं को उठाकर लाये जाने व शत्रु पक्ष का उपचार करने का कहने पर अत्यंत क्रोधित हो उठे। उन्होंने लक्ष्मण का उपचार करने से साफ मना कर दिया। उनके अनुसार उन्हें अपने राजधर्म व देशभक्ति का पालन करना चाहिए। चूँकि श्रीराम व उनकी सेना लंका की शत्रु थी तो उन्हें राजधर्म के अनुसार उनका उपचार नही करना चाहिए।

विभीषण ने समझाया सुषेण वैद्य को (Ramayan Sushen Vaidya)

जब सुषेण वैद्य लक्ष्मण का उपचार करने से मना करने लगे तब विभीषण ने उन्हें वैद्य धर्म व आयुर्वेद के सिद्धांतों के बारे में बताया। उन्होंने समझाया कि जब हम दो धर्मों के बीच फंस जाते है व धर्म संकट की स्थिति उत्पन्न होती है तब हमें बड़े धर्म का पालन करना चाहिए।

चूँकि किसी व्यक्ति के वैद्य बनते ही उसे आयुर्वेद के सिद्धातों पर चलना होता है जिसके अनुसार वैद्य किसी देश, समाज या मनुष्य का ना होकर संपूर्ण मानव जाति का होता है। एक वैद्य के लिए कोई भी शत्रु या मित्र नही होता। उसे समस्त मनुष्यों का उसके समाज, कुल, जाति, देश, वर्ण, रंग, रूप इत्यादि का विचार ना करते हुए उसका उपचार करना चाहिए। यही वैद्य का शाश्वत धर्म होता हैं।

सुषेण वैद्य ने किया लक्ष्मण का उपचार (Sushen Vaidya Dharam Sankat)

विभीषण के द्वारा इस सत्य का ज्ञान करवाने से सुषेण वैद्य को अपनी भूल का ज्ञान हुआ व साथ ही श्रीराम के द्वारा एक शत्रु पक्ष के वैद्य पर विश्वास करते हुए देखकर उनका मन विचल उठा। उन्होंने तुरंत लक्ष्मण का उपचार शुरू कर दिया। इसी के बाद उन्होंने लक्ष्मण का एकमात्र उपचार हिमालय पर्वत पर स्थित संजीवनी बूटी को बताया जिसका सूर्योदय से पहले लाना आवश्यक था।

सुषेण वैद्य के कहे अनुसार हनुमान हिमालय पर्वत गए व सूर्योदय से पहले संजीवनी बूटी ले आयें। इसके बाद सुषेण वैद्य ने संजीवनी बूटी से औषधि का निर्माण किया व लक्ष्मण को पुनः स्वस्थ कर दिया।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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