पितृ चालीसा – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

पितर चालीसा (Pitar Chalisa)

आज हम आपके साथ पितर चालीसा (Pitar Chalisa) का पाठ करेंगे। सनातन धर्म में ईश्वर के साथ-साथ देवताओं, कुल देवता, कुल देवी, पंच तत्व, अन्य जीव-जंतुओं व पेड़-पौधों को भी पूजनीय माना गया है। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि सनातन धर्म हर सजीव व निर्जीव को इस पृथ्वी व मनुष्य योनि के लिए आवश्यक मानता है व उसका सम्मान करने को कहता है।

अब यदि हम ईश्वर या देवता की बात करें तो उसमे किसी भी परिवार के लिए सर्वोच्च स्थान के रूप में पितरों को माना गया है। यही कारण है कि आज के इस लेख में हम पितृ चालीसा (Pitra Chalisa) को हिंदी में अर्थ सहित भी देंगे। अंत में हम आपको पितर चालीसा पढ़ने के लाभ और महत्व के बारे में भी बताएँगे। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं श्री पितर चालीसा।

Pitar Chalisa | पितर चालीसा

॥ दोहा ॥

हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद,
चरणाशीश नवा दियो रखदो सिर पर हाथ।
सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी,
हे पितरेश्वर दया राखियो करियो मन की चाया जी॥

॥ चौपाई ॥

पितरेश्वर करो मार्ग उजागर, चरण रज की मुक्ति सागर।

परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा, मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा।

मातृ-पितृ देव मनजो भावे, सोई अमित जीवन फल पावे।

जै-जै-जै पित्तर जी साईं, पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं।

चारों ओर प्रताप तुम्हारा, संकट में तेरा ही सहारा।

नारायण आधार सृष्टि का, पित्तर जी अंश उसी दृष्टि का।

प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते, भाग्य द्वार आप ही खुलवाते।

झुंझुनू में दरबार है साजे, सब देवों संग आप विराजे।

प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा, कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा।

पित्तर महिमा सबसे न्यारी, जिसका गुणगावे नर नारी।

तीन मण्ड में आप बिराजे, बसु रुद्र आदित्य में साजे।

नाथ सकल संपदा तुम्हारी, मैं सेवक समेत सुत नारी।

छप्पन भोग नहीं हैं भाते, शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते।

तुम्हारे भजन परम हितकारी, छोटे बड़े सभी अधिकारी।

भानु उदय संग आप पुजावै, पांच अँजुलि जल रिझावे।

ध्वज पताका मण्ड पे है साजे, अखण्ड ज्योति में आप विराजे।

सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी, धन्य हुई जन्म भूमि हमारी।

शहीद हमारे यहाँ पुजाते, मातृ भक्ति संदेश सुनाते।

जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा, धर्म जाति का नहीं है नारा।

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सब पूजे पित्तर भाई।

हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा, जान से ज्यादा हमको प्यारा।

गंगा ये मरुप्रदेश की, पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की।

बन्धु छोड़ना इनके चरणाँ, इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा।

चौदस को जागरण करवाते, अमावस को हम धोक लगाते।

जात जडूला सभी मनाते, नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते।

धन्य जन्म भूमि का वो फूल है, जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है।

श्री पित्तर जी भक्त हितकारी, सुन लीजे प्रभु अरज हमारी।

निशदिन ध्यान धरे जो कोई, ता सम भक्त और नहीं कोई।

तुम अनाथ के नाथ सहाई, दीनन के हो तुम सदा सहाई।

चारिक वेद प्रभु के साखी, तुम भक्तन की लज्जा राखी।

नाम तुम्हारो लेत जो कोई, ता सम धन्य और नहीं कोई।

जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत, नवों सिद्धि चरणा में लोटत।

सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी, जो तुम पे जावे बलिहारी।

जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे, ताकी मुक्ति अवसी हो जावे।

सत्य भजन तुम्हारो जो गावे, सो निश्चय चारों फल पावे।

तुमहिं देव कुलदेव हमारे, तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे।

सत्य आस मन में जो होई, मनवांछित फल पावें सोई।

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई, शेष सहस्र मुख सके न गाई।

मैं अतिदीन मलीन दुखारी, करहु कौन विधि विनय तुम्हारी।

अब पित्तर जी दया दीन पर कीजै, अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै।

॥ दोहा ॥

पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम।
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम॥

झुंझुनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान।
दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान॥

जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझुनू धाम।
पित्तर चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान॥

Pitra Chalisa | पितृ चालीसा – अर्थ सहित

किसी भी परिवार के लिए उसके पितृ बहुत ही अहम होते हैं क्योंकि वे उसी परिवार या पीढ़ी के लिए पूजनीय होते हैं। ऐसे में उनके सामने की गयी याचना का अत्यधिक महत्व होता है क्योंकि उनका ध्यान अपनी पीढ़ी या परिवार पर ही होता है। यही कारण है कि आपको भी पितृ चालीसा का पाठ करके अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहिए। आइए अब पितृ चालीसा इन हिंदी में पढ़ लेते हैं।

॥ दोहा ॥

हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद,
चरणाशीश नवा दियो रखदो सिर पर हाथ।
सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी,
हे पितरेश्वर दया राखियो करियो मन की चाया जी॥

हे हमारे पितर देव!! आप हमें अपना आशीर्वाद दे दीजिये। हम आपके चरणों में अपना सिर झुकाते हैं और आप हमारे सिर पर दया का हाथ रख दीजिये। सबसे पहले हम शिव पुत्र भगवान गणेश की पूजा करते हैं, तत्पश्चात हम अपने घर के देवता पितृ देव की पूजा करते हैं। हे पितृ देव!! आप हम पर हमेशा अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखें और हमारे मन को संतुलित रखिये।

॥ चौपाई ॥

पितरेश्वर करो मार्ग उजागर, चरण रज की मुक्ति सागर।

परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा, मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा।

मातृ-पितृ देव मनजो भावे, सोई अमित जीवन फल पावे।

जै-जै-जै पित्तर जी साईं, पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं।

हे पितर देव!! आप हमें आगे का रास्ता दिखाइए, हमें मुक्ति प्रदान कीजिये। आपने हम सभी पर बहुत ही उपकार किया हुआ है जो आपने हमें मनुष्य योनि में जन्म दिया। जिस किसी के भी मातृ व पितृ देव उनसे प्रसन्न होते हैं, उन्हें कभी भी किसी चीज़ की कोई कमी नहीं होती है। हे पितृ देव!! आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आपका ऋण उतारे बिना हमारी मुक्ति नही हो सकती है।

चारों ओर प्रताप तुम्हारा, संकट में तेरा ही सहारा।

नारायण आधार सृष्टि का, पित्तर जी अंश उसी दृष्टि का।

प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते, भाग्य द्वार आप ही खुलवाते।

झुंझुनू में दरबार है साजे, सब देवों संग आप विराजे।

आपका यश तो हर दिशा में फैला हुआ है और हमारे संकट आप ही दूर करते हैं। इस सृष्टि के आधार स्वयं नारायण देव हैं और इसी सृष्टि के आप एक अंश हैं अर्थात हमें रास्ता दिखाते हैं। ईश्वर की पूजा करने पर वे हमें आदेश देते हैं और हमारा भाग्य आपके ही हाथों में है। झुंझुनू जिले में आपका दरबार सजा हुआ है और आप वहां पर देवताओं के संग विराजते हैं।

प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा, कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा।

पित्तर महिमा सबसे न्यारी, जिसका गुणगावे नर नारी।

तीन मण्ड में आप बिराजे, बसु रुद्र आदित्य में साजे।

नाथ सकल संपदा तुम्हारी, मैं सेवक समेत सुत नारी।

जब पितर देव हमसे प्रसन्न हो जाते हैं तब वे हमारी हर इच्छा को पूरी करते हैं किन्तु जब वे हमसे निराश होते हैं तब वे हमारी बुद्धि का नाश कर देते हैं। पितरों की महिमा सबसे अलग है जिसका गुणगान हर कोई करता है। तीन मंडलों में आप ही विराजमान हैं। आप शिव में बसते हैं और सूर्य में शोभायमान हैं। हमारी सब संपत्ति आपकी ही दी हुई है और मैं अपने परिवार सहित आपका सेवक हूँ।

छप्पन भोग नहीं हैं भाते, शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते।

तुम्हारे भजन परम हितकारी, छोटे बड़े सभी अधिकारी।

भानु उदय संग आप पुजावै, पांच अँजुलि जल रिझावे।

ध्वज पताका मण्ड पे है साजे, अखण्ड ज्योति में आप विराजे।

पितरों को छप्पन भोग नहीं चाहिए क्योंकि वे तो बस शुद्ध जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। आपके भजन सभी को सुख देने वाले हैं, फिर चाहे वह छोटे पितर हो या बड़े, सभी एक समान ही पूजनीय होते हैं। सूर्योदय होने के साथ ही आपकी पूजा करनी चाहिए और पांच उँगलियों से आपको जल चढ़ाना चाहिए। आपके मंडल में ध्वज पताका लगी हुई है और अखंड ज्योति जल रही है।

सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी, धन्य हुई जन्म भूमि हमारी।

शहीद हमारे यहाँ पुजाते, मातृ भक्ति संदेश सुनाते।

जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा, धर्म जाति का नहीं है नारा।

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सब पूजे पित्तर भाई।

आपकी महिमा तो सदियों पुरानी है और इससे हमारी जन्मभूमि धन्य हो गयी है। जो कोई भी यहाँ शहीद होता है, उससे हमें मातृ भक्ति का संदेश मिलता है। पित्तरों की पूजा करने में धर्म या जाति आड़े नहीं आती है तथा सभी धर्म व जाति को मानने वाले लोग अपने-अपने पित्तरों की पूजा करते हैं।

हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा, जान से ज्यादा हमको प्यारा।

गंगा ये मरुप्रदेश की, पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की।

बन्धु छोड़ना इनके चरणाँ, इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा।

चौदस को जागरण करवाते, अमावस को हम धोक लगाते।

हम सभी ने हिन्दू धर्म में जन्म लिया है जो हमें हमारे जीवन से भी अधिक प्रिय है। इस देश में माँ गंगा बहती है और वहीं पर पितरों को तर्पण किया जाता है। पितरों के आशीर्वाद से ही हमें प्रभु की शरण मिलती है। हम सभी चौदस को आपके नाम का जागरण करवाते हैं और अमावस्या के दिन आपकी धोक लगाते हैं।

जात जडूला सभी मनाते, नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते।

धन्य जन्म भूमि का वो फूल है, जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है।

श्री पित्तर जी भक्त हितकारी, सुन लीजे प्रभु अरज हमारी।

निशदिन ध्यान धरे जो कोई, ता सम भक्त और नहीं कोई।

श्राद्ध पक्ष के समय में सभी अपने-अपने घर पर पितरों की पूजा करते हैं। जिस भी घर में पितरों का वास होता है, वहां सब कुछ मंगल होता है। हे पितर देव! अब आप हमारी प्रार्थना सुन लीजिये। जो कोई भी आपका प्रतिदिन ध्यान करता है, उसके जैसा कोई और भक्त नहीं है।

तुम अनाथ के नाथ सहाई, दीनन के हो तुम सदा सहाई।

चारिक वेद प्रभु के साखी, तुम भक्तन की लज्जा राखी।

नाम तुम्हारो लेत जो कोई, ता सम धन्य और नहीं कोई।

जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत, नवों सिद्धि चरणा में लोटत।

आप तो अनाथ लोगों को भी सहारा देते हो और दीन-बंधुओं पर अपनी कृपा दृष्टि रखते हो। ईश्वर ने चार वेदों की रचना की है और आपने अपने भक्तों के मान-सम्मान की रक्षा की है। जो कोई भी पित्तरों का नाम लेता है, उसके जैसा धन्य व्यक्ति कोई और नहीं है। जो पितरों के चरणों में अपना सिर झुकाता है, उसे नौ की नौ सिद्धियाँ प्राप्त होती है।

सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी, जो तुम पे जावे बलिहारी।

जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे, ताकी मुक्ति अवसी हो जावे।

सत्य भजन तुम्हारो जो गावे, सो निश्चय चारों फल पावे।

तुमहिं देव कुलदेव हमारे, तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे।

जो भी पितरों की पूजा करता है, उसका सब मंगल ही मंगल होता है। जो पितृ देव के चरणों का ध्यान करता है, उसकी जल्दी मुक्ति होती है। जो पितर देव का भजन करता है, उसे चारों तरह के फल की प्राप्ति होती है। हे पितर देव!! आप ही हमारे कुल देवता हो, आप ही हमारे देवता हो, आप ही हमारे गुरुदेव हो और आप हम सभी को अपने प्राणों से भी अधिक प्यारे हो।

सत्य आस मन में जो होई, मनवांछित फल पावें सोई।

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई, शेष सहस्र मुख सके न गाई।

मैं अतिदीन मलीन दुखारी, करहु कौन विधि विनय तुम्हारी।

अब पित्तर जी दया दीन पर कीजै, अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै।

जो कोई भी सच्चे मन से पितरों से कुछ मांगता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है। पितरों का यश तो हर जगह व्याप्त है और हजारों मुहं भी उसका बखान नहीं कर सकते हैं। मैं तो मंदबुद्धि व दुखी मनुष्य हूँ, मैं किस विधि से आपकी पूजा करूँ। हे पितर देव!! अब आप मुझ पर दया कीजिये और अपनी भक्ति व शक्ति मुझे प्रदान कीजिये।

॥ दोहा ॥

पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम।
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम॥

हम सभी को तीर्थों व अपने घर में पितरों को स्थान देना चाहिए। उनकी पूजा करनी चाहिए और सच्चे मन से उनका नाम लेना चाहिए। इससे हमारे सब रुके हुए काम बन जाते हैं।

झुंझुनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान।
दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान॥

झुंझुनू में हम सभी के पितर देव विराजते हैं। जो कोई भी उनके दर्शन कर लेता है, उसके सभी काम बन जाते हैं और उसका उद्धार हो जाता है।

जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझुनू धाम।
पित्तर चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान॥

जो भी झुंझुनू धाम जाकर पितरों की पूजा कर लेता है, उसका जीवन सफल हो जाता है। पितरों के चरणों की धूल ही मिल जाए या उनकी थोड़ी बहुत भी कृपा दृष्टि हो जाए तो हमारा जीवन सफल हो जाता है।

पितृ चालीसा का महत्व

अभी तक आपने पितर चालीसा पढ़ी और साथ ही उसका हिंदी अनुवाद या अर्थ भी जान लिया। इसको पढ़ कर अवश्य ही आपको पितरों की महत्ता, शक्तियों व गुणों का ज्ञान हो गया होगा। इसके साथ ही आपको यह भी पता चल गया होगा कि किसी भी परिवार के लिए पितरों का क्या स्थान होता है और क्यों उनकी पूजा की जानी और उनका ध्यान रखा जाना आवश्यक होता है।

ऐसे में यदि आप पितृ चालीसा पढ़ते हैं तो आपको यह सभी बातें ध्यान में रहती है और आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसकी सद्बुद्धि भी आती है। यदि आपके परिवार के पितृ आपसे प्रसन्न हैं तो आपके बिगड़े हुए काम भी बन जाते हैं और यदि वे आपसे निराश हैं तो जो काम बन रहा है, वह भी बिगड़ जाता है। यही पितर चालीसा को पढ़ने का मुख्य उद्देश्य व महत्व होता है।

पितर चालीसा के लाभ

अब यदि आप नियमित रूप से अपने पितरों के आगे हाथ जोड़ते हैं और उनका ध्यान करते हैं तो अवश्य ही उनकी कृपा दृष्टि आप पर बनी रहती है। इसी के साथ यदि आप श्राद्ध पक्ष के दौरान प्रतिदिन श्री पितृ चालीसा का पाठ करते हैं और उनकी स्तुति करते हैं तो अवश्य ही वे आपसे अत्यधिक प्रसन्न हो जाते हैं और आपके सभी तरह के बिगड़े हुए कामो को बना देते हैं।

एक तरह से देखा जाए तो जिस परिवार पर उनके पितरों की कृपा दृष्टि होती है और पितृ देव उनसे प्रसन्न होते हैं तो उस परिवार पर कोई भी संकट नहीं आता है और घर में सुख-शांति भी बनी रहती है। इसलिए यदि आप नियमित रूप से पितर चालीसा का पाठ करते हैं और अपने पितरों का ध्यान करते हैं तो आपके भी जीवन में सब मंगल होगा और आपका हर जगह मान-सम्मान भी बढ़ेगा।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने पितर चालीसा इन हिंदी (Pitar Chalisa) अर्थ सहित पढ़ ली है। साथ ही आपने पितृ चालीसा पढ़ने से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप इस लेख पर अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपको प्रत्युत्तर देंगे।

पितर चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: पितरों का मंत्र कौन सा है?

उत्तर: ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्। ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।

प्रश्न: पितरों को मनाने के लिए क्या करना चाहिए?

उत्तर: पितरों को मनाने के लिए प्रतिदिन ईश्वर का ध्यान करते समय उन्हें भी नमन करना चाहिए, अमावस्या के दिन उन्हें भोग लगाना चाहिए, कौवों को दाना देना चाहिए, गाय माता को हरा चारा खिलाना चाहिए तथा पितर चालीसा का पाठ करना चाहिए।

प्रश्न: पितरों के लिए कौन सा दीपक लगाना चाहिए?

उत्तर: यदि आप पितरों की पूजा करने के लिए दीपक जला रहे हैं तो वह मिट्टी का बना हुआ होना चाहिए और उसमे गाय का घी होना चाहिए।

प्रश्न: पितरों के देवता कौन से हैं?

उत्तर: पितरों के देवता अर्यमा जी हैं जो महर्षि कश्यप के पुत्र हैं।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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