पितृ देव की आरती (Pitra Dev Ki Aarti) | पितर जी की आरती (Pitar Ji Ki Aarti)

Pitro Ki Aarti

सनातन धर्म में ईश्वर के साथ-साथ देवताओं, कुल देवता, कुल देवी, पंच तत्व, अन्य जीव-जंतुओं व पेड़-पौधों को भी पूजनीय माना गया है। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि सनातन धर्म हर सजीव व निर्जीव को इस पृथ्वी व मनुष्य योनि के लिए आवश्यक मानता है व उसका सम्मान करने को कहता है। अब यदि हम ईश्वर या देवता की बात करें तो उसमे किसी भी परिवार के लिए सर्वोच्च स्थान के रूप में पितरों को माना गया है। यही कारण है कि आज के इस लेख में हम पितरों की आरती (Pitro Ki Aarti) करने जा रहे हैं।

दरअसल किसी भी परिवार के लिए उसके पितृ बहुत ही अहम होते हैं क्योंकि वे उसी परिवार या पीढ़ी के लिए पूजनीय होते हैं। ऐसे में उनके सामने की गयी याचना का अत्यधिक महत्व होता है क्योंकि उनका ध्यान अपनी पीढ़ी या परिवार पर ही होता है। यही कारण है कि आपको भी पितृ देव की आरती (Pitra Dev Ki Aarti) करके अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहिए। आज के इस लेख में आपको पितर जी की आरती (Pitar Ji Ki Aarti) अर्थ सहित पढ़ने को मिलेगी ताकि आपको इसका महत्व पूर्ण रूप से समझ में आ सके। आइये पढ़ते हैं पितर देव की आरती।

पितरों की आरती (Pitro Ki Aarti)

जय जय पितरजी महाराज, मैं शरण पड़यों हूँ थारी।

शरण पड़यो हूँ थारी बाबा, शरण पड़यो हूँ थारी।।

आप ही रक्षक आप ही दाता, आप ही खेवनहारे।

मैं मूरख हूँ कछु नहि जाणू, आप ही हो रखवारे।। जय जय…

आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी, करने मेरी रखवारी।

हम सब जन हैं शरण आपकी, है ये अरज गुजारी।। जय जय…

देश और परदेश सब जगह, आप ही करो सहाई।

काम पड़े पर नाम आपको, लगे बहुत सुखदाई।। जय जय…

भक्त सभी हैं शरण आपकी, अपने सहित परिवार।

रक्षा करो आप ही सबकी, रटूँ मैं बारम्बार।। जय जय…

पितर जी की आरती – अर्थ सहित (Pitar Ji Ki Aarti – With Meaning)

जय जय पितरजी महाराज, मैं शरण पड़यों हूँ थारी।

शरण पड़यो हूँ थारी बाबा, शरण पड़यो हूँ थारी।।

हे पितर देव!! आपकी जय हो, जय हो। मैं आपके चरणों में पड़ा हुआ हूँ, मैं आपकी शरण में आया हुआ हूँ अर्थात में अपने पितरों के चरणों में नमस्कार कर रहा हूँ और उनका ध्यान कर रहा हूँ।

आप ही रक्षक आप ही दाता, आप ही खेवनहारे।

मैं मूरख हूँ कछु नहि जाणू, आप ही हो रखवारे।।

आप ही मेरी और मेरे परिवार की सभी तरह के संकटों से रक्षा करते हैं और जो कुछ भी हमारे पास है, वह आप की ही कृपा के कारण है। आप ही हम सभी का उद्धार करते हैं। मैं तो मंद बुद्धि हूँ और ज्यादा कुछ नहीं जानता हूँ। आप ही मेरे और मेरे परिवार के रखवाले हैं।

आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी, करने मेरी रखवारी।

हम सब जन हैं शरण आपकी, है ये अरज गुजारी।।

आप मेरी और मेरे परिवार की रखवाली करने के लिए और उसे सभी तरह के संकटों से बचाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इसलिए हम सभी आपकी शरण में आये हैं और आपके ही भरोसे हैं।

देश और परदेश सब जगह, आप ही करो सहाई।

काम पड़े पर नाम आपको, लगे बहुत सुखदाई।।

चाहे हम अपने घर में हो या कहीं बाहर, आप ही हमारे एकमात्र सहारे हो। जब भी कोई काम होता है तो हम आपका नाम लेते हैं और इस कारण वह काम बहुत ही आसानी से बन जाता है।

भक्त सभी हैं शरण आपकी, अपने सहित परिवार।

रक्षा करो आप ही सबकी, रटूँ मैं बारम्बार।।

आपके सभी भक्त अपने पूरे परिवार सहित आपकी शरण में आये हुए हैं। मैं बार-बार आपके नाम का ही जाप कर रहा हूँ और अब आप ही हम सभी की रक्षा कीजिये और हमारा उद्धार कीजिये।

पितृ देव की आरती का महत्व (Pitra Dev Ki Aarti Ka Mahatva)

अभी तक आपने पितर आरती पढ़ी और साथ ही उसका हिंदी अनुवाद या अर्थ भी जान लिया। इसको पढ़ कर अवश्य ही आपको पितरों की महत्ता, शक्तियों व गुणों का ज्ञान हो गया होगा। इसके साथ ही आपको यह भी पता चल गया होगा कि किसी भी परिवार के लिए पितरों का क्या स्थान होता है और क्यों उनकी पूजा की जानी और उनका ध्यान रखा जाना आवश्यक होता है।

ऐसे में यदि आप पितर देव की आरती पढ़ते हैं तो आपको यह सभी बातें ध्यान में रहती है और आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसकी सद्बुद्धि भी आती है। यदि आपके परिवार के पितृ आपसे प्रसन्न हैं तो आपके बिगड़े हुए काम भी बन जाते हैं और यदि वे आपसे निराश हैं तो जो काम बन रहा है, वह भी बिगड़ जाता है। यही पितृ देव की आरती को पढ़ने का मुख्य उद्देश्य व महत्व होता है।

पितर देव की आरती के लाभ (Pitar Dev Ki Aarti Benefits in Hindi)

अब यदि आप नियमित रूप से अपने पितरों के आगे हाथ जोड़ते हैं और उनका ध्यान करते हैं तो अवश्य ही उनकी कृपा दृष्टि आप पर बनी रहती है। इसी के साथ यदि आप श्राद्ध पक्ष के दौरान प्रतिदिन पितरों की आरती का पाठ करते हैं और उनकी स्तुति करते हैं तो अवश्य ही वे आपसे अत्यधिक प्रसन्न हो जाते हैं और आपके सभी तरह के बिगड़े हुए कामो को बना देते हैं।

एक तरह से देखा जाए तो जिस परिवार पर उनके पितरों की कृपा दृष्टि होती है और पितृ देव उनसे प्रसन्न होते हैं तो उस परिवार पर कोई भी संकट नहीं आता है और घर में सुख-शांति भी बनी रहती है। इसलिए यदि आप नियमित रूप से पितर जी की आरती करते हैं और अपने पितरों का ध्यान करते हैं तो आपके भी जीवन में सब मंगल होगा और आपका हर जगह मान-सम्मान भी बढ़ेगा।

पितरों की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: पितरों की स्तुति कैसे करें?

उत्तर: पितरों की स्तुति करने के लिए आपको प्रतिदिन ईश्वर के साथ-साथ उनका भी ध्यान करना चाहिए और पितरों की आरती करनी चाहिए।

प्रश्न: पितरों को कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए?

उत्तर: पितरों को माँ तुलसी या भृंगराज के फूल चढ़ा सकते हैं।

प्रश्न:पितरों के नाराज होने से क्या होता है?

उत्तर: पितरों के नाराज होने से घर में कोई भी कार्य सुख-शांति से नहीं हो सकता है तथा बने हुए काम भी बिगड़ जाते हैं।

प्रश्न: पितरों को भोजन में क्या खिलाना चाहिए?

उत्तर: पितरों को भोजन में चावल, उड़द की दाल, मौसमी सब्जियां, पूड़ी इत्यादि खिलायी जाती है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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