नाग देवता की आरती हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

Nag Devta Ki Aarti

आज हम नाग देवता की आरती (Nag Devta Ki Aarti) करेंगे। सनातन धर्म में सृष्टि के सभी जीवों को महत्व दिया गया है क्योंकि हर किसी का सृष्टि को चलाने में अपना-अपना योगदान होता है। इन्हीं जीवों में से कुछ-कुछ को पूजनीय भी माना गया है जिसमें से एक नाग देवता हैं। यह नाग भगवान शिव के गले में भी रहता है तो वहीं भगवान विष्णु का शयन स्थल भी है। ऐसे में हम सभी को नाग देवता की पूजा करने के लिए उनकी आरती का पाठ करना चाहिए।

आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ नाग देवता आरती (Nag Devta Aarti) ही साझा करने जा रहे हैं और वो भी उसके अर्थ के साथ। अंत में हम आपके साथ नाग आरती का महत्व व लाभ भी साझा करेंगे ताकि आप इसका संपूर्ण लाभ उठा सकें। तो आइए सबसे पहले करते हैं नाग देवता की आरती हिंदी में।

Nag Devta Ki Aarti | नाग देवता की आरती

आरती कीजे श्री नाग देवता की,
भूमि का भार वहनकर्ता की।
उग्र रूप है तुम्हारा देवा भक्त,
सभी करते है सेवा॥

मनोकामना पूरण करते,
तन-मन से जो सेवा करते।
आरती कीजे श्री नाग देवता की॥

भक्तों के संकट हारी की आरती,
कीजे श्री नागदेवता की।
आरती कीजे श्री नाग देवता की॥

महादेव के गले की शोभा,
ग्राम देवता मै है पूजा।
श्वेत वर्ण है तुम्हारी ध्वजा॥

दास ऊंकार पर रहती कृपा,
सहस्त्रफनधारी की।
आरती कीजे श्री नाग देवता की,
भूमि का भार वहनकर्ता की॥
आरती कीजे श्री नाग देवता की॥

Nag Devta Aarti | नाग देवता आरती – अर्थ सहित

आरती कीजे श्री नाग देवता की,
भूमि का भार वहनकर्ता की।
उग्र रूप है तुम्हारा देवा भक्त,
सभी करते है सेवा॥

हम सभी नाग देवता की आरती करते हैं। नाग देवता ही इस पृथ्वी का भार उठाये हुए हैं अर्थात यह पृथ्वी शेषनाग के फन पर ही टिकी हुई है। नाग देव का रूप और स्वभाव बहुत ही उग्र अर्थात प्रचंड है। हम सभी मिलकर नाग देवता की सेवा करते हैं।

मनोकामना पूरण करते,
तन-मन से जो सेवा करते।

जो कोई भी तन व मन के साथ नाग देवता की सेवा करता है, उसकी हरेक मनोकामना पूर्ण हो जाती है अर्थात जो कोई भी सच्चे मन के साथ नाग देवता की आरती करता है, उसके हर काम नाग देवता की कृपा से बन जाते हैं।

भक्तों के संकट हारी की आरती,
कीजे श्री नागदेवता की।

हम सभी के संकटों व विपदाओं को हरने वाले अर्थात उन्हें दूर करने वाले नाग देवता की आरती का पाठ हम सभी के द्वारा किया जाता है।

महादेव के गले की शोभा,
ग्राम देवता मै है पूजा।
श्वेत वर्ण है तुम्हारी ध्वजा॥

नाग देव तो स्वयं देवों के देव महादेव के गले की शोभा हैं अर्थात उनके गले में विराजमान हैं। नाग देव को गाँव-गाँव में देवता के रूप में पूजनीय माना गया है। उनकी ध्वजा का वर्ण श्वेत होता है।

दास ऊंकार पर रहती कृपा,
सहस्त्रफनधारी की।

नाग देव हमेशा अपने भक्तों के ऊपर नज़र रखते हैं और उनके सभी संकटों का समाधान कर उन पर अपनी कृपा बरसाते हैं। हम सभी हजारों फनधारी नाग देवता की पूजा करते हैं।

ऊपर आपने नाग आरती हिंदी में अर्थ सहित (Nag Aarti) पढ़ ली है। अब हम आपको नाग देवता की आरती करने से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व के बारे में भी बता देते हैं।

नाग देवता की आरती का महत्व

नाग देवता की आरती के माध्यम से नागों की इस सृष्टि में भूमिका, महत्व व स्थान इत्यादि के बारे में बताया गया है। मनुष्य का स्वभाव होता है कि वह नागों से भय खाता है और सोचता है कि नाग हमें डसकर हमारी हत्या कर देते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि नाग यूँ ही किसी को नहीं डसता है। या तो उसे अपने जीवन का भय होता है, इसलिए वह सामने वाले को डसता है या फिर मनुष्य को उसको कर्मों का फल देने के लिए भगवान शिव की आज्ञा से वह डसता है।

ऐसे में नाग देवता आरती के माध्यम से नागों का हमारे जीवन में क्या महत्व है और क्यों हमें उनकी पूजा करनी चाहिए, इसके बारे में बताया गया है। नागों के बारे में बताने के कारण ही नाग आरती का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

नाग देवता आरती के लाभ

यदि आप नाग देवता का ध्यान कर सच्चे मन के साथ नाग देवता की आरती का पाठ करते हैं तो इससे आपको एक नहीं बल्कि कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। पहला तो आप नागों के भय से मुक्त होते हैं और कोई भी नाग आपको नहीं डसता है। इसी के साथ ही नागों की कृपा होने से आपके अन्य चीज़ों के भय भी दूर होते हैं और अभय होने का आशीर्वाद नाग देवता से मिलता है।

यदि आपकी कुंडल में काल सर्प दोष है तो वह भी नाग देवता आरती के माध्यम से दूर हो जाता है। नाग का एक महत्वपूर्ण कार्य फसलों को कीट, पतंगों इत्यादि से बचाकर उसकी रक्षा करना होता है। ऐसे में जो किसान नाग देवता की आरती करते हैं, उनके यहाँ फसल की रक्षा स्वयं नाग देवता करते हैं। ऐसे में हम सभी को प्रतिदिन और मुख्यतया नाग पंचमी के दिन नाग देवता आरती का पाठ करना चाहिए।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने नाग देवता की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Nag Devta Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने नाग आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

नाग देवता की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: नाग देवता की पूजा कैसे की जाती है?

उत्तर: नाग पंचमी के दिन नाग देवता को दूध व सुगंधित पुष्प अर्पित किये जाते हैं। यह आप शिवलिंग के पास स्थित नाग देवता को भी अर्पित कर सकते हैं या फिर असलियत में किसी नाग को किया जा सकता है।

प्रश्न: नाग देवता का मंत्र क्या है?

उत्तर: नाग देवता का मंत्र “वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।  ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ॥  एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम्॥” है जिसमें आठों नाग देवताओं के नाम समाहित है।

प्रश्न: नाग देवता को प्रसन्न कैसे करें?

उत्तर: नाग देवता को सबसे ज्यादा प्रिय दूध व सुगंधित पुष्प होते हैं। ऐसे में आप उन्हें कच्चा दूध व चमेली के पुष्प चढ़ा सकते हैं। ऐसा करने से नाग देवता जल्द ही अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं।

प्रश्न: नाग देवता की पूजा करने से क्या होता है?

उत्तर: नाग देवता की पूजा करने से हमें नागों के डसने का भय नहीं रहता है। इसी के साथ ही कुंडली में काल सर्प दोष है तो वह भी दूर हो जाता है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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