नरक चतुर्दशी/ काली चौदस/ छोटी दिवाली/ रूप चतुर्दशी/ भूत चतुर्दशी त्यौहार के बारे में संपूर्ण जानकारी

Narak Chaturdashi In Hindi

दीपावली पांच दिनों का त्यौहार है जिसे हिंदू धर्म में बड़ी ही धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता है। इस पांच दिनों के पर्व में दूसरे दिन नरक चतुर्दशी का त्यौहार (Narak Chaturdashi In Hindi) मनाया जाता है। यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन पड़ता है। इसके अगले दिन दीपावली का मुख्य त्यौहार आता है। नरक चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के आठवे अवतार (Narak Chaturdashi Kya Hai) भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध करके सोलह हज़ार एक सौ कन्याओं को उसके चंगुल से मुक्ति दिलवायी थी। आइए इस पर्व की महत्ता के बारे में जाने।

नरक चतुर्दशी पर्व के बारे में संपूर्ण जानकारी (Narak Chaturdashi Par Nibandh)

नरक चतुर्दशी से जुड़ी कथा (Naraka Chaturdashi Story In Hindi)

इस दिन भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित एक प्राचीन कथा जुड़ी हुई है। द्वापर युग में जब श्रीकृष्ण ने राक्षसों के संहार व विश्व को उचित संदेश देने के लिए जन्म लिया तो उन्होंने कई राक्षसों का वध करके उनके अत्याचार से सभी को मुक्ति दिलवायी।

उस समय नरकासुर नाम का एक भयानक राक्षस रहता था जिसने अपने कारावास में सोलह हज़ार एक सौ कन्याओं को बंदी बनाकर रखा था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने माँ काली की सहायता से उस राक्षस का वध (Narak Chaturdashi Kyu Manaya Jata Hai) कर दिया तथा उसके चंगुल से सभी कन्याओं को मुक्ति दिलवायी।

लोक-लज्जा के कारण वे सभी स्त्रियाँ आत्म-हत्या करना चाहती थी क्योंकि अब समाज में उन्हें कोई नही अपनाने वाला था। यह देखकर श्रीकृष्ण ने प्रत्येक स्त्री के लिए अपने सोलह हज़ार एक सौ रूप बनाए व सभी के साथ विवाह करके अपनी पत्नी रूप में स्वीकार किया।

उसी उपलक्ष्य में इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से मनाया जाने लगा अर्थात नरकासुर राक्षस का अंत होना।

काली चौदस का त्यौहार (Kali Chaudas Meaning In Hindi)

काली चौदस त्यौहार का संबंध माँ काली से है। माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों में माँ काली का रूप अत्यंत भयानक व संहारक है जिसका वर्ण एक दम काला है। वे शत्रु, राक्षसों, अधर्मियों व असुरों पर बिल्कुल भी दया नही करती (Kali Chaudas Importance In Hindi) तथा उनका वध करके ही उन्हें संतोष प्राप्त होता है।

इसलिये उन्हें बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में (Kali Chaudas Ki Raat) याद किया जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से संबंध अपने मन से आलस, ईर्ष्या, द्वेष, मोह इत्यादि बुरी भावनाओं को त्यागकर भक्ति भाव अपनाने का होता है। इसलिये इसे काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है।

छोटी दिवाली/ दीपावली का त्यौहार (Choti Diwali In Hindi)

चूँकि यह त्यौहार मुख्य दीपावली से केवल एक दिन पहले आता हैं व इस दिन भी दिवाली की भांति दीये जलाने, पकवान खाने व आतिशबाजी की जाती है, इसलिये इसे छोटी दिवाली का नाम दे दिया गया है। छोटी दिवाली अर्थात बड़ी दिवाली से एक दिन पहले आने वाला पर्व।

रूप चतुर्दशी (Roop Chaturdashi In Hindi)

रूप चतुर्दशी से संबंध मृत्यु के देवता यमराज से है। इस दिन संध्या में यमराज के नाम का दीप भी घर में जलाया जाता है। मान्यता हैं कि इस दिन यमराज के नाम का दीपक जलाने से नरक के भय व अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है व यमराज प्रसन्न होते है। इससे जुड़ी एक प्राचीन कथा भी जुड़ी हुई है।

रूप चतुर्दशी से जुड़ी कथा (Roop Chaturdashi Ka Tyohar Kab Manaya Jata Hai)

एक समय में रंति देव नाम का एक महान राजा रहता था जिसने अपने जीवन में हमेशा धर्म के ही कार्य किए थे। जब उसके जीवन का समय समाप्त हो गया तब यमदूत उसे नरक ले जाने के लिए आए। यह देखकर वह आश्चर्य में पड़ गया तथा उसने इसका कारण पूछा। तब यमदूतो ने बताया कि एक बार उसके दरबार से एक भूखा ब्राह्मण खाली पेट लौट गया था, यह उसी का परिणाम है।

यह सुनकर रंति देव ने उनसे एक वर्ष का समय (Roop Chaturdashi Ki Katha) माँगा। यमदूत राजा की यह बात मान गए व वहां से चले गए। यमदूतो के जाने के बाद राजा ऋषि-मुनियों की शरण में गया तथा इसका उपाय पूछा। तब उन्होंने बताया कि यदि वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन ब्राह्मणों की पूजा करके उन्हें भोजन करवाएगा तो उसका यह पाप दूर हो जायेगा।

ऋषि-मुनियों के कहने पर राजा ने ऐसा ही क्या तथा यमराज ने उसे इस पाप से मुक्त (Roop Chaturdashi Ka Mahatva) कर दिया। तब रंति देव ने अपनी मृत्यु के पश्चात विष्णु लोक में स्थान प्राप्त किया।

भूत चतुर्दशी (Bhoot Chaturdashi In Hindi)

पूर्वी भारत मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल में इसे भूत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन तंत्र-मंत्र विद्या व ज्योतिष के अनुसार अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस दिन तांत्रिक इत्यादि माँ काली की पूजा (Bhoot Chaturdashi Kali Puja) कर सिद्धि प्राप्त करते है। उनके द्वारा इस दिन भूतो की भी पूजा की जाती हैं तथा उनसे शक्तियां प्राप्त की जाती है। इसलिये इसे भूत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।

नरक चतुर्दशी के दिन क्या करे (Narak Chaturdashi Puja Vidhi)

इस दिन आप जल्दी उठकर स्नान आदि करके माँ काली/ दुर्गा की पूजा करे व उनसे अभय प्राप्त करे। इस दिन नहाने से पहले शरीर पर सुगंधित तेल की मालिश करने का भी विधान है।

माँ काली को भी सुगन्धित चीज़े अर्पित की जाती हैं जैसे कि चंदन, पुष्प इत्यादि। संध्या के समय यमराज के लिए दीप प्रज्जवलित करे व उनका आशीर्वाद प्राप्त करे। यम के दीप को दक्षिण दिशा में रखे।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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