नरसिम्हा आरती (Narasimha Aarti) | नरसिंह आरती इस्कॉन (Narsingh Aarti ISKCON)

Narsingh Bhagwan Ki Aarti

नरसिंह आरती इस्कॉन (Narasimha Aarti) – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

इस्कॉन मंदिर में मुख्य रूप से भगवान विष्णु के दस अवतारों की पूजा की जाती है जिनमें से भगवान श्रीकृष्ण व श्रीराम प्रमुख हैं। इसी के साथ ही वहां भगवान विष्णु के चौथे अवतार भगवान नृसिंह की भी पूजा करने का विधान है। उनके द्वारा भगवान नरसिंह की आरती की अलग से रचना की गयी है जिस कारण उसे नरसिंह आरती इस्कॉन (Narsingh Aarti ISKCON) कहकर भी संबोधित कर दिया जाता है।

इसलिए इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ ना केवल नृसिंह आरती (Narasimha Aarti ISKCON) सांझा करेंगे बल्कि आपको नृसिंह आरती हिंदी में भी पढ़ने को मिलेगी। आपको शायद पता ना हो लेकिन इस्कॉन मंदिर में नरसिंह आरती को नरसिम्हा आरती (Narasimha Aarti) कहकर भी संबोधित किया जाता है। दरअसल नरसिम्हा नरसिंह भगवान का ही एक नाम है। अंत में आपको नृसिंह आरती इस्कॉन के लाभ व महत्व भी जानने को मिलेंगे।

नरसिंह आरती इस्कॉन (Narsingh Aarti ISKCON)

नमस्ते नरसिंहाय
प्रह्लादाह्लाद-दायिने।
हिरण्यकशिपोर्वक्षः-
शिला-टङ्क-नखालये॥

इतो नृसिंहः परतो नृसिंहो
यतो यतो यामि ततो नृसिंहः।
बहिर्नृसिंहो हृदये नृसिंहो
नृसिंहमादिं शरणं प्रपद्ये॥

तव कर-कमल-वरे नखम् अद्भुत शृङ्गं।
दलित-हिरण्यकशिपु-तनु-भृङ्गम्।
केशव धृत-नरहरि-रूप
जय जगदीश हरे।
जय जगदीश हरे।
जय जगदीश हरे।

नृसिंह आरती हिंदी में (Narsingh Aarti ISKCON In Hindi)

नमस्ते नरसिंहाय
प्रह्लादाह्लाद-दायिने।
हिरण्यकशिपोर्वक्षः-
शिला-टङ्क-नखालये॥

मैं भगवान नरसिंह को नमस्कार करता हूँ। वे अपने भक्त प्रह्लाद को आनंद प्रदान करते हैं। नरसिंह अवतार में उनके नाखून इतने विशाल व नुकीले थे कि उन्होंने दैत्य हिरण्यकश्यप के पत्थर की भांति मजबूत सीने को भी चीर दिया था।

इतो नृसिंहः परतो नृसिंहो
यतो यतो यामि ततो नृसिंहः।
बहिर्नृसिंहो हृदये नृसिंहो
नृसिंहमादिं शरणं प्रपद्ये॥

नरसिंह भगवान यहाँ भी विद्यमान हैं और वहां भी विद्यमान हैं अर्थात वे हर जगह हैं। मैं जहाँ कहीं भी विचरण करने जाता हूँ, वहां-वहां मैं भगवान नरसिंह की उपस्थिति पाता हूँ। वे मेरे हृदय में भी निवास करते हैं और शरीर के बाहर भी। नरसिंह भगवान ही इस सृष्टि के आदि व अनंत हैं और मैं उनकी शरण में जाता हूँ।

तव कर-कमल-वरे नखम् अद्भुत शृङ्गं।
दलित-हिरण्यकशिपु-तनु-भृङ्गम्।
केशव धृत-नरहरि-रूप
जय जगदीश हरे।

जिस प्रकार हम अपने नाखूनों के बीच में ततैया को कुचल सकते हैं, ठीक उसी तरह भगवान नरसिम्हा ने अपने कमल रुपी हाथों के नुकीले नाखूनों से दैत्य हिरण्यकश्यप का सीना फाड़कर उसका वध कर दिया था। हे केशव!! हे इस सृष्टि के रचयिता!! हे नरसिंह भगवान!! हे श्रीहरि!! हे जगदीश भगवान!! आपको मेरा नमन है।

नरसिम्हा आरती (Narasimha Aarti) – महत्व

भगवान विष्णु के द्वारा लिए गए सभी अवतारों का अपना-अपना महत्व है। इसमें उन्होंने राम व कृष्ण के रूप में मानवीय जीवन व सोलह संस्कारो का पालन किया था जिनकी कथाएं हम पढ़ते रहते हैं। वहीं अन्य अवतार कुछ समय के लिए या एक ही उद्देश्य की प्राप्ति के लिए लिए गए थे किन्तु भगवान परशुराम इसमें एक अपवाद हैं। अब जो उनका नरसिंह अवतार था, वह अल्पकाल के लिए ही था लेकिन उनका उद्देश्य बहुत बड़ा था।

इस अवतार में उन्होंने एक बारी में ही दैत्य व पाताल नगरी के राजा हिरण्यकश्यप को भगवान ब्रह्मा जी से मिले वरदान को निष्फल करते हुए अपने नाखूनों से उसके सीने को फाड़कर उसका वध कर दिया था तथा अपने भक्त प्रह्लाद को दैत्य नगरी का अगला राजा नियुक्त किया था। तो नरसिंह आरती इस्कॉन के माध्यम से भगवान नरसिंह के गुणों, कार्यों, शक्तियों तथा महत्व का वर्णन किया गया है। यही नृसिंह आरती का महत्व होता है।

नृसिंह आरती इस्कॉन (Narasimha Aarti ISKCON) – लाभ

अब यदि आप नित्य रूप से भगवान नरसिंह का ध्यान करते हुए नृसिंह आरती इस्कॉन का पाठ करते हैं तो उसके एक नहीं बल्कि कई लाभ देखने को मिलते हैं। इसका सबसे बड़ा लाभ तो यही है कि हमारे शत्रुओं का नाश हो जाता है तथा हमारे जीवन में आ रही हरेक बाधा व संकट का समाधान हो जाता है। भगवान नरसिंह अपने भक्तों के किसी भी शत्रु, बाधा, संकट व विपदा को हरने में सक्षम हैं।

ऐसे में जो भक्तगण प्रतिदिन नरसिम्हा आरती का पाठ कर रहा है, उसके जीवन में कोई भी विपत्ति नहीं आती है और यदि आती भी है तो वह उसका सरलता से सामना कर पाने में सक्षम होता है। इसी के साथ ही भगवान नरसिंह की कृपा से हमारी उन्नति होती है तथा हमें वह सब मिल जाता है, जिसकी हम कामना करते हैं। यही नरसिंह आरती इस्कॉन को पढ़ने के लाभ होते हैं।

नरसिंह आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: भगवान नरसिंह की पूजा करने के लिए कौन सा दिन अच्छा है?

उत्तर: सप्ताह में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। ऐसे में उनके सभी दस अवतारों की पूजा भी गुरुवार के दिन की जा सकती है जिनमें से एक नरसिंह अवतार भी हैं।

प्रश्न: भगवान नरसिंह का प्रिय भक्त कौन था?

उत्तर: दैत्य हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था जिस कारण उसे बहुत यातनाएं दी गयी थी। तब भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद के मान की रक्षा करने के लिए नरसिंह अवतार लिया था।

प्रश्न: कृष्ण ने नरसिंह अवतार क्यों लिया?

उत्तर: आपका प्रश्न एकदम अनुचित है क्योंकि भगवान कृष्ण व नरसिंह दोनों ही भगवान विष्णु के अवतार थे। ऐसे में कृष्ण ने नहीं अपितु भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था।

प्रश्न: नरसिम्हा का शेर का सिर क्यों होता है?

उत्तर: दैत्य हिरण्यकश्यप ने भगवान ब्रह्मा से इस तरह का विचित्र वरदान माँगा था कि उसका वध करना बहुत कठिन था। इसी कारण भगवान विष्णु ने उस वरदान की काट के लिए नरसिम्हा का अवतार लिया था जिसका मुख शेर का था।

प्रश्न: नरसिम्हा अवतार को किसने मारा?

उत्तर: वैसे तो नरसिम्हा अवतार को किसी ने नहीं मारा था लेकिन शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव ने अपना शरभ अवतार लेकर नरसिम्हा अवतार का वध कर दिया था।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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