मां नैना देवी चालीसा (Maa Naina Devi Chalisa)

Naina Devi Chalisa

मां नैना देवी चालीसा (Maa Naina Devi Chalisa) – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

माता सती के द्वारा अपने पिता दक्ष के द्वारा अपने पति शिवजी का अपमान किये जाने पर यज्ञ के अग्निकुंड में कूदकर आत्म-दाह कर लिया गया था। यह देखकर शिवजी भगवान बेसुध होकर माता सती के जले हुए शरीर को लेकर दसों दिशाओं में घूमने लगे जिसे देखकर श्रीहरि ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए। यह 51 टुकड़े जहाँ-जहाँ गिरे वहां मातारानी के शक्तिपीठ निर्मित हुए जिसमें से एक नैना देवी मंदिर है जहाँ माता सती के नयन गिरे थे। ऐसे में आज हम नैना देवी चालीसा का पाठ (Naina Devi Chalisa) करने जा रहे हैं।

नैना देवी मंदिर में नैना देवी पिंडी रूप में स्थापित हैं जो हिमाचल प्रदेश राज्य के बिलासपुर शहर में स्थित है। इसे नयन मंदिर भी कह दिया जाता है। आज के इस लेख में आपको नैना देवी चालीसा हिंदी में (Naina Devi Chalisa In Hindi) भी पढ़ने को मिलेगी ताकि आप उसका भावार्थ समझ सकें। अंत में हम आपके साथ नैना देवी जी की चालीसा के लाभ व महत्व भी सांझा करेंगे। आइये सबसे पहले पढ़ते हैं मां नैना देवी चालीसा (Maa Naina Devi Chalisa)।

नैना देवी चालीसा (Naina Devi Chalisa)

॥ दोहा ॥

नैनों में बसती छवि दुर्गे नैना मात।
प्रातः काल सिमरन करू हे जग की विख्यात॥

सुख वैभव सब आपके चरणों का प्रताप।
ममता अपनी दीजिए माई, मैं बालक करूं जाप॥

॥ चौपाई ॥

नमस्कार हैं नैना माता, दीन दुखी की भाग्य विधाता।

पार्वती ने अंश दिया हैं, नैना देवी नाम किया हैं।

दबी रही थी पिंडी होकर, चरती गायें वहा खड़ी होकर।

एक दिन अनसुईया गौ आई, पिया दूध और थी मुस्काई।

नैना ने देखी शुभ लीला, डर के भागा ऊँचा टीला।

शांत किया सपने में जाकर, मुझे पूज नैना तू आकर।

फूल पत्र दूध से भज ले, प्रेम भावना से मुझे जप ले।

तेरा कुल रोशन कर दूंगी, भंडारे तेरे भर दूंगी।

नैना ने आज्ञा को माना, शिव शक्ति का नाम बखाना।

ब्राह्मण संग पूजा करवाई, दिया फलित वर माँ मुस्काई।

ब्रह्मा विष्णु शंकर आये, भवन आपके पुष्प चढ़ाए।

पूजन आये सब नर नारी, घाटी बनी शिवालिक प्यारी।

ज्वाला माँ से प्रेम तिहारा, जोतों से मिलता हैं सहारा।

पत्तो पर जोतें हैं आती, तुम्हरें भवन हैं छा जाती।

जिनसे मिटता हैं अंधियारा, जगमग जगमग मंदिर सारा।

चिंतपुर्णी तुमरी बहना, सदा मानती हैं जो कहना।

माई वैष्णो तुमको जपतीं, सदा आपके मन में बसती।

शुभ पर्वत को धन्य किया है, गुरु गोविंद सिंह भजन किया है।

शक्ति की तलवार थमाई, जिसने हाहाकार मचाई।

मुगलो को जिसने ललकारा, गुरु के मन में रूप तिहारा।

अन्याय से आप लड़ाया, सबको शक्ति की दी छाया।

सवा लाख का हवन कराया, हलवे चने का भोग लगाया।

गुरु गोविंद सिंह करी आरती, आकाश गंगा पुण्य वारती।

नांगल धारा दान तुम्हारा, शक्ति का स्वरुप हैं न्यारा।

सिंह द्वार की शोभा बढ़ाये, जो पापी को दूर भगाए।

चौसंठ योगिनी नाचें द्वारे, बावन भेरो हैं मतवारे।

रिद्धि सिद्धि चँवर डुलावे, लांगुर वीर आज्ञा पावै।

पिंडी रूप प्रसाद चढ़ावे, नैनों से शुभ दर्शन पावें।

जैकारा जब ऊँचा लागे, भाव भक्ति का मन में जागे।

ढोल ढप्प बाजे शहनाई, डमरू छैने गाये बधाई।

सावन में सखियन संग झूलों, अष्टमी को खुशियों में फूलो।

कन्या रूप में दर्शन देती, दान पुण्य अपनों से लेती।

तन-मन-धन तुमको न्यौछावर, मांगू कुछ झोली फेलाकर।

मुझको मात विपद ने घेरा, मोहमाया ने डाला फेरा।

काम क्रोध की ओढ़ी चादर, बैठा हूँ नैया को डूबोकर।

अपनों ने मुख मोड़ लिया हैं, सदा अकेला छोड़ दिया हैं।

जीवन की छूटी है नैया, तुम बिन मेरा कौन खिवैया।

चरणामृत चरणों का पाऊँ, नैनों में तुमरे बस जाऊं।

तुमसे ही उद्धारा होगा, जीवन में उजियारा होगा।

कलयुग की फैली है माया, नाम तिहारा मन में ध्याया।

नैना देवी चालीसा हिंदी में (Naina Devi Chalisa In Hindi)

॥ दोहा ॥

नैनों में बसती छवि दुर्गे नैना मात।
प्रातः काल सिमरन करू हे जग की विख्यात॥

सुख वैभव सब आपके चरणों का प्रताप।
ममता अपनी दीजिए माई, मैं बालक करूं जाप॥

हे माँ नैना देवी!! आपकी दुर्गा रूपी छवि हमारी आँखों में बसती है। मैं हर सुबह आपका ही ध्यान करता हूँ और आप इस जगत में प्रसिद्ध हैं। हमें सुख व वैभव आपकी कृपा के कारण ही प्राप्त होता है। मैं आपका बालक आपके नाम का जाप कर रहा हूँ और अब आप माता की भांति मुझे दुलार करें।

॥ चौपाई ॥

नमस्कार हैं नैना माता, दीन दुखी की भाग्य विधाता।

पार्वती ने अंश दिया हैं, नैना देवी नाम किया हैं।

दबी रही थी पिंडी होकर, चरती गायें वहा खड़ी होकर।

एक दिन अनसुईया गौ आई, पिया दूध और थी मुस्काई।

नैना माता को मेरा नमस्कार है। वे दीन व दुखी लोगों का भाग्य बना देती हैं। उनका प्राकट्य पार्वती (सती) माता के अंश से हुआ है और उसी से उनका यह नाम नैना देवी पड़ा है। वर्षों तक वे अपने स्थान पर पिंडी होकर दबी रही, जहाँ पर गाय माता चारा चरती थी। एक दिन वहां पर अनसुइया गाय आयी और आप उनका दूध पीकर मुस्कुराने लगी।

नैना ने देखी शुभ लीला, डर के भागा ऊँचा टीला।

शांत किया सपने में जाकर, मुझे पूज नैना तू आकर।

फूल पत्र दूध से भज ले, प्रेम भावना से मुझे जप ले।

तेरा कुल रोशन कर दूंगी, भंडारे तेरे भर दूंगी।

वहां पर नैना नाम का एक लड़का अपनी गायों को लेकर आया हुआ था और जब उसने नैना देवी की यह अद्भुत लीला देखी तो वह डरकर दूसरी पहाड़ी पर भाग गया। तब नैना माता ने उस लड़के के सपने में आकर उसे शांत किया और उसे अपनी पूजा करने को कहा। नैना माता ने उससे कहा कि यदि वह फूल, दूध इत्यादि लेकर प्रेम भावना के साथ उस पिंडी की पूजा करता है तो मातारानी उसके परिवार का भाग्य खोल देंगी और उसके घर को धन-धान्य से भर देंगी।

नैना ने आज्ञा को माना, शिव शक्ति का नाम बखाना।

ब्राह्मण संग पूजा करवाई, दिया फलित वर माँ मुस्काई।

ब्रह्मा विष्णु शंकर आये, भवन आपके पुष्प चढ़ाए।

पूजन आये सब नर नारी, घाटी बनी शिवालिक प्यारी।

नैना लड़के ने माँ की आज्ञा का पालन किया और शिव शक्ति का नाम लिया। तब नैना ने ब्राह्मण को बुलाकर उस पिंडी की पूजा करवायी और नैना के इस भक्तिभाव को देखकर नैना माता ने उसे वरदान दिया। भगवान ब्रह्मा, विष्णु व शंकर भी वहां आये और नैना माता के ऊपर पुष्प चढ़ाये। यह देखकर उस घाटी में और लोग भी आ गए और वह घाटी शिवालिक नाम से प्रसिद्ध हो गयी।

ज्वाला माँ से प्रेम तिहारा, जोतों से मिलता हैं सहारा।

पत्तो पर जोतें हैं आती, तुम्हरें भवन हैं छा जाती।

जिनसे मिटता हैं अंधियारा, जगमग जगमग मंदिर सारा।

चिंतपुर्णी तुमरी बहना, सदा मानती हैं जो कहना।

ज्वाला माता से आपका बहुत प्रेम है और हमें आपका सहारा बहुत ही मुश्किल से मिलता है। आप अपने यहाँ के पेड़-पौधों में भी निवास करती हैं और हर जगह छा जाती हैं। आपके प्रकाश से तो इस जगत का अंधकार भी मिट जाता है और आपके मंदिर की रोशनी दूर तक दिखाई देती है। चिंतपूर्णी माता आपकी बहन हैं और वे आपकी हरेक आज्ञा का पालन करती हैं।

माई वैष्णो तुमको जपतीं, सदा आपके मन में बसती।

शुभ पर्वत को धन्य किया है, गुरु गोविंद सिंह भजन किया है।

शक्ति की तलवार थमाई, जिसने हाहाकार मचाई।

मुगलो को जिसने ललकारा, गुरु के मन में रूप तिहारा।

वैष्णो माता भी आपके नाम का जाप करती हैं और आपके मन में भी हमेशा से वैष्णो माता का ही वास है। आपने पिंडी रूप में प्रकट होकर उस पर्वत का उद्धार कर दिया है और सिख धर्म के अंतिम गुरु गुरु गोविंद सिंह जी ने भी आपके नाम का भजन किया है। आपने ही गुरु गोविंद सिंह को शक्ति स्वरुप में वह तलवार भेंट की थी जिसने दुश्मनों में हाहाकार मचा दिया था। दुष्ट व आततायी मुगलों को उसी तलवार से ललकारा गया था और गुरु गोविंद सिंह के मन में आपका ही वास है।

अन्याय से आप लड़ाया, सबको शक्ति की दी छाया।

सवा लाख का हवन कराया, हलवे चने का भोग लगाया।

गुरु गोविंद सिंह करी आरती, आकाश गंगा पुण्य वारती।

नांगल धारा दान तुम्हारा, शक्ति का स्वरुप हैं न्यारा।

आपने ही सभी की अन्याय के विरुद्ध लड़ने में सहायता की और उन्हें इसके लिए शक्ति दी। तब गुरु गोविंद सिंह ने आपके मंदिर में सवा लाख का हवन करवाया था और आपको हलवे, चने का भोग लगाया था। गुरु गोविंद सिंह ने आपके नाम की आरती की थी और यह देखकर सब जगह मंगल हो गया था। आपका शक्ति स्वरुप सबसे अलग है और आप हम सभी का उद्धार कर देती हैं।

सिंह द्वार की शोभा बढ़ाये, जो पापी को दूर भगाए।

चौसंठ योगिनी नाचें द्वारे, बावन भेरो हैं मतवारे।

रिद्धि सिद्धि चँवर डुलावे, लांगुर वीर आज्ञा पावै।

पिंडी रूप प्रसाद चढ़ावे, नैनों से शुभ दर्शन पावें।

जो कोई भी पापियों का अंत कर देता है, वह नैना माता के सिंह द्वार की शोभा को बढ़ाने का कार्य करता है। माँ नैना देवी के दरबार में तो चौसंठ योगिनियाँ व बावन भैरों बाबा मतवाले होकर नृत्य करते हैं। रिद्धि-सिद्धि उन्हें चंवर डुलाती हैं तो हनुमान जी उनकी आज्ञा का पालन करते हैं। जो भी नैना माता की उस पिंडी पर प्रसाद चढ़ाता है और उनका ध्यान करता है, उसे अपनी आँखों से नैना माता के दर्शन होते हैं।

जैकारा जब ऊँचा लागे, भाव भक्ति का मन में जागे।

ढोल ढप्प बाजे शहनाई, डमरू छैने गाये बधाई।

सावन में सखियन संग झूलों, अष्टमी को खुशियों में फूलो।

कन्या रूप में दर्शन देती, दान पुण्य अपनों से लेती।

नैना माता के नाम का जयकारा सबसे ऊँचा लगता है और उनके ध्यान से हमारे मन में भक्ति भाव जागृत होता है। माँ के स्वागत में ढोल, नगाड़े, शहनाई, डमरू इत्यादि बजाये जाते हैं। सावन के महीने में माँ नैना देवी अपनी सखियों सहित झूलती हैं तो नवरात्र की अष्टमी को खुशियों से भर जाती हैं। उस समय वे कन्या रूप में हमें दर्शन देती हैं और अपनों से ही दान-पुण्य लेती हैं।

तन-मन-धन तुमको न्यौछावर, मांगू कुछ झोली फेलाकर।

मुझको मात विपद ने घेरा, मोहमाया ने डाला फेरा।

काम क्रोध की ओढ़ी चादर, बैठा हूँ नैया को डूबोकर।

अपनों ने मुख मोड़ लिया हैं, सदा अकेला छोड़ दिया हैं।

मैं अपना तन, मन व धन आपके ऊपर ही लुटा देता हूँ और अब मैं अपनी झोली फैलाकर आपसे याचना कर रहा हूँ। मुझे कई तरह की विपदाओं ने घेरा हुआ है और साथ ही मैं इस सांसारिक मोहमाया में फंसा हुआ हूँ। मेरे अंदर काम व क्रोध की भावनाएं हैं और मैं अपना जीवन बर्बाद करके बैठा हुआ हूँ। अब तो मुझ से मेरे अपनों ने भी मुहं मोड़ लिया है और मैं इस जगत में अकेला पड़ गया हूँ।

जीवन की छूटी है नैया, तुम बिन मेरा कौन खिवैया।

चरणामृत चरणों का पाऊँ, नैनों में तुमरे बस जाऊं।

तुमसे ही उद्धारा होगा, जीवन में उजियारा होगा।

कलयुग की फैली है माया, नाम तिहारा मन में ध्याया।

मेरे जीवन की नांव डूबने वाली है और अब आपके बिना मेरा कौन ही सहारा है। मेरी तो यही इच्छा है कि मुझे आपके चरणों में स्थान मिले और आपकी आँखों में मैं हमेशा के लिए बस जाऊं। आपकी कृपा से ही मेरा उद्धार होगा और मेरे जीवन में आगे का मार्ग प्रशस्त होगा। इस कलियुग में फैली हुई मोहमाया से बचने के लिए आपका नाम लेना ही पर्याप्त है।

मां नैना देवी चालीसा (Maa Naina Devi Chalisa) – महत्व

माता सती के शरीर के अंगों से जो भी शक्तिपीठ निर्मित हुए थे उनमें से हर किसी का अपना महत्व होता है। ऐसे में नैना देवी शक्तिपीठ का महत्व किसी से छुपा नहीं है क्योंकि यह नौ देवियों के अंतर्गत भी आता है जिसके दर्शन करने हर वर्ष लाखों करोड़ो की संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं। यह इसलिए क्योंकि यहाँ पर माता सती के नेत्र गिरे थे जो शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग था।

ऐसे में नैना देवी चालीसा के माध्यम से माता आदिशक्ति या माता सती के बारे में ही वर्णन किया गया है। श्री नैना देवी चालीसा हमें माता आदिशक्ति के विभिन्न गुणों, शक्तियों तथा कार्यों के बारे में विस्तृत विवरण देती है। यही कारण है कि नैना देवी चालीसा का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

नैना देवी जी की चालीसा के लाभ (Naina Devi Chalisa Benefits In Hindi)

अब यदि आप प्रतिदिन नैना देवी का ध्यान कर नैना देवी चालीसा का पाठ करते हैं तो इससे आपके शरीर पर कई तरह के सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं। सबसे बड़ा लाभ तो आपकी आँखों को होता है क्योंकि नैना देवी का संबंध माता सती की आँखों से ही है। नैना देवी चालीसा के माध्यम से व्यक्ति अपनी आँखों की रोशनी को बढ़ा सकता है और चश्मा हटवा सकता है।

इतना ही नहीं, माँ की कृपा से तो अंधे व्यक्ति को भी आँखें मिल जाती है और उसे सब दिखाई देने लगता है। जिस व्यक्ति पर नैना देवी की कृपा हो जाती है, उस व्यक्ति के शरीर का तेज बढ़ता है तथा समाज में मान-सम्मान में वृद्धि देखने को मिलती है। ऐसे में आपको हर दिन नैना माता की चालीसा का सच्चे मन के साथ पाठ करना चाहिए।

नैना देवी चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: नैना देवी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर: नैना देवी मंदिर में माता सती के नेत्र गिरे थे जिस कारण वहां शक्तिपीठ का निर्माण हुआ। यह शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है जो माँ आदिशक्ति को समर्पित है। इसी कारण नैना देवी मंदिर प्रसिद्ध है।

प्रश्न: क्या नैना देवी एक शक्ति पीठ है?

उत्तर: हां, नैना देवी एक शक्ति पीठ है, जहाँ पर सती माता के नयन गिरे थे। यहाँ पर नैना देवी पिण्डी रूप में स्थापित हैं जिसके दर्शन करने प्रति वर्ष करोड़ो भक्त पहुँचते हैं।

प्रश्न: नैना देवी के पास कौन सा स्टेशन है?

उत्तर: नैना देवी के सबसे पास का रेलवे स्टेशन आनंदपुर साहिब है जहाँ से नैना देवी मंदिर की दूरी लगभग 30 किलोमीटर के आसपास है।

प्रश्न: नैना देवी किसकी पुत्री है?

उत्तर: नैना देवी किसी की पुत्री नहीं है और यह माता सती के नेत्र गिरने से बना एक शक्तिपीठ है। ऐसे में नैना देवी माता सती का ही एक रूप है जिनकी हम सभी पूजा करते हैं।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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