नाग पंचमी की कथा व महत्ता

Nag Panchami In Hindi

हिंदू धर्म में प्रकृति के सभी जीवों तथा प्राणियों को अपनाने की बात कही गयी है (Nag Panchami In Hindi)। मुख्यतया हम उन जीवों से प्रेम करते हैं जो हमे किसी प्रकार की हानि नही पहुंचाते तथा घातक जीवों से दूरी बनाकर रखते हैं किंतु सनातन धर्म में सभी जीवों का इस प्रकृति के संचालन में योगदान को ध्यान में रखकर उन्हें सम्मान देने की बात कही गयी है।

इसलिये सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर वर्ष नाग पंचमी बनायी जाती हैं जिसमें हम सर्पों/ नागों की पूजा करते है। इस दिन व्रत रखने (Nag Panchami Vrat) तथा सांप को दूध से नहलाने की भी परंपरा है। इसके साथ एक प्राचीन कथा भी जुड़ी हुई है। आज हम आपको नाग पंचमी से जुड़ी कथा (Nag Panchami Katha In Hindi) तथा उसकी महत्ता के बारे में समझायेंगे।

नाग पंचमी की कथा (Nag Panchami Katha In Hindi)

वैसे तो नाग पंचमी से कई प्रकार की कथाएं जुड़ी हुई हैं लेकिन हम आपको सर्वप्रसिद्ध कथा सुनायेंगे। आइये जानते हैं (Nag Panchami Ki Katha)।

प्राचीन समय में एक धनवान व्यक्ति हुआ करता था जिसके सात पुत्र थे। उन सातों का ही विवाह हो चुका था जिसमे से सबसे छोटे पुत्र की पत्नी अत्यधिक गुणवान तथा धर्मावलंबी थी। एक दिन घर पर मिट्टी का लेप करने के लिए सभी बहुएं बाहर से मिट्टी लाने के लिए गयी। जब सभी बहुएं खुरपी से मिट्टी खोद रही थी तब धरती में से एक सर्प निकला।

यह देखकर सभी बहुएं बहुत डर गयी तथा बड़ी बहु उसे खुरपी की सहायता से मारने लगी (Nag Panchami Par Nibandh)। जीव हत्या देखकर छोटी बहु का मन पसीज गया व उसने अपनी जेठानी को ऐसा करने से रोका। उसने उन्हें समझाया कि एक सर्प हमेशा स्वयं पर खतरा होने पर ही हमे डसता है इसलिये व्यर्थ में उसे मारने का कोई औचित्य नही। इस पर बड़ी बहु ने उसे नही मारा।

सर्प को छोटी बहु की यह बात सुनकर बहुत अच्छा लगा। छोटी बहु ने उससे वही बैठने को कहा तथा थोड़ी देर में पुनः आने का कहकर चली गयी। सभी बहुएं घर पर मिट्टी लेकर चली गयी तथा अन्य कामो में व्यस्त हो गयी। अगले दिन जब छोटी बहु को सर्प से मिलने की बात याद आई तब वह दौड़ी हुई वहां गयी। उसने वहां जाकर देखा कि सर्प वही बैठा उसकी प्रतीक्षा कर रहा था।

यह देखकर उसने सर्प से क्षमा मांगी तथा उसे अपना भाई कहकर संबोधित किया। सर्प को छोटी बहु का व्यवहार अत्यधिक पसंद आया तथा उसने भी उसे अपनी छोटी बहन के रूप में स्वीकार कर लिया। कुछ दिनों के पश्चात वह सर्प एक मनुष्य का रूप धरकर उस धनवान व्यक्ति के घर आया तथा छोटी बहु के भाई के रूप में अपना परिचय दिया।

छोटी बहु का कोई सगा भाई नही था इसलिये सभी घरवाले आश्चर्यचकित रह गए थे। उस सर्प ने कहा कि वह उसके दूर का भाई हैं तथा उसे कुछ दिन अपने घर ले जाने के लिए आया है। सभी घरवालो ने उसकी बात मान ली तथा छोटी बहु उसके साथ चल पड़ी। कुछ देर चलने के पश्चात सर्प ने उसे बताया कि वह वही सर्प है जो उसे उस दिन मिला था इसलिये उसे उससे डरने की कोई आवश्यकता नही।

जब दोनों सर्प के घर पहुंचे तब उसने अपने परिवार से छोटी बहु को मिलवाया। एक दिन सर्प की माँ कही बाहर गयी थी तो उसने छोटी बहु को कहा कि वह सर्प को ठंडा दूध पिला दे। छोटी बहु को यह बात ध्यान नही रही तथा भूलवश उसने सर्प को गर्म दूध पिला दिया। इससे उसका मुहं जल गया जिससे उसकी माँ को भी बहुत क्रोध आया लेकिन सबने उसकी भूल समझकर उसे क्षमा कर दिया।

कुछ दिन बाद छोटी बहु जब पुनः अपने घर जाने लगी तब उस सर्प ने उसे बहुत सा धन दिया जिसमें एक बहुमूल्य हीरे मोतियों का हार भी था। वह सब धन लेकर अपने घर लौट आई। उसको मिली धन-संपदा तथा हार का समाचार पूरे नगर में फैल गया तथा वहां की रानी को वह हार पहनने की इच्छा हुई। राजा के सिपाहियों ने वह हार लाकर रानी को दे दिया।

छोटी बहु को यह बात बिल्कुल उचित नही लगी तथा उसने अपने भाई सर्प को बुलाकर सब बात बतायी। सर्प ने कहा कि तुम्हारे आलावा जो कोई भी उस हार को पहनेगा वह हार सर्प बन जायेगा। इसलिये रानी ने जैसे ही उस हार को पहना तो वह सर्प बन गया। यह देखकर रानी अत्यधिक डर गयी तथा छोटी बहु को राज दरबार में बुलाया गया। तब उसने बताया कि उसके अलावा जो कोई भी इस हार को पहनता हैं तो वह सर्प बन जाता है। उसने वह हार स्वयं पहनकर दिखाया तो वह पुनः हीरे मोतियों का हार बन गया। राजा यह चमत्कार देखकर अत्यंत प्रसन्न हुआ तथा उसे वह हार ले जाने की अनुमति दे दी।

जब छोटी बहुत वह हार लेकर अपने घर वापस आई तब बड़ी बहु ने ईर्ष्या स्वरुप उसके पति के कान भर दिए। उसके पति ने जब उससे यह पुछा कि उसके पास इतना धन इत्यादि कहां से आया तब छोटी बहु ने अपने भाई को याद किया। अपनी बहन के याद करते ही वह सर्प उनके पास आया तथा उसके पति को सारी बात बतायी। उसका पति यह बात सुनकर संतुष्ट हो गया। तभी से नाग पंचमी के दिन मुख्यतया महिलाएं सर्प को अपना भाई मानकर उसका पूजन करती हैं।

नाग पंचमी की महत्ता (Essay On Nag Panchami In Hindi)

हिंदू धर्म में सर्पों की विशेष महत्ता हैं। स्वयं भगवान शिव अपने गले में वासुकी नाग को धारण करते है तथा भगवान विष्णु शेषनाग पर विराजमान है (What to do on Nag Panchami)। नाग पंचमी के दिन मुख्यतया आठ सांपों के रूप की पूजा की जाती हैं:

वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।

ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ ॥

एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम् ॥

अर्थ: वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्रक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कार्कोटक और धनंजय: यह आठ सर्प प्राणियों को अभय प्रदान करते हैं।

नाग के कई विशेष गुणों के आधार पर इनकी पूजा (Nag Panchami Pooja) का विधान हैं। जैसे कि भारत एक कृषि प्रधान देश रहा हैं तथा लोगों की आजीविका का मुख्य साधन कृषि ही हैं। फसलों की रक्षा करने का दायित्व नाग देवता मुख्य रूप से निभाते है। वे फसलों को बर्बाद करने वाले पशुओं, कीट पतंगों इत्यादि को वहां से दूर रखते हैं तथा फसलों की रक्षा करते है (Nag Panchami Puja Vidhi In Hindi)।

इसी के साथ लोगों में यह आम धारणा है कि नाग मनुष्य को डसकर उसकी हत्या कर देता हैं जबकि ऐसा नही है। नाग तभी किसी को डसता हैं जब उसे अपने प्राणों पर खतरा महसूस हो अन्यथा वह किसी प्राणी को नही डसता। इसलिये यह धारणा एक दम अनुचित है।

इसी के साथ नाग अपने बिल में एकांत में रहना पसंद करता है तथा उसे सुगंद अत्यधिक प्रिय है। इसलिये हमें वे ज्यादातर चमेली, चंदन इत्यादि के पेड़ों पर मिलते है। अर्थात नाग भी समाज की अच्छी चीज़ों के संपर्क में रहना पसंद करते हैं ना कि बदबूदार तथा दुर्गंध वाली चीजों के पास।

नाग पंचमी के दिन क्या करे? (Nag Panchami Par Kya Karen)

नाग पंचमी के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करे तथा अपने घर की दीवार पर गेरू पोते। वहां पर नाग का चित्र बनाकर उसका पूजन करे। नाग की पूजा करने के लिए आप सुगंधित पुष्पों का प्रयोग करे जैसे कि चमेली, कमल इत्यादि।

इस बात का ध्यान रखे कि नाग पंचमी के दिन लोग यह सोचते हैं कि उस दिन सर्प को दूध पिलाना चाहिए जो कि गलत है (Nag Panchami Par Kya Kare)। सर्प को दूध पिलाने से हमें मृत्यु दोष लगता है। शास्त्रों में नाग पंचमी के दिन सर्प को दूध से नहलाने को कहा गया हैं ना कि दूध पिलाने को। इसलिये इस दिन सर्प को दूध से नहलाया जा सकता है।

इसी के साथ बहुत जगह इस दिन मिट्टी पर कुदाली इत्यादि नही चलाई जाती तथा खेत नही जोते जाते। घर की महिलाएं घर पर चूल्हा भी नही रखती क्योकि यह अशुभ माना जाता है। इसलिये नाग पंचमी से एक दिन पूर्व ही भोजन बनाने की परंपरा हैं तथा नाग पंचमी वाले दिन बासी भोजन खाया जाता है।

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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